दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट: बिल्डर एग्रीमेंट से परिवारिक समझौते में तय हिस्सेदारी नहीं बदल सकती
दिल्ली हाईकोर्ट: बिल्डर एग्रीमेंट से परिवारिक समझौते में तय हिस्सेदारी नहीं बदल सकती

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि परिवारिक समझौता जिसके जरिए परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति के हिस्से बांटे जाते हैं, उसके लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि यदि परिवार के सदस्य निर्माण के लिए किसी बिल्डर के साथ समझौता करते हैं तो इससे उनकी हिस्सेदारी प्रभावित नहीं होती।जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,“परिवारिक समझौता किसी भी नए अधिकार, शीर्षक या हित का सृजन नहीं करता, बल्कि पहले से मौजूद हिस्सेदारी की पहचान करता है। ऐसे में उसका पंजीकरण...

दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के LLM स्टूडेंट पर लगे प्रैक्टिस रोक नियम पर मांगा जवाब, BCI को भी नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के LLM स्टूडेंट पर लगे प्रैक्टिस रोक नियम पर मांगा जवाब, BCI को भी नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के उस नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि दो वर्षीय LLM कार्यक्रम केवल उन्हीं स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होगा, जो किसी भी तरह के रोजगार, व्यापार, पेशा या व्यवसाय में संलग्न न हों।जस्टिस विकास महाजन ने इस मामले में यूनिवर्सिटी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से जवाब मांगा और सुनवाई की अगली तारीख 25 सितंबर तय की।यह याचिका 32 स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गई, जो 2024–2026 सेशन में फैकल्टी ऑफ लॉ से LLM कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं...

निदेशक को हटाने के लिए बैठक बुलाने से रोकने के लिए मध्यस्थता अधिनियम की धारा 9 के तहत अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
निदेशक को हटाने के लिए बैठक बुलाने से रोकने के लिए मध्यस्थता अधिनियम की धारा 9 के तहत अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दी जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने कहा है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत अंतरिम निषेधाज्ञा किसी निदेशक को हटाने के लिए असाधारण आम बैठक बुलाने से रोकने के लिए नहीं दी जा सकती क्योंकि यह प्रभावी रूप से अंतिम राहत प्रदान करने के समान है और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत किसी कंपनी को प्रदत्त वैधानिक शक्तियों का उल्लंघन करती है। न्यायालय ने कहा कि उसके समक्ष विचारणीय मुख्य मुद्दा यह था कि क्या अधिनियम की धारा 9 के तहत जिला न्यायाधीश...

दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिजीत अय्यर मित्रा से न्यूज़लॉन्ड्री पत्रकारों की याचिका पर जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने अभिजीत अय्यर मित्रा से न्यूज़लॉन्ड्री पत्रकारों की याचिका पर जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टिप्पणीकार अभिजीत अय्यर मित्रा से उस याचिका पर जवाब मांगा है, जो डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री की महिला कर्मचारियों ने उनके खिलाफ दाखिल की है। याचिका में मित्रा द्वारा किए गए नए (कथित मानहानिकारक) ट्वीट्स को हटाने की मांग की गई है।जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरेव ने महिला पत्रकारों द्वारा दायर इस नई अर्जी पर नोटिस जारी किया। पत्रकारों का आरोप है कि मित्रा ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यौन अपमानजनक पोस्ट किए हैं। कोर्ट ने मित्रा...

