जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट

Order 39 Rule I & II Of CPC के तहत अंतरिम निर्देश गैर-पक्षकारों के खिलाफ पारित नहीं किए जा सकते: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
Order 39 Rule I & II Of CPC के तहत अंतरिम निर्देश गैर-पक्षकारों के खिलाफ पारित नहीं किए जा सकते: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट दीवानी मुकदमों में प्रक्रियागत कठोरता को मजबूत करते हुए फैसला सुनाया कि सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत अंतरिम निर्देश ऐसे व्यक्ति के खिलाफ पारित नहीं किए जा सकते जो मुकदमे या अपील में पक्षकार नहीं है। जस्टिस संजय धर ने कहा".. किसी ऐसे दावे के संबंध में अंतरिम निषेधाज्ञा देने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है जो किसी विशेष कार्यवाही में अदालत के समक्ष किसी व्यक्ति द्वारा पेश भी नहीं किया गया हो। किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अंतरिम...

एक बार घरेलू हिंसा और CrPC की नई कार्यवाही शुरू हो जाए तो उन्हीं दावों के लिए लोक अदालत का अवार्ड अमल में नहीं लाया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
एक बार घरेलू हिंसा और CrPC की नई कार्यवाही शुरू हो जाए तो उन्हीं दावों के लिए लोक अदालत का अवार्ड अमल में नहीं लाया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी पक्ष ने समझौते के आधार पर लोक अदालत से अवार्ड प्राप्त कर लिया तो वह फिर से उसी विषय पर मुकदमा शुरू कर और साथ ही उस अवार्ड को लागू करने की कोशिश नहीं कर सकता।जस्टिस संजय धर ने कहा,“एक बार जब घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) और धारा 125 CrPC के तहत नई कार्यवाहियां शुरू कर दी जाती हैं और उसमें अंतरिम भरण-पोषण स्वीकृत हो जाता है तो पहले वाला अवार्ड उन्हीं दावों के लिए अमल योग्य नहीं रहता। उपाय या तो अवार्ड को लागू कराना है या पहले की...

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने मनोचिकित्सा क्लिनिक को डी-सीलिंग करने का आदेश दिया, नोटिस न देने के लिए अधिकारियों को लगाई फटकार
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने मनोचिकित्सा क्लिनिक को डी-सीलिंग करने का आदेश दिया, नोटिस न देने के लिए अधिकारियों को लगाई फटकार

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू के आर.एस. पुरा क्षेत्र में स्थित निजी मनोचिकित्सा क्लिनिक को अनाधिकृत रूप से और बिना पूर्व सूचना सील किए जाने पर आपत्ति जताते हुए उसका सील खोलने (डी-सीलिंग) का आदेश दिया है।यह क्लिनिक जय हिंद साइकेट्री क्लिनिक के नाम से बग्गा मढ़, आर.एस. पुरा में संचालित हो रहा था। इसे उप-मंडल मजिस्ट्रेट (SDM) द्वारा मुख्य मेडिकल अधिकारी (CMO) जम्मू की सिफारिश पर सील कर दिया गया था।याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दलील दी कि क्लिनिक को सील करने की कार्रवाई बिना किसी शोकॉज नोटिस,...

मूल भूमि अधिग्रहण फैसले में छोड़े गए पेड़ों, इमारतों के मुआवजे के लिए पूरक अवार्ड पर कोई रोक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
मूल भूमि अधिग्रहण फैसले में छोड़े गए पेड़ों, इमारतों के मुआवजे के लिए पूरक अवार्ड पर कोई रोक नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना है कि मूल भूमि अधिग्रहण पुरस्कार में छोड़े गए पेड़ों, सुपर-संरचनाओं और मशीनरी से संबंधित मुआवजे के लिए पूरक पुरस्कार जारी करने में राज्य को कोई बाधा नहीं है, और अधिकारियों को राजमार्ग चौड़ीकरण के कारण ईंट भट्ठे को हुए नुकसान का आकलन करने का निर्देश दिया है।जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित लोगों के अधिकारों को रेखांकित करते हुए एक ईंट भट्ठा संचालक अमानुल्ला खान के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसकी इकाई बटोटे-डोडा राष्ट्रीय...

