गुजरात हाईकोर्ट

स्टाम्प अधिकारी अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक ही बिक्री मूल्य पर दो बार शुल्क नहीं लगा सकते: गुजरात हाईकोर्ट
स्टाम्प अधिकारी अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक ही बिक्री मूल्य पर दो बार शुल्क नहीं लगा सकते: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने संपत्ति लेन-देन पर स्टाम्प ड्यूटी लगाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय में फैसला सुनाया है कि स्टाम्प अधिकारी अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक ही बिक्री मूल्य पर दो बार स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगा सकते हैं, जब बिक्री मूल्य का भुगतान बिक्री समझौते के निष्पादन के चरण में किया गया था और स्टाम्प ड्यूटी उक्त दस्तावेज के पंजीकरण के समय पूरी बिक्री मूल्य पर चुकाई गई थी।चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की पीठ द्वारा दिए गए न्यायालय के फैसले ने मामले पर सरकार की...

अपने कर्तव्य के निर्वहन में पूरी तरह विफल: गुजरात हाइकोर्ट ने परिसर में उत्पीड़न मामले में यूनिवर्सिटी के रुख पर चुप्पी साधने के लिए GNLU निदेशक की आलोचना की
अपने कर्तव्य के निर्वहन में पूरी तरह विफल: गुजरात हाइकोर्ट ने परिसर में उत्पीड़न मामले में यूनिवर्सिटी के रुख पर चुप्पी साधने के लिए GNLU निदेशक की आलोचना की

गुजरात हाइकोर्ट ने परिसर में कथित उत्पीड़न और यौन शोषण से संबंधित अदालती कार्यवाही में यूनिवर्सिटी के रुख के बारे में चुप रहने के लिए गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (GNLU) के निदेशक पर नाराजगी व्यक्त की।न्यायालय ने GNLU रजिस्ट्रार की माफी और प्रशासन में सुधार के यूनिवर्सिटी के आश्वासन को स्वीकार करने के बाद 1 मई को स्वतः से दायर जनहित याचिका का निपटारा किया।हालांकि चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार के हलफनामे में मुद्दे को कमतर आंकने के यूनिवर्सिटी के प्रयासों...

लेबर कोर्ट को जांच पूरी करने से पहले नियोक्ता को सुनवाई का अवसर देना चाहिए: गुजरात हाइकोर्ट
लेबर कोर्ट को जांच पूरी करने से पहले नियोक्ता को सुनवाई का अवसर देना चाहिए: गुजरात हाइकोर्ट

गुजरात हाइकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने कहा कि यदि नियोक्ता द्वारा की गई जांच अवैध या प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाली पाई जाती है तो लेबर कोर्ट कानूनी रूप से मामले पर निर्णय लेने से पहले नियोक्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के लिए बाध्य है।खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि एकल न्यायाधीश खंडपीठ और लेबर कोर्ट दोनों ने नियोक्ता को लेबर कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर न देकर अधिकार क्षेत्र में गलती की है।संक्षिप्त तथ्यराजकोट नगर निगम...

नियमितीकरण तिथि से पहले की अवधि को पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभों की गणना में शामिल किया जाना चाहिए: गुजरात हाइकोर्ट
नियमितीकरण तिथि से पहले की अवधि को पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभों की गणना में शामिल किया जाना चाहिए: गुजरात हाइकोर्ट

गुजरात हाइकोर्ट के जस्टिस निखिल एस. करियल की सिंगल बेंच ने माना कि नियमितीकरण की तिथि से पहले की अवधि, जिसमें कामगार ने 240 दिन काम करने की आवश्यकता को पूरा किया, उसको पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की गणना में शामिल किया जाना चाहिए।संक्षिप्त तथ्य17.10.1988 के सरकारी संकल्प के तहत नियमितीकरण से पहले याचिकाकर्ता के पति (मृत कामगार) द्वारा प्रदान की गई सेवा की अवधि को उनकी पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की गणना में शामिल नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता ने हाइकोर्ट में विशेष सिविल...

