दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की जानकारी सार्वजनिक करने के CIC के आदेश को खारिज किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की जानकारी सार्वजनिक करने के CIC के आदेश को खारिज किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस सचिन दत्ता ने यह आदेश सुनाया। फैसले की विस्तृत प्रति का इंतज़ार है। डीयू ने 2017 में CIC के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें 1978 में बीए प्रोग्राम पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी गई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी।...

दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रकाशकों के कॉपीराइट उल्लंघन के मुकदमे में भारत में साइ-हब और मिरर वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रकाशकों के कॉपीराइट उल्लंघन के मुकदमे में भारत में साइ-हब और मिरर वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने पब्लिकेशन हाउसेज़ एल्सेवियर, विले और अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की ओर से दायर कॉपीराइट उल्लंघन के मुकदमे में भारत में शैडो लाइब्रेरी वेबसाइट साइ-हब (Sci-Hub) और उसकी मिरर वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दिया है। ज‌स्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने दूरसंचार विभाग और केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है, जिसमें विभिन्न इंटरनेट और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से साइ-हब और www.sci-hub.se, www.sci-hub.st और साइ-नेट पर उपलब्ध उसकी मिरर...

शादी से पहले वैवाहिक इतिहास छिपाना तथ्यों का दमन ऐसी शादी रद्द हो सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट
शादी से पहले वैवाहिक इतिहास छिपाना तथ्यों का दमन' ऐसी शादी रद्द हो सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि शादी से पहले अपने वैवाहिक इतिहास को छिपाना कोई मामूली गलती नहीं बल्कि एक गंभीर तथ्य छिपाना है, जो विवाह की जड़ पर प्रहार करता है। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत ऐसी शादी को रद्द करने योग्य बना देता है।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,“ऐसे तथ्य को छिपाना स्वतंत्र और सूचित सहमति की नींव को हिला देता है, जिससे विवाह धारा 12(1)(c) के तहत रद्द करने योग्य हो जाता है।”अदालत ने पति की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें...

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कोलकाता में वकीलों पर हमले के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी करार, एक दिन की जेल और जुर्माना
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कोलकाता में वकीलों पर हमले के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी करार, एक दिन की जेल और जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2015 में कोलकाता में अदालत द्वारा नियुक्त वकीलों पर हमला करने के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उन्हें एक दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई।जस्टिस सुब्रमोनियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि भले ही सभी दोषियों ने बिना शर्त माफी मांगी लेकिन वकील कमिश्नरों के साथ की गई मारपीट उन्हें लगी गंभीर चोटें और उनके साथ गए पुलिस अधिकारियों के घायल होने को देखते हुए सजा आवश्यक है।यह...

अलग रह रहे माता-पिता के बच्चों में भाई-बहन का रिश्ता मजबूत करने के लिए लगातार संपर्क ज़रूरी: दिल्ली हाईकोर्ट
अलग रह रहे माता-पिता के बच्चों में भाई-बहन का रिश्ता मजबूत करने के लिए लगातार संपर्क ज़रूरी: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब माता-पिता वैवाहिक विवाद के कारण अलग रह रहे हों तो भाई-बहन के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए उनके बीच लगातार संपर्क बनाए रखना बेहद आवश्यक है।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,“जब माता-पिता वैवाहिक कलह के कारण अलग रह रहे हों तो भाई-बहन के रिश्ते को लगातार संपर्क के माध्यम से और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।”अदालत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे एक पति ने दायर किया था। पति ने फैमिली कोर्ट द्वारा तय किए गए मुलाक़ात (विज़िटेशन) के...

दिल्ली हाईकोर्ट ने BCI से विदेशी लॉ फर्मों के नियमों के उल्लंघन को लेकर डेंटन्स लिंक गठजोड़ पर अंतिम निर्णय रोकने को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने BCI से विदेशी लॉ फर्मों के नियमों के उल्लंघन को लेकर डेंटन्स लिंक गठजोड़ पर अंतिम निर्णय रोकने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि वह डेंटन्स लिंक लीगल गठजोड़ के खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर अंतिम निर्णय न ले, क्योंकि इसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स फॉर रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फॉरेन लॉयर्स एंड फॉरेन लॉ फर्म्स इन इंडिया, 2022 का कथित उल्लंघन शामिल है।चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने एडवोकेट अतुल शर्मा और उनकी लॉ फर्म लिंक लीगल द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जो 2023 में डेंटन्स समूह में शामिल हो...

