हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

17 Nov 2020 4:48 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह। आइए जानते हैं 9 नवंबर से 13 नवंबर तक विभिन्न हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    "उसका बचपन छीन लिया गया '' : 14 साल की लड़की को देह व्यापार में धकेलने के आरोप में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने तीन महिलाओं को जमानत देने से इनकार किया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में उन तीन महिलाओं को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन पर वेश्यावृत्ति के जरिए पैसे कमाने और शादी के बहाने लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया गया है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ तीन महिलाओं की तरफ से दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 370 (4), 363, 366-ए, 420, 120-बी, 34 ,पाॅक्सो एक्ट की 16/17 और इॅमारल ट्रैफिक (प्रीवेंशन) एक्ट 1956 की धारा 3,4,5,7 व 9 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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    रूमानी प्यार के गलत होने की संभावना हैः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय लड़के को जमानत दी

    पानी लाने के बहाने स्वेच्छा से घर से गई पीड़िता के आचरण और यह देखते हुए कि आरोपी भी अविवाहित है, रूमानी प्यार के गलत होने की संभावना है।" हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार (12 नवंबर) का एक 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय लड़के को जमानत देते हुए यह कहा।

    जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ 21 वर्षीय आरोपी की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उसे अपने प्रेम संबंध को तोड़ने के लिए झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया।

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    "अधिकारी सुधारात्मक आवाजों के प्रति असहिष्‍णु होने के दोषी": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फेसबुक पोस्ट में क्वारंटीन सेंटर के कुप्रंबंधन को उजागर किए जाने के बाद दर्ज एफआईआर को रद्द किया

    इलाहबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (04 नवंबर) को याचिकाकर्ता उमेश प्रताप स‌िंह के खिलाफ एक फेसबुक पोस्ट के मामलों मे एफआईआर दर्ज किए जाने पर राज्य के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। उमेश प्रताप सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में प्रयाग राज‌ जिले में बने एक क्वारंटीन सेंटर के कुप्रबंधन और सुविधाओं की कमी को उजागर किया था। जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने एफआईआर को खारिज किया और बहुत ही कड़े शब्दों मे दिए गए आदेश में कहा, "यह एफआईआर स्पष्ट रूप से दुर्भावानागस्त और दुष्‍प्रेरित है, इसे खारिज किया जाना चाहिए और इसे खारिज कर दिया जाता है।"

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    सुनिश्चित करें कि केवल ग्रीन पटाखे ही दुकानों पर बिकें: कर्नाटक हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार के अधिकारियों, स्थानीय निकायों और पुलिस के अधिकारियों को पटाखे बेचने वाले स्टालों का दौरा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया कि दुकानों पर केवल CSIR-NEERI के लोगो के साथ-साथ PESO और QR कोड बेचे जाने वाले 'हरे पटाखे' ही बेचे जाएं। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने कहा कि "राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण (हरे पटाखों की बिक्री और पटाखे क्या हैं) के बारे में इतना अस्पष्ट है कि सदस्यों को हरे पटाखों की अवधारणा के बारे में पता नहीं हो सकता है।"

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    COVID 19 के कारण बेरोजगारी हावी है : मद्रास उच्च न्यायालय ने चोरी के आरोपी को जमानत दी

    "कोविड -19 एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जिसमें बड़ी संख्या में युवक-युवतियों ने अपना रोजगार खो दिया", मद्रास उच्च न्यायालय (मदुरै पीठ) ने सोमवार (09 नवंबर) को चोरी करने के आरोपी दो लोगों को जमानत देते हुए कहा। जस्टिस एस.एम सुब्रमण्यम की बेंच दो याचिकाकर्ताओं की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें आईपीसी की धारा 379 के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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    पुरुष-प्रधान समाज में कुछ लालची पुरुषों और महिलाओं द्वारा चरित्र हनन करना आम बात है;जो व्यक्तियों को प्रभावित करता हैः मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार (09 नवंबर) को कहा है कि ''पुरुष-प्रधान समुदाय में चरित्र का हनन आम या सामान्य है। इतना ही नहीं हमारे देश में समान लिंग के बीच भी चरित्र हनन प्रचलित है।'' न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम की खंडपीठ याचिकाकर्ता/एकमात्र अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे प्रतिवादी पुलिस ने आईपीसी की धारा 306 के तहत दंडनीय अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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    जम्मू और कश्मीर में 26 नवंबर तक मोबाईल इंटरनेट की स्पीड 2G बनी रहेगी, दो जिले रहेंगे मुक्त

