हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश भर के विभिन्न हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह। आइए जानते हैं 5 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
अर्णब गोस्वामी द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले पर तथाकथित भ्रामक रिपोर्टिंग का दावा करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट सहमत
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी और उनका चैनल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर "विकृत और भ्रामक तथ्य" रिपोर्ट कर रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप अभिनेता रिया चक्रवर्ती के निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन हुआ। याचिका में केंद्र को आपराधिक जांच से संबंधित सभी समाचारों की रिपोर्टिंग या प्रसारण को नियंत्रित करने के लिए नियमों, विनियमों तय करने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है।
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गुजरात हाईकोर्ट ने नौकरी कर रही महिला को AIBE परीक्षा में बैठने की अनुमति दी; बार काउंसिल वर्तमान रोजगार से इस्तीफा देने पर जोर नहीं देगी
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसके तहत एक नौकरी कर रही महिला को अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) में उपस्थित होने की अनुमति प्रदान की गई। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने भी बार काउंसिल ऑफ गुजरात को उसका आवेदन (एआईबीई के लिए) स्वीकार करने के लिए कहा और परिषद को निर्देश दिया कि वह रिट आवेदक को उसके मौजूदा रोजगार से इस्तीफा देने के लिए न कहे।
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SC/ST कानून के तहत दी गई जमानत CrPC के तहत रद्द/ वापस हो सकती है, POCSO की प्रक्रिया SC/ST अधिनियम पर प्रबल होगी : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
एक महत्वपूर्ण फैसले में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक अभियुक्त को दी गई जमानत की गुंजाइश पर चर्चा की और आयोजित किया गया, "अत्याचार अधिनियम की धारा 14-ए (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में जमानत रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय CrPC की धारा 439 (2) के तहत आवेदन पर सुनवाई नहीं कर सकता है।" न्यायमूर्ति आनंद पाठक की पीठ ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि किसी पीड़ित को " उपाय" के बिना नहीं छोड़ा जा सकता है, यदि आरोपी को जमानत मिल जाती है, लेकिन वह जांच/ट्रायल में हस्तक्षेप करता है और पीड़ित या गवाहों को डराता है।
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महामारी के दौर में अदालतों को ऐसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेः मद्रास हाईकोर्ट ने जीएसटी के मामले में कहा
मद्रास हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि अदालतों को ऐसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिससे महामारी की अवधि में अर्थव्यवस्था को गति मिले, जीएसटी अधिकारियों द्वारा जब्त माल की अनंतिम रिहाई का आदेश दिया है। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन की पीठ ने टीवीएल राइजिंग इंटरनेशनल कंपनी बनाम आयुक्त, सेंट्रल जीएसटी एंड एक्साइज, मदुरै के मामले में कहा, "... कानून सामान्य और महामारी, दोनों ही अवधि में एक ही जैसी भाषा बोलता हैं। हालांकि, समकालीन अनिवार्यताएं अदालत से मांग करती हैं कि जब भी संभव हो, उस दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करे।"
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यदि समझौते में पक्षकारों ने विशेष स्थान को चुना है, तो क्षेत्रीय अधिकार वाला हाईकोर्ट मध्यस्थता कानून की धारा 11 के तहत सुनवाई करेगा : उड़ीसा हाईकोर्ट
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को भारत के मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 (6) के तहत दायर एक याचिका पर ये कहते हुए विचार करने से इनकार कर दिया कि "न्यायालय के पास याचिका पर सुनवाई करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है।" मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की पीठ याचिकाकर्ता-एम /एस एसजे बिज़ सॉल्यूशंस प्रा. लिमिटेड द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 (6) (संक्षिप्त में "अधिनियम, 1996") के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता और विपरीत पक्ष के बीच विवाद की मध्यस्थता करने के लिए एक स्वतंत्र मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग की गई थी।
