पुस्तक समीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में युवा कांग्रेस प्रमुख बीवी श्रीनिवास को अंतरिम अग्रिम जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में युवा कांग्रेस प्रमुख बीवी श्रीनिवास को अंतरिम अग्रिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास को पार्टी से निष्कासित सदस्य की यौन उत्पीड़न की शिकायत पर असम में दर्ज FIR के संबंध में अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा कि कथित घटना 24-26 फरवरी 2023 के दौरान रायपुर में हुई थी और शिकायत अप्रैल 2023 में असम में दर्ज की गई थी।पीठ ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने से पहले शिकायतकर्ता ने अपने ट्वीट्स और मीडिया को दिए इंटरव्यू में याचिकाकर्ता के खिलाफ यौन उत्पीड़न...

हम अभी भी पितृसत्तात्मक धारणाओं में फंसे हुए हैं: मद्रास हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया जिसकी मां भारतीय थी और पिता एक श्रीलंकाई शरणार्थी
"हम अभी भी पितृसत्तात्मक धारणाओं में फंसे हुए हैं": मद्रास हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया जिसकी मां भारतीय थी और पिता एक श्रीलंकाई शरणार्थी

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में क्षेत्रीय पासपोर्ट प्राधिकरण को एक ऐसे व्यक्ति के प्रतिनिधित्व पर विचार करने का निर्देश दिया जिसने भारतीय पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। चूंकि उसके जन्म प्रमाण पत्र में उन्हें श्रीलंकाई शरणार्थी के रूप में दिखाया गया था, इसलिए उसे पासपोर्ट अधिकारियों द्वारा स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया गया था।जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता भी एक श्रीलंकाई शरणार्थी थे, यह तथ्य विवादित नहीं है कि उनकी मां एक भारतीय नागरिक थीं। अदालत ने कहा कि हम अभी भी...

क्या उस फैसले पर पुनर्विचार हो, जिसे ऐसे फैसले की मिसाल माना गया, जिसे बाद में पलट दिया गया? सुप्रीम कोर्ट बेंच ने विभाजित फैसला सुनाया
क्या उस फैसले पर पुनर्विचार हो, जिसे ऐसे फैसले की मिसाल माना गया, जिसे बाद में पलट दिया गया? सुप्रीम कोर्ट बेंच ने विभाजित फैसला सुनाया

सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने शुक्रवार को पुनर्विचार के दायरे पर एक अलग दृष्टिकोण लिया, जब एक आपेक्षित आदेश पर निर्भर फैसला और इसके बाद के सभी फैसले अंततः एक श्रेष्ठ अदालत द्वारा खारिज कर दिए गए। जबकि जस्टिस एमआर शाह ने पुनर्विचार याचिकाओं की अनुमति दी, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि वे सुनवाई योग्य नहीं हैं और आदेश XLVII नियम 1 सिविल प्रक्रिया संहिता (निर्णय पर पुनर्विचार के लिए आवेदन) के स्पष्टीकरण के दांतों में हैं जो स्पष्ट रूप से बताता है कि एक तथ्य यह है कि कानून के एक प्रश्न पर निर्णय...

Gauhati High Court
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय के समक्ष खुद को पंजीकृत करने की अवधि बढ़ाने के लिए घोषित 'विदेशी' की ओर से किए गए अनुरोध को स्वीकार किया

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के समक्ष खुद को पंजीकृत करने की अवधि को विस्तारित करने के लिए एक घोषित 'विदेशी' की ओर से किए गए अनुरोध को स्वीकार कर ‌लिया। उसने 1966 और 1971 की अवधि के बीच असम में प्रवेश किया था।ज‌‌स्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ और ज‌‌स्टिस रॉबिन फुकन की खंडपीठ ने सकट अली को एक महीने का समय देते हुए कहा, "यदि याचिकाकर्ता उक्त अवधि के भीतर खुद को पंजीकृत नहीं करवाता है, तो काननू के वो नतीजे, जिन्हें उसे भारत का नागरिक नहीं मानने के बाद भुगतना...

पुस्तक समीक्षा- आधुनिक भारत के वजूद को तलाशती किताब - भारत का संविधान : महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क
पुस्तक समीक्षा- आधुनिक भारत के वजूद को तलाशती किताब - भारत का संविधान : महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क

जावेद अनीसभारत को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी मिले 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं। नये और आधुनिक भारत के वजूद का आधार लोकतंत्र, धार्मिक बहुलतावाद, शांति और सहिष्णुता जैसे उसूलों के प्रति समर्पित संविधान रहा है। दरअसल भारतीय संविधान का निर्माण एक पुरानी सभ्यता को नयी कल्पनाओं में पिरोने की तरह है क्योंकि पिछले करीब एक तिहाई सदी की यात्रा के दौरान हमने ये भी देखा है कि भारत तो एक है, लेकिन उसके विचार अनेक हैं और इन विचारों के बीच संघर्ष की स्थिति आज अपने चरम पर है। बहरहाल भविष्य के भारत की नियति क्या...