तथ्यों का निष्कर्ष अनुमान नहीं, साक्ष्य अधिनियम दीवानी मामलों को भी उतना ही नियंत्रित करता है, जितना कि आपराधिक मामलों को: जेएंडके हाईकोर्ट
तथ्यों का निष्कर्ष अनुमान नहीं, साक्ष्य अधिनियम दीवानी मामलों को भी उतना ही नियंत्रित करता है, जितना कि आपराधिक मामलों को: जेएंडके हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया और साक्ष्य संबंधी कठोरता की पवित्रता को रेखांकित करते हुए ट्रायल और अपीलीय न्यायालयों द्वारा पारित परस्पर विरोधी निर्णयों को खारिज कर दिया है, और कहा है कि "तथ्यों का पता लगाना ऐसी चीज है जिस पर सिविल न्यायालय या उस मामले में सिविल प्रथम अपीलीय न्यायालय द्वारा अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।" जस्टिस राहुल भारती ने द्वितीय अपील पर निर्णय देते हुए कहा कि साक्ष्य अधिनियम सिविल न्यायनिर्णयन को उसी प्रकार नियंत्रित करता है, जिस प्रकार आपराधिक...

J&K हाईकोर्ट ने गोवंश वध आरोपी की प्रिवेंटिव डिटेंशन बरकरार रखा, आरोपी के कृत्य से सांप्रदायिक तनाव फैला था
J&K हाईकोर्ट ने गोवंश वध आरोपी की प्रिवेंटिव डिटेंशन बरकरार रखा, आरोपी के कृत्य से सांप्रदायिक तनाव फैला था

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने जम्मू और कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत शेर मोहम्मद नामक व्यक्ति की निवारक हिरासत को बरकरार रखा है उसकी पत्नी, फैमिदा बेगम ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आपूर्ति न किए जाने तथा अधिकारियों द्वारा विवेक का प्रयोग न किए जाने के आधार पर हिरासत आदेश को चुनौती दी थी। हालांकि, जस्टिस संजय धर ने याचिका को खारिज कर दिया, क्योंकि उठाए गए किसी भी तर्क में कोई दम नहीं पाया गया।याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस संजय धर ने कहा,“उक्त एफआईआर में लगाए गए आरोपों के...

Police Act | एसपी की अनुमति या दो महीने के नोटिस के बिना पुलिसकर्मी  इस्तीफा नहीं दे सकते: J&K हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका खारिज की
Police Act | एसपी की अनुमति या दो महीने के नोटिस के बिना पुलिसकर्मी इस्तीफा नहीं दे सकते: J&K हाईकोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका खारिज की

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक कांस्टेबल के इस्तीफे को उसी दिन स्वीकार करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, "पुलिस अधिकारी को पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बिना इस्तीफा देने की अनुमति नहीं है, जब तक कि उसने इस्तीफा देने के अपने इरादे के बारे में कम से कम दो महीने पहले सूचना न दी हो।" जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की खंडपीठ ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व कांस्टेबल बिलाल अहमद याटू की ओर से दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की।...

अप्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों पर चर्चा न करना रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि नहीं है: J&K हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की
अप्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों पर चर्चा न करना रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि नहीं है: J&K हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट की श्रीनगर स्थ‌ित पीठ ने हाल ही में कानूनी मानक को दोहराते हुए कहा कि अदालतें विवाद से अप्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए बाध्य नहीं हैं और शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC) के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की ओर से दायर एक पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। ज‌स्टिस संजीव कुमार और जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि विवाद से कोई संबंध न रखने वाले...

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद के रिश्तेदारों के खिलाफ़ आपराधिक कार्यवाही पर लगाई रोक
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद के रिश्तेदारों के खिलाफ़ आपराधिक कार्यवाही पर लगाई रोक

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद के दो रिश्तेदारों के खिलाफ़ जम्मू की निचली अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी।जस्टिस राजेश सेखरी की पीठ ने आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ता और हाइबर हाईटेक इनोवेटिव इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक द्वारा दायर की गई शिकायत से उत्पन्न कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।पूर्व मुख्यमंत्री से संबंधित मुबाशर अली और यावर अहमद के खिलाफ़ आपराधिक शिकायत दर्ज की...

जब पार्टी अंग्रेजी और उर्दू समझ सकती है, तो क्षेत्रीय भाषा में अधिग्रहण नोटिस प्रकाशित नहीं होने पर कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जब पार्टी अंग्रेजी और उर्दू समझ सकती है, तो क्षेत्रीय भाषा में अधिग्रहण नोटिस प्रकाशित नहीं होने पर कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि अधिनियम की धारा 4 के अनुसार क्षेत्रीय भाषा में अधिग्रहण अधिसूचना प्रकाशित करने में केवल विफलता पूरी कार्यवाही को समाप्त नहीं करती है यदि प्रभावित पक्ष को आधिकारिक प्रतिवादी द्वारा जारी प्रारंभिक अधिसूचना का नोटिस है और उक्त अधिसूचना पर आपत्ति भी दर्ज की गई है।अपीलकर्ता ने अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी थी कि नोटिस को दो दैनिक समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करने की आवश्यकता थी, जिनमें से कम से कम, एक क्षेत्रीय भाषा में होना चाहिए और आगे आधिकारिक राजपत्र में भी...