डिपार्टमेंटल ट्रांसफर के बाद पुन: सौंपे गए विभाग में काम करने से कर्मचारी का स्वैच्छिक इनकार सेवा समाप्ति के समान नहीं: गुजरात हाईकोर्ट
डिपार्टमेंटल ट्रांसफर के बाद पुन: सौंपे गए विभाग में काम करने से कर्मचारी का स्वैच्छिक इनकार सेवा समाप्ति के समान नहीं: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस मौना एम. भट्ट की एकल पीठ ने माना कि डिपार्टमेंटल ट्रांसफर (Departmental Transfer) के बाद किसी कर्मचारी द्वारा पुन: सौंपे गए विभाग में काम करने से इनकार करना प्रबंधन द्वारा 'समाप्ति' नहीं माना जाएगा, यदि ऐसे तबादलों के प्रावधान कर्मचारी के नियुक्ति पत्र में शामिल है।संक्षिप्त तथ्य:याचिकाकर्ता (कर्मचारी) 15 अक्टूबर, 1986 से मेसर्स मीट चेतन्स प्राइवेट लिमिटेड (प्रबंधन) के उत्पादन विभाग में मशीन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था। हालांकि, प्रबंधन के मालिक ने 8 अप्रैल, 2011 को...

ID Act जब गंभीर प्रकृति के आरोप साबित नहीं होते और सजा अनुपातहीन है तो श्रम न्यायालय को धारा 11ए लागू करने का अधिकार: गुजरात हाईकोर्ट
ID Act जब गंभीर प्रकृति के आरोप साबित नहीं होते और सजा अनुपातहीन है तो श्रम न्यायालय को धारा 11ए लागू करने का अधिकार: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस मौना एम. भट्ट की एकल पीठ ने कहा कि जब गंभीर प्रकृति के आरोप साबित नहीं होते और प्रबंधन द्वारा दी गई सजा को अनुपातहीन माना जाता है तो श्रम न्यायालय को सजा में हस्तक्षेप करने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 11ए लागू करने का अधिकार है।औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 11ए कुछ मामलों में नियोक्ता द्वारा किसी कर्मचारी पर लगाई गई सजा को संशोधित करने के लिए श्रम न्यायालय, न्यायाधिकरण या राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के अधिकार से संबंधित है। यह धारा निर्णय लेने वाली...

स्थायित्व प्राप्त करने पर दिहाड़ी मजदूरों के साथ नियमित रूप से नियुक्त श्रमिकों के साथ समान स्तर पर व्यवहार किया जाना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट
स्थायित्व प्राप्त करने पर दिहाड़ी मजदूरों के साथ नियमित रूप से नियुक्त श्रमिकों के साथ समान स्तर पर व्यवहार किया जाना चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस निखिल एस. करियल की सिंगल जज बेंच ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 बी के अनुसार, दैनिक वेतन भोगी कामगार जिन्होंने एक विशिष्ट कार्यकाल पूरा कर लिया है, वे स्थायित्व के हकदार हैं।पीठ ने आगे कहा कि एक बार स्थायी होने के बाद, ये कामगार पेंशन और उच्च वेतनमान जैसे अतिरिक्त लाभों के भी हकदार हैं जो नियमित रूप से नियुक्त श्रमिकों के लिए उपलब्ध हैं। इस प्रकार, पीठ ने वन विभाग को पीड़ित श्रमिकों की सेवाओं का आकलन करने और व्यक्तिगत आवेदन प्राप्त करने पर उन्हें स्थायी...

गुजरात हाइकोर्ट ने बलात्कार मामले को ठीक से न संभालने के लिए GNLU रजिस्ट्रार को माफ़ी मांगने का निर्देश दिया
गुजरात हाइकोर्ट ने बलात्कार मामले को ठीक से न संभालने के लिए GNLU रजिस्ट्रार को माफ़ी मांगने का निर्देश दिया

गुजरात हाइकोर्ट ने गुजरात राष्ट्रीय विधि वयूनिवर्सिटी (GNLU) के रजिस्ट्रार को शुरू में शिकायत दर्ज न करने और बाद में न्यायालय में हलफ़नामा प्रस्तुत करने के लिए माफ़ी मांगने का निर्देश दिया, जिसमें दावा किया गया कि कुछ भी नहीं हुआ था और न्यायालय से बलात्कार के आरोपों पर मामले को बंद करने का आग्रह किया गया था।28 फरवरी को पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी। इसके रजिस्ट्रार ने हमारे सामने हलफ़नामा दायर किया, जिसमें कहा गया था कुछ भी नहीं हुआ और हमें मामले को बंद करने के लिए...

Morbi Tragedy| यह आकष्मिक घटना नहीं, आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खेल किया: गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पुनर्वास योजना के लिए ओरेवा को फटकार लगाई
Morbi Tragedy| 'यह आकष्मिक घटना नहीं, आपने सार्वजनिक संपत्ति के साथ खेल किया': गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पुनर्वास योजना के लिए 'ओरेवा' को फटकार लगाई

कोर्ट के आदेशों का पालन न करने और देरी करने के लिए ओरेवा कंपनी के निदेशक जयसुख पटेल के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी होने के बाद, कंपनी ने माफी जारी की है, जिसे गुजरात हाईकोर्ट ने आज स्वीकार कर लिया है और प्रबंध निदेशक के खिलाफ अवमानना कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।हालांकि, चीफ़ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध मयी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पीड़ितों के पुनर्वास के संबंध में कंपनी के प्रस्तावों की कमी पर असंतोष व्यक्त किया। मोरबी पुल ढहने पर स्वतः सुनवाई के दौरान, चीफ़ जस्टिस...

