सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (6 सितंबर 2021 से 9 सितंबर 2021) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं, सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप।
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
आम धारणा है कि सीबीआई की सफलता दर कम है : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सजा का डेटा दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 सितंबर) को निदेशक, सीबीआई से अदालत को अवगत कराने के लिए कहा कि उनकी अभियोजन इकाई को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और इसमें क्या बाधाएं हैं।
यह देखते हुए कि एक आम धारणा है कि फाइल पर दिखाई गई सफलता दर कम है।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की डिवीजन बेंच ने निदेशक, सीबीआई को छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
"आम धारणा है कि फाइल पर लिए गए मामलों की सफलता दर कम है। इस प्रकार, हम याचिकाकर्ताओं से अभियोजन के तहत मामलों पर वर्षवार डेटा रखने का आह्वान करते हैं, जिस समयावधि में वे ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित है और विभिन्न स्तरों पर अदालतों द्वारा दी गई सजा का प्रतिशत भी"
केस : केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य बनाम मोहम्मद अल्ताफ मोहंद और अन्य
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"आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं, इस अदालत के फैसले का कोई सम्मान नहीं " : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पर केंद्र को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रिब्यूनल में रिक्तियों को भरने में देरी और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पारित करने के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की, जिसे कोर्ट ने "अदालत द्वारा हटाए गए प्रावधानों की वर्चुअल प्रतिकृति" करार दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक विशेष पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को ट्रिब्यूनल के मामलों की स्थिति के बारे में अदालत की अत्यधिक नाराजगी से अवगत कराया।
मामला : दिल्ली बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ, जयराम रमेश बनाम भारत संघ और स्टेट बार काउंसिल ऑफ एमपी बनाम भारत संघ)
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"आप फैसले के विपरीत विधान नहीं ला सकते" : सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट के खिलाफ जयराम रमेश की याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश द्वारा हाल ही में पारित ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक विशेष पीठ ने नोटिस जारी करते हुए टिप्पणी की कि उक्त अधिनियम "मद्रास बार एसोसिएशन मामले में हटाए गए प्रावधानों की वर्चुअल प्रतिकृति" है।
रमेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि उन्होंने अधिनियम में प्रावधानों का एक चार्ट तैयार किया है, जो मद्रास बार एसोसिएशन मामले में हटाए गए प्रावधानों का पुन: अधिनियमन है।
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सीबीएसई कम्पार्टमेंट, प्राइवेट और पत्राचार छात्र परिणाम से पहले अस्थायी प्रवेश ले सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि कक्षा 12 के लिए सीबीएसई प्राइवेट, पत्राचार और सेकेंड कंपार्टमेंट एग्जाम में बैठने वाले छात्र अपने परिणाम घोषित होने से पहले ही यूजीसी और एआईसीटीई के समक्ष अपना परिणाम प्रस्तुत करने के लिए वचनबद्धता के अधीन परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह के भीतर कॉलेज में उच्च प्रवेश के लिए अस्थायी रूप से आवेदन कर सकते हैं।
कोर्ट ने यह आदेश यूजीसी और एआईसीटीई के वकीलों की दलीलों के आधार पर पारित किया कि ऐसे छात्र प्रवेश के लिए अस्थायी आवेदन कर सकते हैं।
केस: शशांक सिंह बनाम भारत संघ और अन्य
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई प्राइवेट, कम्पार्टमेंट, पत्राचार छात्रों द्वारा दायर याचिका पर NEET-UG 2021 को टालने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर से शुरू होने वाली NEET-UG 2021 परीक्षा को स्थगित करने की मांग करते हुए कक्षा 12 के लिए सीबीएसई प्राइवेट, पत्राचार और कम्पार्टमेंट परीक्षा देने वाले छात्रों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
कोर्ट ने हालांकि कहा कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों को उठाने वाले अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि अदालत छात्रों के एक वर्ग की असुविधा का हवाला देते हुए परीक्षा कार्यक्रम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
मामला: संजना और अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी और अन्य
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सुप्रीम कोर्ट ने NEET अखिल भारतीय कोटा में 27% ओबीसी, 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कोर्स के लिए NEET दाखिले की अखिल भारतीय कोटा श्रेणी में 27% ओबीसी और 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका में सोमवार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया।
