गुजरात हाईकोर्ट ने सीनियर जर्नालिस्ट महेश लंगा की FIR रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की
Amir Ahmad
17 Feb 2025 7:25 AM

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (17 फरवरी) को पत्रकार महेश लंगा की याचिका खारिज की, जिसमें गांधीनगर पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कथित भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश और चोरी के आरोप में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें उन पर अत्यधिक गोपनीय सरकारी दस्तावेज हासिल करने का आरोप है।
जस्टिस दिव्येश ए जोशी ने आदेश सुनाते हुए कहा आवेदन खारिज किया जाता है।
FIR BNS धारा 316(5), 303(2), 306, 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(ए), 8, 12, 13(1)(ए), 13(2) के तहत दर्ज की गई।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान लंगा की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,
"किसी अन्य FIR के संबंध में उन्होंने (राज्य ने) मेरे घर पर छापा मारा और उन्हें कुछ दस्तावेज मिले। उन दस्तावेजों के आधार पर उनका आरोप है कि ये गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से चुराए गए होंगे और क्योंकि उन्हें किसी और के कहने पर चुराया गया होगा (उस व्यक्ति को हम नहीं जानते, वे उसका नाम नहीं बताते)। फिर वे कहते हैं कि वे दस्तावेज उस व्यक्ति को सौंपे गए होंगे, इसलिए विश्वासघात हुआ है। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। फिर वे कहते हैं कि इसके आधार पर कोई साजिश हुई होगी। तो किसी ऐसे व्यक्ति के लिए साजिश होनी चाहिए, जिसका नाम उन्होंने नहीं बताया। विश्वासघात की साजिश होनी चाहिए। लेकिन किसी ने मुझे दस्तावेज नहीं सौंपे। मैं कोई सरकारी कर्मचारी नहीं हूं।”
यह तर्क देते हुए कि पूरी FIR अनुमान पर आधारित है सिब्बल ने कहा,
“सबसे पहले उन्हें चोरी करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करना चाहिए। फिर उन्हें विश्वासघात करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करना चाहिए। फिर उन्हें प्रथम दृष्टया यह पता लगाना चाहिए कि क्या कोई साजिश थी। माई लॉर्ड्स, यह बेतुका है, मेरा मतलब है मैंने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा मेरे खिलाफ बिल्कुल भी कोई अपराध नहीं है। वे जांच करने से पहले ही मुझे गिरफ्तार कर लेते हैं।”
इस बीच राज्य की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) मितेश अमीन ने तर्क दिया कि लंगा को धोखाधड़ी के अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें पुलिस उनके आवास पर गई और तलाशी के समय गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के गोपनीय और संवेदनशील दस्तावेज पाए और उन्हें जब्त कर लिया था।
अमीन ने कहा कि उसके बाद FIR के जांच अधिकारी ने दस्तावेजों के बारे में जीएमबी को बताया। अमीन ने कहा कि जीएमबी ने एक जांच की, जिसके आधार पर निकाले गए निष्कर्ष वर्तमान FIR में परिलक्षित होते हैं, क्योंकि पहला इंफॉर्मेंट बोर्ड का अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है और लंगा को हिरासत में लिया गया।
कुछ अन्य मामलों में पहले से ही हिरासत में है। जीएमबी द्वारा की गई जांच में “प्रथम दृष्टया” लांगा को दोषी पाया गया।
केस टाइटल: महेशन प्रभुदान लांगा बनाम गुजरात राज्य और अन्य