    जम्मू और कश्मीर सरकार के गृह विभाग ने 26 नवंबर, 2020 तक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध को आगे बढ़ाने के लिए एक आदेश पारित किया है। दो जिलों गांदरबल और उधमपुर को छोड़कर यूटी के निवासियों के पास केवल 2 जी मोबाइल इंटरनेट तक पहुंच होगी। गुरुवार को जारी आदेश के अनुसार, जिला विकास परिषद निर्वाचन क्षेत्रों, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए आतंकवादी और अलगाववादी तत्वों को चुनाव में बाधा डालने से रोकने के लिए प्रतिबंध आवश्यक है।

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    मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कथित रूप से कृष्ण जन्मभूमि पर बनी मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए एक याचिका दायर की गई है। एडवोकेट महेक माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका में मांंग की गई है कि मंदिर की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए और कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के लिए एक उचित ट्रस्ट बनाया जाए, जो उक्त जमीन पर मंदिर का निर्माण कर सके। याचिका में मांंग की गई है कि याचिका के निपटारे तक अंतरिम रूप से हिंदुओं को सप्ताह में कुछ दिन और जन्माष्टमी के दिन मस्जिद में पूजा करने की अनुमति दी जाए।

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    बलात्कार के अभियुक्त की जमानत अर्जी पर निर्णय के लिए यौन संबंध की नाबालिग की सहमति प्रासंगिक : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक 'नाबालिग' लड़की से दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति की जमानत इस आधार पर मंजूर कर ली है कि लड़की ने यौन संबंध बनाने के लिए सहमति प्रदान की थी। जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा, "यद्यपि वह (लड़की) यौन संबंध बनाने के लिए, साथ ही अपने संरक्षक को छोड़कर जाने की सहमति नहीं दे सकती थी, लेकिन याचिकाकर्ता को जमानत मंजूर करने के लिए उस लड़की का आचरण पर्याप्त है।" बीस वर्षीय रोहित शर्मा ने इस आधार पर नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि लड़की के परिवार वालों ने प्रेम संबंध तोड़ने के लिए उससे (लड़की से) झूठी शिकायत करायी थी। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने पुलिस को जानकारी दी थी कि वह अभियुक्त को पिछले तीन-चार माह से जानती थी और फेसबुक एवं फोन के जरिये उसके सम्पर्क में थी। उसने पुलिस को यह भी बताया था कि 30 अक्टूबर 2020 को उन्होंने एक शादी समारोह में हिस्सा लिया था, जहां पीड़िता अभियुक्त के साथ रुकी थी। वहां अभियुक्त ने लड़की के साथ यौन संबंध बनाये थे।

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    एफआईआर दर्ज होने पर स्वतः रूप से गिरफ्तारी का मामला : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट से रिमांड के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एफआईआर दर्ज करने के बाद स्वतः रूप से गिरफ्तारी करने और सीआरपीसी की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थिति का नोटिस) के तहत गिरफ्तारी के समय अपनाए जाने वाले सुरक्षा उपायों की अनदेखी करने के मामले में पुलिस विभाग की खिंचाई की है। न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से भी कहा है कि वह बताएं कि उन्होंने किस आधार पर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को रिमांड पर भेज दिया और कैसे इस तरह के मामले में डिटेंशन को अधिकृत किया?