जज जस्टिस दिनेश कुमार
ब्रेकिंग- पीएफआई बैन: केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को यूएपीए ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) ट्रिब्यूनल (UAPA) का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है।ट्रिब्यूनल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे संबंधित संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा करेगा।दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा से पदोन्नत होने के बाद जस्टिस शर्मा को 28 फरवरी, 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त किया गया था।28 सितंबर को गृह मंत्रालय ने यूएपीए की धारा 3 (1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीएफआई और उससे संबंधित...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सभी दुकानों के नेम बोर्ड को अनिवार्य रूप से मराठी में करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के उस फैसले का विरोध करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य में सभी दुकानों के नेम बोर्ड (Name Board) को अनिवार्य रूप से मराठी (Marathi) में करने का निर्देश दिया गया था।राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा एसएलपी को जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। एसोसिएशन की ओर से...

मैनुअल स्कैवेंजिंग: मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में किए गए मुआवजे के भुगतान और पुनर्वास उपायों पर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया
मैनुअल स्कैवेंजिंग: मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में किए गए मुआवजे के भुगतान और पुनर्वास उपायों पर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस रिपोर्ट में i) मैनुअल स्कैवेंजिंग के दौरान मरने वाले के परिवारों को अब तक भुगतान किए गए मुआवजे की राशि और ii) मैनुअल स्कैवेंजिंग करने वाले के परिवार के सदस्यों के लाभ के लिए किए गए पुनर्वास उपायों का विवरण दिया गया हो।अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें हाथ से मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के साथ-साथ मुआवजे की मात्रा बढ़ाने और मृतक व्यक्तियों के परिवारों के लिए पुनर्वास उपायों को सुनिश्चित करने के...

राकेश अस्‍थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने खारिज किया
राकेश अस्‍थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने खारिज किया

आईपीएस अधिकारी राकेश अस्‍थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।चीफ ज‌स्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अस्थाना की नियुक्ति के ‌खिलाफ दायर याचिका में एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (सीपीआईएल) ने एडवोकेट प्रशांत भूषण के माध्यम से हस्तक्षेप किया था।सीपीआईएल ने इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, हालांकि लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट जाने...

ग्रेटा थनबर्ग टूल किट केस- एडवोकेट निकिता जैकब ट्रांजिस्ट बेल के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँचीं
ग्रेटा थनबर्ग 'टूल किट' केस- एडवोकेट निकिता जैकब ट्रांजिस्ट बेल के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँचीं

ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट मामले में मुंबई की एडवोकेट निकिता जैकब बॉम्बे हाईकोर्ट से ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल की मांग की है। एडवोकेट निकिता जैकब के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया हुआ है।न्यायमूर्ति पी डी नाइक की खंडपीठ के समक्ष मामले को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है। गौरतलब हो कि दिल्ली की एक अदालत ने मुंबई की एडवोकेट निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोशल मीडिया पर किसान के विरोध से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय...

DNA रिपोर्ट में देरी के चलते POCSO के अंतर्गत चल रहे मामले की कार्यवाही को लटकाया नहीं जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
DNA रिपोर्ट में देरी के चलते POCSO के अंतर्गत चल रहे मामले की कार्यवाही को लटकाया नहीं जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते सुनाये एक आदेश में यह साफ़ किया है कि POCSO कोर्ट का यह कर्तव्य है कि वह जल्द से जल्द बच्चे का बयान दर्ज करे और डीएनए रिपोर्ट मिलने में देरी के चलते मामले की कार्यवाही में देरी नहीं होनी चाहिए। न्यायमूर्ति पंकज भंडारी की पीठ ने यह आदेश उस मामले में सुनाया जहाँ अपीलार्थी-अभियुक्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 एवं 342, POCSO की धारा 3/4 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(w), 3(2)(va) के अंतर्गत मामला विचाराधीन है।दरअसल अपीलार्थी ने विशेष न्यायाधीश, POCSO अधिनियम द्वारा...

खान और खनिज अधिनियम पर मजिस्ट्रेट धारा 156 (3) के तहत FIR के आदेश दे सकता है, धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट
खान और खनिज अधिनियम पर मजिस्ट्रेट धारा 156 (3) के तहत FIR के आदेश दे सकता है, धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम की धारा 22 के तहत रोक लागू नहीं होगी, जब कोई मजिस्ट्रेट आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के तहत शक्तियों के प्रयोग में एमएमडीआर अधिनियम और नियमों के तहत अपराधों के लिए भी मामला / एफआईआर ट / अपराध दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी / एसएचओ को निर्देश देता है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कानूनी स्थिति का इस प्रकार सारांश दिया:1. मजिस्ट्रेट आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा 156 (3) के तहत...