राइट टू बी फॉरगॉटन: पॉन्टी चड्ढा के बेटे ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, बरी होने के बाद भी मीडिया रिपोर्ट हटाने की मांग
राइट टू बी फॉरगॉटन: पॉन्टी चड्ढा के बेटे ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, बरी होने के बाद भी मीडिया रिपोर्ट हटाने की मांग

मशहूर शराब कारोबारी पॉन्टी चड्ढा के बेटे मनीप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ मोंटी चड्ढा ने बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मीडिया रिपोर्टों को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रुपये की कथित प्रॉपर्टी धोखाधड़ी मामले में बरी होने के बावजूद उनके खिलाफ पुरानी खबरें अब भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंच रही है।मामले की सुनवाई जस्टिस पुरषेन्द्र कुमार कौरव ने संक्षेप में की।चड्ढा की ओर से कहा गया कि 2018 में दर्ज FIR ट्रायल कोर्ट ने नवंबर, 2019 में कंपाउंड...

विधवा बहू को ससुर की साझी पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का हक, निजी संपत्ति से नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
विधवा बहू को ससुर की साझी पैतृक संपत्ति से भरण-पोषण का हक, निजी संपत्ति से नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि ससुर की मौत के बाद विधवा हो गई बहू, अपनी कोपार्सनरी संपत्ति से प्राप्त संपत्ति से गुजारा भत्ता का दावा करने की हकदार है।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि भले ही ससुर के पास महत्वपूर्ण अलग या स्व-अर्जित संपत्ति हो, लेकिन रखरखाव का कर्तव्य केवल कोपार्सनरी संपत्ति से उत्पन्न होता है जो बाद में उनकी मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का एक हिस्सा होगा। न्यायालय ने हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम, 1956 की धारा 21 (vii) का...

PMLA में बीमार और अशक्त होना ज़मानत के लिए ऑटोमेटिक पासपोर्ट नहीं,  ‌मेडिकल याचिका अपराध की गंभीरता को कम नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
PMLA में 'बीमार और अशक्त' होना ज़मानत के लिए ऑटोमेटिक पासपोर्ट नहीं, ‌मेडिकल याचिका अपराध की गंभीरता को कम नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पीएमएलए मामलों में "बीमार और अशक्त" होना ज़मानत के लिए स्वतः अनुमति नहीं है, कहा है कि चिकित्सा संबंधी दलील धन शोधन के अपराध की गंभीरता को दरकिनार नहीं कर सकती। जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि बीमारी के लिए ज़मानत तभी ज़रूरी है जब हिरासत में इलाज स्पष्ट रूप से अपर्याप्त हो।अदालत ने कहा, "इसलिए, चिकित्सा संबंधी दलील अपराध की गंभीरता, सामाजिक हित और ऐसे मामलों को नियंत्रित करने वाली वैधानिक कठोरता को दरकिनार नहीं कर सकती।"न्यायाधीश ने...

ग़ैर-प्रतिभागी संस्था समय पर कर सकती है टेंडर को चुनौती, विलंब से परियोजना लागत बढ़ती है: दिल्ली हाईकोर्ट
ग़ैर-प्रतिभागी संस्था समय पर कर सकती है टेंडर को चुनौती, विलंब से परियोजना लागत बढ़ती है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कोई गैर-प्रतिभागी संस्था कुछ परिस्थितियों में अवसंरचना से जुड़ी निविदा (टेंडर) को चुनौती देने का अधिकार रख सकती है लेकिन ऐसी चुनौती उचित समय के भीतर ही दी जानी चाहिए।चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाले बोलीदाता भी परिस्थितियों के आधार पर निविदा बंद होने की तारीख से उचित समय के भीतर ही रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं ताकि इस बीच तृतीय पक्ष के अधिकार न बन जाएं, न ही अनुबंध किसी...