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों की अंतरिम जमानत को और 30 दिनों के लिए बढ़ाया

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने COVID-19 महामारी को देखते हुए जेलों में बंद कैदियों को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि 30 और दिनों के लिए बढ़ाने पर सहमति दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की डिवीजन बेंच ने COVID-19 के मद्देनज़र जेलों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के लिए विचार करने के लिए गठित हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए इस तरह की अंतरिम जमानत बढ़ाने की सहमति दी। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने COVID-19 जमानत के विस्तार के आदेश को समाप्त कर दिया था और सभी कैदियों को चरणबद्ध तरीके से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था। हालाँकि इस आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जेल अनुसंधान फोरम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी।

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    पुरुष-प्रधान समाज में चंद लालची पुरुषों और महिलाओं द्वारा चरित्र हनन किया जाना आम बात है, यह व्यक्तियों को प्रभावित करता हैः मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार (09 नवंबर) को कहा कि "पुरुष-प्रधान समाज में चरित्र हनन आम है। हमारे देश में एक ही लिंग के बीच भी चरित्र हनन प्रचलित है।" जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम की खंडपीठ याचिकाकर्ता/ एकमात्र अभियुक्त की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे आईपीसी की 306 के तहत गिरफ्तार किया गया था और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मामला यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता मृतक महिला का रिश्तेदार है, जिसने आत्महत्या कर ली थी। याचिकाकर्ता के खिलाफ इस आधार पर मामला दर्ज किया गया था कि रिश्तेदार होने के नाते वह मृतक महिला का चरित्र हनन किया करता था और निरंतर उत्पीड़न के कारण, महिला ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी बीमा पॉलिसी के लिए दावा दाखिल करने के लिए तीन साल की सीमा अवधि तय की

    किसानों और समाज के अन्य सीमांत वर्गों को बड़ी राहत देते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि सरकारी बीमा योजनाओं, विशेष रूप से मुख्मंत्री किसान अवाम सर्वहित बीमा योजना के तहत दावा दायर करने की 75 दिनों की समय अवधि अनुचित और मनमानी है। जस्टिस शशि कांत गुप्ता और जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने कहा कि इतनी कम समय अवधि इस योजना के सामाजिक-लाभकारी उद्देश्य के खिलाफ है और इसलिए इसे रद्द किया जाता है।

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    'नहीं कह सकते कि XXX का एपिसोड अश्लील नहीं है', मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एकता कपूर के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने से किया इनकार

    मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (इंदौर खंडपीठ) ने बुधवार को एएलटी बालाजी के प्रबंध निदेशक एकता कपूर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया। एकता कपूर के खिलाफ वेब सीरीज़ 'XXX' में राष्ट्रीय प्रतीक का कथित अपमान करने और अश्लीलता का आरोप लगा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कपूर के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की एकल पीठ ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए कि कोई विशेष मामला अश्लील है या नहीं, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है। "जहां तक ​​वर्तमान मामले का संबंध है, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है कि प्रकरण अश्लील नहीं हैं।"

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    दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'बड़े षडयंत्र कांड' के मुकदमे के ट्रायल पर आगे के आदेश तक रोक लगाई

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (10 नवंबर) को पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा में "बड़ी साजिश" मामले में सुनवाई पर रोक लगा दी, जो फरवरी 2020 में हुई थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की खंडपीठ ने इस मामले में अभियुक्तों को भी नोटिस जारी किया और मामले को 15 दिसंबर, 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया। सिंगल बेंच द्वारा यह आदेश दिल्ली पुलिस द्वारा एक ट्रायल कोर्ट के आदेश (कड़कड़डूमा, दिल्ली) के खिलाफ दायर एक याचिका में पारित किया गया था, जिसमें पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह मामले के आरोपियों को चार्जशीट की हार्ड कॉपी की आपूर्ति करे।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिवाली महोत्सव के लिए दो जैन मंदिरों को 5 दिनों के लिए तय समय पर खोलने की अनुमति दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई में दो जैन मंदिरों एक दादर में और दूसरा भायखला में 13 नवंबर, 2020 से 17 नवंबर, 2020 तक दिवाली पर्व के पांच दिनों के दौरान खोलने की अनुमति दी। यह अनुमति तय समय के लिए दी गई है। इस दौरान मंदिर के हॉल में 15 मिनट के लिए एक बार में 8 व्यक्ति ही जा सकते हैं। न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ दो ट्रस्टों द्वारा दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जो दो अलग-अलग जैन मंदिरों के मामलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं, एक दादर स्थित ताक ज्ञान मंदिर ट्रस्ट और दूसरा शेठ मोतीशा धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है।

