एससी/एसटी एक्ट| स्पेशल कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश धारा 14A के तहत हाइकोर्ट के समक्ष अपील योग्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

9 Oct 2022 10:04 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए विशेष न्यायालय द्वारा जमानत देने/अस्वीकार करने का आदेश 1989 अधिनियम की धारा 14 ए के तहत हाईकोर्ट के समक्ष अपील योग्य है।

    जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि विशेष अदालत आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार करती है, तो वह 1989 के अधिनियम की धारा 14 ए के तहत हाईकोर्ट के समक्ष जमानत से इनकार करने के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है, हालांकि, यह विकल्प उसके पास नहीं होगा कि वह सीआरपीसी की धारा 438 के तहत हाईकोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत की अपील दाख‌िल करे।

    कोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट की धारा 18 और 18ए(i) के तहत तय प्रतिबंध एसटी/एससी एक्ट के तहत अग्रिम जमानत देने पर तब लागू नहीं होंगे, जब अभियुक्त के खिलाफ 1989 अधिनियम के प्रावधानों की प्रयोज्यता के लिए प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता होगा।

    दूसरे शब्दों में हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है, वहां अधिनियम की धारा 18 और 18A (i) द्वारा तय प्रतिबंध लागू नहीं होगा, और व्यक्ति को विशेष न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत दी जा सकती है।

    मामला

    वर्तमान मामले में, एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज तीन आरोपियों ने विशेष जजों द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद धारा 438 सीआरपीसी (1989 अधिनियम की धारा 14 ए के तहत नहीं) के तहत हाईकोर्ट का रुख किया था।

    उनका तर्क था कि पृथ्वी राज चौहान मामले में निर्धारित कानून के अनुसार, अधिनियम की धारा 18 और 18-ए के तहत रोक के बावजूद, अग्रिम जमानत के लिए आवेदन सुनवाई योग्य है क्योंकि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अग्रिम जमानत के लिए धारा 438 सीआरपीसी के तहत हाईकोर्ट के साथ-साथ सत्र न्यायालय में भी आवेदन दायर किया जा सकता है।

    हालांकि, उनकी दलीलों को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि विशेष अदालतों को अग्रिम जमानत के लिए एक आवेदन पर विचार करते हुए, यह पता लगाना चाहिए कि क्या अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है, तभी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

    हालांकि, कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि आवेदक एससी/एसटी एक्ट की धारा 14ए के तहत अपील दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

    केस टाइटल- कैलाश बनाम यूपी राज्य और अन्य जुड़ी अपील

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 461

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