रिक्ति की तारीख से पदोन्नति का अधिकार नहीं, जब तक नियम पिछली तारीख से प्रभाव की अनुमति न दें: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
रिक्ति की तारीख से पदोन्नति का अधिकार नहीं, जब तक नियम पिछली तारीख से प्रभाव की अनुमति न दें: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने माना है कि एक कर्मचारी को पदोन्नति के लिए विचार करने का अधिकार है, जब नियोक्ता पदोन्नति पदों को भरने के लिए मामला उठाता है। अदालत ने फैसला सुनाया कि केवल इसलिए कि एक पदोन्नति पद मौजूद है, अपनी रिक्ति की तारीख से पदोन्नति का दावा करने का अधिकार प्रदान नहीं करता है।जस्टिस संजय धर ने पिछली तारीख से पदोन्नति की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा, "एक कर्मचारी पिछली तारीख से वरिष्ठता या पदोन्नति का दावा नहीं कर सकता है जब तक कि क्षेत्र को नियंत्रित...

J&K हाईकोर्ट ने एडवोकेट मुहम्मद अशरफ भट के खिलाफ PSA कस्टडी खारिज की, कहा- प्रिवेंटिव डिटेंशन दोधारी तलवार
J&K हाईकोर्ट ने एडवोकेट मुहम्मद अशरफ भट के खिलाफ PSA कस्टडी खारिज की, कहा- प्रिवेंटिव डिटेंशन दोधारी तलवार

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एडवोकेट मुहम्मद अशरफ भट की सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंदी को रद्द कर दिया है। वह पहले कश्मीर बार एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यरत थे। जस्टिस राहुल भारती की पीठ ने निवारक निरोध कानूनों की गंभीर प्रकृति की ओर इशारा करते हुए नजरबंदी आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, यह एक दोधारी तलवार है जो इसे लागू करने वालों और इसका इस्तेमाल करने वालों दोनों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।अदालत ने विशेष रूप से एक गंभीर प्रक्रियात्मक चूक की ओर इशारा किया...

विकलांग आश्रितों के लिए फैमिली पेंशन रूल्स की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए: J&K हाईकोर्ट
विकलांग आश्रितों के लिए फैमिली पेंशन रूल्स की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए: J&K हाईकोर्ट

जम्‍मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए एक फैसले में सामाजिक कल्याण और पेंशन नियमों की समावेशी व्याख्या की। कोर्ट ने फैसले में कहा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए पारिवारिक पेंशन को नियंत्रित करने वाले प्रावधानों की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक दावेदारों को बाहर न रखा जाए।जस्टिस संजय धर ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक गंभीर रूप से विकलांग महिला को पारिवारिक पेंशन जारी करने का निर्देश देते हुए कहा, "विकलांग व्यक्ति को पारिवारिक पेंशन...

अवैध कब्जाधारियों से भूमि का कब्ज़ा वापस मिलने के बाद आपराधिक अतिचार का अपराध समाप्त नहीं होता: जेएंडके हाईकोर्ट
अवैध कब्जाधारियों से भूमि का कब्ज़ा वापस मिलने के बाद आपराधिक अतिचार का अपराध समाप्त नहीं होता: जेएंडके हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि आपराधिक अतिक्रमण का अपराध केवल इसलिए समाप्त नहीं हो जाता है क्योंकि राज्य की भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले से बाद में कब्जा वापस ले लिया जाता है। जस्टिस संजय धर ने एक याचिका को खारिज करते हुए कहा, "जिस क्षण कोई व्यक्ति राज्य की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करता है, ताकि ऐसी संपत्ति पर कब्जा करने वाले किसी व्यक्ति का अपमान या उसे परेशान किया जा सके या कोई अपराध करने के इरादे से, धारा 447-ए आरपीसी के तहत अपराध पूरा हो जाता है।"न्यायालय रणबीर दंड संहिता...

S.142 NI Act | BNSS की धारा 223 के तहत पूर्व संज्ञान नोटिस आवश्यकताओं का पालन करने से मजिस्ट्रेटों पर कोई रोक नहीं: J&K हाईकोर्ट
S.142 NI Act | BNSS की धारा 223 के तहत पूर्व संज्ञान नोटिस आवश्यकताओं का पालन करने से मजिस्ट्रेटों पर कोई रोक नहीं: J&K हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 142 के प्रावधान मजिस्ट्रेटों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत पूर्व-संज्ञान नोटिस आवश्यकताओं का पालन करने से नहीं रोकते हैं। जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि एनआई एक्ट धारा 138 (चेक अनादर) के तहत शिकायतों के लिए विशिष्ट प्रक्रियाओं को अनिवार्य करता है, लेकिन BNSS के तहत अभियुक्तों को पूर्व-संज्ञान नोटिस जारी करना अनुमेय और...