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    केवल इस आधार पर अभियुक्त को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के बजाय धारा 439 के तहत आवदेन दायर किया : दिल्ली हाईकोर्ट

    एक ऐतिहासिक फैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में जमानत दे दी है जिसमें अभियुक्त जमानत देेने व आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के तहत शर्तों का पालन करने के लिए तैयार हो गया था, परंतु उसने अपना जमानत आवेदन सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर किया था। अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, हालांकि अभियुक्त ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया था, परंतु उसने 'संकेत' दिया था कि वह सीआरपीसी की धारा 167 (2) के परंतुक (ए) के तहत आवश्यक जमानत प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। इसलिए ,''वास्तव में, उक्त शर्त पूरी हो जाती है।''

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    दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 नवंबर तक सूचीबद्ध मामलों के शेड्यूल को संशोधित किया, इसे जारी रखने के लिए प्रतिबंधात्मक कार्य किया

    मंगलवार (10 नवंबर) को जारी एक कार्यालय आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामलों की सुनवाई की वर्तमान प्रणाली (फिजिकल और वर्चुअल दोनों सुनवाई के हाइब्रिड मॉडल) के साथ जारी रखने का फैसला किया है। वास्तव में अदालत ने COVID-19 महामारी को देखते हुए 30 नवंबर तक प्रतिबंधात्मक कामकाज का विस्तार करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि मंगलवार के कार्यालय आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि 30.11.2020 तक न्यायालय के समक्ष पहले से सूचीबद्ध मामले कार्यालय आदेश (संलग्नक देखें) के साथ संलग्न शेड्यूल के अनुसार स्थगित किए जाएंगे।

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    'यह उचित तरीका नहीं है, जिसमें किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को कार्य करना चाहिए' : मद्रास हाईकोर्ट ने अन्ना यूनिवर्सिटी को नियमित नियुक्ति द्वारा शिक्षण पदों को भरने का आदेश दिया

    मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को अन्ना यूनिवर्सिटी को यूजीसी और एआईसीटीई के दिशानिर्देशों का ठीक से पालन न करने और लगभग दस वर्षों से अस्थायी शिक्षण कर्मचारियों के बल पर कार्य करने के मामले में फटकार लगाई है। यूनिवर्सिटी द्वारा बनाए गए अपर्याप्त संकाय छात्र अनुपात को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की खंडपीठ ने कहा कि, ''यह आश्चर्यजनक है कि जो छात्र इस यूनिवर्सिटी से पढ़कर बाहर निकल रहे हैं, वे पर्याप्त शिक्षण संकाय की अनुपलब्धता के बावजूद अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में एक बात साफ है कि या तो छात्र बेहद तेजबुद्धि के हैं या उपलब्ध संकाय उत्कृष्ट शिक्षण कौशल प्रदान करके एक असाधारण कार्य कर रहा हैं। कुछ भी कारण हो सकता है, तथ्य यह है कि यूनिवर्सिटी को नियमित नियुक्तियों के माध्यम से रिक्त पदों को भरने के लिए युद्धस्तर पर तत्काल कदम उठाने होंगे।''

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    पॉवर टीवी चैनल के प्रबंध निदेशक खिलाफ जबरन वसूली का मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस जांच और एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार (05 नवंबर) को कथित जबरन वसूली के आरोप में पॉवर टीवी (कन्नड़ टीवी चैनल) के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी के खिलाफ पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने और एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया। ज‌स्ट‌िस सूरज गोविंदराज की खंडपीठ पॉवर टीवी के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने शिकायत और 24.09.2020 को दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। मामला प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता समाचार चैनल (पॉवर टीवी) भ्रष्टाचार और अवैध वित्तीय व्यवहार के आरोपों से संबंध‌ित एक कार्यक्रम चला रहा है, साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री श्री बीएस येदियुरप्पा के परिजन राज्य सरकार के दैनिक प्रशासन में हस्तक्षेप करते है।

