क्या केवल गोपनीय कीमत संवेदनशील जानकारी रखने से इनसाइडर ट्रेडिंग का दोष साबित होता है?
Himanshu Mishra
1 March 2025 1:21 PM

सुप्रीम कोर्ट ने Securities and Exchange Board of India v. Abhijit Rajan (2022) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल पर फैसला सुनाया कि क्या केवल किसी व्यक्ति के पास गोपनीय कीमत संवेदनशील जानकारी (Price Sensitive Information) होने से ही उसे इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) का दोषी ठहराया जा सकता है।
यह निर्णय इनसाइडर ट्रेडिंग कानून की व्याख्या करता है और यह स्पष्ट करता है कि दोष साबित करने के लिए केवल जानकारी रखना पर्याप्त नहीं है, बल्कि लाभ कमाने की मंशा (Profit Motive) का होना भी जरूरी है।
कानूनी ढांचा (Legal Framework) इस मामले में मुख्य रूप से Securities and Exchange Board of India Act, 1992 (SEBI Act, 1992) और Securities and Exchange Board of India (Prohibition of Insider Trading) Regulations, 1992 के प्रावधानों की व्याख्या की गई।
• Regulation 2(ha): इसमें कीमत संवेदनशील जानकारी (Price Sensitive Information) की परिभाषा दी गई है, जिसका मतलब ऐसी जानकारी से है जो अगर सार्वजनिक हो जाए तो कंपनी के शेयर की कीमत पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है।
• Regulation 3: यह इनसाइडर्स को गोपनीय कीमत संवेदनशील जानकारी के दौरान शेयरों की खरीद-बिक्री से रोकता है।
• Regulation 4: यह इनसाइडर को इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी ठहराता है अगर उसने Regulation 3 का उल्लंघन किया हो।
• Regulation 2(e): इसमें इनसाइडर (Insider) की परिभाषा दी गई है, जो वह व्यक्ति होता है जो कंपनी से जुड़ा हो और जिसे गोपनीय जानकारी तक पहुंचने की संभावना हो।
• Regulation 2(k): इसमें अप्रकाशित जानकारी (Unpublished Information) की परिभाषा दी गई है, जो अभी तक सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं की गई हो।
मूल मुद्दा (Fundamental Issue) कोर्ट ने साफ किया कि केवल गोपनीय जानकारी (Price Sensitive Information) रखना इनसाइडर ट्रेडिंग साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। दोष साबित करने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति ने उस जानकारी का फायदा उठाने की मंशा (Profit Motive) से शेयरों की खरीद-बिक्री की हो।
यह फैसला पहले के महत्वपूर्ण निर्णयों के अनुरूप है, जैसे कि:
• SEBI v. Kanaiyalal Baldevbhai Patel (2017): इसमें कहा गया कि लेन-देन की मात्रा, प्रकृति और समय को देखते हुए यह तय किया जाएगा कि इनसाइडर ने जानकारी का लाभ उठाने की कोशिश की या नहीं।
• Chintalapati Srinivasa Raju v. SEBI (2018): इसमें कहा गया कि लेन-देन की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लिया जाना चाहिए।
न्यायालय का दृष्टिकोण (Court's View) इस मामले में SEBI ने तर्क दिया कि अभिजीत राजन ने गोपनीय जानकारी के समय शेयर बेचे, जिससे वह इनसाइडर ट्रेडिंग के दोषी हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि:
1. व्यक्ति की मंशा (Intention): शेयरों की बिक्री लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं की गई थी, बल्कि यह आर्थिक संकट (Distress Sale) के कारण की गई थी ताकि कंपनी के कर्ज पुनर्गठन (Corporate Debt Restructuring - CDR) के लिए धन जुटाया जा सके।
2. जानकारी का प्रभाव (Impact of Information): जिस जानकारी को गोपनीय माना गया था, वह कंपनी के शेयर की कीमत पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव डालने वाली नहीं थी।
3. सामान्य मानवीय व्यवहार (Human Conduct): अगर व्यक्ति इनसाइडर ट्रेडिंग करना चाहता तो वह शेयर बेचने से पहले जानकारी के सार्वजनिक होने का इंतजार करता।
लाभ कमाने की मंशा (Profit Motive) का महत्व कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इनसाइडर ट्रेडिंग का उद्देश्य उन लोगों को दंडित करना है जो असमान पहुंच (Asymmetrical Access) का फायदा उठाकर लाभ कमाते हैं। अगर कोई व्यक्ति नुकसान उठाने वाली स्थिति (Loss Making Transaction) में लेन-देन करता है, तो उसे केवल इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता कि वह गोपनीय जानकारी रखता था।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों का संदर्भ (Reference to Important Judgments)
• SEBI v. Kishore R. Ajmera (2016): कोर्ट ने कहा कि इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों में न्यायालय को तथ्यों और परिस्थितियों (Facts and Circumstances) का व्यापक विश्लेषण करना चाहिए।
• Chintalapati Srinivasa Raju v. SEBI (2018): इसमें कहा गया कि आर्थिक संकट या बाध्यकारी परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित किया कि केवल गोपनीय कीमत संवेदनशील जानकारी (Price Sensitive Information) रखने से कोई व्यक्ति इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
इनसाइडर ट्रेडिंग साबित करने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति ने जानकारी का लाभ उठाने की मंशा (Profit Motive) से लेन-देन किया हो। यह निर्णय भारतीय प्रतिभूति बाजार (Securities Market) में न्याय और निष्पक्षता (Justice and Fairness) के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।