हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

16 Oct 2022 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (10 अक्टूबर, 2022 से 14 अक्टूबर, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    मध्यस्थता के लिए विवाद को संदर्भित करने की सीमा की अवधि पूर्व-मध्यस्थता तंत्र की विफलता के बाद ही शुरू होती है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने की सीमा की अवधि आंतरिक विवाद समाधान तंत्र के विफल होने के बाद ही शुरू होगी। जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस अमित महाजन की पीठ ने कहा कि यदि पार्टियों के बीच समझौता पूर्व-मध्यस्थता विवाद समाधान तंत्र की व्यवस्‍था करता है, तो एक पार्टी से मध्यस्थता का आह्वान तब तक करने की उम्मीद नहीं की जा सकती, जब तक कि उक्त तंत्र विफल न हो, इसलिए, सीमा अवधि पहले शुरू नहीं हो सकती है।

    केस टाइटल: वेलस्पन एंटरप्राइजेज लिमिटेड बनाम एनसीसी लिमिटेड FAO (OS)(COMM) No. 9 of 2019

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    निजता का अधिकार व्यक्ति का अधिकार है, माता या मृतक के कानूनी वारिसों को यह विरासत में प्राप्त नहीं होगा: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि निजता का अधिकार अनिवार्य रूप से व्यक्ति का अधिकार है और इसलिए मृतकों की माताओं या कानूनी वारिसों को विरासत में प्राप्त नहीं होगा। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता हंसल मेहता और अन्य के खिलाफ उनकी फिल्म 'फराज़' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दायर एक मुकदमे में अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। यह फिल्म एक जुलाई, 2016 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका स्थित होली आर्टिसन में हुए आतंकवादी हमले पर आधारित है।

    टाइटल: रूबा अहमद और अन्य बनाम हंसल मेहता और अन्य।

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    लिखित बयान दाखिल करने का समय प्रतिवादी को सूट और दस्तावेज उपलब्ध कराने की तारीख से शुरू होता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने देखा कि प्रतिवादी द्वारा नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत लिखित बयान दाखिल करने का समय सम्मन जारी करने के बाद उस तारीख से शुरू होगा जब प्रतिवादी को दस्तावेजों के साथ मुकदमा प्रदान किया जाएगा। जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा कि लिखित बयान दाखिल करने के लिए उपलब्ध समय के लिए प्रारंभिक बिंदु बनाने के लिए मुकदमे में समन की तामील सार्थक समन देना चाहिए।

    केस टाइटल: एमआर राजेश कठपाल बनाम मैसर्स शुभ स्टील

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    धारा 326ए आईपीसी| 'एसिड' में वे सभी पदा‌र्थ शामिल, जिसमें जलाने की प्रकृति, केवल वे ही नहीं, जिन्हें क्लासिक रूप से एसिड कहा जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 326 ए में शामिल 'एसिड' शब्द केवल उन पदार्थों तक सीमित नहीं है, जिन्हें क्लासिक या वैज्ञानिक रूप से एसिड कहा जाता है, बल्कि इसमें वे सभी पदार्थ भी शामिल हैं जिनमें अम्लीय, संक्षारक या जलाने की प्रकृति होती है और वे विरूपता, अस्थायी या स्थायी विकलांगता पैदा करने में सक्षम हैं।

    उल्लेखनीय है संहिता की धारा 326ए के तहत एसिड अटैक के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के शरीर के किसी हिस्से को एसिड फेंककर स्थायी याआंशिक रूप से नुकसान पहुंचाता है, विकृत या अक्षम करता है या गंभीर चोट पहुंचाता है तो उसे कम से कम दस साल के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे जुर्माना के साथ आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

    टाइटल: हकीम और अन्य बनाम राज्य (दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और अन्य जुड़े मामले

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    एनडीपीएस एक्ट| वैधानिक अवधि के भीतर एफएसएल रिपोर्ट संलग्न ना करना चार्जशीट को दोषपूर्ण नहीं बनाती, यह डिफॉल्ट जमानत का आधार नहीं: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि केवल इसलिए कि एफएसएल रिपोर्ट प्रस्तुति के समय चार्जशीट के साथ नहीं थी, यह नहीं कहा जा सकता है कि चार्जशीट अधूरी या दोषपूर्ण थी।

    जस्टिस संजय धर ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए य‌ह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर सीआरपीसी की धारा 439 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल का आह्वान किया था। उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन, श्रीगुफवाड़ा, कश्मीर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट की धारा 8/15, 18 के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।

    केस शीर्षक: अब्दुल मजीद भट बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर