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    पॉवर टीवी चैनल के प्रबंध निदेशक खिलाफ जबरन वसूली का मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस जांच और एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार (05 नवंबर) को कथित जबरन वसूली के आरोप में पॉवर टीवी (कन्नड़ टीवी चैनल) के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी के खिलाफ पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने और एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया। ज‌स्टिस सूरज गोविंदराज की खंडपीठ पॉवर टीवी के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने शिकायत और 24.09.2020 को दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। मामला प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता समाचार चैनल (पॉवर टीवी) भ्रष्टाचार और अवैध वित्तीय व्यवहार के आरोपों से संबंधित एक कार्यक्रम चला रहा है, साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री श्री बीएस येदियुरप्पा के परिजन राज्य सरकार के दैनिक प्रशासन में हस्तक्षेप करते है।

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    "मैं न्याय दूर नहीं भागा जा रहा हूँ": अर्नब गोस्वामी ने अलीबाग सत्र न्यायालय को अपनी याचिका में कहा

    रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्नब गोस्वामी ने रायगढ़ में सत्र न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया है। इसमें 2018 के आत्महत्या मामले में उनकी गिरफ्तारी के मामले में नियमित जमानत की मांग की गई है। गोस्वामी ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते है। उन्होंने कहा है कि संबंधित समय पर इस मामले की पूरी तरह से जांच की गई थी और रायगढ़ पुलिस ने एक विस्तृत क्लोजर रिपोर्ट 'ए' समरी रिपोर्ट दाखिल करने की कृपा की। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, रायगढ़ एट- अलीबाग के समक्ष उक्त क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई थी।

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    'हो सकता है कि मैं ओल्ड स्कूल से हूँ', रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ के खिलाफ बॉलीवुड की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव शकधर ने दूरदर्शन के दिनों को याद किया

    रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ द्वारा कथित अपमानजनक रिपोर्टिंग के खिलाफ बॉलीवुड प्रोडक्शन हाउस द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने दूरदर्शन के दिनों की याद ताजा की। न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, 'हम दूरदर्शन पर प्रसारित उस खबर का इंतजार करते थे; जो स्पष्ट और तथ्यात्मक रिपोर्टिंग पर आधारित हुआ करती थी।' न्यायमूर्ति शकधर ने महत्वपूर्ण मुद्दों की रिपोर्टिंग करने के लिए मीडिया चैनलों द्वारा उपयोग की जाने वाली विजुअल टेक्निक के नए रूपों पर भी टिप्पणी की।

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    'वह और उसके परिवार के सदस्य तनाव और चिंताग्रस्त हैं', हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 58 वर्षीय COVID-19 सर्वाइवर को अंतरिम जमानत दी

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार (02 नवंबर) को एक 58 वर्षीय व्यक्ति को उसकी उम्र और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत दे दी कि वह और उसके परिवार के सदस्य तनाव और चिंता में हैं। न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर एक अर्जी पर सुनवाई की, जिसमें नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 20 के तहत 1.757 किलोग्राम चरस (कैनबिस) रखने के आरोपी ने जमानत जमानत की मांगी की थी।

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    उड़ीसा हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनाधिकृत रिकॉर्डिंग पर लगाए प्रतिबंध

    उड़ीसा उच्च न्यायालय ने सोमवार (02 नवंबर) को उड़ीसा हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए कोर्ट रूल्स 2020 को अधिसूचित किया। अधिसूचना में कहा गया है कि नियमों का उद्देश्य "अदालतों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के उपयोग से संबंधित प्रक्रिया को समेकित, एकीकृत और सुव्यवस्थित करना है।" नियम बताते हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग न्यायिक कार्यवाही के सभी चरणों में किया जा सकता है। नियम यह भी स्पष्ट करते हैं कि "वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय द्वारा की गई सभी कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही होगी और भौतिक न्यायालय में लागू सभी प्रोटोकॉल वर्चुअल सुनवाई में लागू होंगे।"