ICICI Bank के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान और सोशल मीडिया पोस्ट करने से पूर्व ट्रेनी पर रोक : दिल्ली हाईकोर्ट
ICICI Bank के खिलाफ मानहानिपूर्ण बयान और सोशल मीडिया पोस्ट करने से पूर्व ट्रेनी पर रोक : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने ICICI Bank के एक पूर्व रिलेशनशिप मैनेजर, जिन्हें प्रोबेशन अवधि के दौरान सेवा से हटा दिया गया, उसको बैंक के खिलाफ कोई भी मानहानिपूर्ण बयान या सोशल मीडिया पोस्ट करने से रोक दिया।जस्टिस अमित बंसल ने बैंक की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए पूर्व कर्मचारी से चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा।बैंक ने दलील दी कि प्रोबेशन से निकाले जाने के बाद पूर्व कर्मचारी ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर बैंक के खिलाफ अपमानजनक और मानहानिपूर्ण बयान देने शुरू कर दिए। अब तक 100 से अधिक वीडियो...

दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद में उपस्थित होने के लिए 4 लाख के जुर्माने के खिलाफ सांसद इंजीनियर राशिद की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद में उपस्थित होने के लिए 4 लाख के जुर्माने के खिलाफ सांसद इंजीनियर राशिद की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर राशिद की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने संसद में उपस्थित होने के लिए हिरासत में पैरोल देते समय निचली अदालत द्वारा उन पर लगाए गए जुर्माने को चुनौती दी थी।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने अदालत को राशिद पर लगाए गए जुर्माने की राशि की गणना का ब्यौरा समझाया।जस्टिस भंभानी ने मौखिक रूप से कहा कि अगर राशिद को...

रोजगार अनुबंधों में सेवा समाप्ति के बाद के प्रतिबंधात्मक अनुबंध अनुबंध अधिनियम की धारा 27 के तहत अमान्य: दिल्ली हाईकोर्ट
रोजगार अनुबंधों में सेवा समाप्ति के बाद के प्रतिबंधात्मक अनुबंध अनुबंध अधिनियम की धारा 27 के तहत अमान्य: दिल्ली हाईकोर्ट

जस्टिस जसमीत सिंह की दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने माना कि रोजगार अनुबंधों में सेवा-पश्चात के प्रतिबंधात्मक अनुबंध, जो रोजगार समाप्ति के बाद प्रभावी होते हैं, अमान्य हैं और भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Contract Act) की धारा 27 के तहत प्रवर्तनीय नहीं हैं और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration Act) की धारा 9 के तहत आवेदन में दिए गए निषेधाज्ञा रद्द की, जिसने प्रतिवादियों को उनके रोजगार अनुबंधों की समाप्ति के बाद प्रतिस्पर्धी व्यवसाय...

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश: J&K में खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में ड्रैगन बोट रेसिंग जोड़ें
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश: J&K में खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में ड्रैगन बोट रेसिंग जोड़ें

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से कहे कि वह श्रीनगर के डल झील में 21 से 23 अगस्त तक आयोजित होने वाले खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल में प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में 'ड्रैगन बोट रेसिंग' को शामिल करे।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नियमों के अनुसार संहिताबद्ध है और खेलो इंडिया के दिशानिर्देश प्रतिस्पर्धी कैलेंडर में उभरते हुए खेलों को शामिल करने की संभावना को बाहर नहीं करते हैं। "प्रतिवादी नंबर 1 को उक्त...

सिर्फ रोते हुए देखने से दहेज उत्पीड़न साबित नहीं होता: दहेज मौत मामले में दिल्ली हाईकोर्ट
सिर्फ रोते हुए देखने से दहेज उत्पीड़न साबित नहीं होता: दहेज मौत मामले में दिल्ली हाईकोर्ट

दहेज हत्या और क्रूरता के मामले में पति और उसके परिवार के सदस्यों को आरोपमुक्त किए जाने को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक को रोते हुए दिखाने मात्र से दहेज उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि मृतक के भाई और बहन के बयानों से प्रथम दृष्टया भी स्थापित नहीं होता कि मृतक को उनकी कथित मांगों को पूरा करने के लिए ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। "मृतक की बहन का बयान CrPC की धारा 161 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें उसने यह भी कहा था कि होली के...