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यदि समझौते में पक्षकारों ने विशेष स्थान को चुना है, तो क्षेत्रीय अधिकार वाला हाईकोर्ट मध्यस्थता कानून की धारा 11 के तहत सुनवाई करेगा : उड़ीसा हाईकोर्ट
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को भारत के मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 (6) के तहत दायर एक याचिका पर ये कहते हुए विचार करने से इनकार कर दिया कि "न्यायालय के पास याचिका पर सुनवाई करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है।" मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की पीठ याचिकाकर्ता-एम /एस एसजे बिज़ सॉल्यूशंस प्रा. लिमिटेड द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 (6) (संक्षिप्त में "अधिनियम, 1996") के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता और विपरीत पक्ष के बीच विवाद की मध्यस्थता करने के लिए एक स्वतंत्र मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग की गई थी
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कर्नाटक हाईकोर्ट और अधीनस्थ अदालतों में डबल प्रिंटिंग के साथ A4 साइज के पेपर के इस्तेमाल करने की मांग, पीआईएल दाखिल
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य में कर्नाटक उच्च न्यायालय और उसके सभी अधीनस्थ अदालतों में सभी प्रयोजनों के लिए A4 आकार के कागज के उपयोग और कागज की दोहरी छपाई (कागज़ के दोनों ओर छपाई) के लिए दायर एक जनहित याचिका में न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है । मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने तीन विधि छात्रों- अकृति अग्रवाल, भावना एम और लक्ष्य पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया।
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हाथरस केसः पीड़िता के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की याचिका, उत्तर प्रदेश पुलिस की अवैध हिरासत से रिहा किए जाने की मांग
हाथरस मामले में पीड़िता के परिजनों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कथित अवैध हिरासत के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। अधिवक्ता काशिफ अब्बास रिजवी और जौन अब्बास के माध्यम से अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत ने हिरासत में लिए गए परिवार की ओर से रिट याचिका दायर की है। मामले जस्टिस को प्रीतिंकर दिवाकर और प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, जिस पर उन्होंने फैसला सुरक्षित रखा । आरोप है कि मृतक पीड़िता के करीबी परिजनों यानी पिता, मां, दो भाइयों, भाभी और दादी को उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके घरों में अवैध रूप से बंदी बना लिया है।
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आधिकारिक रिकॉर्ड में एंट्री किए बिना पुलिस ने मां-बेटी को हिरासत में रखाः पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दिया दो लाख रुपए का मुआवजा
Home/मुख्य सुर्खियां/आधिकारिक रिकॉर्ड में... मुख्य सुर्खियां आधिकारिक रिकॉर्ड में एंट्री किए बिना पुलिस ने मां-बेटी को हिरासत में रखाः पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दिया दो लाख रुपए का मुआवजा
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को अवैध हिरासत के मामले में, राज्य सरकार को मां-बेटी को एक-एक लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। जस्टिस राजीव शर्मा और हरिंदर सिंह सिद्धू की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच की राय से सहमति जताई कि मां-बेटी को दो दिन तक थाने में रखना, वह भी बिना रोजनामचा में एंट्री के और बिना जिला/ इल्लाका मजिस्ट्रेट को बताए, अवैध हिरासत के बराबर है।
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(COVID19), लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन सामान्य हो सकता है : त्रिपुरा हाईकोर्ट
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को कहा है कि राज्य के लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि कोरोना वायरस प्रसार में आकस्मिक सुधार हुआ है और अब जीवन सामान्य हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश अकिल कुरैशी और न्यायमूर्ति सुभाषिश तालपात्रा की खंडपीठ ने एक याचिका पर (हाईकोर्ट द्वारा लिए गए स्वत संज्ञान के बाद जनहित याचिका की प्रकृति में) सुनवाई करते हुए त्रिपुरा राज्य में कोरोनावायरस के प्रसार की स्थिति और संबंधित मुद्दों पर विचार किया था।
