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सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग केस में आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिंग केस में आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दे दी। सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मई 2022 से हिरासत में हैं।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अवकाश पीठ ने यह आदेश पारित किया।पीठ ने जैन को अपनी पसंद के निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दी। जमानत निचली अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन होगी।पीठ ने कहा कि जैन "किसी भी मुद्दे पर कोई बयान देने के लिए"...

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्षों से जेलों में बंद विचाराधीन व्यक्तियों की समस्या पर प्रकाश डाला
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्षों से जेलों में बंद विचाराधीन व्यक्तियों की समस्या पर प्रकाश डाला

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विचाराधीन कैदियों के रूप में वर्षों से जेलों में बंद व्यक्तियों के मुद्दे पर प्रकाश डाला है।न्याय तक पहुंच के बारे में बात करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे भारत में विचाराधीन कैदियों की स्थिति के बारे में बात की, जो कानून की अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहराए जाने के बावजूद वर्षों से जेल में बंद हैं।राष्ट्रपति ने समस्या के मूल कारण को दूर करने के लिए पूरे समाज से आग्रह करने से पहले कहा,"इसका एक कारण यह है कि यहां की अदालतों पर अत्यधिक बोझ है।"उन्होंने आगे कहा,“ये...

अदालतों को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
अदालतों को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि कोर्ट को टेंडर या अनुबंध से जुड़े मामलों में आमतौर पर दखल नहीं देना चाहिए। एक रिट अदालत को किसी निविदाकर्ता की बोली को स्वीकार करने या न करने के संबंध में अपने निर्णय को नियोक्ता पर थोपने से बचना चाहिए, जब तक कि कुछ बहुत ही घोर या स्पष्ट सामने न हो।मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने टाटा मोटर्स लिमिटेड बनाम बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (बेस्ट) और अन्य की अपील पर फैसला सुनाते हुए...

मध्यस्थता के लिए परिसीमा अवधि | मध्यस्‍थ की नियुक्ति के लिए कार्यवाई का कारण पार्टियों के बीच ब्रेकिंग पॉइंट से शुरू होता हैः सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता के लिए परिसीमा अवधि | मध्यस्‍थ की नियुक्ति के लिए कार्यवाई का कारण पार्टियों के बीच "ब्रेकिंग पॉइंट" से शुरू होता हैः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मध्यस्थ नियुक्त करने की कार्रवाई का कारण "ब्रेकिंग पॉइंट" से शुरू होगा, जिस पर कोई भी उचित पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने के प्रयासों को छोड़ देगा और मध्यस्थता के लिए विवाद के संदर्भ पर विचार करेगा। "ब्रेकिंग पॉइंट" को उस तिथि के रूप में माना जाना चाहिए जिस पर परिसीमा के उद्देश्य के लिए कार्रवाई का कारण उत्पन्न हुआ।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डॉ धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने मैसर्स बी और टीएजी बनाम रक्षा मंत्रालय में दायर एक अपील का फैसला सुनाते हुए...

प्रस्तावित अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत याचिका खारिज करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण में सुनवाई का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट
प्रस्तावित अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत याचिका खारिज करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण में सुनवाई का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने संतकुमारी और अन्य बनाम तमिलनाडु और अन्य में दायर एक अपील में फैसला सुनाते हुए दोहराया कि प्रस्तावित अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 401 के तहत पुनरीक्षण कार्यवाही में सुनवाई का अधिकार है। खंडपीठ ने उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें धारा 156(3) के आवेदन को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था और आरोपी को नोटिस जारी किए बिना आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। खंडपीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।तथ्यशिकायतकर्ता...

अभियुक्त को तभी आरोपमुक्त किया जा सकता है, जब पूरे अभियोजन साक्ष्य को सच मानने के बाद भी कोई मामला नहीं बनता है: सुप्रीम कोर्ट
अभियुक्त को तभी आरोपमुक्त किया जा सकता है, जब पूरे अभियोजन साक्ष्य को सच मानने के बाद भी कोई मामला नहीं बनता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दो हत्या के आरोपी व्यक्तियों को इस आधार पर आरोपमुक्त कर दिया गया था कि हाईकोर्ट ने आरोप के साथ जांच एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का पूरी तरह से उल्लेख नहीं किया था। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा:"यदि इस विषय पर इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के आलोक में मामले के तथ्यों की जांच की जाती है, तो यह स्पष्ट है कि हाईकोर्ट ने चार्जशीट के साथ प्रस्तुत जांच एजेंसी द्वारा एकत्र...