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    वाराणसी कोर्ट ने 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका खारिज की

    वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) ने 'शिवलिंग (Shiv Linga)' की कार्बन डेटिंग की मांग वाली हिंदू उपासकों की याचिका खारिज की। कथित तौर 'शिवलिंग' ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाया गया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिवलिंग मिलने वाली जगह को उसी रूप में संरक्षित रखा जाए। सर्वे की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह जांच 'शिव लिंग' (जैसा कि हिंदू उपासकों द्वारा दावा किया गया है) में संरचना की उम्र निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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    ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 25 के तहत गवर्मेंट एनालिस्ट की रिपोर्ट का विरोध करने का अधिकार अक्षम्य अधिकार है: हिमाचल हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 25 के तहत गवर्मेंट एनालिस्ट की रिपोर्ट तथ्यों का निर्णायक सबूत है, जब तक कि जिस व्यक्ति से नमूना लिया गया है, वह इसकी प्रति प्राप्त होने के 28 दिनों के भीतर सूचित नहीं करता।

    जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा कि रिपोर्ट का विरोध करने का ऐसा अधिकार अभियुक्त का अक्षम्य अधिकार है। उन्होंने कहा, "अधिनियम की धारा 25(4) के तहत अधिकार मूल्यवान और अक्षम्य अधिकार है, जिसे आसानी से छीना नहीं जा सकता। आपराधिक अभियोजन में अपनी रक्षा करने का अधिकार पूर्ण और बेलगाम अधिकार है।"

    केस टाइटल: मेसर्स हेटेरो लैब्स लिमिटेड और अन्य बनाम भारत संघ

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    विभाग निर्धारित समय सीमा के भीतर पुनर्मूल्यांकन आदेश पारित करने में विफल रहा: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कारण बताओ नोटिस और पुनर्मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया, क्योंकि विभाग निर्धारित समय सीमा के भीतर पुनर्मूल्यांकन आदेश पारित करने में विफल रहा।

    जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि विभाग याचिकाकर्ता / निर्धारिती को 2 जून, 2022 को अधिनियम की असंशोधित धारा 148 और धारा 148 ए (बी) के तहत 31 मार्च, 2021 को नोटिस जारी करने और तामील करने के बाद एक और नोटिस जारी नहीं कर सकता।

    केस टाइटल: नागेश ट्रेडिंग कंपनी बनाम आयकर अधिकारी

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    थर्ड जेंडर के उम्मीदवार स्पेशल रिजर्वेशन के हकदार: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को पोस्ट बेसिक (नर्सिंग) कोर्स में एडमिशन के लिए थर्ड जेंडर / ट्रांसजेंडर को स्पेशल रिजर्वेशन देने का निर्देश दिया है।

    ट्रांसजेंडर महिला ने शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 के लिए पोस्ट बेसिक (नर्सिंग) कोर्स और पोस्ट बेसिक डिप्लोमा इन साइकियाट्री नर्सिंग कोर्स के लिए जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस को रद्द करने की मांग के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया था कि चयन समिति द्वारा तैयार मेरिट सूची में उसे केवल एक महिला माना गया है।

    केस टाइटल: तमिलसेल्वी बनाम सरकार के सचिव एंड अन्य

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    धारा 41-ए सीआरपीसी नोटिस जारी होने और चार्जशीट दायर होने के बाद लुक आउट सर्कुलर जारी रखने का कोई आधार नहींः तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा मामले के एक आरोपी के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) को वापस लेने का निर्देश देते हुए, हाल के एक फैसले में कहा कि धारा 41-ए सीआरपीसी नोटिस जारी करने और बाद में चार्जशीट दाखिल करने के बाद के बाद एलओसी जारी रखने का कोई आधार नहीं था।

    जस्टिस ललिता कन्नेगंती ने कहा कि पुलिस महानिदेशक ने अदालत द्वारा पूर्व में पारित आदेशों के आधार पर पहले ही एक परिपत्र जारी कर निर्देश दिया है कि जब भी धारा 41-ए सीआरपीसी नोटिस जारी किया जाता है या जब भी आरोपी द्वारा जमानत प्राप्त की जाती है, आयुक्त को संबंधित पुलिस एक पत्र भेजेगी और आयुक्त बदले में एलओसी को बंद करने के लिए आव्रजन अधिकारियों को एक पत्र भेजेंगे।

    टाइटल: गोली साई कोटि वली प्रभु बनाम तेलंगाना राज्य और अन्य

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    मध्यस्थता अवॉर्ड का निष्पादन सीट कोर्ट में दायर होगा, अधिग्रहित भूमि के स्थान पर नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि एनएचएआई एक्ट के तहत पारित मध्यस्थ निर्णय का निष्पादन सीट कोर्ट में दायर किया जाना है, न कि जहां अधिग्रहित भूमि स्थित है।

