साक्षात्कार
भारत की कानूनी बिरादरी तकनीकी अपनाने में संकोची है, हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो वीसी विवेकानंदन का विशेष साक्षात्कार
हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो वीसी विवेकानंदन का विशेष साक्षात्कार।1. यह कहना सही होगा कि COVID 19 परिदृश्य तक तकनीक को अपनाने में कानूनी बिरादरी ने बहुत रुचि नहीं दिखाई है?यह एक तथ्य है कि भारत में कानूनी बिरादरी, COVID तक इंजीनियरिंग और चिकित्सा पेशेवरों के विपरीत प्रौद्योगिकी अपनाने में या तो संकोची रही है या अवहेलना करती रही है। हो सकता है कि एक मजबूत धारणा यह हो कि प्रौद्योगिकी द्वंद्वात्मक विमर्श में अप्रासंगिक है। COVID ने डिफ़ॉल्ट रूप से इस तरह के रवैये को बदलने के लिए...
'नए वकीलों को अपने कार्यों से अपनी गंभीरता का परिचय देना चाहिए', 100 वर्षीय वकील लेखराज मेहता से लाइव लॉ की ख़ास बातचीत
एक अच्छा वकील होने का क्या मतलब होता है? यह प्रश्न, एक वकील के पूरे करियर को प्रेरित कर सकता है, चिंतन करने पर मजबूर कर सकता है या कुछ को शायद परेशान भी कर सकता है। हालाँकि, यदि इस प्रश्न का उत्तर देने का थोडा सा प्रयास किया जाए तो यह स्पष्ट हो सकता है कि, एक अच्छा वकील होना, एक महान वकील होने से कहीं ज्यादा कठिन है। चर्चित मामलों को जीतना और प्रशंसा अर्जित करने की तुलना में, कोर्ट में वर्षों तक याद किये जाने वाला कौशल, दृष्टिकोण, मनोवृत्ति व उत्तम आचरण का निर्माण करना कहीं ज्यादा कठिन होता...
लोकतंत्र और न्यायपालिका : भारत और अमेरिका का तुलनात्मक स्वरूप
सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनि बंसल ने जिंदल लॉ स्कूल के वीसी प्रोफेसर सी राजकुमार, न्यूयॉर्क काउंटी, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मैथ्यू एफ कूपर और हवाई के सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस माइकल डी विल्सन, के साथ बातचीत की। इस दौरान भारत और अमेरिका में लोकतंत्र और न्यायपालिका जैसे विषयों पर चर्चा हुई। देखिए यह महत्वपूर्ण चर्चा।
[साक्षात्कार] "मेरी हार्वर्ड की डिग्री हाशिये पर पड़े करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है": अनुराग भास्कर
अनुराग: हां, बिल्कुल। मैं दलित समुदाय से हूं। यह मेरी पहचानों में से एक है, लेकिन इसने मेरे जीवन में विकल्पों को को चुनने में प्रमुख रूप से प्रभावित किया । हार्वर्ड में आना केवल मेरे अपने बारे में ही नहीं था। व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से मुझे मिले एक्सपोज़र के अलावा, हार्वर्ड तक की पढ़ाई की मेरी यात्रा करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं की प्रतीक है, जो आज भी समाज के हाशिये पर जीने के लिए मजबूर हैं। हार्वर्ड से हासिल हुई मेरी LLM डिग्री, डॉ. पायल तडवी को श्रद्धांजलि है, जिसने जातिगत भेदभाव के कारण अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूर्ण कर पाने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी। मेरी LLM डिग्री, रोहित वेमुला के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिसका आत्महत्या पत्र, एक राष्ट्र के रूप में हमारे नैतिक विवेक को यह याद दिलाता रहेगा कि हमें अपने समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को खत्म करना होगा। मेरी LLM डिग्री, निचली जातियों के लोगों के लिए है, जिनकी हत्या घोड़े की सवारी करने, मूंछ रखने और ऐसे अन्य कई दैनिक अत्याचारों के चलते की गई है। यह उन दलितों के लिए है, जिन्हें सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पहुँच से वंचित किया गया है या जिन्हें फोनी चक्रवात के बाद उड़ीसा में आश्रयों में प्रवेश एवं राहत पैकेज से वंचित किया गया था। