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क्या तीन मौजूदा प्रमुख दंड क़ानूनों को निरस्त करने और प्रतिस्थापित करने का विधायी उपाय एक अपरिहार्य वांछनीयता है?
क्या तीन मौजूदा प्रमुख दंड क़ानूनों को निरस्त करने और प्रतिस्थापित करने का विधायी उपाय एक अपरिहार्य वांछनीयता है?

सैद्धांतिक रूप में, मैं मौजूदा प्रमुख आपराधिक कानूनों, अर्थात् भारतीय दंड संहिता, 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (जो कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898) का एक महत्वपूर्ण पुनरुत्पादन है) के प्रस्तावित निरसन , ll और भारतीय न्याय संहिता, 2023 (संक्षेप में "बीएनएस"), भारतीय साक्ष्य अभियान, 2023 (संक्षेप में "बीएसए") और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (संक्षेप में "बीएनएसएस") द्वारा इसका प्रतिस्थापन के खिलाफ हूं। जब उपरोक्त क़ानूनों को बदलने के लिए विस्तृत...

सुप्रीम कोर्ट की SBI को फटकार, कहा- तय वक्त पर Electoral Bond की जानकारी नहीं देने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी
सुप्रीम कोर्ट की SBI को फटकार, कहा- तय वक्त पर Electoral Bond की जानकारी नहीं देने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च) को चुनावी बांड (Electoral Bonds) विवरण का खुलासा न करने के लिए बैंक की आलोचना की और उसे नोटिस दिया कि यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है तो अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने 15 फरवरी को अदालत के फैसले के बाद से SBI की प्रगति पर स्पष्ट रूप से सवाल उठाया।सीजेआई ने टिप्पणी की,"हमारा फैसला 15 फरवरी को है। आज 11 मार्च है। पिछले 26 दिनों में आपके द्वारा किए गए मिलान की सीमा...

जाति व्यवस्था की उत्पत्ति एक सदी से भी कम पुरानी, सनातन धर्म के खिलाफ बयानों पर सुनवाई के दौरान जज ने की थी टिप्पणी, हाईकोर्ट ने फैसले से हटाया
'जाति व्यवस्था की उत्पत्ति एक सदी से भी कम पुरानी', सनातन धर्म के खिलाफ बयानों पर सुनवाई के दौरान जज ने की थी टिप्पणी, हाईकोर्ट ने फैसले से हटाया

मद्रास हाईकोर्ट ने अब मंत्री उदयनिधि स्टालिन, मंत्री शेखर बाबू और सांसद ए राजा के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली याचिकाओं में अपने हालिया फैसले से जाति व्यवस्था की उत्पत्ति के बारे में की गई टिप्पणियों को हटा दिया।जस्टिस अनीता सुमंत ने 6 मार्च को अपलोड किए गए फैसले में निम्नानुसार कहा था,"यह न्यायालय स्पष्ट रूप से सहमत है कि आज समाज में जाति के आधार पर असमानताएं मौजूद हैं और उन्हें त्याग दिया जाना चाहिए। हालांकि, जाति व्यवस्था की उत्पत्ति, जैसा कि हम आज जानते हैं, एक सदी से भी कम पुरानी...

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए 16 अप्रैल या उससे पहले SCBA की विशेष आम सभा बुलाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए 16 अप्रैल या उससे पहले SCBA की विशेष आम सभा बुलाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में (04 मार्च) आदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की विशेष आम बैठक 16 अप्रैल को या उससे पहले सुप्रीम कोर्ट बार लाइब्रेरी नंबर 1 में बुलाई जाएगी। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य, जो SCBA नियमों के अनुसार, इसके चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं, इस बैठक में भाग ले सकते हैं।कोर्ट ने कहा,“हम प्रथम दृष्टया संतुष्ट हैं कि वे सभी सदस्य, जो SCBA नियमों के नियम 18 के अनुसार चुनाव लड़ने और मतदान करने के पात्र हैं, वे नियम 22 के तहत बुलाई...

Gautam Navlakha
भीमा कोरेगांव केस के आरोपी गौतम नवलखा ने हाउस अरेस्ट निगरानी खर्च के एक करोड़ के दावे का खंडन किया

गुरुवार (7 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में हुई एक अदालती बातचीत में, भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा के वकील, सीनियर एडवोकेट नित्या रामकृष्णन ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर हाउस अरेस्ट के खर्चों को पूरा करने के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता से अत्यधिक राशि की मांग करके 'जबरन वसूली' में शामिल होने का आरोप लगाया ।पुणे के भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई जाति-आधारित हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार होने के बाद, और कथित तौर पर प्रतिबंधित एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 70 वर्षीय नवलखा को गैरकानूनी गतिविधियां...

