विशेष परिस्थितियों में मकान खाली कराने का अधिकार : धारा 15 का दूसरा भाग, हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम

Himanshu Mishra

27 Feb 2025 12:09 PM

  • विशेष परिस्थितियों में मकान खाली कराने का अधिकार : धारा 15 का दूसरा भाग, हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम

    हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम (Himachal Pradesh Rent Control Act) मकान मालिकों को कुछ विशेष परिस्थितियों में अपने किराए पर दिए गए मकान को तुरंत खाली कराने का अधिकार देता है। यह प्रावधान उन मकान मालिकों के लिए खास तौर पर है जो सरकारी कर्मचारी (Government Employee) हैं या जो रिटायर हो चुके हैं।

    धारा 15 का दूसरा भाग यह बताता है कि अगर मकान मालिक की मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार के कुछ सदस्य भी मकान खाली कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, यह भाग एडवांस किराए (Advance Rent) की वापसी, मुआवजा (Compensation) और मकान खाली करने के लिए किरायेदार (Tenant) को दिए जाने वाले समय से जुड़े नियमों को भी समझाता है।

    इस लेख में हम धारा 15 के दूसरे भाग के सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों को सरल हिंदी में समझाने की कोशिश करेंगे ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें।

    मकान मालिक की मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों का अधिकार (Right of Family Members After Death)

    अगर मकान मालिक की मृत्यु हो जाती है तो कुछ खास परिवार के सदस्य मकान खाली कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कानून यह समझता है कि कई बार परिवार के सदस्य मकान मालिक पर निर्भर (Dependent) होते हैं और उनकी मृत्यु के बाद उन्हें रहने के लिए मकान की जरूरत होती है।

    इसलिए धारा 15 के तहत मकान मालिक की पत्नी (Widow) या पति (Widower) सबसे पहले आवेदन कर सकते हैं। अगर उनकी भी मृत्यु हो जाती है तो मकान मालिक की मां (Mother), पिता (Father), बेटा (Child), पोता-पोती (Grandchild) या विधवा बहू (Widowed Daughter-in-law) आवेदन कर सकते हैं। लेकिन यह अधिकार केवल उन्हीं परिवार के सदस्यों को मिलेगा जो मकान मालिक की मृत्यु के समय उन पर निर्भर थे।

    उदाहरण: अगर सेवानिवृत्त (Retired) सरकारी कर्मचारी श्री शर्मा की मृत्यु हो जाती है और उनकी पत्नी उन पर निर्भर थी, तो उनकी पत्नी मकान खाली कराने के लिए आवेदन कर सकती है। अगर उनकी पत्नी की भी मृत्यु हो जाती है, तो उनका बेटा जो उनके साथ रहता था और उन पर निर्भर था, आवेदन कर सकता है।

    आवेदन करने की समय सीमा (Time Limit to Apply for Possession)

    कानून में आवेदन करने के लिए एक निश्चित समय सीमा तय की गई है। यह समय सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि मकान मालिक की मृत्यु कब हुई थी।

    अगर मकान मालिक की मृत्यु नियत दिनांक (Appointed Day) से पहले हो गई है, तो परिवार के सदस्यों को एक साल के अंदर आवेदन करना होगा। अगर मकान मालिक की मृत्यु नियत दिनांक के बाद लेकिन रिटायरमेंट (Retirement) से पहले हुई है, तो आवेदन मृत्यु की तारीख से एक साल के अंदर किया जाना चाहिए। अगर मकान मालिक की मृत्यु नियत दिनांक के बाद और रिटायरमेंट के बाद हुई है, तो आवेदन रिटायरमेंट की तारीख से एक साल के अंदर किया जाना चाहिए।

    उदाहरण:

    • अगर श्री शर्मा की मृत्यु 1 जुलाई 2024 (नियत दिनांक) से पहले हुई है, तो उनकी पत्नी को 1 जुलाई 2025 तक आवेदन करना होगा।

    • अगर श्री शर्मा की मृत्यु 1 जुलाई 2024 के बाद लेकिन उनकी रिटायरमेंट से पहले हुई है, तो उनकी पत्नी को मृत्यु की तारीख से एक साल के अंदर आवेदन करना होगा।

    • अगर श्री शर्मा की मृत्यु उनकी रिटायरमेंट के बाद हुई है, तो आवेदन रिटायरमेंट की तारीख से एक साल के अंदर किया जाना चाहिए।

    केवल एक मकान खाली कराने का अधिकार (Right to Recover Only One Property)

