दिल्ली हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज एमएम धोंचक की DRT से निलंबन पर लगाई मुहर, कहा- अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित
Amir Ahmad
27 Sept 2025 2:15 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एमएम धोंचक रिटायर न्यायिक अधिकारी और पूर्व प्रेसीडिंग ऑफिसर डेट्स रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) चंडीगढ़, के निलंबन को बरकरार रखा। धोंचक पर व्यवहार संबंधी शिकायतों के चलते केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2023 को निलंबन का आदेश पारित किया।
जस्टिस प्रतीक जालान ने धोंचक द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें निलंबन आदेश को चुनौती दी गई थी। साथ ही उन्होंने 13 मई 2024 को निलंबन अवधि बढ़ाने के आदेश को भी चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया।
अदालत ने कहा कि इस मामले में पहले ही डिवीजन बेंच ने निलंबन बढ़ाने के आदेश को सही ठहराया और 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखा। ऐसे में वर्तमान याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है।
धोंचक का तर्क था कि DRT में उनका निस्तारण (डिस्पोज़ल) अन्य सभी प्रेसीडिंग ऑफिसर्स से अधिक है और उन पर की गई शिकायतें दुर्भावनापूर्ण हैं। इस पर अदालत ने कहा कि इन दलीलों की समीक्षा अनुशासनात्मक कार्यवाही के दौरान ही की जा सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया,
“केवल चार्जशीट जारी होना अपने आप में किसी प्रतिकूल आदेश का कारण नहीं बनता, जब तक कि इसे अधिकार क्षेत्र से बाहर किसी प्राधिकारी ने पारित न किया हो।”
केंद्र सरकार की कार्यवाही का बचाव करते हुए अदालत ने कहा कि बार एसोसिएशन और अदालतों से शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने DRAT के चेयरपर्सन से प्रारंभिक जांच कराई। इस जांच में धोंचक को सुनवाई का अवसर दिया गया और उनकी प्रतिक्रिया को रिपोर्ट में शामिल किया गया।
जस्टिस जालान ने कहा,
“मुझे इस प्रक्रिया में कोई क्षेत्राधिकार या प्रक्रिया संबंधी खामी नहीं दिखी। याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में कोई नियम, अधिसूचना या न्यायिक मिसाल भी प्रस्तुत नहीं की।”
अदालत ने धोंचक की उस दलील को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार के पास उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का अधिकार नहीं था।
अंत में अदालत ने कहा कि धोंचक ने पहले के फैसलों में निपटाए जा चुके मुद्दों को ही दोहराया और कोई ठोस दलील पेश नहीं की।
जस्टिस जालान ने यह भी टिप्पणी की कि केवल इसलिए कि उन्होंने पहले धोंचक की एक याचिका पर फैसला दिया, यह मामला सुनने से अलग होने का कारण नहीं हो सकता।