देश भर में बार एसोसिएशनों के कामकाज को मजबूत और सुव्यवस्थित करने के लिए दिशानिर्देशों जारी करने पर विचार कर रहा सुप्रीम कोर्ट
देश भर में बार एसोसिएशनों के कामकाज को मजबूत और सुव्यवस्थित करने के लिए दिशानिर्देशों जारी करने पर विचार कर रहा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बार एसोसिएशनों के समग्र कामकाज को मजबूत करने और बढ़ाने का मुद्दा उठाया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ द्वारा पारित 4 मार्च के आदेश में मामले में पेश होने वाले सीनियर वकीलों के साथ-साथ उन लोगों को भी बुलाया गया, जो उन मुद्दों को तैयार करने में सहायता करने के इच्छुक हैं, जिन पर विचार करने की आवश्यकता होगी।उक्त मामला मूल रूप से मद्रास बार एसोसिएशन के खिलाफ भेदभाव और अभिजात्यवाद के आरोपों से संबंधित है। उक्त मामले में नया मोड़ आया, क्योंकि...

अदालती कार्यक्रमों के दौरान धार्मिक अनुष्ठान करना बंद करें, इसके बजाय संविधान या उसकी प्रस्तावना का पाठ करें: सुप्रीम कोर्ट जज, जस्टिस अभय ओक
अदालती कार्यक्रमों के दौरान धार्मिक अनुष्ठान करना बंद करें, इसके बजाय संविधान या उसकी प्रस्तावना का पाठ करें: सुप्रीम कोर्ट जज, जस्टिस अभय ओक

सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस अभय ओक ने हाल ही में पुणे में कार्यक्रम में लोगों से आग्रह किया कि वे अदालती कार्यक्रमों के दौरान धार्मिक अनुष्ठान बंद करें। इसके बजाय प्रस्तावना या संविधान के प्रति झुककर या सम्मान दिखाते हुए आधिकारिक अदालती कार्यक्रम शुरू करें।जस्टिस ओका पुणे के पास पिंपरी-चिंचवाड़ में नए अदालत परिसर के 'भूमि पूजन' या शिलान्यास कार्यक्रम में बोल रहे थे।उन्होंने कहा,"इस साल 26 नवंबर को हम बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे करेंगे। हमारे संविधान की...

मद्रास हाईकोर्ट ने सनातन धर्म के खिलाफ उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी की निंदा की, मंत्री पद से हटाने का निर्देश देने से इनकार किया
मद्रास हाईकोर्ट ने 'सनातन धर्म' के खिलाफ उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी की निंदा की, मंत्री पद से हटाने का निर्देश देने से इनकार किया

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के मंत्रियों उदयनिधि स्टालिन, शेखर बाबू और सांसद ए राजा के खिलाफ रिट ऑफ क्वारो वॉरंटो जारी करने से इनकार कर दिया, ताकि सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के कारण उन्हें उनके पदों से हटाया जा सके। वहीं, जस्टिस अनीता सुमंत ने मंत्रियों द्वारा दिए गए बयानों के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की और कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को इस तरह के विभाजनकारी बयान नहीं देने चाहिए थे। कोर्ट ने कहा कि मंत्री उदयनिधि स्टालिन का सनातन धर्म की तुलना एचआईवी, एड्स, मलेरिया आदि से...

बस कुछ और गिरफ्तारियां होने की देर, बिखर जाएगी TMC: इस्तीफा के बोले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय
'बस कुछ और गिरफ्तारियां होने की देर, बिखर जाएगी TMC': इस्तीफा के बोले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय

कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार (5 मार्च) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बस कुछ और गिरफ्तारियां होने की देर है, राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पूरी तरह बिखर जाएगी।हाईकोर्ट के जज के रूप में अपने अंतिम दिन के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने अदालत परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता...

नरेंद्र मोदी अच्छे आदमी, BJP ने भी मुझसे संपर्क किया: जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने हाईकोर्ट जज पद से इस्तीफा देने के बाद कहा
'नरेंद्र मोदी अच्छे आदमी, BJP ने भी मुझसे संपर्क किया': जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने हाईकोर्ट जज पद से इस्तीफा देने के बाद कहा

कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार (5 मार्च) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की। यह घटनाक्रम उनके इस्तीफा देने के बाद आया।हाईकोर्ट के जज के रूप में अपने अंतिम दिन के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने अदालत परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवगणम को डाक द्वारा भेज दिया है। स्थानीय समाचार आउटलेट एबीपी...

BREAKING| बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित माओवादी लिंक मामले में जीएन साईबाबा और 5 अन्य को बरी किया
BREAKING| बॉम्बे हाईकोर्ट ने कथित माओवादी लिंक मामले में जीएन साईबाबा और 5 अन्य को बरी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA Act) के तहत कथित माओवादी-लिंक मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य की सजा रद्द कर दी।जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने फैसला सुनाया।व्हीलचेयर पर बैठे जीएन साईबाबा और उनके सह-आरोपी माओवादी संगठनों से संबंध रखने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 2014 में गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में हैं।महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सत्र न्यायालय में मुकदमे के...

BREAKING| रिश्वतखोरी विधायी विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं; विधानमंडल में वोट/भाषण के लिए रिश्वत लेने वाले सांसदों/विधायकों को कोई छूट नहीं: सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| रिश्वतखोरी विधायी विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं; विधानमंडल में वोट/भाषण के लिए रिश्वत लेने वाले सांसदों/विधायकों को कोई छूट नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 मार्च) को 1998 के पीवी नरसिम्हा राव के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया कि संसद और विधानसभाओं के सदस्य विधायिका में किसी वोट या भाषण पर विचार करते समय रिश्वत देना संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत छूट का दावा कर सकते हैं।नवीनतम फैसला, पहले का फैसला रद्द करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की सात-न्यायाधीशों की...

