शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

7 Oct 2020 5:38 AM GMT

  • शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    Himachal Pradesh High Court

    शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्याययालय ने एक आदेश में यह अवलोकन किया है और अधिकारियों को सभी शस्त्र लाइसेंसों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

    न्यायमूर्ति तारलोक सिंह चौहान और ज्योत्सना रेवल दुआ की पीठ ने एक व्यक्ति द्वारा उसके दो शस्त्र लाइसेंस रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए उक्त निर्देश दिए। अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदक द्वारा सशस्त्र अधिनियम और नियमों के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करने की स्थिति में कोई शस्त्र लाइसेंस प्रदान या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने पिछले शस्त्र लाइसेंस के बारे में खुलासा किए बिना, एक और शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया और प्राप्त किया। पीठ ने कहा कि आवेदन फॉर्म में एक विशिष्ट कॉलम नंबर 10 (ए) को आवेदक, यदि शस्त्र लाइसेंस के लिए दूसरी बार आवेदन किया गया है, को पिछले शस्त्र लाइसेंस के विवरण देने के लिए दिया गया है।

    लाइसेंस रद्द करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए, पीठ ने कहा कि यह मामला लाइसेंस जारी करने के संबंध में जारी किए गए अधिनियम / नियमों/निर्देशों के प्रावधानों के अनुपालन की पुष्टि किए बिना आवेदकों के मांगते ही शस्त्र लाइसेंस जारी करने का संकेत है।

    कोर्ट ने कहा, "आर्म्स एक्ट कानून और व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता के साथ नागरिकों के अधिकारों के बीच समन्वय करता है। आग्नेयास्त्रों को असामाजिक तत्वों के कब्जे में नहीं आना चाहिए। शस्त्र लाइसेंस दिए जाने पर अधिक सतर्कता की आवश्यकता है। शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

    रिट याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, "इसलिए, हम यह निर्देश देते हैं कि यदि आवेदक अधिनियम के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता है या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए किसी भी निर्देश को पूरा नहीं करता है तो मामले में आवेदक को कोई भी शस्त्र लाइसेंस प्रदान या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। हम राज्य में सभी लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी निर्देश देते हैं कि वे उपरोक्त मापदंडों की कसौटी पर दिए गए सभी शस्त्र लाइसेंसों की समीक्षा करें और जहां भी आवश्यक हो, कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करें। यह कार्रवाई आज से चार महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। "

    केस संख्या: CWP No. 1381/2020

    केस टाइटल: चमल लाल शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश

    कोरम: जस्टिस तारलोक सिंह चौहान और ज्योत्सना रेवाल दुआ

    प्रतिनि‌‌धित्व: एडवोकेट देवेंद्र के शर्मा, एजी अशोक शर्मा

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