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सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले में कानून के शासन के मूल्यों को बरकरार रखा

लखीमपुर मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा मोनू उर्फ ​​टेनी जूनियर की जमानत रद्द करने के लिए भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसला, जो पहले इलाहाबाद के उच्च न्यायालय द्वारा दी गई थी, न केवल खुद मिश्रा, राज्य सरकार और राज्य पुलिस के लिए एक झटका है, बल्कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लिए भी है । इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत पर सुनवाई के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कुछ बेहद तीखी टिप्पणियां की गईं। निर्णय/आदेश के अनुच्छेद 41 में किए गए चार बिंदु स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मुख्य...

साइबर प्रौद्योगिकी, अन्वेषण एवं मानवाधिकार का नवीनतम दृष्टांत - न्यायपालिका की नज़र से
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हिमांशु दीक्षित, फाइनल ईयर लॉ स्टूडेंट, एनएलआईयू, भोपालतकनीकीकरण ने राजकीय सत्ता में अनेक परिवर्तन स्थापित कर दिए है, फिर वो चाहे नागरिक अधिकारों के विरोध में हो या फिर संपूर्ण समाज के हित में हो। अतः यह एक स्वीकारणीय तथ्य है कि तकनीकीकरण का मानव-स्वतंत्रता पर सदैव कोई न कोई प्रभाव निश्चित ही पड़ता है। साइबर अपराध का दिन-प्रतिदिन उजागर होना और इन पर अंकुश रखने वाली संस्थाओं का स्वयं में ही अवैधानिक तरीके से अधिकारों का दुरुपयोग करना यह दर्शाता है कि दोनों ही रूप में सामान्य नागरिक के ही मौलिक...

पॉक्सो एक्ट : कोई संस्था अगर अपराध की रिपोर्ट न करे तो क्या होंगे उसके परिणाम, जानिए प्रावधान
पॉक्सो एक्ट : कोई संस्था अगर अपराध की रिपोर्ट न करे तो क्या होंगे उसके परिणाम, जानिए प्रावधान

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स बयूरो (NCRB) जारी किए आंकड़ों के अनुसार भारत मे हर साल शिशुओं के यौन शोषण के संबंध मे वर्ष दर वर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है। इन मामलों को गंभीर से निपटने हेतु सरकार द्वारा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (रोकथाम), 2012 लागू किया गया, जिससे वर्ष 2019 में प्रावधानों में कठोरता लाते हुए संशोधित भी किया गया है, परन्तु क्या बालकों क्या हित अभी भी संरक्षित है?यह एक सोचनीय विषय है। हालांकि, इन दिनों मराठी फ़िल्म नई वारनभात लोंचा, कोन नई कोंचा' विवादित चर्चा का विषय बनी है।...

धारा 498(ए) के तहत मुकदमा कैसे दर्ज कराते हुए कौन से सबूतों से आरोपियों को सजा करवाई जा सकती है
धारा 498(ए) के तहत मुकदमा कैसे दर्ज कराते हुए कौन से सबूतों से आरोपियों को सजा करवाई जा सकती है

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498(ए) एक पत्नी के अधिकारों को सुरक्षित करती है। यह धारा पति और उसके रिश्तेदारों को एक महिला के प्रति क्रूरता करने से रोकती है।भारतीय महिलाओं के लिए ससुराल एक पिंजरे के रूप में परिवर्तित हो गया, जहां यह माना जाने लगा कि एक महिला चारों ओर से शत्रुओं के बीच है। ससुराल में महिलाओं को पीड़ित किए जाने की घटना दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत धारा 498(ए) इन घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से ही प्रावधानित की गई है।धारा 498(ए) के अंतर्गत क्रूरता...