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक अन्य लोगों को प्रेरित करेगा, जिसमें 14 साल की छोटी सुनैना भी शामिल है - जिसकी कहानी हाल ही में एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिखाई थी। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक करना, सभी को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।
जब सरकार पूरी तरह से ’रूल आॅफ लाॅ’ को नकार देती है तो आखिरी विकल्प मुकदमेबाजी का ही बचता है-नमिता वाही, (भारत में लैंड ऐक्वजिशन लिटिगेशन पर लिखी रिपोर्ट की मुख्य लेखक)
दो व तीन मार्च को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लैंड राईट,लैंड एक्विजिशन व भारत में हो रहे विकास पर एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। इस कांफ्रेंस में सेंटर फाॅर पाॅलिसी रिसर्च लैंड राईट इनिशिएटिव और सेंटर आॅन लाॅ एंड सोशल ट्रांसफोरमेशन,नार्वे कुल बीस डेलिगेट्स को एक साथ लाए थे,जिन्होंने सिविल सोसायटी के क्रास-सेक्शन व पाॅलिसी बनाने में शामिल सिविल सर्वेंट को प्रतिनिधित्व किया था।इस कांफ्रेंस के तहत लैंड राईट,लैंड एक्विजिशन व भारत में हो रहे विकास पर दो दिन तक मंथन किया गया। इस कांफ्रेंस में...
कानून के शिक्षकों को लेना चाहिए कानून में प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस-बैरिस्टर(प्रोफेसर) कईखुशरू लाम
बैरिस्टर व वकील कईखुशरू लाम का जन्म बाॅम्बे में और उनकी पढ़ाई कैथेडरल स्कूल में हुई। उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से इॅक्नामिक्स में अपनी बैचलर आॅफ साइंस की डिग्री की। वहीं मास्टर इन साइंस की डिग्री भी स्टटिस्टिक्स में इसी यूनिवर्सिटी से की थी। लंदन स्कूल आॅफ इॅक्नामिक्स एंड कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में लगभग एक दशक तक मैथमेटिक्स व स्टटिस्टिक्स पढ़ाया। इसके बावजूद मिस्टर लाम हमेशा उन बौद्धिक चुनौतियों में इच्छुक रहे कि मैथमेटिक्ल अनुशासन उनको छात्रों को पढ़ाने व असिस्ट करने में सहायता करते है। परंतु उनको...
’’शशि थरूर का इक्वालिटी बिल एक रास्ता है,जो अंबेडकर के भेदभाव रहित भारत की परिकल्पना का अहसास करवाता है’’ - तरूणभ खेतान,आॅक्सफोर्ड ऐकडेमिक
तरूणभ खेतान आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून पढ़ाने वाले एक एसोसिएट प्रोफेसर है। वह ’ए थ्योरी आॅफ डिस्क्रिमनेशन लाॅ (ओयूपी 2015) के लेखक भी है,यह किताब ऐकडेमिक सर्कल में अच्छी तरह जानी-पहचानी जाती है। वह आगामी ’इंडियन लाॅ रिव्यू’ के जनरल एडिटर भी है। उन्होंने अपनी अंडरग्रेजुएशन की पढ़ाई नेशनल लाॅ स्कूल आॅफ इंडिया यूनिवर्सिटी (बैंगलुरू) से वर्ष 1999-2004 के बीच में पूरी की थी। उसके बाद वह रहाडेस स्काॅलर के तौर पर आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी आ गए और अपनी एक्सटेर कालेज से अपनी पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी...