पॉवर टीवी चैनल के प्रबंध निदेशक खिलाफ जबरन वसूली का मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस जांच और एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

LiveLaw News Network

10 Nov 2020 3:52 PM GMT

  • पॉवर टीवी चैनल के प्रबंध निदेशक खिलाफ जबरन वसूली का मामला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस जांच और एफआईआर में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार (05 नवंबर) को कथित जबरन वसूली के आरोप में पॉवर टीवी (कन्नड़ टीवी चैनल) के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी के खिलाफ पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने और एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया।

    ज‌स्ट‌िस सूरज गोविंदराज की खंडपीठ पॉवर टीवी के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने शिकायत और 24.09.2020 को दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी।

    मामला

    प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता समाचार चैनल (पॉवर टीवी) भ्रष्टाचार और अवैध वित्तीय व्यवहार के आरोपों से संबंध‌ित एक कार्यक्रम चला रहा है, साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री श्री बीएस येदियुरप्पा के परिजन राज्य सरकार के दैनिक प्रशासन में हस्तक्षेप करते है।

    इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया कि (पॉवर टीवी के) कार्यक्रम के पहले टेलीकास्ट का शीर्षक "राजा परिवारदा रोचका वृत्तांत" था, जिसे 2.9.2020 को प्रसारित किया गया, जिसमें श्री बीएस व‌िजयेंद्र पुत्र श्री बीएस येदियुरप्पा, और पॉवर टीवी के एक रिपोर्टर के बीच तीन मिनट की कथित बातचीत का ऑडियो शामिल किया गया था।

    इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया कि एक ऑडियो क्लिप को सार्वजनिक किया गया था, जिसमें एक कॉट्रेक्‍टर चंद्रकांता रामलिंगम (उत्तरदाता 4 / रामलिंगम कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के निदेशक) से 12,00,00,000 रुपए इकट्ठा करने का पर्दाफाश किया था। आरोप था कि रामलिंगम बैंगलोर विकास प्राधिकरण (BDA) के साथ काम कर रहे थे और मुख्यमंत्री के पोते शशिधर मराडी ने उनसे पैसे लिए थे।

    कथित तौर पर, उसी श‌ीर्षक से एक और एपिसोड 17.09.2020 को प्रसारित किया गया, जिसमें उसी ठेकेदार से मुख्यमंत्री के बेटे और पोते द्वारा पैसे से वसूलने का आरोप लगाया गया था।

    इसके बाद, 24 सितंबर को चंद्रकांता रामलिंगम (उत्तरदाता 4) ने पुलिस शिकायत में पॉवर टीवी के प्रबंध निदेशक राकेश शेट्टी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन पर यह कहने का दबाव बनाया कि उन्होंने कॉन्ट्रेक्‍ट पाने के मकसद से राजनेताओं को भुगतान किया, और उन्होंने आगे शिकायत की कि बातचीत रिकॉर्ड कर ली गई थी।

    इसके बाद, बेंगलुरु पुलिस क्राइम ब्रांच ने चंद्रकांत रामालिंगम द्वारा शेट्टी के खिलाफ दायर जबरन वसूली के आरोपों की जांच शुरू की।

    तर्क

    याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय के समक्ष तर्क रखा कि जो शिकायत दायर की गई है, वह प्रेरित है, और वर्तमान मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों के कहने पर की गई है क्योंकि यह याचिकाकर्ता के चैनल पर टेलीकास्ट होने के बाद ही दज कराई गई है।

    यह भी तर्क दिया गया कि शिकायत को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण दायर किया गया था, और "यह शिकायत केवल स्वतंत्र प्रेस की आवाज को दबाने के लिए है क्योंकि चैनल द्वारा रिपोर्ट की गई खबर मुख्यमंत्री और उसके परिवार के लिए कठोर थी।"

    शेट्टी के वकील ने अदालत के समक्ष यह भी बताया कि जांच एजेंसी ने सोशल मीडिया / डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और यूट्यूब के यूज़र नेम और पासवर्ड जांच लंबित रहने तक अपने पास रखा था और जांच एजेंसी ने टीवी चैनल के उपकरण जब्त किए थे।

    यह भी आरोप लगाया गया था कि "रामलिंगम (कॉन्ट्रेक्टर/ शिकायतकर्ता) ने स्वेच्छा से उन तरीके और विवरणों को साझा किया था, जिनसे मुख्यमंत्री के परिजनों से अवैध भ्रष्ट तरीकों से धन प्राप्त किया गया, वह राज्य के शासक वर्ग के प्रभाव और दबाव में बदल गए।"

    दूसरी ओर, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि मामले में कोई राजनीतिक प्रतिशोध नहीं है और जो आरोप लगाए गए हैं, वे शिकायतकर्ता की वास्तविक शिकायतें हैं।

    यह भी तर्क दिया गया था कि दायर की गई शिकायत "वर्तमान मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों से प्रभावित नहीं है। इसलिए, राजनीतिक प्रतिशोध का कोई तरीका नहीं है। शिकायत, शिकायतकर्ता की वास्तविक शिकायत है।"

    महाधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि "यदि सभी शिकायतें कथित टेलीकास्ट के आधार पर शुरू की गई हैं, तो पुलिस अधिकारियों ने वीडियो हटा दिए होंगे क्योंकि इस तरह के वीडियो अभी भी फेसबुक और यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। यह दर्शाता है कि शिकायत और जांच मुख्यमंत्री के इशारे पर नहीं की गया है। उत्तरदाता 4 (चंद्रकांत रामलिंगम) द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर जांच को सामान्य तरीके से अंजाम दिया गया है।"

    आदेश

    "एक जांच एजेंसी सोशल मीडिया फेसबुक और यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के यूज़र नेम और पासवर्ड को जांच लंबित होने तक अपने पास नहीं रख सकती है, जांच एजेंसी ऐसे खाते से आवश्यक डेटा डाउनलोड कर सकती है और उसके बाद खाता मालिक को परिवर्तित साख के साथ उसे वापस दे सकती है। उत्तरदाताओं को इसलिए निर्देश दिया गया कि आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से सात दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को फेसबुक और यूट्यूब अकाउंट की नई लॉगिन क्रेडेंशियल सौंप दे।

    कोर्ट ने कहा, "वर्तमान तथ्यों और परिस्थितियों में, यह पूर्व निर्धारित नहीं किया जा सकता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप लगाए गए अपराध नहीं किए गए हैं, मेरा विचार है कि उसके लिए सक्षम और स्वतंत्र प्राधिकारी द्वारा जांच की आवश्यकता होगी। ऐसी जांच के बिना इस मामले की सच्चाई का पता नहीं लगाया जा सकता है।"

    न्यायालय ने विशेष रूप से यह माना कि याचिकाकर्ता के पास धारा 482 सीआरपीसी, अनुच्छेद 226 साथ पढ़ें, के तहत वर्तमान मामले में हस्तक्षेप के लिए कोई आधार नहीं है। इसलिए, न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा शिकायत या पंचनामा को रद्द करने के लिए प्रार्थना स्वीकार नहीं की जा सकती है।

    अंत में, याचिका को आंशिक रूप से अनुमति दी गई थी और याचिकाकर्ता को धारा 451 सीआरपीसी, धारा 452 के साथ पढ़ें, के तहत जब्त किए गए उपकरणों की वापसी के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन दायर करने की आजादी दी गई।

    केस टाइटिलः राकेश शेट्टी बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य [W.P.No.11169 of 2020]

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