दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश: हैदराबाद के संस्थानों को प्रिंसटन नाम से नए कॉलेज खोलने से रोक, अमेरिकी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को आंशिक राहत

Amir Ahmad

27 Sept 2025 3:52 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश: हैदराबाद के संस्थानों को प्रिंसटन नाम से नए कॉलेज खोलने से रोक, अमेरिकी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को आंशिक राहत

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका की प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी को बड़ी राहत देते हुए हैदराबाद स्थित शैक्षणिक संस्थाओं को प्रिंसटन नाम से नए संस्थान खोलने से रोक दिया।

    जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस रेनू भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश उस अपील पर सुनाया, जो अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में अंतरिम रोक न मिलने के खिलाफ दायर की थी।

    यह मुकदमा वाग्देवी एजुकेशनल सोसायटी के खिलाफ दायर किया गया, जो प्रिंसटन स्कूल ऑफ एजुकेशन, प्रिंसटन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, प्रिंसटन डिग्री एंड पीजी कॉलेज, प्रिंसटन पीजी कॉलेज ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, प्रिंसटन पीजी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट और प्रिंसटन कॉलेज ऑफ फार्मेसी जैसे संस्थान चलाती है।

    सिंगल जज ने पहले कहा कि केवल इस वजह से कि कई इंडियन स्टूडेंट्स ने अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, यह नहीं माना जा सकता कि यूनिवर्सिटी ने भारत में अपने प्रिंसटन' मार्क का उपयोग किया।

    खंडपीठ ने इस आदेश को पलटते हुए कहा कि यदि इंडियन स्टूडेंट यहां रहते हुए भी अपीलकर्ता यूनिवर्सिटी की सेवाएं ले रहे हैं तो यह नहीं कहा जा सकता कि उसकी सेवाएं भारत में उपलब्ध नहीं हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    “एक बार जब यह साबित हो जाए कि किसी क्षेत्राधिकार में दावेदार की सेवाओं के ग्राहक मौजूद हैं। भले ही वास्तविक बाजार में न हों बल्कि उसके ब्रांड के सूक्ष्म उपयोग के जरिए, तब वह दावेदार घरेलू व्यापारी के समान स्थिति में होता है और अपने गुडविल के आधार पर कार्रवाई कर सकता है।”

    खंडपीठ ने आगे कहा कि ट्रेडमार्क एक्ट की धारा 2(2)(c)(ii) में मार्क के उपयोग की परिभाषा यह नहीं कहती कि उपयोग केवल स्वामी द्वारा ही होना चाहिए।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया,

    “जितनी देर तक यह दिखाया जा सकता है कि किसी सेवा की उपलब्धता प्रदाय या प्रदर्शन के बारे में बयान दिया गया। उतनी देर तक यह अप्रासंगिक है कि यह बयान सेवा प्रदाता स्वयं दे रहा है या कोई तीसरा पक्ष।”

    इसके साथ ही अदालत ने अंतरिम राहत प्रदान करते हुए प्रतिवादियों को प्रिंसटन नाम से नए संस्थान खोलने से रोक दिया।

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