"सभी मुश्किलों पर फतह पाई, इतिहास को अपने ढंग से लिखा", देश की पहली महिला बधिर वकील से बातचीत

LiveLaw News Network

11 March 2022 2:00 AM GMT

  • सभी मुश्किलों पर फतह पाई, इतिहास को अपने ढंग से लिखा, देश की पहली महिला बधिर वकील से बातचीत

    "अगली बार आपको नेतृत्व करना चाहिए।"

    कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वेणु गोपाल गौड़ा ने ये शब्द सारा सन्नी की तारीफ में कहा। वह एक मध्यस्‍थता कार्यवाही में थिरु एंड थिरु लॉ फर्म के अपने सहयोगियों के साथ शामिल थी।

    सारा सनी जन्म से ही बधिर हैं। पिता सन्नी और मां बेट्टी की यह संतान फिर भी इतिहास में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही। दृढ़ता और कड़ी मेहनत से उन्होंने वकालत में पेश में अपनी जगह बनाई है। वह देश की पहली बधिर वकील हैं।

    लाइव लॉ ने सारा के साथ हाल ही में बातचीत की। पढ़‌िए बातचीत के अंश-

    लाइव लॉ: आप दुनिया के सामने अपना परिचय कैसे देंगे?

    मैं सारा सनी हूं, और मैं एक बधिर वकील हूं। बेशक, मैं अपने देश की पहला बधिर वकील हूं। मैंने अपनी विकलांगता के समक्ष आई चुनौतियों को पार पाने की कोशिश की है। अपनी श‌िक्षा, जिसे मैंने अपनी व्यावसायिक शिक्षा के दरमियान अर्जित किया है, और सक्रिय श्रवण कौशल कारण मैं खुद को वास्तव में सक्षम मानती हूं।

    मैंने बैंगलोर स्थित सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी किया है। कानून की पढ़ाई से पहले, मैंने बैंगलोर स्थित ज्योति निवास कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री ली है। मेरे माता-पिता सनी और बेट्टी हैं। मेरे पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। मेरे दो भाई-बहन हैं। मारिया मेरी जुड़वां बहन है। वह चार्टर्ड एकाउंटेंट है। मेरा बड़ा भाई प्रतीक इंजीनियर है। मेरे पिता कोट्टायम से हैं।

    लाइव लॉ: आपने विशेष स्कूल के बजाय नियमित स्कूल से पढ़ाई की है। क्या आपको किसी कठिनाई का सामना करना पड़ा?

    शुरुआत में इसकी काफी कठिन था। उदाहरण के लिए जब मैं ग्रेड एक में थी, मेरे सहपाठियों को नहीं पता था कि मैं बधिर हूं। कक्षा में क्या हो रहा था, यह समझने में मुझे कठिनाई होती थी। लेकिन मेरे शिक्षक बहुत मददगार रहे। चौथी कक्षा के बाद चीजें बदलीं। मेरे बारे में सभी जानने लगे और रास्ते में मैंने बहुत करीबी दोस्त भी बना लिए। उन्होंने मेरी हर चीज में मदद की। वास्तव में, मैं कहूंगी कि मेरा स्कूली जीवन परिपूर्ण था (वह खुशी होकर अपने हाथों से 'अच्छा' इशारा करती हैं)।

    लाइव लॉ: आप अपना खाली समय कैसे बिताना पसंद करती हैं?

    डांस! मुझे अपनी जुड़वां बहन के साथ डांस करना बहुत पसंद है। हम 4 साल की उम्र से साथ में डांस कर रहे हैं। मेरे पास हमदोनों के डांस करते हुए बहुत सारे वीडियो हैं।

    लाइव लॉ: आपके पिता चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। आपकी जुड़वां बहन भी हैं। आपने कानून को क्यों चुना?