    जस्टिस राज मोहन सिंह की खंडपीठ ने कहा कि एक बार मध्यस्थता की कार्यवाही की सीट तय हो जाने के बाद ही जिस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में सीट स्थित है, उसके पास मध्यस्थता से उत्पन्न होने वाले सभी आवेदनों का फैसला करने का अधिकार क्षेत्र होगा।

    केस टाइटल: एनएचएआई बनाम यशप्रीत सिंह, Cr NO 259 of 2022(ओ एंड एम)

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    कोई वसीयत तभी वसीयत होगी जब वह स्वर्गवासी वसीयतकर्ता की इच्छाओं को पूरा करेगी: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अंतिम नतीजे तक पहुंचने के लिए कोर्ट के लिए यह जरूरी है कि वह वसीयत को एक आम आदमी (लेमैन) की नजर से देखे, न कि एक कानूनविद (लॉमैन) की नजर से।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने कहा कि यह कोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह वसीयत में इस्तेमाल किये गये शब्दों का एक उद्देश्यपूर्ण अर्थ और उसकी भाषा की तार्किक व्याख्या करे, ताकि वसीयतकर्ता के वास्तविक इरादा का पता लगाया जा सके और उसका वर्णन किया किया जा सके।

    केस टाइटल : विक्रांत कपिला एवं अन्य बनाम पंकजा पांडा एवं अन्य

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    आरोपी के अपराध की गंभीरता उसे सीआरपीसी की धारा 436-ए के लाभ से वंचित करने का कारण नहीं हो सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने निवेशकों को महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (इन फाइनेंशियल इस्टैब्लिशमेंट्स) एक्ट, 1999 के तहत करोड़ों रुपये की ठगी करने के आरोपी व्यवसायी को जमानत दे दी। कोर्ट ने यह देखते हुए आरोपी को जमानत दी कि उसके अपराध की गंभीरता उसे सीआरपीसी की धारा 436-ए के लाभ से वंचित करने का कारण नहीं हो सकती।

    सीआरपीसी की धारा 436-ए के तहत जो आरोपी कथित अपराध के लिए अधिकतम कारावास का आधा हिस्सा काट चुका है, वह लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले विशेष कारणों को छोड़कर जमानत पर रिहा होने का पात्र होगा।

    केस टाइटल: सागर विलास टोटे बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम, 2008 के तहत विवाह पंजीकरण के लिए पार्टियों का धर्म प्रासंगिक नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में बुधवार को कहा कि केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम, 2008 के तहत विवाहों को पंजीकृत करने के लिए पार्टियों के धर्म पर विचार नहीं किया जाता है।

    जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, "नियम, 2008 के नियम 6 के अनुसार विवाह के पंजीकरण के लिए एकमात्र शर्त यह है कि विवाह को संपन्न किया जाना है। पार्टियों का धर्म विवाह के पंजीकरण के लिए विचारणीय नहीं है।"

    केस टाइटल: ललन पीआर और अन्य बनाम चीफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ मैरिज (कॉमन) और अन्य।

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    केरल निजी वन अधिनियम की धारा 3 (2) के तहत छूट की मांग करने वाली पार्टी की गवाही यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि विवादित संपत्ति पर खेती की गई थी: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केरल प्राइवेट फॉरेस्ट (वेस्टिंग एंड असाइनमेंट) एक्ट, 1971 की धारा 3 (2) के तहत छूट की मांग करने वाले एक इच्छुक पक्ष की गवाही अकेले यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि विवादित संपत्ति की खेती एक विशेष अवधि के दौरान की गई थी।

    अधिनियम निर्धारित करता है कि केरल राज्य में सभी निजी वनों का स्वामित्व और कब्जा सरकार को हस्तांतरित और निहित होगा। धारा 3(2) हालांकि एक मालिक द्वारा अपनी निजी खेती के तहत निजी जंगलों में शामिल भूमि के लिए एक छूट खंड है।

    केस टाइटल: केरल राज्य और अन्य बनाम वेलुस्वामी और अन्य।

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    जिला न्यायाधीश या कम से कम 10 साल की सेवा कर चुके न्यायिक अधिकारी सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत अधिभोगी बेदखल) अधिनियम के तहत अपील सुनने के लिए सक्षम: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने स्पष्ट किया कि एक जिला न्यायाधीश या कम से कम 10 वर्ष का न्यायिक अधिकारी सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत अधिभोगी बेदखल) अधिनियम, 1971 की धारा 9 के तहत अपील सुनने के लिए सक्षम है।