    कानून साफ तौर पर कहता है कि कोई भी व्यक्ति इस प्रावधान के तहत सिर्फ एक मकान खाली कराने का अधिकार रखता है। अगर मकान के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग किरायेदारों को किराए पर दिए गए हैं, तो मकान मालिक या उनके परिवार वाले केवल एक हिस्सा खाली करा सकते हैं।

    उदाहरण: अगर श्री शर्मा के पास दो मकान थे और दोनों किराए पर दिए गए थे, तो उनकी पत्नी केवल एक मकान को खाली कराने का आवेदन कर सकती है।

    किरायेदार को मकान खाली करने के लिए समय देना (Reasonable Time to Vacate)

    कानून किरायेदार को तुरंत मकान खाली करने के लिए मजबूर करने की इजाजत नहीं देता। नियंत्रक (Controller) किरायेदार को मकान खाली करने के लिए उचित समय (Reasonable Time) दे सकता है। यह समय तीन महीने से ज्यादा नहीं हो सकता है।

    उदाहरण: अगर श्री शर्मा की पत्नी मकान खाली कराने के लिए आवेदन करती हैं और किरायेदार को तुरंत मकान खाली करने में परेशानी होती है, तो नियंत्रक किरायेदार को तीन महीने तक का समय दे सकता है।

    रिटायरमेंट का मतलब (Meaning of Retirement)

    इस कानून में रिटायरमेंट का मतलब केवल स्वैच्छिक रिटायरमेंट (Voluntary Retirement) और नियमित रिटायरमेंट (Regular Retirement) से है। अगर कोई सरकारी कर्मचारी इस्तीफा (Resignation) देकर नौकरी छोड़ता है या किसी कारणवश बर्खास्त (Dismissed) किया जाता है, तो उसे यह विशेष अधिकार नहीं मिलेगा।

    उदाहरण: अगर श्री शर्मा 25 साल की नौकरी के बाद स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेते हैं, तो वे इस कानून के तहत मकान खाली कराने का अधिकार रखेंगे। लेकिन अगर वे किसी विवाद के कारण नौकरी से बर्खास्त हो जाते हैं, तो उन्हें यह अधिकार नहीं मिलेगा।

    किरायेदार को मुआवजा न मिलना (No Compensation to Tenants)

    अगर मकान मालिक या उनके परिवार वाले इस कानून के तहत मकान खाली कराते हैं, तो किरायेदार को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।

    उदाहरण: अगर श्री शर्मा की पत्नी मकान खाली कराने के लिए आवेदन करती हैं और मकान वापस पा लेती हैं, तो किरायेदार किसी भी तरह का मुआवजा मांगने का हकदार नहीं होगा।

    एडवांस किराए की वापसी (Refund of Advance Rent)

    अगर मकान मालिक ने किरायेदार से एडवांस किराया या कोई अन्य रकम ली थी, तो उसे उस रकम को वापस करना होगा। मकान खाली कराने के 90 दिन के अंदर एडवांस किराए की बची हुई अवधि के अनुसार रकम लौटानी होगी। अगर मकान मालिक ऐसा नहीं करता है, तो उसे उस रकम पर 9% सालाना ब्याज (Interest) देना होगा।

    उदाहरण: अगर किरायेदार ने छह महीने के एडवांस के रूप में ₹12,000 दिए थे और मकान तीन महीने बाद खाली कराया जाता है, तो मकान मालिक को ₹6,000 वापस करने होंगे। अगर यह रकम 90 दिन के अंदर वापस नहीं की जाती है, तो मकान मालिक को 9% सालाना ब्याज के साथ यह रकम देनी होगी।

    धारा 15 का दूसरा भाग मकान मालिकों और उनके आश्रित परिवार के सदस्यों को मकान खाली कराने का एक विशेष अधिकार देता है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी कर्मचारी या उनके परिवार के लोग अपने मकान से वंचित न रहें। साथ ही, यह प्रावधान किरायेदारों के हितों की भी रक्षा करता है, क्योंकि उन्हें मकान खाली करने के लिए उचित समय दिया जाता है और एडवांस किराए की वापसी का अधिकार दिया गया है।

    यह कानून उन मकान मालिकों के लिए एक बड़ा सहारा है जो अपनी सेवा के बाद अपने ही मकान में रहना चाहते हैं। साथ ही, यह प्रावधान उन परिवारों को भी संरक्षण देता है जो मकान मालिक की मृत्यु के बाद आश्रित होते हैं। हालांकि, यह कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि इस अधिकार का दुरुपयोग न हो और केवल वास्तविक जरूरतमंदों को ही मकान खाली कराने का अधिकार मिले।

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