    जब मैं छोटी थी तो अक्सर सही और गलत के बारे में बहस किया करती थी। मैंने हमेशा चीजों पर सवाल उठाया। मुझे तर्क-वितर्क करते हुए देखकर मेरे पिता ने एक बार कहा था, 'तुम एक अच्छी वकील बनोगी।' उन्हें क्या पता था कि वह मेरे जीवन में एक सपने के बीज बो रहे ‌थे। तब से यह मेरे दिमाग में है। मैंने इसे दिल से लिया और इससे कम पर समझौता करने से इनकार कर दिया।

    लाइव लॉ: क्या आपको अदालत के समक्ष दुभाषिए के सहयोग से बहस करते समय कभी मुश्‍किल हुई है?

    अभी तक मैं हाईकोर्ट में पेश नहीं हुई हूं। हालांकि, मैं कई न्यायाधिकरणों और मध्यस्थता कार्यवाही में पेश हुई हूं। वहां लोग मेरे साथ काफी समझदार और धैर्यवान रहे हैं। मेरी हाल की की पेशी में जस्टिस वेणु गोपाल गौड़ा ने मेरी बहुत सराहना की थी, उन्होंने यहां तक ​​कहा कि मुझे अगली बार मध्यस्थता का नेतृत्व करना चाहिए। (सारा गर्व के साथ मुस्कराती है)

    भले ही, हाईकोर्ट में यह इतना आसान न हो। सबसे बड़ी बाधा गति होगी। मैं दूसरों के होठों को पढ़कर समझ पाती हूं कि वह क्या कह रहे हैं। लेकिन जब तक वे धीमी गति से बात नहीं करते, मेरे लिए यह समझना मुश्किल होता है कि वे क्या बातचती कर रहे हैं। हालांकि यह संभव है कि हाईकोर्ट के पास हमेशा मेरी बारी का इंतजार करने का समय न हो। इन दिनों एक और मुद्दा यह है कि जज अपने मास्क पहनते हैं और इससे मेरे लिए दुभाषिया के बिना काम करना असंभव हो जाता है। हालांकि यह बहुत समय लेगा और मुझे अभी तक यकीन नहीं है कि जज इस सेटअप का स्वागत करेंगे या नहीं।

    लाइव लॉ: आपको क्या लगता है कि मुकदमेबाजी के क्षेत्र में आप जैसे लोगों को समायोजित करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

    दुभाषिया रखना पहला कदम होगा। अगर अदालतों में ऐसा माहौल हो जहां विकलांगों के साथ जल्दबाजी ना हो तो मुझे लगता है कि और लोग सामने आएंगे और शामिल होंगे। एक दुभाषिया कुशलतापूर्वक बता सकता है कि हम अदालत में क्या बहस कर रहे हैं और वह जज की टिप्पण‌‌ियों से हमें अवगत करा सकता है।

    एक और चीज जो मेरी मदद करती है, जैसे मैंने कहा, जब लोग धीरे-धीरे बात करते हैं। अगर बहस करने की बारी आती है तो कार्यवाही थोड़ी धीमी हो जाती है, तो इससे बहुत फर्क पड़ता है।

    मेरे जैसे वकीलों और जजों के बीच कम्युनिकेशन गैप को कम करने वाला सॉफ्टवेयर भी मददगार होगा। हमारे पास वह सब कुछ टाइप करने का विकल्प हो सकता है, जिसे हम कहना चाहते हैं। इस क्षेत्र में कई संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।

    लाइव लॉ: आप विकलांगों को क्या संदेश देना चाहेंगी?

    विकलांग सोचते हैं कि वे बहुत बड़ा नहीं कर सकते, लेकिन वे गलत हैं। आपको पढ़ना चाहिए, और अन्य बच्चों की तरह शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। अपने आप को सीमित मत करो। मुझे उम्मीद है कि एक दिन हम सभी के साथ उनकी अक्षमताओं के बावजूद समान व्यवहार करना सीखेंगे। एक दिन, हम इस दुनिया को एक समावेशी जगह बना देंगे।

    (साक्षात्कार समाप्त)

    Tags
    Next Story