अदालत को एक अंडर ट्रायल की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित करनी चाहिए, जहां उसकी गलती के बिना मुकदमे में देरी हो रही होः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Manisha Khatri
10 Oct 2022 8:15 PM IST

Punjab & Haryana High court
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में जोर देकर कहा है कि जब एक विचाराधीन कैदी काफी समय से हिरासत में हो और उसकी ओर से बिना किसी गलती के मुकदमे की सुनवाई में देरी हो रही हो, तो अदालतों से मूकदर्शक होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है और उन्हें एक विचाराधीन कैदी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुरक्षित करने के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के हस्तक्षेप करना चाहिए।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल की पीठ ने एनडीपीएस के मामले के उस आरोपी को जमानत दे दी है, जो अक्टूबर 2020 से हिरासत में था। अदालत ने कहा कि आधिकारिक गवाहों के पेश न होने के कारण सुनवाई पूरी तरह से ठप हो गई है।
''याचिकाकर्ता को उन कारणों के लिए एक मुकदमे की लंबित अवधि के दौरान अनिश्चित काल तक जेल में रहने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है जिनके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं। यह दोहराया जाता है कि भारत के संविधान द्वारा प्रदान किए गए जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में स्पीडी ट्रायल का अधिकार भी शामिल है।''
याचिकाकर्ता (गुरबीर सिंह) ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 21 के तहत उसके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले के संबंध में तीसरी बार नियमित जमानत याचिका दायर की थी। उसके वकील ने दलील दी कि उनकी पहले की दो जमानत याचिकाओं को खारिज करने के बाद, मुकदमे की सुनवाई पूरी तरह से ठप हो गई है क्योंकि अभियोजन पक्ष का कोई भी गवाह (सभी आधिकारिक गवाह), अपने साक्ष्य दर्ज कराने के लिए निचली अदालत के समक्ष पेश होने में विफल रहा है।
राज्य का वकील भी याचिकाकर्ता के वकील द्वारा दी गई दलीलों का खंडन नहीं कर सका क्योंकि जमानती व गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद जांच अधिकारी और राजपत्रित अधिकारी समेत अन्य अभियोजन पक्ष के गवाह उपस्थित नहीं हुए और ट्रायल कोर्ट के समक्ष उनके साक्ष्य दर्ज नहीं हो पाएं हैं।
अदालत ने यह दोहराते हुए कि भारत के संविधान द्वारा प्रदान किए गए जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में स्पीडी ट्रायल का अधिकार भी शामिल है, मामले के आरोपी को जमानत दे दी।
केस टाइटल-गुरबीर सिंह बनाम पंजाब राज्य
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