ESI Act | पर्यवेक्षी भूमिका में कार्यरत व्यक्ति डेजिग्नेशन के बावजूद अंशदान न भेजने के लिए उत्तरदायी : सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
21 April 2025 10:09 AM

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का चाहे आधिकारिक डेजिग्नेशन कुछ भी हो, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI Act) के तहत 'प्रमुख नियोक्ता' माना जा सकता है। चाहे वह किसी कारखाने के मालिक या अधिभोगी के एजेंट के रूप में कार्य करता हो, या यदि वह संबंधित प्रतिष्ठान का पर्यवेक्षण और नियंत्रण करता हो।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस प्रकार एक कंपनी के सुपरवाइजर की दोषसिद्धि बरकरार रखी। कंपनी के महाप्रबंधक पर कर्मचारी राज्य बीमा अंशदान को ESIC में न भेजने का आरोप था। उसे छह महीने के कारावास और 5000/- रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।
अपीलकर्ता ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि वह न तो सुपरवाइजर के पद पर था और न ही वह प्रासंगिक अवधि के दौरान 'प्रमुख नियोक्ता' था। उन्होंने कहा कि ESIC को भुगतान करने की जिम्मेदारी कंपनी की है, इसलिए कर्मचारियों के ESI अंशदान को भेजने में चूक के लिए उन पर आरोप नहीं लगाया जा सकता।
इस तरह के तर्क को खारिज करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि जब व्यक्ति पर्यवेक्षण/नियंत्रण करता है तो व्यक्ति का डेजिग्नेशन प्रासंगिक नहीं होता।
अदालत ने कहा,
चूंकि अपीलकर्ता कंपनी में सुपरवाइजर का पद संभाल रहा था, इसलिए अपनी स्थिति को गलत साबित करने में विफल रहा। इस प्रकार उसे ESI Act के तहत कर्मचारियों के अंशदान को ESI में न भेजने के लिए उत्पन्न होने वाली जिम्मेदारी से नहीं बचाया जा सकता।
न्यायालय ने अपीलकर्ता को ESI Act की धारा 2(17) के तहत कंपनी का 'प्रमुख नियोक्ता' पाया, जिसमें 'प्रमुख नियोक्ता' की परिभाषा बताई गई। न्यायालय ने माना कि वह अधिनियम की धारा 2(17) के अनुसार "प्रबंधक एजेंट" की परिभाषा के अंतर्गत आता है।
न्यायालय ने कहा,
“इसलिए किसी व्यक्ति का डेजिग्नेशन महत्वहीन हो सकता है, यदि ऐसा व्यक्ति अन्यथा स्वामी/अधिभोगी का एजेंट है या विचाराधीन प्रतिष्ठान की देखरेख और नियंत्रण करता है। रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्रियों से हम पाते हैं कि अपीलकर्ता एक 'प्रबंधक एजेंट' होने के नाते अधिनियम की धारा 2(17) के दायरे में आता है। इस प्रकार, हम पाते हैं कि दोषसिद्धि और सजा में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, खासकर वर्तमान मामले में जहां कर्मचारियों के वेतन से अंशदान की कटौती के बावजूद, उन्हें ESIC में जमा नहीं किया गया था।”
तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: अजय राज शेट्टी बनाम निदेशक और अन्य।