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लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 29: पॉक्सो अधिनियम के प्रकरणों में पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टि से संबंधित प्रकरण
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 29: पॉक्सो अधिनियम के प्रकरणों में पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टि से संबंधित प्रकरण

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 33 विशेष न्यायलयों के लिए एक विशेष प्रक्रिया विहित करती है, इस ही के साथ पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टि से संबंधित अनेक प्रकरण भारत के उच्चतम न्यायालय तक पहुंचे है। इस आलेख में कुछ प्रकरणों का उल्लेख किया जा रहा है।पीड़िता के साक्ष्य की संपुष्टिमहाराष्ट्र राज्य बनाम चन्द्रप्रकाश केवलचन्द जैन, ए आई आर 1990 एससी 658, के मामले में पीडिता के साक्ष्य की संपुष्टि के पक्ष पर निम्न प्रकार...

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 28: पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए विशेष न्यायलयों की प्रक्रिया
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 28: पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए विशेष न्यायलयों की प्रक्रिया

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 33 विशेष न्यायलयों के लिए प्रक्रिया विहित करती है। पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायालय गठित किये गए हैं जिससे पीड़ित को शीघ्र न्याय मिल सके। इन विशेष न्यायलयों की प्रक्रिया भी इस अधिनियम में ही धारा 33 में निर्धारित की गई है। इस आलेख में इस ही धारा पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 33विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियाँ (1)...

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 24: मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन अभिलेखन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 24: मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन अभिलेखन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 26 बालकों के मजिस्ट्रेट के समक्ष कथन अभिलेखन के समय अतिरिक्त सावधानी बरतने पर ज़ोर देते हैं। पॉक्सो मामले अत्यंत संवेदनशील है और ऐसे मामलों में एक पीड़ित बालक के अवचेतन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, बालक को ऐसे प्रभावों के दुष्परिणाम से बचाने के उद्घाटन से ही अधिनियम में यह प्रावधान किए गए हैं।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 26अभिलिखित किए जाने वाले कथन के संबंध में...

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 22: पॉक्सो मामले में झूठी शिकायत पर दंड, मीडिया के लिए प्रक्रिया एवं बालकों के कथन
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 22: पॉक्सो मामले में झूठी शिकायत पर दंड, मीडिया के लिए प्रक्रिया एवं बालकों के कथन

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 22, 23, एवं 24 पॉक्सो प्रकरणों में एक प्रक्रिया निर्धारित करती है। जिसके अनुसार इस अधिनियम के अंतर्गत झूठी शिकायत, मीडिया को बालकों के संबंध में निर्देश देने और कोर्ट को बालकों के कथन अभिलिखित करने का ढंग बताया गया है। इस आलेख में संयुक्त रूप से इन तीनों ही धाराओं पर टीका प्रस्तुत किया जा रहा है।धारा 22यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैमिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए...

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 20: पॉक्सो मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 भाग 20: पॉक्सो मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (The Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012) की धारा 20 कुछ संस्थओं को मामलों की रिपोर्ट से संबंधित कुछ बाध्यता देती है। इन संस्थाओं को रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों को प्रदान करनी होती है। आलेख में धारा 20 के अर्थ को समझा जा रहा है।यह अधिनियम में प्रस्तुत धारा का मूल रूप हैधारा 20मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता-मीडिया या होटल या लॉज या अस्पताल या क्लब या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी...

क्या आपत्तिजनक पोस्ट को रीट्वीट करना, साझा करना या फॉरवर्ड करना आपराधिक दायित्व को आकर्षित कर सकता है? एक्सप्‍लेनर
क्या आपत्तिजनक पोस्ट को रीट्वीट करना, साझा करना या फॉरवर्ड करना आपराधिक दायित्व को आकर्षित कर सकता है? एक्सप्‍लेनर

अक्सर देखा जाता है कि कई ट्विटर यूजर्स अपने बायो में 'रीट्वीट नॉट एंडोर्समेंट' डिस्क्लेमर डालते हैं। लेकिन क्या यह अस्वीकरण किसी को आपराधिक दायित्व से बचा सकता है?हाल ही में, दिल्ली पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ​​ने कहा कि एक व्यक्ति को रीट्वीट की जिम्मेदारी लेनी होती है और सोशल मीडिया पर किसी विचार का समर्थन भी इसे साझा करने या रीट्वीट करने वाले व्यक्ति का विचार बन जाता है।डीसीपी ने कहा, "यदि आप सोशल मीडिया पर एक विचार का समर्थन करते हैं, तो यह आपका विचार बन जाता है। रिट्वीट करना और यह कहना...