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई एनआरआई को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बहाली तक आपराधिक जांच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बहाली तक एक ऑस्ट्रेलियाई एनआरआई को भारत में उसके खिलाफ लंबित एक आपराधिक जांच में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी। न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर की एकल पीठ ने कहा कि निचली अदालत द्वारा जारी समन के अनुपालन में याचिकाकर्ता- शेर प्रताप सिंह के खिलाफ 31 जनवरी, 2020 तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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"वन आवरण कम हुआ, अतिक्रमण बढ़े": J&K हाईकोर्ट ने वन विभाग को कदम उठाने को कहा
जम्मू-कश्मीर घाटी में वन आवरण कम होने पर चिंता व्यक्त करते हुए, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की एकल पीठ ने कहा कि स्थिति को मापने के लिए यूटी प्रशासन द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि घाटी में वन विभाग के कामकाज का तरीका बहुत सराहनीय नहीं है क्योंकि वे अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए वन क्षेत्रों की निगरानी नहीं कर रहे हैं। "यह न्यायालय देखने के लिए विवश है कि जिस तरह से वन विभाग काम कर रहा है, उसकी सराहना नहीं की जा सकती है। इसका केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में बहुत बड़ा क्षेत्र है, लेकिन दुर्भाग्य से, वहां सही तरीके से निगरानी नहीं की जा रही है। न्यायमूर्ति बिंदल ने टिप्पणी की, "जंगल का कवर कम हो रहा है क्योंकि अतिक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। अवैध वन कटान भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। हमारे हरित आवरण की देखभाल के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।"
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अभिनेत्री पायल घोष अभिनेत्री ऋचा चड्ढा से माफी मांगने और उनके खिलाफ की गई टिप्पणी वापस लेने के लिए तैयार: पायल घोष के वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया
अभिनेत्री पायल घोष के वकील ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह अभिनेत्री ऋचा चड्ढा के खिलाफ अपने बयानों के लिए माफी मांगने और उसे वापस लेने के लिए तैयार हैं। घोष की ओर से एडवोकेट नितिन सतपुते ने जस्टिस ए के मेनन के समक्ष सिविल एक्ट के मानहानि के मुकदमे में चड्ढा द्वारा घोष के विरूद्ध 1.1 करोड़ रूपए हर्जाने की मांग की है। पीठ ने कमाल आर खान के वकील से भी पूछा, जो मुकदमे में सह-प्रतिवादी हैं, अगर उनके मुवक्किल भी टिप्पणी वापस लेने के लिए तैयार थे।
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'किसी अंडरट्रायल को अभियोजन की दया के भरोसे, असीमित अवधि के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता' : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश के मामले में विदिशा एसपी को लगाई फटकार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार (1 अक्टूबर) को कहा कि अभियोजन की दया के भरोसे एक अंडर ट्रायल को असीमित अवधि के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है। न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की खंडपीठ ने विदिशा के पुलिस अधीक्षक को भी फटकार लगाई है क्योंकि उन्होंने ट्रायल कोर्ट के आदेश पत्रों की सत्यता को चुनौती देने की कोशिश के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए देशव्यापी लाॅकडाउन को भी चुनौती देने की कोशिश की थी। वहीं न्यायालय के अधिकार को कमजोर करने का भी प्रयास किया था।
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कोर्ट की अवमानना का मामला-गुजरात हाईकोर्ट ने वकील यतिन ओझा पर 2000 रुपये जुर्माना लगाया, कोर्ट की कार्यवाही खत्म होने तक खड़े रहने की सजा दी
गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार आपराधिक अवमानना के मामले में वकील यतिन ओझा पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया और कोर्ट की कार्यवाही खत्म होने तक खड़े रहने की सजा दी(punishment till rising of the Court)। ओझा के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। ओझा ने फेसबुक पर एक लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हाईकोर्ट और उसकी रजिस्ट्री के खिलाफ ''अपमानजनक टिप्पणी'' की थी। जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एनवी अंजारिया की डिवीजन बेंच ने उन्हें कल यानी मंगलवार को अवमानना का दोषी ठहराया था और आज मामले में सजा का आदेश पारित किया गया है। न्यायालय ने यह भी कहा है कि सजा का अनुपालन न करने पर ओझा को दो महीने कारावास में रहना होगा।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका में नोटिस जारी किया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विशेष विवाह अधिनियम के उन प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका में नोटिस जारी किया है जिसमें अंतर-विश्वास जोड़ों को अपनी शादी के पंजीकरण से 30 दिन पहले विवाह अधिकारी को नोटिस भेजना जरूरी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रफेसर प्रतीक जालान की डिविजन बेंच ने यूनियन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। निदा रहमान द्वारा दायर याचिका में विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को चुनौती दी गई है, जिसमें उनकी शादी के पंजीकरण की मांग करने वाले अंतर-विश्वास (Inter Faith) जोड़ों को सार्वजनिक आपत्तियां मंगाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को निर्धारित किया गया है।