याचिका में उक्त आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए चिकित्सा परामर्श समिति द्वारा जारी 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना को भी रद्द करने की मांग करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
केस का शीर्षक: नील ऑरेलियो नून्स एंड अन्य बनाम भारत संघ और अन्य और यश टेकवानी और अन्य बनाम चिकित्सा परामर्श समिति और अन्य
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'आपको जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करना होगा; काउंटर दाखिल करने का कोई सवाल नहीं' : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के ट्रिब्यूनलों में रिक्त पदों पर नियुक्तियां करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सोमवार को केंद्र सरकार से जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करने को कहा, जो अधिनियम के लागू होने के 4 साल बाद भी गठित नहीं हुआ है।
जब भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना की मांग वाली याचिका में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने मौखिक रूप से उनसे कहा: "सीजीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है। वह भी एक मुद्दा है। काउंटर दाखिल करने का कोई सवाल ही नहीं है। आपको ट्रिब्यूनल का गठन करना है बस इतना ही"।
केस शीर्षक: अमित साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
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'षड्यंत्र के सिद्धांतों में नहीं जा सकते': सुप्रीम कोर्ट ने COVID मौतों पर अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों (चीन सहित) की एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जो शीर्ष कोर्ट को यह रिपोर्ट करे कि क्या डेल्टा संस्करण सिंथेटिक पैथोजन हो सकता है।
तीसरी लहर को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से शीर्ष अदालत को अवगत कराने की मांग वाली याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की।
केस शीर्षक : अभिनव भारत कांग्रेस और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य। डब्ल्यूपी (सी) संख्या 845/2021
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मंदिर के पीठासीन देवता मंदिर से जुड़ी भूमि के मालिक हैं, पुजारी नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार के सर्कुलर को बरकरार रखा
मंदिर के पीठासीन देवता मंदिर से जुड़ी भूमि के मालिक हैं और पुजारी केवल पूजा करने और देवता की संपत्तियों के रखरखाव के लिए है, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंदिर की संपत्तियों से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड से पुजारी के नाम को हटाने के लिए जारी किए गए सर्कुलर को बरकरार रखते हुए कहा है।
सरकार द्वारा म.प्र. भू-राजस्व संहिता, 1959 के तहत इन परिपत्रों को पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। अपील में, राज्य ने तर्क दिया कि मंदिर की संपत्तियों को पुजारियों द्वारा अनधिकृत बिक्री से बचाने के लिए इस तरह के कार्यकारी निर्देश जारी किए गए थे।
मामला: मध्य प्रदेश राज्य बनाम पुजारी उत्थान आवाम कल्याण समिति; सीए 4850/ 2021
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सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर बीसीआई, SCBA और चार हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए ) और चार उच्च न्यायालयों को उस्स रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें यह मांग कि गई थी कि वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित किया जाए।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें अदालतों में फिज़िकल और वर्चुअल सुनवाई के लिए हाइब्रिड विकल्पों को बनाए रखने की मांग करते हुए कहा गया कि इसने न्याय तक पहुंचने के अधिकार को बढ़ाया।
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किसी नियम या कानून को पूर्वव्यापी नहीं माना जा सकता जब तक कि वह इसके विपरीत व्यक्त या जाहिर इरादा व्यक्त नहीं करता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी नियम या कानून को पूर्वव्यापी नहीं माना जा सकता है जब तक कि वह इसके विपरीत व्यक्त या जाहिर इरादा व्यक्त नहीं करता है।
स्पष्ट वैधानिक प्राधिकरण के अभाव में, नियमों या विनियमों के रूप में प्रत्यायोजित कानून, पूर्वव्यापी रूप से संचालित नहीं हो सकते, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा।
मामला: सहायक आबकारी आयुक्त, कोट्टायम बनाम इस्ताप्पन चेरियन; सीए 5815/ 2009
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पेगासस मामला : केंद्र ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर तक सुनवाई टाली
केंद्र सरकार द्वारा समय मांगे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग वाले मामलों की सुनवाई 13 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति बोपन्ना की एक पीठ पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर एक्टिविस्ट, पत्रकारों, राजनेताओं और नेताओं की जासूसी की रिपोर्टों की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल द्वारा जांच या न्यायिक जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने की मांग की गई थी।