Delhi Judicial Services Rules | रिक्तियों के भरे जाने के बाद नियुक्त उम्मीदवार के त्यागपत्र देने पर भी प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवार सेवा में शामिल नहीं हो सकता: हाईकोर्ट
Delhi Judicial Services Rules | रिक्तियों के भरे जाने के बाद नियुक्त उम्मीदवार के त्यागपत्र देने पर भी प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवार सेवा में शामिल नहीं हो सकता: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली न्यायिक सेवा नियम 1970 के अनुसार, यदि न्यायिक अधिकारियों के सभी रिक्त पद शुरू में भर दिए जाते हैं। बाद में कोई नियुक्त जज त्यागपत्र दे देता है तो ऐसी रिक्तियों को नई रिक्तियां माना जाता है, जिन्हें प्रतीक्षा सूची में अगले स्थान पर मौजूद उम्मीदवार द्वारा नहीं भरा जा सकता।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा,“नियम 18(vi) के अनुसार, नियम 18 के खंड (v) के आधार पर रिक्ति उत्पन्न होने की स्थिति में ही चयन सूची का उपयोग केवल नियुक्ति के...

परिवार की जातिगत आपत्तियों के बावजूद शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना बेईमानी दर्शाता है और बलात्कार माना जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट
परिवार की जातिगत आपत्तियों के बावजूद शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना बेईमानी दर्शाता है और बलात्कार माना जाता है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह जानते हुए कि शादी असंभव है, शुरू से ही शादी करने के झूठे वादे के आधार पर किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार का अपराध माना जाएगा।जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा,"आरोपी द्वारा यह अच्छी तरह जानते हुए कि उसके परिवार में जातिगत कारणों से शादी संभव नहीं है, लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखना दर्शाता है कि शादी का वादा बेईमानी से किया गया, केवल यौन लाभ प्राप्त करने के लिए। ऐसा वादा, जिसे शुरू से ही पूरा करने के इरादे के बिना किया गया हो, न्यायिक उदाहरणों के...

बलात्कार पीड़िता द्वारा मेडिकल जांच कराने से इनकार करने से आरोप तय करने के चरण में अभियोजन पक्ष के मामले पर कोई असर नहीं पड़ता: दिल्ली हाईकोर्ट
बलात्कार पीड़िता द्वारा मेडिकल जांच कराने से इनकार करने से आरोप तय करने के चरण में अभियोजन पक्ष के मामले पर कोई असर नहीं पड़ता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां बलात्कार पीड़िता ने अभियुक्त द्वारा कथित यौन उत्पीड़न का विस्तृत विवरण दिया, वहां केवल आंतरिक मेडिकल जांच कराने से इनकार करने से आरोप तय करने के चरण में अभियोजन पक्ष के मामले पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ता।जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा,"यहां तक कि दोषसिद्धि भी केवल अभियोजन पक्ष की गवाही पर ही निर्भर हो सकती है, यदि वह उत्कृष्ट गुणवत्ता की पाई जाती है। इसलिए आरोप तय करने के चरण में CrPC की धारा 161 के तहत यौन उत्पीड़न के विशिष्ट आरोपों वाला एक बयान...मुकदमे...

विभिन्न धर्मों के बीच विवाह करने का विकल्प व्यक्ति की स्वायत्तता बाहरी निषेधाज्ञा से मुक्त है: दिल्ली हाईकोर्ट
विभिन्न धर्मों के बीच विवाह करने का विकल्प व्यक्ति की स्वायत्तता बाहरी निषेधाज्ञा से मुक्त है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि विभिन्न धर्मों के बीच विवाह करने का विकल्प व्यक्ति की स्वायत्तता है और बाहरी निषेधाज्ञा से मुक्त है।जस्टिस संजीव नरूला ने कहा,"विवाह करने का विक]ल्प, विशेष रूप से विभिन्न धर्मों के बीच, सामाजिक मानदंडों और पारिवारिक अपेक्षाओं के लचीलेपन की परीक्षा ले सकता है, फिर भी कानून में यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वायत्तता का मामला है जो किसी भी बाहरी निषेधाज्ञा से मुक्त है।"न्यायालय ने कहा कि माता-पिता की पीड़ा समझ में आती है, लेकिन यह एक वयस्क के अपने जीवनसाथी को...