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अधिकारी अभ्यस्त हो रहे हैं और पहली बार में कोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं, ये खेदजनक स्थिति है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्राधिकारियों/अधिकारियों द्वारा पहली बार में कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर नाराज़गी व्यक्त की। न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला की पीठ ने आगे कहा कि अधिकारियों के इस दृष्टिकोण के कारण, पीड़ित पक्ष को अवमानना आवेदन दाखिल करने के लिए मजबूर किया जाता है और अवमानना आवेदन में न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए समय देने के आदेश पारित किए जाने के बाद भी इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
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एम्बुलेंस सेवा को तत्काल बहाल करने की आवश्यकता: हड़ताल के खिलाफ याचिका पर पटना हाइकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा
पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एम्बुलेंस सेवाएं देने वाले कर्मचारियों द्वारा कथित हड़ताल के खिलाफ एक जनहित याचिका में राज्य सरकार से जवाब मांगा। राज्य में "आवश्यक सेवाओं" को रोकने पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ ने कहा, "हम केवल आशा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आवश्यक सेवा यानी जरूरतमंदों को एम्बुलेंस सेवा को तुरंत बहाल कर दिया जाए। यह सेवा प्रदाताओं द्वारा या राज्य सरकार के प्रयास और प्रयास से स्वेच्छा से हो।"
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वर्चुअल अदालती कार्यवाही में धूम्रपान करते पाए गए वकील की माफी गुजरात हाईकोर्ट ने स्वीकार की, कहा- उन्हें पेशे में अभी लंबा रास्ता तय करना है"
वर्चुअल अदालती कार्यवाही में धूम्रपान करते पाए गए वकील की माफी गुजरात हाईकोर्ट ने स्वीकार की, कहा- उन्हें पेशे में अभी लंबा रास्ता तय करना है"
गुजरात हाईकोर्ट के एक वकील ने, जिसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रही अदालती कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करते पाए जाने के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने 10,000 रुपए जमा करने का निर्देश दिया था, अदालत के सामने बिना शर्त माफी मांगी है और रुपए जमा कर दिए हैं। सोमवार (05 अक्टूबर) को जस्टिस एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि अधिवक्ता की माफी को बिना किया कठोर भावना या दुर्भावना के साथ स्वीकार किया जा रहा है। बेंच ने टिप्पणी की थी, "मैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के प्रति सावधान रहने की सलाह देता हूं क्योंकि उन्हें पेशे में अभी लंबा रास्ता तय करना है।"
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छात्रों के मूल प्रमाण पत्र अपने पास रखकर, कालेज ब्लैकमेलिंग पर आ गए हैं', : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दी छात्रों को राहत
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को निजी शैक्षणिक संस्थानों के उस मामले में कड़ा रुख अपनाया है,जिसमें कालेजों ने अपने छात्रों के मूल प्रमाण पत्रों और अन्य दस्तावेजों को अपने पास रख लिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र किसी अन्य कॉलेज में दाखिला न ले पाएं या इस मामले के लिए कालेज न छोड़ पाएं। अपने मूल दस्तावेजों और प्रमाण पत्रों को वापस पाने में विफल रहने के बाद, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ताओं ने निम्नलिखित राहत पाने के लिए तत्काल याचिका दायर की है-
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट का नाम बदलने की याचिका खारिज की
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद का नाम प्रयागराज हाईकोर्ट या उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बदलने की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी की, "इस अदालत को संसद या राज्य विधानमंडल को एक विशेष कानून बनाने का निर्देश देने का अधिकार नहीं है और इसलिए, हम इस याचिका को एक तुच्छ याचिका पाते हैं, जो कुछ प्रचार प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य से दायर की गई है।"
