दिल्ली हाईकोर्ट ने गैर-मौजूद फैसलों के झूठे हवाला और अनुच्छेदों पर याचिका वापस लेने की अनुमति दी
Amir Ahmad
27 Sept 2025 3:17 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी, जिसमें ऐसे न्यायिक कानूनों का हवाला दिया गया था जो अस्तित्व में ही नहीं है। इनमें न्यायिक उदाहरणों से उद्धृत कुछ फर्जी अनुच्छेद भी शामिल थे।
जस्टिस गिरीश कठपालिया ने ग्रीनोपोलिस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा विभिन्न घर खरीदारों के खिलाफ दायर याचिका वापस लेते हुए खारिज किया। न्यायालय को सूचित किया गया कि याचिका में उद्धृत न्यायिक कानून झूठे है।
प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट और एडवोकेट ने कहा कि वे उचित कदम उठाएंगे, क्योंकि याचिकाकर्ता की ओर से उद्धृत कुछ न्यायिक उदाहरण अस्तित्व में ही नहीं हैं और कुछ उदाहरणों में उद्धृत अंश मौजूद ही नहीं हैं।
न्यायालय ने कहा कि दोनों पक्षों के अनुरोध पर यह स्पष्ट किया जाता है कि आज प्रस्तुत किए गए तर्क केवल विवादित आदेशों तक ही सीमित थे और कुछ नहीं,
"जैसा कि अनुरोध किया गया था याचिका और साथ में दिए गए आवेदनों को वापस लेते हुए खारिज किया जाता है।"
याचिका में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें बिना किसी संशोधित दलील के 17 अतिरिक्त वादियों को इस मामले में पक्षकार बनाया गया और एसोसिएशन द्वारा लिखित बयान दाखिल करने की वैधानिक अवधि को कम कर दिया गया।
ट्रायल कोर्ट में घर खरीदारों ने संबंधित एसोसिएशन के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
याचिका में राज नारायण बनाम इंदिरा नेहरू गांधी (1972) 3 एससीसी 850 के पैराग्राफ 73 का हवाला दिया गया। हालांकि संबंधित फैसले में केवल 27 पैराग्राफ है।
एक अन्य फैसले का हवाला चित्रा नारायण बनाम डीडीए 2000 (87) डीएलटी 276 दिया गया लेकिन वह फैसला मौजूद नहीं है।
याचिका में उद्धृत अन्य फैसलों में फैसलों में उल्लिखित सही पैराग्राफ उद्धृत नहीं किए गए।