दोषसिद्धि पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा अनुपातहीन, जबकि अदालत ने कर्मचारी को परिवीक्षा पर रिहा कर दिया हो: दिल्ली हाईकोर्ट
दोषसिद्धि पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा 'अनुपातहीन', जबकि अदालत ने कर्मचारी को परिवीक्षा पर रिहा कर दिया हो: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने वायु सेना के एक लेखा लेखा परीक्षक को बहाल कर दिया है, जिन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस रेणु भटनागर की खंडपीठ ने इस सजा को 'अनुपातहीन' पाया, खासकर इस तथ्य के मद्देनजर कि याचिकाकर्ता-कर्मचारी के साथ आपराधिक न्यायालय ने भी नरमी बरती थी, जिसने उसे अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 के तहत परिवीक्षा पर रिहा कर दिया था।पीठ ने कहा, "जब एक आपराधिक न्यायालय ने...

पारिवारिक अस्वीकृति, सहमति देने वाले वयस्कों की जीवनसाथी चुनने की स्वायत्तता को कम नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
पारिवारिक अस्वीकृति, सहमति देने वाले वयस्कों की जीवनसाथी चुनने की स्वायत्तता को कम नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि पारिवारिक अस्वीकृति, सहमति देने वाले दो वयस्कों की जीवनसाथी चुनने की स्वायत्तता को कम नहीं कर सकती।जस्टिस संजीव नरूला ने कहा,"दो वयस्कों का एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनने और शांति से साथ रहने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निजता और गरिमा का एक पहलू है। पारिवारिक अस्वीकृति उस स्वायत्तता को कम नहीं कर सकती।"न्यायालय ने एक ऐसे जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान की, जिन्होंने कानूनी रूप से अपनी शादी की थी लेकिन अपने परिवार के...

दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग्स और हथियार वितरण जैसे अपराधों के लिए बच्चों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति पर चिंता जताई, आरोपी को अग्रिम ज़मानत देने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग्स और हथियार वितरण जैसे अपराधों के लिए बच्चों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति पर चिंता जताई, आरोपी को अग्रिम ज़मानत देने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (13 अगस्त) को व्यक्ति को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर 450 क्वार्टर अवैध शराब की ढुलाई के लिए एक बच्चे का इस्तेमाल करने का आरोप है।जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा,"पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि अपराधी बच्चों का इस्तेमाल कई तरह के अपराधों के लिए करते हैं, जिनमें न केवल शराब और ड्रग्स की तस्करी, बल्कि हथियार/गोला-बारूद और यहां तक कि अत्यधिक हिंसा के कृत्य भी शामिल हैं जिसके कारण समाज किशोर आयु की पुनर्निर्धारण पर विचार कर रहा है।"जज ने आगे कहा कि ऐसे...

सैनिक फार्म कॉलोनियों के नियमितीकरण पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से की सख्त पूछताछ, कहा- जिम्मेदारी से बचने की लगी है होड़
सैनिक फार्म कॉलोनियों के नियमितीकरण पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से की सख्त पूछताछ, कहा- जिम्मेदारी से बचने की लगी है होड़

दिल्ली हाईकोर्ट ने सैनिक फार्म इलाके में कथित अवैध निर्माणों के नियमितीकरण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे हर कोई जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है और अंत में यह मामला अदालत पर आकर रुकता है।चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दोनों सरकारों और संबंधित अधिकारियों को मार्च में दिए गए अपने आदेश की याद दिलाई, जिसमें उन्हें मिलकर इस मुद्दे का समाधान खोजने को कहा गया था।अदालत ने नाराज़गी जताई कि यह याचिका 2015 से लंबित...