FSL रिपोर्ट गायब, मात्रा के कॉमर्शियल होने पर संदेह: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने NDPS मामले में दी जमानत

Shahadat

16 Jun 2025 6:57 PM IST

  • FSL रिपोर्ट गायब, मात्रा के कॉमर्शियल होने पर संदेह: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने NDPS मामले में दी जमानत

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत आरोपी को जमानत दी, जिसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष जांच में अंतराल और महत्वपूर्ण FSL रिपोर्ट की अनुपस्थिति के कारण कॉमर्शियल मात्रा में प्रतिबंधित दवाओं के कब्जे को प्रथम दृष्टया साबित करने में विफल रहा।

    जस्टिस संजय धर की पीठ ने जमानत याचिका को यह देखते हुए स्वीकार कर लिया कि आरोपी से जब्त कथित कोडीन सिरप की 11 बोतलों में से केवल 3 को ही रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजा गया था, जिससे इस बात पर गंभीर संदेह पैदा होता है कि क्या शेष बोतलों में कोई प्रतिबंधित पदार्थ था।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार छापेमारी कथित तौर पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की देखरेख में की गई थी। हालांकि, बाद में मजिस्ट्रेट ने गवाही दी कि वह छापेमारी का हिस्सा नहीं थे और उन्होंने केवल पुलिस द्वारा प्रस्तुत सैंपल को सील किया था, एक तथ्य जिसके बारे में अदालत ने कहा कि "प्रथम दृष्टया अभियोजन पक्ष की कहानी पर सेंध लगाता है।"

    अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि "जमानत के चरण में साक्ष्य की सावधानीपूर्वक जांच अस्वीकार्य है," लेकिन साक्ष्य की सरसरी समीक्षा ने यह मानने के लिए उचित आधार सुझाए कि याचिकाकर्ता मादक पदार्थों की कॉमर्शियल मात्रा रखने का दोषी नहीं हो सकता है।

    अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष रिकॉर्ड पर कोई भी ऐसा साक्ष्य पेश करने में विफल रहा, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता का मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों का पिछला इतिहास रहा है या जमानत दिए जाने पर वह अपराध को फिर से दोहरा सकता है।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता दो साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है और केवल दो अभियोजन गवाहों यानी एक FSL एक्सपर्ट और जांच अधिकारी से पूछताछ की जानी बाकी है। अदालत ने कहा कि ऐसे आधिकारिक गवाहों के साथ छेड़छाड़ की संभावना नहीं है।

    इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ता को दो जमानतदारों के साथ ₹50,000 के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया।

    Case-Title: TOUSEEF AHMAD KHAN Vs UT OF J&K & another, 2025

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