छंटनी नोटिस और नोटिस के बदले भुगतान की प्रक्रियात्मक आवश्यकताएं आईडी एक्ट की धारा 25एफ और राज्य नियमों के तहत पूरी की जानी चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट
छंटनी नोटिस और नोटिस के बदले भुगतान की प्रक्रियात्मक आवश्यकताएं आईडी एक्ट की धारा 25एफ और राज्य नियमों के तहत पूरी की जानी चाहिए: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट की एक खंडपीठ, जिसमें जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी शामिल थे, उन्होंने अहमदाबाद स्थित मार्बल डीलर त्रिवेदी क्राफ्ट्स के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25एफ और औद्योगिक विवाद (गुजरात) नियम, 1996 के नियम 80बी का अवलोकन किया और कहा कि निर्धारित प्रारूप में नोटिस देकर और नोटिस की एवज में प्रभावित श्रमिकों को एक महीने का वेतन देकर छंटनी की प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं का विधिवत पालन किया गया था।आईडी अधिनियम की धारा 25एफ कामगारों की...

अल्कोहोलिक आयुर्वेदिक दवा? ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्यवाही गुजरात निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई को नहीं रोकती: हाईकोर्ट
अल्कोहोलिक आयुर्वेदिक दवा? ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कार्यवाही गुजरात निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई को नहीं रोकती: हाईकोर्ट

गुजरात हाइकोर्ट ने आयुर्वेदिक दवा के रूप में मादक पदार्थों को बेचकर राज्य के निषेध कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए दवा कंपनी के मालिक के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है यह स्पष्ट करते हुए कि ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत कार्रवाई किसी व्यक्ति को अभियोजन से छूट नहीं देती, यदि गुजरात निषेध अधिनियम, 1949 के तहत मामला बनता है।जस्टिस हसमुख डी. सुथार की पीठ ने बताया कि FSL रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता की फर्म द्वारा बेची गई दवा में अल्कोहल का स्तर 12% से अधिक पाया गया जो निषेध...

शेरों की मौत: गुजरात हाइकोर्ट ने वन और रेलवे विभागों के कामकाज की उच्च स्तरीय जांच करने को कहा
शेरों की मौत: गुजरात हाइकोर्ट ने वन और रेलवे विभागों के कामकाज की उच्च स्तरीय जांच करने को कहा

गुजरात हाइकोर्ट ने अमरेली जिले में रेलवे पटरियों पर तीन एशियाई शेरों की अप्राकृतिक मौतों की रेलवे और वन विभाग द्वारा की गई जांच पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,"हम रेलवे और वन विभाग के कामकाज की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर रहे हैं।"उन्होंने बताया कि अधिकारी पहली दुर्घटना के बाद निवारक उपाय करने में विफल रहे और मार्च में न्यायालय द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद ही वे हरकत में आए। इसके बाद भी जस्टिस अनिरुद्ध पी माई की पीठ ने कहा कि घटना के कारणों की...

गुजरात हाइकोर्ट ने विशिष्ट न्यायालय आदेशों के बावजूद अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने में बार-बार विफल रहने के लिए वकील पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया
गुजरात हाइकोर्ट ने विशिष्ट न्यायालय आदेशों के बावजूद अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने में बार-बार विफल रहने के लिए वकील पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया

गुजरात हाइकोर्ट ने विशिष्ट न्यायालय आदेशों के बावजूद अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने में बार-बार विफल रहने के लिए वकील पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।इसके एडिशनल कोर्ट ने वकील प्रशांत वी. चावड़ा के आचरण को आगे की जांच के लिए गुजरात बार काउंसिल को भेजने का निर्णय लिया। न्यायालय ने टिप्पणी की कि चावड़ा का आचरण कानूनी पेशे के मानकों को पूरा नहीं करता है और बार काउंसिल द्वारा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया। चावड़ा को 30 दिनों के भीतर गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को...

