आरोपी के अपराध की गंभीरता उसे सीआरपीसी की धारा 436-ए के लाभ से वंचित करने का कारण नहीं हो सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

13 Oct 2022 5:43 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने निवेशकों को महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (इन फाइनेंशियल इस्टैब्लिशमेंट्स) एक्ट, 1999 के तहत करोड़ों रुपये की ठगी करने के आरोपी व्यवसायी को जमानत दे दी। कोर्ट ने यह देखते हुए आरोपी को जमानत दी कि उसके अपराध की गंभीरता उसे सीआरपीसी की धारा 436-ए के लाभ से वंचित करने का कारण नहीं हो सकती।

    सीआरपीसी की धारा 436-ए के तहत जो आरोपी कथित अपराध के लिए अधिकतम कारावास का आधा हिस्सा काट चुका है, वह लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले विशेष कारणों को छोड़कर जमानत पर रिहा होने का पात्र होगा।

    पीठ ने पीड़ित पक्ष के इस तर्क को खारिज कर दिया कि आरोपी निवेशकों को करोड़ों की ठगी करने के गंभीर अपराध में शामिल है, पुलिस को उसकी कोई संपत्ति नहीं मिली है जिसे कुर्क किया जा सके। इसलिए जमानत से इनकार किया जाना चाहिए।

    जस्टिस भारती डांगरे ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा,

    "उपरोक्त घोषणा के आलोक में ... मुझे नहीं लगता कि आरोप की गंभीरता उसे उक्त धारा से मिलने वाले लाभ से वंचित कर देगी, जब उसका मामला पूरी तरह से आता है। सीआरपीसी की धारा 436ए की उप-धारा (1) अधिकतम कारावास की आधी से अधिक अवधि भुगतने पर…आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है।"

    इस मामले में आरोपी को चार साल से अधिक की कैद हुई और उस पर अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। वह आईपीसी की धारा 406 और 420 के तहत आरोपों का सामना कर रहा है, जिसे महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम, 1999 की धारा 3 के साथ पढ़ा गया। अपराध 2018 में बदलापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया।

    जबकि पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि सुनिश्चित ब्याज के साथ कुल निवेश 1,07,95,000 रुपये आंका गया, आरोपी सागर टोटे के वकील अक्षय बाफना ने कहा कि उसने 25,22,300 रुपये वापस कर दिए। दूसरी एफआईआर में से कुल 82 निवेशकों को 4.73 करोड़ रुपये का आश्वासन दिया गया, उनमें से 2.75 करोड़ रुपए लौटाए गए।

    सीआरपीसी की धारा 436-ए की प्रयोज्यता के संबंध में बाफना ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो, भीम सिंह बनाम भारत संघ और हुसैनारा खातून और अन्य (IV) बनाम के मामले में निर्णय, गृह सचिव, बिहार राज्य, पटना के निर्णय पर भरोसा किया।

    जस्टिस डांगरे ने बाफना की दलील से सहमति जताते हुए जमानत दे दी।

    केस टाइटल: सागर विलास टोटे बनाम महाराष्ट्र राज्य

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