    अधिनियम सार्वजनिक परिसर से अनधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने का प्रावधान करता है और एक संपदा अधिकारी को पूछताछ करने का अधिकार देता है। अधिनियम की धारा 9 में प्रावधान है कि अपील संपदा अधिकारी के निर्दिष्ट आदेशों से अपीलीय अधिकारी को की जाएगी।

    केस टाइटल: यंग मेन एस टेनिस क्लब बनाम एनडीएमसी

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    वैध स्वामित्व के अभाव में भी कानून अचल संपत्ति पर कब्जे के अधिकार का सम्मान करता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया कि कब्जे की डिक्री के मुकदमे में या बेदखली के वाद की प्रक्रिया (simpliciter) के खिलाफ निषेधाज्ञा के मुकदमे में वादी को स्वामित्व स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस सी. हरि शंकर की एकल पीठ ने कहा कि प्रतिवादी के अधिकार की तुलना में वादी को केवल वाद की संपत्ति के कब्जे में रहने का बेहतर अधिकार स्थापित करने की आवश्यकता है।

    केस टाइटल: सलीम और अन्य बनाम वाहिद मलिक

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    धारा 138 एनआई अधिनियम | मालिक और मा‌लिकाना प्रतिष्ठान को आरोपी के रूप में अलग-अलग पेश करने की आवश्यकता नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि मालिकाना प्रतिष्ठान (Proprietary Concern) एक अलग इकाई नहीं है और इस प्रकार, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत दर्ज मामले में उसे अलग आरोपी के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए।

    जस्टिस सूरज गोविंदराज की सिंगल जज बेंच ने कहा, "एनआईए एक्ट की धारा 138 के तहत एक कार्यवाही में मालिक या मालिकाना प्रतिष्ठान, जिसका प्रतिनिधित्व मालिक द्वारा किया जाता है, में से किसी एक को आरोपी के रूप में पेश करना एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत आवश्यकताओं का पर्याप्त अनुपालन होगा, आरोपी के रूप में दोनों को अलग-अलग पेश करने की आवश्यकता नहीं है।"

    केस टाइटल: एचएन नागराज बनाम सुरेश लाल हीरा लाल

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    मुस्लिम पति ने दूसरी शादी कर ली हो तो पहली पत्नी को उसके साथ रहने के लिए, अगर न्यायसंगत न हो, मजबूर नहीं किया जा सकताः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोर्ट को पत्नी इच्छा के खिलाफ उसे अपने मुस्लिम पति (जिसने दोबारा शादी कर ली है) के साथ रहने के लिए और किसी अन्य महिला के साथ अपना साथ साझा करने के लिए मजबूर नहीं करना चा‌हिए, यदि कोर्ट की राय है कि उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करना 'अनुचित' होगा।

    जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की पीठ ने एक मुस्लिम पति की ओर से दायर याचिका खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। पति ने पहली पत्नी (प्रतिवादी) के साथ वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए फैमिली कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

    केस टाइटल- अज़ीज़ुर्रहमान बनाम हमीदुन्निशा @ शरीफुन्निशा [FIRST APPEAL No. - 700 of 2022]

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    सेक्‍शन 43डी यूएपीए | लोक अभियोजक की रिपोर्ट में जांच का विवरण होता है, आरोपी के साथ उसे साझा करने की जरूरत नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में दो श्रीलंकाई नागरिकों को जमानत देने से इनकार कर दिया। उन पर लिट्टे को फंड करने के लिए मुंबई में एक मृत महिला के बैंक खाते से धन निकालने का प्रयास करने का आरोप है।

    जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस टीका रमन की पीठ ने यह कहते हुए जमानत से इनकार कर दिया कि डिफॉल्ट जमानत के लिए अपरिहार्य अधिकार समाप्त हो गया है क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पहले ही अंतिम रिपोर्ट जमा कर दी थी।

    केस टाइटल: टी कीनिस्टन फर्नांडो बनाम राज्य

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    अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पहली पत्नी, बच्चों को पालने में सक्षम नहीं है तो कुरान के अनुसार वह दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high Court) ने एक द्विविवाह मामले में कहा कि अगर कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पहली पत्नी, बच्चों को पालने में सक्षम नहीं है तो कुरान के अनुसार वह दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पवित्र कुरान के जनादेश के अनुसार, द्विविवाह को तब तक पवित्र नहीं किया जाता जब तक कि कोई व्यक्ति अनाथों के साथ न्याय नहीं कर सकता।