गुजरात हाइकोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि के आरोपों के बीच वक्फ ट्रिब्यूनल के सदस्य की नियुक्ति पर सवाल उठाए, राज्य से जवाब मांगा
गुजरात हाइकोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि के आरोपों के बीच वक्फ ट्रिब्यूनल के सदस्य की नियुक्ति पर सवाल उठाए, राज्य से जवाब मांगा

गुजरात हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में वक्फ ट्रिब्यूनल के तीसरे सदस्य की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान आपराधिक पृष्ठभूमि के आरोपों के बीच अनवर हुसैन शेख की नियुक्ति के बारे में राज्य से स्पष्टीकरण मांगा।चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी माई की खंडपीठ ने राज्य सरकार और शेख को पद से हटाने के लिए उठाए गए तर्कों का जवाब देने का निर्देश दिया।सीजे अग्रवाल ने 19 अप्रैल को जारी आदेश में कहा,“प्रतिवादी नंबर 1 के कार्यालय से सक्षम अधिकारी का हलफनामा...

पशुओं और पक्षियों के लिए हेबियस कॉर्पस का आह्वान नहीं किया जा सकता: गुजरात हाइकोर्ट ने चोरी हुए पशुओं की कस्टडी की मांग करने वाली याचिका में संशोधन करने को कहा
पशुओं और पक्षियों के लिए हेबियस कॉर्पस का आह्वान नहीं किया जा सकता: गुजरात हाइकोर्ट ने चोरी हुए पशुओं की कस्टडी की मांग करने वाली याचिका में संशोधन करने को कहा

गुजरात हाइकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि वह चोरी हुए पशुओं के लिए हेबियस कॉर्पस याचिका जारी नहीं कर सकता। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले वकील को सुझाव दिया कि वह पहले हेबियस कॉर्पस से संबंधित कानून को देखें।जस्टिस ए वाई कोगजे और जस्टिस एस जे दवे की खंडपीठ सूरत की महिला कसमबेन सोमुभाई सिंगाड़े द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जो अपनी अपहृत बेटी और चोरी हुए पशुओं की कस्टडी की मांग कर रही थी।शुरू में पीठ ने 'पक्षियों, गायों, भैंसों आदि' की कस्टडी की मांग करने वाली प्रार्थना पर सवाल...

प्रथम दृष्टया बेतुका: गुजरात हाइकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा असत्यापित तस्वीरों से महिला की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और भरण-पोषण देने से इनकार करने पर कहा
प्रथम दृष्टया बेतुका: गुजरात हाइकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा असत्यापित तस्वीरों से महिला की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और भरण-पोषण देने से इनकार करने पर कहा

गुजरात हाइकोर्ट ने परित्यक्त महिला के भरण-पोषण के आवेदन को धारा 125 सीआरपीसी के तहत खारिज करने के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रथम दृष्टया टिप्पणियां की हैंमहिला की वित्तीय स्थिति और कुछ असत्यापित तस्वीरों से आंकी गई कथित भव्य जीवनशैली के आधार पर यह आदेश दिया गया।मामले की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस जेसी दोशी ने कहा,"फैमिली जज ने पृष्ठ 38, विशेष रूप से पैरा 15.13 से 15.19 में कुछ अजीब निष्कर्ष दर्ज किए, जिसमें परित्यक्त महिला के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण से इनकार...

मोरबी ब्रिज हादसा| गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पुनर्वास की जिम्मेदारी से बचने के लिए ओरेवा समूह को फटकार लगाई, कंपनी के निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया
मोरबी ब्रिज हादसा| गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पुनर्वास की जिम्मेदारी से बचने के लिए ओरेवा समूह को फटकार लगाई, कंपनी के निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी किया

गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास की जिम्मेदारी से बचने पर ओरेवा समूह के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कंपनी के निदेशक जयसुख पटेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें अदालत के आदेशों की अवहेलना करने और देरी करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया।हाल में पुल ढहने के मामले में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के के दरमियान चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने उस समय काफी नाराज हो गई, जब कंपनी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट जल...

बालिग महिला अपना खुद का रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र: लिव-इन पार्टनर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट
बालिग महिला अपना खुद का रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र: लिव-इन पार्टनर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने दोहराया कि वयस्क महिला रिश्ते में अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है। यह टिप्पणी महिला के लिव-इन पार्टनर द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से निपटने के दौरान की गई थी। उक्त याचिका में कथित तौर पर उसके पति द्वारा उसे ले जाने और उसके मायके में कैद कर दिए जाने के बाद उसकी कस्टडी की मांग की गई।अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता ने उस महिला का लिव-इन पार्टनर होने का दावा किया, जिसकी शादी किसी अन्य व्यक्ति से हुई थी, लेकिन वैवाहिक कलह के कारण वह अपने माता-पिता के साथ रह रही थी। बाद...