जांच में कई खामियां: सुप्रीम कोर्ट ने 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए व्यक्ति को रिहा किया
जांच में कई खामियां: सुप्रीम कोर्ट ने 6 साल की बच्ची से रेप और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए व्यक्ति को रिहा किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छह साल की नाबालिग के साथ कथ‌ित रूप से बलात्कार और उसकी हत्या के दोषी को आईपीसी की धारा 302 और 376 के तहत मृत्युदंड और उम्रकैद की सजा को खारिज कर दिया।कोर्ट ने कहा कि आरोपी के अपराध को स्‍थापित करने के लिए उत्तरदायी परिस्थितियों की श्रृंखला में लंबे अंतराल थे, साथ ही मामले की जांच करने वाली एजेंसियों की ओर से कई अनियमितताएं और अवैधताएं की गई थीं।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा,"उपर्युक्त आरोप गंभीर प्रकृति के हैं हालांकि यह नहीं कहा...

सिविल जजों की नियुक्ति | कट-ऑफ तिथि के बाद कैटेगरी सर्टिफिकेट जमा करने वाले उम्मीदवारों को राहत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने खं‌डित निर्णय दिया
सिविल जजों की नियुक्ति | कट-ऑफ तिथि के बाद कैटेगरी सर्टिफिकेट जमा करने वाले उम्मीदवारों को राहत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने खं‌डित निर्णय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में, राजस्थान हाईकोर्ट से संबंधित एक मामले में एक खंडित निर्णय दिया, जिसमें सिविल न्यायाधीश के पद पर आवेदकों की नियुक्ति को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि उन्होंने कट-ऑफ तिथि से परे कैटेगरी सर्टीफिकेट प्रस्तुत किया था।जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार व्यक्त किए।जस्टिस रस्तोगी ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और अपील स्वीकार कर ली। उनका विचार था कि पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 को...

मजिस्ट्रेट आरोपी की आवाज के नमूने लेने का निर्देश दे सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
मजिस्ट्रेट आरोपी की आवाज के नमूने लेने का निर्देश दे सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट ने आरोपी को पुलिस को आवाज का नमूना देने के निर्देश देने वाले सत्र न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए हाल ही में कहा कि एक मजिस्ट्रेट के पास जांच ले उद्देश्य के लिए आवाज का नमूना एकत्र करने का आदेश देने की शक्ति है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने रितेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य पर भरोसा करते हुए आगे कहा कि मजिस्ट्रेट के पास ऐसी शक्ति है, "जब तक कि संसद द्वारा सीआरपीसी में स्पष्ट प्रावधान...

अनुच्छेद 299 | सिर्फ इसलिए कानून से छूट नहीं क्योंकि अनुबंध राष्ट्रपति के नाम से किया गया है: सुप्रीम कोर्ट
अनुच्छेद 299 | सिर्फ इसलिए कानून से छूट नहीं क्योंकि अनुबंध राष्ट्रपति के नाम से किया गया है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा, अगर सरकार एक अनुबंध में प्रवेश का विकल्प चुनती है और अनुबंध राष्ट्रपति के नाम पर किया जाता है, तब भी यह ऐसे कानून के खिलाफ किसी प्रकार की प्रतिरक्षा का निर्माण नहीं करता है, जिसके तहत समझौते के पक्षकारों पर शर्तें लगाई गई हों। शीर्ष अदालत मध्यस्थ की नियुक्ति पर दाखिल एक आवेदन पर सुनवाई कर रही ‌थी। पीठ ने कहा,"राष्ट्रपति की ओर से किए गए अनुबंधों के लिए मध्यस्थ के रूप में नियुक्ति की अपात्रता (अधिनियम की धारा 12(5) के तहत विचारित, अनुसूची VII के साथ...

नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग
नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका दायर की गई है।याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित न करके संविधान का उल्लंघन किया है।एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने पार्टी-इन-पर्सन के रूप में याचिका दायर की है। याचिका में लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए।गौरतलब है कि 18 मई को लोकसभा...

जीवनसाथी को लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
जीवनसाथी को लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट में तलाक से जुड़ा एक मामला आया। पति ने इस आधार पर पत्नी से तलाक की मांग की थी कि उसकी पत्नी लंबे समय से उसको उसके साथ यौन संबंध बनाने की अनुमति नहीं दे रही है। उसके साथ नहीं रह रही है।हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर पति को पत्नी से तलाक लेने की अनुमति दी। और कहा कि पति या पत्नी की तरफ से लंबे समय तक अपने जीवनसाथी के साथ बिना पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना, अपने आप में मानसिक क्रूरता है।जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की डिवीजन बेंच मामले की...

हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के समान अनुपात में होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के समान अनुपात में होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, सेवानिवृत्ति की आयु आदि पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की विभिन्न सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अपने फैसले में टिप्पणी की कि जिला न्यायाधीशों के कार्य अनिवार्य रूप से हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के समान ही हैं। इसलिए हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि जिला न्यायाधीशों के वेतनमान में उसी अनुपात में परिलक्षित होनी चाहिए।फैसले में यह भी कहा गया कि न्यायाधीश राज्य के कर्मचारी नहीं है, बल्कि सार्वजनिक पद के धारक...