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    [चेक का अस्वीकरण] एक बार आदेशक का भुगतान नहीं करने इरादा स्पष्ट होने पर, शिकायत करने के लिए 15 दिनों तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    निगोश‌िएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 की व्याख्या करते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि एक बार पार्टी का इरादा स्पष्ट हो कि वह भुगतान करने की इच्छा नहीं रखती है तो शिकायतकर्ता को न्यूनतम 15 दिनों तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर की खंडपीठ ने कहा, "मामले में, याचिकाकर्ता ने यहां नोटिस का जवाब दिया, जो यह दर्शाता है कि आदेशक का इरादा स्पष्ट है कि वह भुगतान करने की इच्छा नहीं रखता है। एक बार यह स्पष्ट हो जाने के बाद, क्या शिकायतकर्ता को 15 दिन की न्यूनतम अवधि का इंतजार करना चाहिए? जवाब 'नहीं' होगा।"

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    आरोग्य सेतु आरटीआई रो: सीआईसी ने जानकारी देने में विफल रहे अधिकारियों के खिलाफ सुनवाई में भाग के लिए याचिकाकर्ता को अनुमति देने से इंकार किया

    आरटीआई एक्टिविस्ट और स्वतंत्र पत्रकार सौरव दास द्वारा आरोग्य सेतु पर दायर एक शिकायत की सुनवाई कर रहे केंद्रीय सूचना आयोग ने उन्हें मामले पर अगली सुनवाई में भाग लेने की अनुमति से मना कर दिया है, जिसमें CIC ने 27 अक्टूबर को इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के खिलाफ एक अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसने जवाब देने में विफल रहने के लिए कि किसने आरोग्य सेतु ऐप बनाया था, उसे "बेहद भद्दा" कहा था। इसके बाद दोनों सार्वजनिक प्राधिकरणों के सीपीआईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे पूछा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 20 (किसी भी उचित कारण के बिना सूचना की आपूर्ति में विफलता के लिए जुर्माना) के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। CIC ने इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर तय की और सभी CPIO को इसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।

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    गाने की धुन पर नाचने और टिकटॉक वीडियो बनाने से जाति विशेष की भावनाएं कैसे आहत हो जाती हैंः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी को अग्र‌िम जमानत दी

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार (02 नवंबर) को एक आरोपी मंदीप को अग्र‌िम जमानत दी, जिसने पंडित जगदीश चंदर वत्स के गीत का इस्तेमाल कर टिकटॉक वीडियो बनाया था, जिसके बाद उस अनुसूचित जाति और जनजाति की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था। जस्टिस फतेह दीप सिंह की खंडपीठ धारा 482, धारा 438 सीआरपीसी के सा‌थ पढ़ें, के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (i) (v) के तहत एफआईआर संख्या 450 दायर की गई थी।

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    एक बच्चे को दूध और संरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता, यह उसका जन्म सिद्ध अधिकार : गुजरात हाईकोर्ट

    एक 8 माह के बच्चे की कस्टडी उसकी मां को देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (03 नवंबर) को कहा कि,

    ''मातृत्व की गर्मजोशी और सुरक्षा के आलिंगन में रहना एक बच्चे का जन्म सिद्ध अधिकार है। उसके स्वास्थ्य और महत्वपूर्ण पौष्टिक आहार की नींव मां का दूध है। उसे इन मूल्यवान आवश्यकताओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।''

    न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति निर्झर एस देसाई की खंडपीठ इस मामले में माँ की तरफ से दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अदालत के समक्ष प्रार्थना की थी कि उसके आठ महीने के बच्चे को पेश करने व उसकी कस्टडी उसे देेने के लिए निर्देश दिया जाए।

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    "किसी महिला को मातृत्व और पेशे के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए", सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने फेमिनिस्ट लॉयरिंग पर आयोजित वेबिनार में कहा

    "महिलाओं को मातृत्व और पेशे के बीच चयन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए", वरिष्ठ महिला अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने "नारीवादी कानून व्यवस्था: अदृश्य से अजेय" विषय पर दिल्ली उच्च न्यायालय महिला वकील फोरम द्वारा आयोजित एक वेबिनार में यह बात कही। जयसिंह के अलावा सेमिनार में एडवोकेट नित्या रामाकृष्णन ने भी भाग लिया। यह वेबिनार अधिवक्ता मरियम फोजिया रहमान और अभिषेक सौजन्या द्वारा संचालित किया गया था।

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