जनहित याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने दायर की थी।
उन्होंने कहा कि हॉकी को आम धारणा के विपरीत आधिकारिक तौर पर भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया गया है।
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रॉयल्टी' और 'टैक्स' की अवधारणाओं के बीच के अंतर : सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल के एक फैसले में 'रॉयल्टी' और 'टैक्स' की अवधारणाओं के बीच के अंतर को समझाया है।
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने कहा कि 'रॉयल्टी' का आधार पक्षकारों के बीच हुए एक समझौते में होता है और अनुदान प्राप्तकर्ता को दिए गए लाभ या विशेषाधिकार के साथ इसका संबंध होता है। कर के भुगतानकर्ता को दिए गए किसी विशेष लाभ के संदर्भ के बिना एक वैधानिक शक्ति के तहत कर लगाया जाता है।
केस : मेसर्स इंडसिल हाइड्रो पावर एंड मैंगनीज लिमिटेड बनाम केरल राज्य और अन्य (सीए नंबर 9845-9846/2016), कार्बोरंडम यूनिवर्सल लिमिटेड बनाम केरल राज्य और अन्य (सीए नंबर 9847-9850/2020)
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'ऑनलाइन कक्षाएं बहुत प्रभावी नहीं': केरल के 48 छात्र ऑफलाइन प्लस वन परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
केरल के ग्रामीण और साथ ही तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 48 छात्रों ने ऑफ़लाइन मोड में कक्षा XI (अंतिम वर्ष) प्लस वन परीक्षा के बारे में चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा तक उनकी पहुंच नहीं है। बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय और छात्र अधिकार कार्यकर्ता आनंद पद्मनाभन के माध्यम से दायर याचिका में छात्रों ने केरल उच्च न्यायालय के 27 अगस्त, 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका में हस्तक्षेप की मांग की, जिसमें राज्य की अधिसूचना को बरकरार रखा गया था और प्लस वन परीक्षा की समय-सारणी (6 सितंबर 2021 से 16 सितंबर 2021 तक) की पुष्टि की गई थी।
केस का शीर्षक : रसूलशन ए बनाम अपर मुख्य सचिव और अन्य, एसएलपी (सी) 13570/2021)।
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सुप्रीम कोर्ट ने 2006 से जेल में बंद कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य को रिहा करने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक पिस्तौल और दो हथगोले की बरामदगी से जुड़े एक मामले में कलबुर्गी जेल में 2006 से बंद कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को रिहा करने का आदेश दिया।
यह आदेश अब्दुल रहमान नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील में पारित किया गया, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह 15 साल से अधिक की सजा काट चुका है।
कथित रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य, अपीलकर्ता को निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 121,122, 124-ए के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया और 25,000/- रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
केस टाइटल : अब्दुल रहमान बनाम कर्नाटक राज्य
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सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल से अधिक समय से यूपी की जेलों में बंद 97 दोषियों को अंतरिम जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की दो अलग-अलग जेलों में 20 साल से अधिक समय से बंद 97 दोषियों को अंतरिम जमानत दी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने आगरा और वाराणसी की जेलों में बंद याचिकाकर्ताओं की रिहाई की मांग करने वाली दो रिट याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उन सभी को दोषी ठहराया गया है और सभी आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुख्य रूप से आजीवन कारावास की सजा काट ली है और पहले ही सजा की वांछित अवधि से अधिक हो चुके हैं जैसा कि नीति दिनांक 1.8.18, यानी वास्तविक 16 वर्ष और छूट के साथ 4 वर्ष (कुल 20 वर्ष) में निर्धारित है।
केस का शीर्षक: रामजी दुबे एंड अन्य बनाम भारत संघ एंड अन्य
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महज इलाज सफल न होने या सर्जरी के दौरान मरीज की मौत होने मात्र से ही मेडिकल प्रोफेशनल को लापरवाह नहीं ठहराया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक मेडिकल प्रोफेशनल को केवल इसलिए लापरवाह नहीं माना जा सकता क्योंकि उपचार सफल नहीं हुआ या सर्जरी के दौरान रोगी की मृत्यु हो गई।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि लापरवाही का संकेत देने के लिए रिकॉर्ड पर तथ्य उपलब्ध होना चाहिए या फिर उचित चिकित्सा साक्ष्य प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि 'रिस इप्सा लोक्विटुर' (केवल कुछ प्रकार की दुर्घटना का होना ही लापरवाही का संकेत देने के लिए पर्याप्त है) का सिद्धांत तब लागू किया जा सकता है जब कथित लापरवाही पूरी तरह स्पष्ट हो और केवल धारणा पर आधारित न हो।
