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दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 161 और 162  का विधिक और संवैधानिक विश्लेषण (भाग 1)
दंड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 161 और 162 का विधिक और संवैधानिक विश्लेषण (भाग 1)

अदालत में विचारण शुरू होने से पहले कुछ ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं जिनका पालन किया जाना अतिआवश्यक होता है, जिन्हें सामान्य भाषा में विचारण पूर्व प्रक्रिया या प्री-ट्रायल प्रक्रिया कहा जाता है। मामले के विचारण प्रारंभ होने से पूर्व दो चरण मुख्य होते है, पहला पुलिस द्वारा अन्वेषण(investigation) और दूसरा मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली मामले की जांच। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पुलिस द्वारा अन्वेषण के दौरान अपराध से संबंधित साक्ष्यों का एकत्रण है। क्योंकि सामान्यतः अपराध गुप्त व गोपनीय तरीकों से किया जाता है...

Shahid Azmi
मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील बहादुर शाहिद आजमी की 13वीं पुण्यतिथि

"मैं सौ बार मर चुका हूं और अगर मौत दस्तक दे रही है, तो मैं इसे आंखों में देखूंगा।“ये बात मासूमों के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले वकील स्वर्गीय बहादुर शाहिद आजमी ने कही थी।साल 2010 में उनके चैंबर में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।लगभग सात वर्षों के अपने प्रैक्टिस में, आज़मी ने कई केस लड़े और उन लोगों का प्रतिनिधित्व किया जिनके बारे में उनका मानना था कि मुंबई में कई हाई-प्रोफाइल "आतंकवादी मामलों" में गलत तरीके से अभियुक्त थे।लगभग सात सालों की अपनी छोटी सी अवधि में, हमारी क्रीमिनल ट्रायल...

संभावित जजों की सिफारिश के लिए कोलेजियम प्रोसेस में सरकार शामिल होने की कोश‌िश कर रही है, यह न्यायिक प्रधानता को कमजोर कर सकती है
संभावित जजों की सिफारिश के लिए कोलेजियम प्रोसेस में सरकार शामिल होने की कोश‌िश कर रही है, यह न्यायिक प्रधानता को कमजोर कर सकती है

वी वेंकटेशनमीडिया की कई रपटों के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए संभावित नामों को सूचीबद्ध करने के लिए एक सच कमेटी गठित की जाए और कमेटी में एक केंद्र सरकार की ओर से नामित एक व्यक्ति को भी शामिल किया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि कॉलेजियम द्वारा संभावित अनुशंसाओं का चयन करने के लिए "सर्च कमेटी" या "मूल्यांकन समिति" का विचार- जिसमें सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल है -कुछ ऐसा है,...

लोक सेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहन के क्रम में किसी रिकॉर्ड में की प्रविष्ठि की ग्राहता के विषय में जानिए
लोक सेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहन के क्रम में किसी रिकॉर्ड में की प्रविष्ठि की ग्राहता के विषय में जानिए

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 35, किसी लोक सेवक या विधि द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा पब्लिक रिकॉर्ड, अन्य रिकॉर्ड या रजिस्टर के अंतर्गत की जाने वाली प्रविष्टि के साक्ष्य की सुसंगता के सिद्धांत पर आधारित है। जो कि अधिकारी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में की गई है और वे प्रविष्टियां उनकी सत्यता का प्रथम दृष्टाया साक्ष्य होती हैं। यह उपबंध लॉ कमिशन की 69वीं रिपोर्ट के अध्याय 14 में संदर्भित किया गया था तथा उसी की सिफारिशों के आधार पर इसे अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है। जो कि इस...

पूर्व सीजेआई यूयू ललित के कुछ अनसुने किस्से, जस्टिस ललित ने कहा- सबको बोलने की आजादी है
पूर्व सीजेआई यूयू ललित के कुछ अनसुने किस्से, जस्टिस ललित ने कहा- सबको बोलने की आजादी है

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) उदय उमेश ललित द्वारा अपने 74 दिनों के संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान पीछे छोड़ी गई एक अमूल्य विरासत ने सुप्रीम कोर्ट में अधिकतम उत्पादकता का एक अनुकरणीय मानदंड स्थापित किया है, जिसके प्रदर्शन का पैमाना भविष्य में हासिल करना कठिन साबित हो सकता है। एक व्यक्तिगत राय में, वह भारत के उन मुख्य न्यायाधीशों में से एक हैं जिन्होंने कानूनी क्षेत्र में 39 वर्षों के बाद एक सीधी रीढ़, शालीनता और ईमानदारी के साथ अपने कार्यकाल को समाप्त किया।सोशल मीडिया पर अफवाहों के साथ एक...

प्रभावशाली सुधारों का संक्षिप्त कार्यकाल : सीजेआई यूयू ललित की सकारात्मक विरासत
प्रभावशाली सुधारों का संक्षिप्त कार्यकाल : सीजेआई यूयू ललित की सकारात्मक विरासत

जस्टिस उदय उमेश ललित ने जब 27 अगस्त को 49वें चीफ जस्टिस के रूप में पदभार संभाला तो कई लोगों ने सोचा कि यह खामोशी भरा कार्यकाल होगा।74 दिनों के संक्षिप्त कार्यकाल में आखिर कितना कुछ हो सकता है? हालांकि ऐसी सभी अटकलों को गलत साबित करते हुए सीजेआई ललित का कार्यकाल महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित घटनाओं के साथ चिन्हित किया गया, जो तेज गति से सामने आईं।उदाहरण के लिए, क्या किसी ने दूर-दूर तक भी सोचा था कि 2016 के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका उन्हीं के कार्यकाल में सुनी जाएगी? या कि आर्थिक रूप से...

जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़
भारतीय न्यायपालिका के लिए क्यों हैं जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ सबसे जरूरी

जैसा कि हम सभी इस तथ्य से अवगत हैं कि जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को भारत के अगले और 50वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। इसमें कोई शक नहीं कि जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ एक महान कानूनी विद्वान हैं जो अपने कानून और अपने न्यायालय को पूरी तरह से जानते हैं।सुप्रीम कोर्ट में पिछले 6 वर्षों में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने इतने सारे ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं जो जनता पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं और उन्हें कई लोगों की नज़र में एक नायक के साथ-साथ कई लोगों की नज़र में उम्मीद की किरण भी बनाते हैं।इसमें कोई संदेह...

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
बहुसंख्यक शासन के दौर में उदारवादी चीफ ज‌स्टिस: सीजेआई के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की चुनौतियां

मनोनीत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने "परिवर्तनकारी संविधान" की दृष्टि के प्रबल समर्थक रहे हैं। "परिवर्तनकारी संविधान" एक ऐसे संविधान की परिकल्पना है, जो "जाति और पितृसत्ता पर आधारित समाज में उग्र परिवर्तन" का प्रयास करता है।नवतेज जौहर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (जिसके तहत सहमतिपूर्ण वयस्क समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था) में उन्होंने भारतीय संविधान को "एक महान सामाजिक दस्तावेज" बताया था। उन्होंने इसे एक मध्ययुगीन, पदानुक्रमित समाज को एक आधुनिक, समतावादी लोकतंत्र...