रूमानी प्यार के गलत होने की संभावना हैः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय लड़के को जमानत दी

LiveLaw News Network

15 Nov 2020 6:25 AM GMT

  • रूमानी प्यार के गलत होने की संभावना हैः हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय लड़के को जमानत दी

    Himachal Pradesh High Court

    "पानी लाने के बहाने स्वेच्छा से घर से गई पीड़िता के आचरण और यह देखते हुए कि आरोपी भी अविवाहित है, रूमानी प्यार के गलत होने की संभावना है।" हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार (12 नवंबर) का एक 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोपी 21 वर्षीय लड़के को जमानत देते हुए यह कहा।

    जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ 21 वर्षीय आरोपी की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उसे अपने प्रेम संबंध को तोड़ने के लिए झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया।

    पुलिस ने याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता, 1860, की धारा 376, 363 और 366A, और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत 2.9.2020 को पुलिस स्टेशन धर्मपुर, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश में दर्ज 2020 की एफआईआर संख्या107 के तहत गिरफ्तार किया था।

    मामला

    एक सितंबर, 2020 को, पीड़िता के पिता ने पुलिस को एक लिखित श‌िकायत दी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी 16 वर्षीय बेटी 31 अगस्त, 2020 से गायब है। उन्होंने पुलिस को बताया कि पीड़िता 'बावड़ी' से पानी लाने गई थी, जो घर से 100 मीटर की दूरी पर है। लेकिन वह घर नहीं लौटी। परिवार ने खोज की, लेकिन उसका पता नहीं लगा सके।

    शिकायतकर्ता की मां, यानी पीड़िता की दादी के फोन की जांच करने पर, उन्होंने एक फोन कॉल पर गौर किया। जब शिकायतकर्ता ने उक्त नंबर पर कॉल किया तो वह स्विच ऑफ था।

    हालांकि, उन्हें पूछताछ से पता चला कि फोन करण यानि याचिकाकर्ता का है। इस प्रकार शिकायतकर्ता को संदेह था कि करण ने उसकी बेटी को लुभाया है है और उसके साथ भाग गया है। इसके बाद, अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया।

    तर्क

    याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने दलील दी कि पीड़ित और याचिकाकर्ता आसपास के गांव के हैं और बचपन से एक-दूसरे को जानते हैं। यह रोमांटिक प्रेम का मामला है, बलात्कार का नहीं। अपराध तय होने से पहले कैद, याचिकाकर्ता और उसके परिवार के साथ गंभीर अन्याय होगा।

    दूसरी तरफ, जमानत का विरोध करते हुए, अतिरिक्त महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि चूंकि पीड़ित नाबालिग है, इसलिए सहमति का कोई सवाल ही नहीं है।

    आदेश

    न्यायालय ने आदेश में कहा, "हालांकि पीड़िता की उम्र 16 साल है लेकिन साथ ही साथ आरोपी की उम्र भी 21 साल है और दोनों आसपास के गांव के रहने वाले हैं। पीड़िता के आचरण कि वह स्वेच्छा से पानी लाने के बहाने घर से गई और इस तथ्य को देखते हुए कि आरोपी भी अविवाहित है, रूमानी प्रेम के गलत होने की संभावना है। "

    आगे कहा, "साक्ष्यों के विश्लेषण से अभियुक्त के आगे कैद में रखने का औचित्य नहीं दिखता है, न ही कोई महत्वपूर्ण मकसद पूरा होगा। मामले के गुणों पर टिप्पणी किए बिना, जांच के चरण और पहले से ही कैद की अवधि जमानत के लिए मामला बनाती है।"

    इससे पहले, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार (11 नवंबर) को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के आरोपी शख्स को इस आधार पर जमानत दे दी कि लड़की ने संभोग के लिए सहमति दी थी।

    जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा, "हालांकि, वह संभोग के लिए सहमति नहीं दे सकती थी.....लेकिन उसका आचरण याचिकाकर्ता को जमानत देने के लिए पर्याप्त है।"

    केस टाइटल - श्री करण बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य [Cr.MP (M) No 2013 of 2020]

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