केस: डॉ. हरीश कुमार खुराना बनाम जोगिंदर सिंह; सिविल अपील नं. 7380/ 2009
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सार्वजनिक रोजगार हासिल करने में धोखाधड़ी की प्रथा का कानून की अदालत द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक रोजगार हासिल करने के लिए धोखाधड़ी की प्रथा का कानून की अदालत द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, सामाजिक कल्याण के उपाय और सामाजिक गतिशीलता के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में सार्वजनिक रोजगार की पवित्रता को ऐसी धोखाधड़ी प्रक्रिया के खिलाफ संरक्षित किया जाना चाहिए जो चयन प्रक्रिया में हेरफेर और इसे भ्रष्ट करती है।
मामला: मैसर्स भारत कोकिंग कोल लिमिटेड भालगोड़ा क्षेत्र (अब कुस्टोर क्षेत्र) के प्रबंधन के संबंध में नियोक्ता बनाम जनता मजदूर संघ द्वारा प्रतिनिधित्व किए जा रहे कर्मचारी
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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल विस्तार बरकरार रखा, कहा आगे विस्तार नहीं मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए कार्यकाल के विस्तार में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा 13 नवंबर, 2020 को पारित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने वर्तमान ईडी निदेशक के नियुक्ति आदेश को पूर्वव्यापी रूप से संशोधित करके उन्हें एक और वर्ष का पद दिया था। वह इसी साल मई में सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले थे।
जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कॉमन कॉज ( एक रजिस्टर्ड सोसाइटी) बनाम भारत संघ और अन्य मामले में फैसला सुनाते हुए ईडी निदेशक के कार्यकाल को दो साल से आगे बढ़ाने के लिए "दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों"में भारत संघ की शक्ति को बरकरार रखा।" चल रही जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए ऐसा विस्तार दिया जा सकता है।
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यदि देरी के कारणों का स्पष्टीकरण नहीं तो रेलवे ट्रेनों के देरी से आने के लिए मुआवजे का उत्तरदायीः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में दिए फैसले में कहा कि जब तक रेलवे सबूत नहीं देता और यह साबित नहीं करता कि ट्रेन की देरी के कारण उनके नियंत्रण से परे हैं, तब तक वे इस तरह की देरी के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
"इसलिए, जब तक तक देरी की व्याख्या करने वाले सबूत नहीं पेश किए जाते हैं और यह साबित नहीं हो जाता है कि देरी उनके नियंत्रण से बाहर थी और/ या यहां तक कि देरी के लिए कुछ औचित्य था, रेलवे देरी और ट्रेन के देरी से पहुंचने के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।"
कारण शीर्षक: उत्तर पश्चिम रेलवे और अन्य बनाम संजय शुक्ला
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की तीन FIR में ' द वायर' के पत्रकारों को दो महीने का संरक्षण दिया, रद्द करने के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पोर्टल द्वारा प्रकाशित कुछ रिपोर्टों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी से "द वायर" और उसके तीन पत्रकारों को दो महीने की सुरक्षा प्रदान की।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीधे मामले पर विचार करने पर "भानुपति का पिटारा" खुलेगा और उन्हें प्राथमिकी रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा।
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राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं को शामिल करने को अनुमति : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल करने की अनुमति देने का फैसला किया गया है। केंद्र ने हालांकि अदालत से अनुरोध किया कि बुनियादी ढांचे में बदलाव करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए चालू वर्ष के एनडीए में महिलाओं के प्रवेश से छूट दी जाए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने एनडीए परीक्षा में महिला को भाग लेने की अनुमति देने के मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी।
(मामला : कुश कालरा बनाम भारत संघ और अन्य)
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डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन के लिए सामान्य निर्देश पारित नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन के लिए सामान्य निर्देश नहीं दे सकते हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारत में रहने वाले सभी नागरिकों, विशेष रूप से बुजुर्गों, विकलांग, कम विशेषाधिकार प्राप्त, कमजोर वर्ग और जो अपने टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करने में असमर्थ हैं, के घर-घर जाकर COVID-19 के टीकाकरण का प्रावधान करने की मांग की गई थी।
केस का शीर्षक: यूथ बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ | WP(सी) 619| 2021