होमोफोबिया या ट्रांसफोबिया को बढ़ावा न दें: NBDSA ने LGBTQIA+ मुद्दों की रिपोर्टिंग पर टीवी चैनलों को दिशानिर्देश जारी किए
'होमोफोबिया या ट्रांसफोबिया को बढ़ावा न दें': NBDSA ने LGBTQIA+ मुद्दों की रिपोर्टिंग पर टीवी चैनलों को दिशानिर्देश जारी किए

समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (NBDSA) ने व्यापक दिशानिर्देश जारी कर मीडिया प्लेटफार्मों से LGBTQIA+ समुदाय के बारे में सटीकता, निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ जानकारी प्रसारित करने का आग्रह किया।यह कदम एक्टिविस्ट इंद्रजीत घोरपड़ द्वारा इंडिया टुडे द्वारा प्रसारित कार्यक्रम के संबंध में दर्ज की गई शिकायत के बाद उठाया गया। उक्त कार्यक्रम का शीर्षक था- "संयुक्त राज्य अमेरिका की प्राइड परेड में नग्नता से आक्रोश - भारत के LGBTQIA+ कैसे जिम्मेदारी से नेतृत्व करते हैं", जिसमें कथित तौर पर...

Krishna Janmabhumi-Shahi Idgah Dispute | पूजा स्थल अधिनियम की संवैधानिकता को सिविल मुकदमे में चुनौती नहीं दी जा सकती: मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा
Krishna Janmabhumi-Shahi Idgah Dispute | 'पूजा स्थल अधिनियम' की संवैधानिकता को सिविल मुकदमे में चुनौती नहीं दी जा सकती: मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा

प्रबंधन ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह (मथुरा) की समिति ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि हाईकोर्ट के समक्ष लंबित दीवानी मुकदमों में अन्य बातों के साथ-साथ 13.37 एकड़ के परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई, जिसे वह मथुरा में कटरा केशव देव मंदिर के साथ साझा करता है। इसे पूजा स्थल अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दी जा सकती।सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के साथ आदेश VII नियम 11 (डी) [वादी की अस्वीकृति के लिए] के तहत दायर अपने आवेदन में शाही मस्जिद ईदगाह समिति ने...

वकील ऐसे माहौल में काम करते हैं जो उनके नियंत्रण में नहीं  : एससीएओआरए ने वकीलों पर उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू ना करने का आग्रह किया
'वकील ऐसे माहौल में काम करते हैं जो उनके नियंत्रण में नहीं ' : एससीएओआरए ने वकीलों पर उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू ना करने का आग्रह किया

बुधवार (28 फरवरी ) को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, 1986 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वकीलों की सेवाओं को शामिल करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण मामले में, बेंच को यह समझाने के लिए प्रस्तुतियां दी गईं कि ये सेवाएं उक्त अधिनियम के तहत क्यों नहीं आएंगी।इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने यह तर्क देने के लिए चार महत्वपूर्ण पहलू सामने रखे कि ये सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगी। इसका एक पहलू यह था कि वकीलों का उस वातावरण पर...

BREAKING | दीवानी और फौजदारी ट्रायल पर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश स्वत: निरस्त नहीं होते: सुप्रीम कोर्ट ने एशियन रिसरफेसिंग फैसला रद्द किया
BREAKING | दीवानी और फौजदारी ट्रायल पर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश स्वत: निरस्त नहीं होते: सुप्रीम कोर्ट ने 'एशियन रिसरफेसिंग' फैसला रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (29 फरवरी) को अपने 2018 एशियन रिसरफेसिंग फैसला रद्द कर दिया। उक्त फैसले में हाईकोर्ट द्वारा नागरिक और आपराधिक मामलों में सुनवाई पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेशों को आदेश की तारीख से छह महीने के बाद स्वचालित रूप से समाप्त कर दिया जाएगा, जब तक कि हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से बढ़ाया गया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच-जजों की पीठ द्वारा नवीनतम फैसला, पहले के फैसले को रद्द...

जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ न्यायिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक हिस्सा: कामिनी जायसवाल
जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ न्यायिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक हिस्सा: कामिनी जायसवाल

हाल ही में, वकील कामिनी जायसवाल ने न्यायिक जवाबदेही पर एक सेमिनार में बोलते हुए इस बात पर जोर दिया कि न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ न्यायिक प्रणाली का सबसे खतरनाक हिस्सा है। जायसवाल ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि न्यायाधीशों को इस तरह के लाभ के लिए सरकार की ओर देखना चाहिए। इस तरह के लाभ प्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं, यह बताते हुए उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने तक 'बहुत अच्छी तरह से' काम करते हैं और एक 'नया कवर' चालू करते हैं जो 'अच्छा कवर'...