    केस टाइटल - अज़ीज़ुर्रहमान बनाम हमीदुन्निशा @ शरीफुन्निशा [प्रथम अपील संख्या – 700 ऑफ 2022]

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    अदालत को एक अंडर ट्रायल की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित करनी चाहिए, जहां उसकी गलती के बिना मुकदमे में देरी हो रही होः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में जोर देकर कहा है कि जब एक विचाराधीन कैदी काफी समय से हिरासत में हो और उसकी ओर से बिना किसी गलती के मुकदमे की सुनवाई में देरी हो रही हो, तो अदालतों से मूकदर्शक होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है और उन्हें एक विचाराधीन कैदी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित करने के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के हस्तक्षेप करना चाहिए।

    जस्टिस मंजरी नेहरू कौल की पीठ ने एनडीपीएस के मामले के उस आरोपी को जमानत दे दी है, जो अक्टूबर 2020 से हिरासत में था। अदालत ने कहा कि आधिकारिक गवाहों के पेश न होने के कारण सुनवाई पूरी तरह से ठप हो गई है।

    केस टाइटल-गुरबीर सिंह बनाम पंजाब राज्य

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    ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 33एम के तहत मंजूरी केवल आयुर्वेदिक दवाओं के लिए जरूरी, एलोपैथिक के लिए नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 33एम के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति केवल आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनीनी दवाओं के मामले में लागू होती है और जहां अभियोजन एलोपैथिक दवाओं से संबंधित हो, वहां यह लागू नहीं होती है।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने एम्कर फार्मास्यूटिकल्स और उसके दो निदेशकों द्वारा दायर याचिका पर यह टिप्पणी की। उन्होंने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज शिकायत को रद्द कराने के लिए याचिका दायर की थी।

    केस टाइटल: M/S Emcure Pharmaceuticals Ltd v कर्नाटक राज्य

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    प्रतिवादी द्वारा विवादित नहीं होने पर ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की वैधता पर न्यायालय स्वत: संज्ञान नहीं ले सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन की वैधता पर सवाल उठाने के लिए अदालत के लिए यह खुला नहीं है कि क्या उक्त मार्क विवादित नहीं है या प्रतिवादी द्वारा मुकदमे में लाया गया है।

    जस्टिस विभू बाखरू और जस्टिस अमित महाजन की खंडपीठ ने कहा कि व्यापार ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 9 रजिस्ट्रेशन के बाद के चरण में किसी भी वैधानिक अवरोध को शामिल नहीं करती। खंडपीठ ने कहा कि ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन की वैधता को मुद्दे में नहीं लाया जाता है, यह सांविधिक धारणा है कि मार्रक वैध हैं। इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

    टाइटल: पेप्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम कुर्लॉन लिमिटेड

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    एससी/एसटी एक्ट| स्पेशल कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश धारा 14A के तहत हाइकोर्ट के समक्ष अपील योग्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए विशेष न्यायालय द्वारा जमानत देने/अस्वीकार करने का आदेश 1989 अधिनियम की धारा 14 ए के तहत हाईकोर्ट के समक्ष अपील योग्य है।

    जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि विशेष अदालत आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करती है, तो वह 1989 के अधिनियम की धारा 14 ए के तहत हाईकोर्ट के समक्ष जमानत से इनकार करने के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है, हालांकि, यह विकल्प उसके पास नहीं होगा कि वह सीआरपीसी की धारा 438 के तहत हाईकोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत की अपील दाख‌िल करे।

    केस टाइटल- कैलाश बनाम यूपी राज्य और अन्य जुड़ी अपील

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    संयुक्त उद्यम में शामिल सदस्‍य व्यक्तिगत क्षमता से मध्यस्थता खंड लागू नहीं कर सकते: दिल्ली ‌हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि जहां पार्टियों द्वारा एक कंजॉर्टियम/ज्वाइंट वेंचर बनाकर एक समझौता किया जाता है, कंजोर्टियम के सदस्यों में से एक अलग से अपनी व्यक्तिगत क्षमता में मध्यस्थता समझौते को लागू नहीं कर सकता है।

    जस्टिस मिनी पुष्कर्ण की एकल पीठ ने दोहराया कि जब एक कंजोर्टियम के साथ समझौता होता है तो पार्टियों का यह इरादा कभी नहीं होता कि कंजोर्टियम के सदस्यों में से एक अलग से मध्यस्थता खंड को लागू कर सकता है।

    केस टाइटल: कंसल्टिंग इंजीनियर्स ग्रुप लिमिटेड बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)

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