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सुप्रीम कोर्ट ने 54 साल पहले दायर टाइटल सूट को रद्द करने का फैसला बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (7 सितंबर 2021) को दिए एक फैसले में 54 साल पहले 5 अगस्त 1967 को दायर एक 'टाइटल' सूट ( स्वामित्व के लिए दायर मुकदमा) को खारिज करने के फैसले को बरकरार रखा।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश और पहले अपीलीय अदालत, जिसने सूट का फैसला किया था, उसके आदेश को खारिज करते हुए कहा, "हम पाते हैं कि मुकदमे को खारिज करने का ट्रायल कोर्ट का फैसला सही है।"
केस: राकेश भूषण प्रसाद उर्फ राकेश प्रसाद बनाम राधा देवी (D)
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यह सामान्य अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि सभी COVID-19 मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुईंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से कहा कि वह यह नहीं मान सकता कि दूसरी लहर में COVID -19 के कारण हुई सभी मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुईं।
शीर्ष न्यायालय ने उक्त टिप्पणी के साथ दीपक राज सिंह की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें ऑक्सीजन और आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मरने वाले COVID पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और अपने सुझावों के साथ सक्षम प्राधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा।
केस शीर्षक: दीपक राज सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
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न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय के कर्मचारियों के वेतनमान के बीच भारी असमानता: केरल न्यायिक अधिकारी संघ ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया
सुप्रीम कोर्ट में केरल राज्य में जिला न्यायपालिका के सभी न्यायिक अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था केरल न्यायिक अधिकारी संघ ने एक आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में अधीनस्थ न्यायालयों में अदालत के कर्मचारियों को राज्य के न्यायिक अधिकारियों की तुलना में अधिक वेतन दिया जाता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 72 वर्षीय आरोपी व्यक्ति को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की; पटना हाईकोर्ट में उसकी अग्रिम जमानत याचिका पिछले छह महीने से सूचीबद्ध नहीं की गई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (8 सितंबर) को एक 72 वर्षीय व्यक्ति को एक महीने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का अंतरिम सुरक्षा दिया, जिसकी अग्रिम जमानत याचिका पटना हाईकोर्ट में पिछले छह महीनों से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की गई है।
यह ध्यान में रखते हुए कि पंचम सिंह (याचिकाकर्ता) विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह उनके द्वारा दायर अग्रिम जमानत आवेदन को आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर निपटाएं।
केस का शीर्षक: पंचम सिंह बनाम बिहार राज्य| डब्ल्यूपी (सीआरएल) 372/2021
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म्यूटेशन एंट्री किसी भी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वत्वाधिकार या सरोकार प्रदान नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में म्यूटेशन (दाखिल खारिज) प्रविष्टि केवल वित्तीय उद्देश्यों के लिए है और यह किसी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, स्वत्वाधिकार या हित सरकार प्रदान नहीं करती है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा, "यदि टाइटल (स्वत्वाधिकार) के संबंध में कोई विवाद है और विशेष रूप से जब वसीयत के आधार पर म्यूटेशन प्रविष्टि की मांग की जाती है, तो जो पक्ष वसीयत के आधार पर स्वत्वाधिकार / अधिकार का दावा कर रहा है, उसे उपयुक्त सिविल कोर्ट/ अदालत का दरवाजा खटखटाना होता है और उसके अधिकारों को स्पष्ट कराना होता है और उसके बाद ही सिविल कोर्ट के समक्ष निर्णय के आधार पर आवश्यक म्यूटेशन एंट्री की जा सकती है।"
केस: जितेंद्र सिंह बनाम मध्य प्रदेश सरकार; एसएलपी (सी) 13146/2021
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सुप्रीम कोर्ट सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान को वापस लेने पर अगले सप्ताह विचार करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह COVID-19 के कारण सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान को वापस लेने पर अगले सप्ताह विचार करेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना की अगुवाई वाली पीठ ने भारत के चुनाव आयोग द्वारा किए गए एक आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि जहां तक चुनाव याचिकाओं का संबंध है, सीमा अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान में संशोधन की मांग की गई है।
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सीए परीक्षा : " ऑप्ट-आउट" छात्रों के लिए बैक- अप परीक्षा आयोजित करने पर दो हफ्ते में विचार करेंगे : आईसीएआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर उन सीए छात्रों द्वारा किए गए अनुरोध पर विचार करेगा, जिन्होंने COVID संबंधित कठिनाइयों के कारण जुलाई चक्र परीक्षा से बाहर होने कारण इस साल बैक-अप परीक्षा आयोजित करने की मांग की है।
आईसीएआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन द्वारा दिए गए इस आश्वासन के मद्देनज़र, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने ऑप्ट-आउट छात्रों द्वारा बैक अप परीक्षा के लिए दायर आवेदन का निपटारा किया।
केस: सत्य नारायण पेरुमल बनाम भारत संघ
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अमेज़ॅन- फ्यूचर विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में प्रवर्तन कार्यवाही पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़ॅन के पक्ष सिंगापुर स्थित मध्यस्थ द्वारा पारित आपातकालीन अवार्ड के प्रवर्तन के लिए कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड और रिलायंस समूह के बीच विलय सौदे को रोक दिया था।
कोर्ट ने एनसीएलटी, सीसीआई और सेबी सहित सभी प्राधिकरणों से फ्यूचर-रिलायंस सौदे के संबंध में चार सप्ताह तक अंतिम आदेश पारित नहीं करने को कहा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने दिल्ली की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं में उपरोक्त आदेश पारित किया।
केस: फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड बनाम अमेज़ॅन डॉट कॉम एनवी इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी| डायरी संख्या 18739/ 2021
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सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को पूरे कार्यबल के साथ चलाने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC) को पूरे कार्यबल से चलाने को सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को निष्फल बताते हुए खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा की NHRC के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर ध्यान देते हुए , जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि, "अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति को देखते हुए, यह रिट याचिका निष्फल हो गई है। खारिज की जाती है।"
केस शीर्षक : राधाकांत त्रिपाठी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
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सरकार कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास करे : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि कराधान व्यवस्था को सुविधाजनक और सरल बनाए रखने का प्रयास किया जाए।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, जिस तरह सरकार कर से बचने को पसंद नहीं करती है, उसी तरह यह शासन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी कर प्रणाली तैयार करे जिसके तहत एक विषय बजट और योजना बन सके।
मामला: साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड बनामआयकर आयुक्त; सीए 9606/ 2011
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मजिस्ट्रेट UAPA मामलों की जांच पूरी करने के लिए समय नहीं बढ़ा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गैर-कानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) मामलों की जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाना मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि जैसा कि यूएपीए की धारा 43-डी (2) (बी) में प्रावधान में निर्दिष्ट है, उसके अनुसार इस तरह के अनुरोध पर विचार करने के लिए एकमात्र सक्षम प्राधिकारी "कोर्ट" होगा।
मामला: सादिक बनाम मध्य प्रदेश सरकार; क्रिमिनल अपील संख्या 963/2021
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दूसरी अपील- हाईकोर्ट सीपीसी की धारा 103 के तहत सीमित तथ्यात्मक समीक्षा कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च न्यायालयों को नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 103 के तहत सीमित तथ्यात्मक समीक्षा करने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की खंडपीठ ने कहा कि यह नियम कि हाईकोर्ट कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न के बिना निचली अदालत के निष्कर्षों या तथ्य के समवर्ती निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, निम्नलिखित दो महत्वपूर्ण कैविएट के अधीन है।
केस: के.एन. नागराजप्पा बनाम एच. नरसिम्हा रेड्डी; सीए 5033-5034/2009
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अनुशासनात्मक जांच करने में की गई देरी वास्तव में जांच खराब नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुशासनात्मक जांच करने में की गई प्रत्येक देरी से वास्तव में तथ्यात्मक रूप से (ipso facto) जांच को खराब नहीं करती।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली ने देखा कि जांच में देरी के कारण होने वाले कारणों और पूर्वाग्रह को बताया जाना जाना चाहिए और यह अनुमान का विषय नहीं हो सकता।
इस मामले में एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई, जिसने कथित तौर पर गुंडा दस्ता (Gunda Squad का गठन और संचालन किया। यह पता चला कि इस तरह के दस्ते के कुछ सदस्यों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसकी बाद में पुलिस हिरासत में मौत हो गई।
मामला: मध्य प्रदेश राज्य बनाम अखिलेश झा; 2021 का सीए 5153