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शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्याययालय ने एक आदेश में यह अवलोकन किया है और अधिकारियों को सभी शस्त्र लाइसेंसों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति तारलोक सिंह चौहान और ज्योत्सना रेवल दुआ की पीठ ने एक व्यक्ति द्वारा उसके दो शस्त्र लाइसेंस रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए उक्त निर्देश दिए। अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदक द्वारा सशस्त्र अधिनियम और नियमों के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करने की स्थिति में कोई शस्त्र लाइसेंस प्रदान या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा।
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अधिकारी आदतन न्यायालय के आदेशों का प्रथम बार में अनुपालन नहीं करते; यह एक खेदजनक स्थिति है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्राधिकारियों/अधिकारियों द्वारा प्रथम बार में कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की। न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला की खंडपीठ ने आगे कहा कि अधिकारियों के इस दृष्टिकोण के कारण, पीड़ित पक्ष को अवमानना आवेदन दाखिल करने के लिए मजबूर किया जाता है और अवमानना आवेदन में पारित न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए और समय देने के बाद भी आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
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गुजरात हाईकोर्ट ने यतिन ओझा को अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को अधिवक्ता यतिन ओझा को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी ठहराया है। जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने यह फैसला ओझा के खिलाफ आपराधिक अवमानना के मामले में सुनाया है। ओझा के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ओझा ने सार्वजनिक तौर पर हाईकोर्ट के अंदर कुप्रशासन फैलने के आरोप लगाए थे।
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होलकर राज्य के पूर्व शासक, महाराजा यशवंत राव होलकर की संपत्ति मध्य प्रदेश राज्य की हैः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
होलकर राज्य के तत्कालीन शासक, महाराजा यशवंत राव होलकर, की संपत्तियों के मौजूदा स्वामित्व के विवाद को हल करते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने यह माना जाता है कि स्वामित्व मध्य प्रदेश राज्य का है। जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने राजस्व अधिकारियों को खासगी (देवी अहिल्या बाई शंकर चैरिटीज) ट्रस्ट, इंदौर की सभी संपत्तियों में मध्य प्रदेश राज्य का नाम डालने से रोक दिया था, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रस्ट की संपत्ति अन्य व्यक्तियों को नहीं बेची जाती है।
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सुशांत सिंह राजपूत की बहनों के खिलाफ एफआईआर में अब कोई हस्तक्षेप नहीं होगाः बॉम्बे हाईकोर्ट
मृतक अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहनों प्रियंका सिंह और मीतू सिंह ने मुंबई पुलिस द्वारा अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर उनके खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उनके खिलाफ एफआईआर स्पष्ट रूप से पटना में उनके पिता द्वारा रिया चक्रवर्ती के खिलाफ दायर एफआईआर का प्रतिवाद था। मंगलवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आया। याचिकाकर्ता बहनों प्रियंका और मीतू सिंह की ओर से एडवोकेट माधव थोराट के साथ एडवोकेट वरुण सिंह उपस्थित हुए।
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प्रयागराज में 'दुर्गा पूजा' आयोजित करने को लेकर याचिका: इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ताओं को डीएम, प्रयागराज के समक्ष अपनी मांग रखने का निर्देश दिया
प्रयागराज में 'दुर्गा पूजा' आयोजित करने को लेकर याचिका: इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ताओं को डीएम, प्रयागराज के समक्ष अपनी मांग रखने का निर्देश दिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार (28 सितंबर) को प्रयागराज शहर में दुर्गा पूजा की अनुमति के लिए दाखिल एक जनहित याचिका में कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की कि, "हम इस विचार के हैं कि दुर्गा पूजा या किसी भी अन्य सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा COVID-19 महामारी से निपटने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन है।"