मनोविकृति से पीड़ित BSF कांस्टेबल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तब तक वैध जब तक कि उसे चिकित्सकीय रूप से सुनवाई के लिए अयोग्य घोषित न कर दिया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट
मनोविकृति से पीड़ित BSF कांस्टेबल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तब तक वैध जब तक कि उसे चिकित्सकीय रूप से सुनवाई के लिए अयोग्य घोषित न कर दिया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक साथी कांस्टेबल की पत्नी का शील भंग करने के आरोप में एक बीएसएफ कांस्टेबल की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है, जिसे तीव्र मनोविकृति का निदान होने के बाद 'निम्न चिकित्सा श्रेणी' में रखा गया था। जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने कहा कि किसी भी चिकित्सा राय के अभाव में, जो उसे मुकदमे के लिए अयोग्य घोषित करती है, अनुशासनात्मक कार्यवाही को अमान्य नहीं किया जा सकता, खासकर ऐसे अपराध के लिए जो "बल के सदस्यों को जोड़ने वाले भाईचारे की नींव पर प्रहार करता है"।न्यायालय...

MCD के लिए इससे ज्यादा चेतावनी क्या हो सकती है कि एक ज़िंदगी चली गई?: दिल्ली हाईकोर्ट ने द्वारका में पेड़ों की छंटाई का दिया आदेश
MCD के लिए इससे ज्यादा चेतावनी क्या हो सकती है कि एक ज़िंदगी चली गई?: दिल्ली हाईकोर्ट ने द्वारका में पेड़ों की छंटाई का दिया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को द्वारका क्षेत्र में पेड़ों की छंटाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मानसून और भारी बारिश के दौरान पेड़ गिरने की कई घटनाएं सामने आती हैं, जिनसे जान माल का नुकसान होता है।चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने नगर निगम दिल्ली (MCD) और लोक निर्माण विभाग (PWD) को निर्देश दिया कि वे द्वारका क्षेत्र का सर्वेक्षण करें और यह पता लगाएँ कि किन पेड़ों की छंटाई आवश्यक है।अदालत ने कहा,“यह सर्वविदित है कि मानसून में भारी वर्षा के दौरान पेड़ों के...

अवैध निर्माण करने वालों से वसूली के लिए अदालत का दुरुपयोग नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
अवैध निर्माण करने वालों से वसूली के लिए अदालत का दुरुपयोग नहीं हो सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ़ किया कि अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई ज़रूरी है, लेकिन अदालत को इस बहाने वसूली का औज़ार नहीं बनने दिया जा सकता। जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर व्यक्तियों से पैसे वसूलना न केवल अनुचित है बल्कि न्याय व्यवस्था का खुला दुरुपयोग भी है।यह टिप्पणी उस याचिका पर आई, जिसमें एक व्यक्ति ने जामिया नगर क्षेत्र में तीन लोगों द्वारा किए जा रहे कथित अवैध निर्माण को रोकने और ध्वस्त करने की माँग की थी।प्रतिवादियों के वकील ने अदालत को...

दिल्ली हाईकोर्ट: बिल्डर एग्रीमेंट से परिवारिक समझौते में तय हिस्सेदारी नहीं बदल सकती
दिल्ली हाईकोर्ट: बिल्डर एग्रीमेंट से परिवारिक समझौते में तय हिस्सेदारी नहीं बदल सकती

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि परिवारिक समझौता जिसके जरिए परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति के हिस्से बांटे जाते हैं, उसके लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि यदि परिवार के सदस्य निर्माण के लिए किसी बिल्डर के साथ समझौता करते हैं तो इससे उनकी हिस्सेदारी प्रभावित नहीं होती।जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,“परिवारिक समझौता किसी भी नए अधिकार, शीर्षक या हित का सृजन नहीं करता, बल्कि पहले से मौजूद हिस्सेदारी की पहचान करता है। ऐसे में उसका पंजीकरण...

दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के LLM स्टूडेंट पर लगे प्रैक्टिस रोक नियम पर मांगा जवाब, BCI को भी नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के LLM स्टूडेंट पर लगे प्रैक्टिस रोक नियम पर मांगा जवाब, BCI को भी नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के उस नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि दो वर्षीय LLM कार्यक्रम केवल उन्हीं स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होगा, जो किसी भी तरह के रोजगार, व्यापार, पेशा या व्यवसाय में संलग्न न हों।जस्टिस विकास महाजन ने इस मामले में यूनिवर्सिटी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से जवाब मांगा और सुनवाई की अगली तारीख 25 सितंबर तय की।यह याचिका 32 स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गई, जो 2024–2026 सेशन में फैकल्टी ऑफ लॉ से LLM कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं...