संपादकीय

प्रेस की स्वतंत्रता: ऑनलाइन न्यूज स्पेस को नियंत्रित करने के केंद्र सरकार के कदम क्यों है चिंताजनक
प्रेस की स्वतंत्रता: ऑनलाइन न्यूज स्पेस को नियंत्रित करने के केंद्र सरकार के कदम क्यों है चिंताजनक

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में दिलचस्प घटना यह देखने को मिली कि समाचार और समसामयिक मामलों की रिपोर्टिंग, चर्चा और विश्लेषण करने वाले व्यक्तिगत YouTubers की लोकप्रियता में उछाल आया। ध्रुव राठी, रवीश कुमार और आकाश बनर्जी (देशभक्त) जैसे YouTubers ने आम लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाले अपने वीडियो से काफ़ी लोकप्रियता हासिल की।उल्लेखनीय रूप से इन वीडियो को कई मिलियन व्यू मिले, जो अक्सर कई स्थापित टीवी चैनलों के कुल व्यू से भी ज़्यादा होते हैं।...

Bhima Koregaon case में आरोप साबित करने में नाकाम NIA, 7/16 को मिली जमानत, अदालतों ने साक्ष्यों पर प्रथम दृष्टया संदेह जताया
Bhima Koregaon case में आरोप साबित करने में नाकाम NIA, 7/16 को मिली जमानत, अदालतों ने साक्ष्यों पर प्रथम दृष्टया संदेह जताया

भीमा कोरेगांव मामला (Bhima Koregaon case) भारत के नागरिक स्वतंत्रता ढांचे पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। उक्त मामले में कथित माओवादी संबंधों को लेकर कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA Act) के तहत कई एक्टिविस्ट और शिक्षाविदों को जेल में डाल दिया गया।यह तथ्य कि लगभग छह वर्षों तक मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित आरोपों की गंभीरता पर सवाल उठाता है। इसके अलावा, कुछ आरोपियों को जमानत देने के फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार...

Chandigarh Mayor Election | स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों को विरूपित किया, यह लोकतंत्र की हत्या है: सुप्रीम कोर्ट
Chandigarh Mayor Election | 'स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों को विरूपित किया, यह लोकतंत्र की हत्या है': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 फरवरी) को चंडीगढ़ मेयर चुनाव कराने वाले पीठासीन अधिकारी को यह कहते हुए कड़ी फटकार लगाई कि "यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों को विकृत किया।"सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने विवादास्पद चुनाव का वीडियो देखने के बाद टिप्पणी की,"क्या वह इस तरह से चुनाव आयोजित करते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आपने कांग्रेस-आप गठबंधन के 8 उम्मीदवारों के वोट अवैध घोषित होने के बाद उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया गया।सीजेआई ने कहा कि...

Central Civil Service Rules- जिस अधिकारी ने अपनी पिछली सर्विस से इस्तीफा दिया है, क्या वह पेंशन लाभ का हकदार है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
Central Civil Service Rules- जिस अधिकारी ने अपनी पिछली सर्विस से इस्तीफा दिया है, क्या वह पेंशन लाभ का हकदार है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करने के लिए तैयार है कि क्या केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, जिसने किसी अन्य पद के लिए चुने जाने के बाद अपना इस्तीफा दे दिया है, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के अनुसार पिछली नौकरी से उत्पन्न होने वाले किसी भी सेवा लाभ का हकदार है।मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता को 26.11.1990 को मुंसिफ कोर्ट, दासपल्ला में जूनियर क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, क्लर्क के रूप में शामिल होने से पहले याचिकाकर्ता ने महालेखाकार (ए एंड ई), ओडिशा, भुवनेश्वर कार्यालय के लिए क्लर्क...

बलात्कार पीड़िता को एमटीपी के लिए 24 घंटे के भीतर अस्पताल ले जाया जाए, भले ही गर्भधारण अवधि 20 सप्ताह से कम हो: दिल्ली हाईकोर्ट
बलात्कार पीड़िता को एमटीपी के लिए 24 घंटे के भीतर अस्पताल ले जाया जाए, भले ही गर्भधारण अवधि 20 सप्ताह से कम हो: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बलात्कार पीड़िताओं की गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति के मामलों से निपटने के दौरान डॉक्टरों और दिल्ली पुलिस द्वारा पालन किए जाने वाले विभिन्न दिशानिर्देश जारी किए।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने निर्देश दिया कि जहां गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन का आदेश पारित किया गया है, दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारियों को पीड़िता को 24 घंटे के भीतर प्रक्रिया के लिए संबंधित अस्पताल के समक्ष पेश करना होगा, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां गर्भावस्था की गर्भधारण अवधि 20 सप्ताह से कम...

[ज्ञानवापी] न्याय के हित में साइंटिफिक सर्वेक्षण जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज की
[ज्ञानवापी] 'न्याय के हित में साइंटिफिक सर्वेक्षण जरूरी': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज की

Gyanvapi ASI Survey Updates- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में ASI पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने वाराणसी जिला जज के 21 के जुलाई के सर्वे के आदेश को बरकरार रखा। ASI सर्वे को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी।हाईकोर्ट ने कहा- न्यायहित में ASI का सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की आवश्यकता है। जुलाई के अंतिम सप्ताह में हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की...

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जाति-आधारित सर्वे कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कीं
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जाति-आधारित सर्वे कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कीं

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने राज्य में जाति-आधारित सर्वे कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं आज खारिज कर दीं।सर्वे के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने वाली कुल 5 जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की पीठ ने 7 जुलाई को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।सर्वेक्षण दो चरणों में शुरू किया गया। पहला चरण, जो 7 जनवरी को शुरू हुआ, घरेलू गिनती का अभ्यास था और यह 21 जनवरी तक पूरा हो गया। दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ, जिसमें लोगों की...

सुप्रीम कोर्ट ने सुवेन्दु अधिकारी के खिलाफ FIR करने की अनुमति देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने सुवेन्दु अधिकारी के खिलाफ FIR करने की अनुमति देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के दौरान कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी गई थी।वकील बांसुरी स्वराज ने तत्काल सुनवाई के लिए जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। हालांकि, जस्टिस कौल ने कहा कि...

दूसरी पत्नी आईपीसी की धारा 498ए के तहत पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट
दूसरी पत्नी आईपीसी की धारा 498ए के तहत पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि दूसरी पत्नी की पति और उसके ससुराल वालों के खिलाफ दायर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए (क्रूरता) के तहत शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस एस रचैया की सिंगल बेंच ने कंथाराजू द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और उसकी दूसरी पत्नी की शिकायत पर दोषसिद्धि आदेश को रद्द कर दिया।पीठ ने कहा,“अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि शिकायतकर्ता की शादी कानूनी है या वह याचिकाकर्ता की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है। जब तक, यह स्थापित नहीं हो जाता कि वह याचिकाकर्ता की कानूनी...

POCSO पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा नहीं किया जा सकता; सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी किया
POCSO पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट पर भरोसा नहीं किया जा सकता; सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी किया

POCSO Case- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पॉक्सो से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का आदेश दिया और कहा- POCSO मामलों में पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट और एडमिशन रजिस्टर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि जब भी किसी पॉक्सो मामले में पीड़िता की उम्र को लेकर विवाद हो, तो ऐसे में कोर्ट को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की दारा 94 में बताए गए कदमों पर विचार करना चाहिए।आगे कहा,“जुवेनाइल जस्टिस एक्ट...