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[COVID के बीच मोहर्रम] 'जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं; परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा प्रशासन: गुजरात हाईकोर्ट ने रोष प्रकट किया
'जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं; परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने में विफल रहा प्रशासन: गुजरात हाईकोर्ट ने रोष प्रकट किया
"जहां फरिश्ते पांव रखने से डरते हैं, वहां मूर्ख ही दौड़ लगाते हैं।"....यह पंक्ति पहली बार अलेक्जेंडर पोप ने अपनी 1711 की कविता "एन एसे ऑन क्रिटिसिज्म" में लिखी थी। वाक्यांश का आशय यह है कि अनुभवहीन या जल्दबाजी लोग उन चीजों में हाथ डालते हैं, जिन्हें करने से अनुभवी लोग बचते हैं। " हाल ही में, गुजरात हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर पारित एक आदेश का आमुख पूर्वोक्त पंक्तियों के साथ प्रस्तुत किया। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने जानकारी दी थी कि 30.08.2020 को खंभात शहर में लोगों ने मुहर्रम का जुलूस निकाला था, जबकि कई अधिसूचनाएं जारी की गई थीं, जिसमें बड़ी संख्या में इकट्ठा नहीं होने के लिए कहा गया था।
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[पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं] उचित चिकित्सा सुविधा तक पहुँच एक मौलिक अधिकार है; राज्य के लिए उचित सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक: उत्तराखंड HC
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (25 सितंबर) को कहा कि उचित चिकित्सा सुविधा प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों में से एक है। राज्य द्वारा उचित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमथ और न्यायमूर्ति आर. सी. खुल्बे की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमे राज्य और केंद्र द्वारा प्रस्तावित विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के लिए उत्तरदाताओं को निर्देश देने की मांग की गयी थी
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केरल उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केके उषा का निधन
केरल उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केके उषा का सोमवार को निधन हो गया। जस्टिस केके उषा ने वर्ष 1961 में अधिवक्ता के रूप में दाखिला लिया था। उन्हें 1979 में केरल उच्च न्यायालय में सरकारी प्लीडर नियुक्त किया गया था। वह 25 फरवरी 1991 से 3 जुलाई 2001 तक केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीश और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रहीं। वह 2000 से 2001 तक मुख्य न्यायाधीश रहीं। वह बार से हाई कोर्ट न्यायपालिका में शामिल होने और चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला रहीं । उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त होने के बाद 2001 से 2004 तक वह दिल्ली स्थित सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण की अध्यक्ष थीं।
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[करेंसी नोटों का कूटकरण] 'यह अपराध देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकता है', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज की
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को एक समीर खान द्वारा दायर अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। यह याचिका, 2020 के केस क्राइम नंबर 638 के संबंध में, 489-ए (करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण), 489 -बी (कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना), 489-सी (कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना), 489-डी (करेंसी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना) IPC के तहत अपराधों के सम्बन्ध में दायर की गयी थी।
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दिल्ली कोर्ट ने जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद को जेल में सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया
दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पटियाला हाउस कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट देव सरो ने जेल अधिकारियों को भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने और उचित सावधानी बरतने का निर्देश दिया की उन्हें कोई नुकसान न हो, जबकि जेल के भीतर सुरक्षा की मांग करते हुए उनके द्वारा दायर आवेदन पर कार्रवाई की गई
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डिटेंशन को चुनौती देने वाली हैबियस कार्पस याचिका में अंतरिम जमानत केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जा सकती है : मद्रास हाई