प्रयागराज में 'दुर्गा पूजा' आयोजित करने को लेकर याचिका: इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ताओं को डीएम, प्रयागराज के समक्ष अपनी मांग रखने का निर्देश दिया

SPARSH UPADHYAY

6 Oct 2020 11:26 AM GMT

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार (28 सितंबर) को प्रयागराज शहर में दुर्गा पूजा की अनुमति के लिए दाखिल एक जनहित याचिका में कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की कि,

    "हम इस विचार के हैं कि दुर्गा पूजा या किसी भी अन्य सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा COVID-19 महामारी से निपटने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन है।"

    न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

    "याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज के समक्ष अपनी मांग को रख सकते हैं, जो कानून के अनुसार मांग पर विचार करेंगे और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए आवश्यक दिशानिर्देशों को ध्यान में रखेंगे।"

    इस प्रकार, रिट याचिका का निपटान किया गया।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि मई के महीने में, एक याचिकाकर्ता, शाहिद अली सिद्दीकी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था और यह प्रार्थना की थी कि अदालत द्वारा, राज्य सरकार को यह निर्देश दिए जाएँ कि उत्तर प्रदेश में ईद की नमाज हेतु, एक घंटे के लिए (सुबह 9 बजे से 10 बजे तक) तथा 30 जून, 2020 तक जुमे की नमाज के लिए मस्जिद/ईदगाह को खोला जाए।

    हालांकि, मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने राज्य सरकार को ऐसा कोई भी निर्देश जारी करने से इनकार करते हुए कहा था कि,

    "याचिका को देखने से ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता द्वारा इस अदालत के पास आने से पहले, अपनी शिकायत के निवारण के लिए राज्य से कोई मांग की गयी थी।"

    इसके अलावा, जुलाई के महीने में, गुजरात उच्च न्यायालय ने प्रस्तावित भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि, "धर्म पर स्वास्थ्य का चुनाव करना अनिवार्य है"।

    धार्मिक अभिव्यक्ति पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा था कि यह किसी भी कल्याणकारी राज्य का कर्तव्य है कि वह व्यक्तियों के जीवन की रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करे।

    हाल ही में, 30 अगस्त 2020 को खंभात में निकाले गए मोहर्रम के जुलूस की तस्वीरों को देखने के बाद, गुजरात हाईकोर्ट ने कहा,

    "हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर क्यों ऐसा कर रहे हैं। जुलूस में शामिल लोगों ने न केवल अपनी जान जोख‌िम में डाली, बल्कि अपने परिजनों की भी डाली है, जो कि अपने घरों में हो सकते हैं।"

    मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने आगे कहा,

    "खंभात निवासियों के इस अव‌िवेकपूर्ण कार्य का भयावह परिणाम यह रहा है कि आनंद जिले में 900 से अधिक COVID​​-19 पॉजीटिव मामलों सामने आए, जिसमें से 400 मामले खंभात शहर में सामने आए हैं।"

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