विस्मृत किये जाने का अधिकार : केरल हाईकोर्ट ने रिपोर्ट किये गये अदालती आदेशों में इस्तेमाल निजी ब्योरे को सर्च इंजनों से हटाने की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की
विस्मृत किये जाने का अधिकार : केरल हाईकोर्ट ने रिपोर्ट किये गये अदालती आदेशों में इस्तेमाल निजी ब्योरे को सर्च इंजनों से हटाने की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की

"कोर्ट के निर्णयों को प्रकाशित करने का अधिकार यदि है, तो वह कोर्ट रिकॉर्ड्स के चुनींदा हिस्सों के प्रकाशन तक नहीं बढ़ाया जाता है। हालांकि, कोर्ट रिकॉर्ड्स के प्रकाशन का अधिकार हमेशा सम्पूर्ण या किसी खास हिस्से के प्रकाशन तक ही सीमित होगा, जो किसी शोध के लिए प्रासंगिक होगा, लेकिन कोर्ट के फैसलों के निचोड़ से याचिकाकर्ता के निजी विवरण के प्रकाशन का कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है, बल्कि यह आम जनता की नजर में याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए है।"केरल हाईकोर्ट ने संर्च इंजन- इंडियन कानून एवं...

आरोप तय करने के लिए अभ‌ियुक्त की उपस्थिति और सेक्‍शन 313 सीआरपीसी के तहत परीक्षण, व‌ीडियो कॉन्फ्रें‌सिंग के माध्यम से प्राप्त की जा सकती हैः कर्नाटक हाईकोर्ट
आरोप तय करने के लिए अभ‌ियुक्त की उपस्थिति और सेक्‍शन 313 सीआरपीसी के तहत परीक्षण, व‌ीडियो कॉन्फ्रें‌सिंग के माध्यम से प्राप्त की जा सकती हैः कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि महामारी की स्थिति में, ट्रायल कोर्ट धारा 223, 240 या 252 के तहत आरोप तय करने के संबंध में अभियुक्तों की दलील को रिकॉर्ड करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग कर सकती है और आपराधिक संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत एक अभियुक्त की जांच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‌िए कर सकती है। इस सुविधा का उपयोग उन सभी आरोपियों के मामले में किया जा सकता है, जो न्यायिक हिरासत में हैं और जो जमानत पर बाहर हैं। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने ट्रायल...

फ्रेम्ड एज़ अ टेररिस्ट: माय फोर्टीन ईयर स्ट्रगल टू प्रूव माय इनोसेंस : जेल में 14 साल तक किया संघर्ष
'फ्रेम्ड एज़ अ टेररिस्ट: माय फोर्टीन ईयर स्ट्रगल टू प्रूव माय इनोसेंस' : जेल में 14 साल तक किया संघर्ष

"(जेल लाइब्रेरी) में जाकर मैं एक कुर्सी पर बैठा। मुझे कुर्सी पर बैठने जैसी साधारण सी बात से मेरी गरिमा और आत्म-सम्मान का एहसास हुआ, वह एहसास जो एक लम्बे वक़्त से गायब सा हो गया था। जेल से छूटने पर मैंने पहला काम चार कुर्सियां खरीदने का किया, ताकि मैं आत्म-सम्मान के साथ दूसरों से बात कर सकूँ........" - किताब से 'फ्रेम्ड एज़ अ टेररिस्ट: माय फोर्टीन ईयर स्ट्रगल टू प्रूव माय इनोसेंस' मोहम्मद आमिर खान और मानवाधिकार कार्यकर्ता नंदिता हसकर द्वारा लिखी गयी एक अत्यंत संवेदनशील किताब है। यह किताब 2016...

अपनी एक जैविक बालिका होने के बावजूद किसी बच्ची को गोद लेना प्रशंसा का काम है : बॉम्बे हाईकोर्ट
अपनी एक जैविक बालिका होने के बावजूद किसी बच्ची को गोद लेना प्रशंसा का काम है : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते मुंबई के एक दंपति को 7 महीने की बच्ची को गोद लेने की अनुमति दी थी, जिनकी पहले से ही एक 14 वर्षीय बेटी है। इसके बाद अदालत ने कहा कि- ''इस कारण और अधिक सराहना की आवश्यकता है, चूंकि दंपत्ति के पास अपनी एक जैविक लड़की भी है। इसके बावजूद उन्होंने एक और लड़की को गोद लेने का फैसला किया। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जिसको समाज में बढ़ावा देने की जरूरत है, क्योंकि हमारे समाज को ज्यादातर पितृसत्ता का वर्चस्व वाला कहा जाता है।'' न्यायमूर्ति जी.एस कुलकर्णी ने सेंट कैथरिन होम,...

ठेके पर काम करनेवाले कर्मचारियों की सेवा को पेंशन और सेवा नियमित किए जाने के लिए गिना जा सकता है : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
ठेके पर काम करनेवाले कर्मचारियों की सेवा को पेंशन और सेवा नियमित किए जाने के लिए गिना जा सकता है : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि ठेके पर काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को उनकी सेवा के आधार पर नियमित किया जा सकता है और इसके बाद इस सेवा के आधार पर उन्हें पेंशन दिया जा सकता है। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि सरकार ने उनके मृत पति को वेतन देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उनकी सेवा के बदले उनको सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पेंशन नहीं दी जा सकती। सरकार का कहना था कि पेंशन सिर्फ़ नियमित सेवा वाले उन्हीं कर्मचारियों को दी जा सकती है जिनकी नियुक्ति 14.05.2003 को या...