वकील और मृतक मुवक्किल के बीच अनुबंध का अस्तित्व किस उद्देश्य से है?: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने बताया
वकील और मृतक मुवक्किल के बीच अनुबंध का अस्तित्व किस उद्देश्य से है?: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने बताया

एक महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक सुरक्षा को सुदृढ़ करते हुए श्रीनगर स्थित जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि आदेश XXII नियम 10A CPC एक कानूनी कल्पना प्रस्तुत करता है, जिसमें अधिवक्ता और मृतक पक्ष के बीच अनुबंध को अस्तित्व में माना गया, लेकिन केवल इस सीमित और आवश्यक उद्देश्य के लिए कि वकील को उस पक्ष की मृत्यु के बारे में न्यायालय को सूचित करने की आवश्यकता हो, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने बताया कि इस कानूनी निर्माण का उद्देश्य प्रक्रियात्मक घात को रोकना है, यह...

डिमांड नोटिस को पूरे संदर्भ में पढ़ना जरूरी, एक मात्र गलती के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
डिमांड नोटिस को पूरे संदर्भ में पढ़ना जरूरी, एक मात्र गलती के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत वैधानिक जनादेश को मजबूत करते हुए, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के तहत एक वैधानिक नोटिस में एक अकेली टंकण त्रुटि, नोटिस की समग्र सामग्री और इरादे को ओवरराइड नहीं कर सकती है, इस प्रकार 21 लाख रुपये से जुड़े चेक अस्वीकृति कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया है।चेक के अनादरण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस रजनीश ओसवाल ने कहा, "यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि नोटिस को एक...

जम्मू-कश्मीर अनुकंपा नियुक्ति नियम | नियम 3(2) आश्रितों को उच्च पदों पर नियुक्त करने के लिए सरकार को विवेकाधिकार प्रदान करता है: J&K हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर अनुकंपा नियुक्ति नियम | नियम 3(2) आश्रितों को उच्च पदों पर नियुक्त करने के लिए सरकार को विवेकाधिकार प्रदान करता है: J&K हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर (अनुकंपा नियुक्ति) नियम, 1994 के एसआरओ 43 के तहत अनुकंपा नियुक्तियों की वैधानिक संरचना पर प्रकाश डालते हुए, माना कि नियम 3(1) सबसे कम गैर-राजपत्रित पदों पर नियुक्तियों की पेशकश करने के लिए एक सामान्य प्रावधान है, जबकि नियम 3(2) सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) में सरकार को मृतक कर्मचारी के पात्र परिवार के सदस्य को योग्यता और भर्ती नियमों के आधार पर उच्च गैर-राजपत्रित पद पर नियुक्त करने के लिए विशेष विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है। ...

किसी भी चयन प्रक्रिया में प्रक्रियागत त्रुटियों के चलते निचले पद को मजबूरी में स्वीकार करना मूल दावे को नहीं करता समाप्त : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
किसी भी चयन प्रक्रिया में प्रक्रियागत त्रुटियों के चलते निचले पद को मजबूरी में स्वीकार करना मूल दावे को नहीं करता समाप्त : जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा सब-इंस्पेक्टर पद की मांग के बावजूद मजबूरी में कांस्टेबल पद को स्वीकार करना उसके मूल दावे को समाप्त नहीं करता, क्योंकि यह लंबे संघर्ष और दबाव की स्थिति में किया गया।याचिकाकर्ता के पिता आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हो गए थे। उन्होंने सहानुभूति के आधार पर एसआरओ 43 के तहत सब-इंस्पेक्टर पद पर नियुक्ति की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि उनका मामला जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट (GAD) के पास नहीं भेजा गया, जो इस प्रकार के मामलों में निर्णय...

POCSO Act | धारा 34 स्पेशल कोर्ट को अपराधी और पीड़िता दोनों की आयु निर्धारित करने का अधिकार देती है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
POCSO Act | धारा 34 स्पेशल कोर्ट को अपराधी और पीड़िता दोनों की आयु निर्धारित करने का अधिकार देती है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेस एक्ट (POCSO Act) के तहत स्पेशल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट करते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि विशेष न्यायालय न केवल आरोपी की बल्कि पीड़िता की आयु निर्धारित करने का भी अधिकार रखता है।जस्टिस संजय धर ने मामले को नए सिरे से अभियोजन पक्ष की आयु की जांच के लिए ट्रायल कोर्ट को लौटाते हुए टिप्पणी की,"POCSO Act की धारा 34 विशेष न्यायालय को केवल अपराधी की आयु ही नहीं बल्कि पीड़िता की आयु निर्धारित करने का भी अधिकार प्रदान करती है।"यह...