SCAORA ने सीजेआई को उन नए मामलों को सूचीबद्ध करने के खिलाफ पत्र लिखा जिनका न तो मेंशन किया गया और न ही लिस्टिंग करने के लिए अनुरोध किया गया
SCAORA ने सीजेआई को उन नए मामलों को सूचीबद्ध करने के खिलाफ पत्र लिखा जिनका न तो मेंशन किया गया और न ही लिस्टिंग करने के लिए अनुरोध किया गया

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा जिसमें नए विविध मामलों की अचानक लिस्टिंग के बारे में शिकायत की गई। ये ऐसे मामले हैं, जिनका न तो मेंशन किया गया और न ही सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठों के समक्ष सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया। SCAORA सदस्यों को यह सुनिश्चित किया गया कि यदि वकील पेश नहीं होते हैं तो सूचीबद्ध मामलों को छुट्टी के बाद स्थगित कर दिया जाएगा।जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने SCAORA के सदस्यों को यह भी सुनिश्चित...

रिट कोर्ट किसी वैधानिक प्रावधान को असंवैधानिक माने बिना, उसे लागू करने से नहीं रोक सकता: सुप्रीम कोर्ट
रिट कोर्ट किसी वैधानिक प्रावधान को असंवैधानिक माने बिना, उसे लागू करने से नहीं रोक सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि विशिष्ट दलीलों के अभाव में, एक रिट कोर्ट प्रतिकूलता या विधायी क्षमता की कमी के मुद्दों पर विचार नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि जब तक वैधानिक प्रावधान को असंवैधानिक घोषित नहीं किया जाता है, तब तक इसके कार्यान्वयन को रोका नहीं जा सकता है।जस्टिस अभय एस ओका और ज‌स्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा, "हमारा विचार है कि वैधानिक प्रावधानों की वैधता के खिलाफ किसी विशेष चुनौती के अभाव में हाईकोर्ट को प्रतिकूलता के सवाल में प्रवेश करने की कवायद नहीं करनी चाहिए...

Supreme Court
अवकाश बेंच के सामने निर्देश लेने वाले वकील ही मेंशन कर सकते हैं, सीनियर वकील नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी को उसके समक्ष मामले मेंशन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा कि अवकाश पीठ के नियमों के अनुसार केवल निर्देश लेने वाले वकीलों को ही मामला मेंशन करना चाहिए, न कि सीनियर वकीलों को।रोहतगी ने दिल्ली में बिजली की समस्या से जुड़े मामले को मेंशन करने की मांग की। कथित तौर पर, चिलचिलाती गर्मी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की चरम खपत में काफी वृद्धि हुई है। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग...

अवुलपल्ली जलाशय: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार पर एनजीटी के 100 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई, 25 करोड़ जमा करने का आदेश दिया
अवुलपल्ली जलाशय: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार पर एनजीटी के 100 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई, 25 करोड़ जमा करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के जल संसाधन विभाग पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा चित्तूर जिले में अवुलापल्ली जलाशय के निर्माण के लिए पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन कर पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के लिए लगाए गए 100 करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगा दी।राज्य के अधिकारियों द्वारा आठ सप्ताह की अवधि के भीतर 25 करोड़ रुपये की राशि जमा करने के अधीन रहने की अनुमति दी जाती है।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कहा,"अपीलकर्ताओं द्वारा...

फेमा | यदि न्यायिक प्राधिकरण कार्रवाई शुरू करने के लिए कुछ दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में असमर्थ है तो भी प्राकृतिक न्याय उल्लंघन नहीं है: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
फेमा | यदि न्यायिक प्राधिकरण कार्रवाई शुरू करने के लिए कुछ दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में असमर्थ है तो भी प्राकृतिक न्याय उल्लंघन नहीं है: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने जोर देकर कहा कि यदि विरोधी पक्ष दास्तावेजों को प्रदान करने में असमर्थ है तो पीड़ित पक्ष से दस्तावेजों को रोकना प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता है। जस्टिस संजय धर की पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने ईडी अधिकारियों द्वारा जारी एक पत्राचार को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि धारा 13 (1) फेमा के तहत न्यायिक कार्यवाही याचिकाकर्ताओं के खिलाफ होनी चाहिए।मौजूदा मामले में याचिकाकर्ताओं को ईडी से...

हत्या के मामले में सांसद अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट, तेलंगाना हाईकोर्ट से नाखुश, अवकाश पीठ को फैसला करने का निर्देश
हत्या के मामले में सांसद अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट, तेलंगाना हाईकोर्ट से नाखुश, अवकाश पीठ को फैसला करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि लोकसभा सदस्य वाईएस अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका को 25 मई, 2023 को हाईकोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष रखा जाए। वाईएस अविनाश रेड्डी कांग्रेस नेता वाईएस विवेकानंद की हत्या के आरोपी हैं। उल्लेखनीय है कि वाईएस विवेकानंद आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के भाई थे।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,"इस अदालत ने 24.04.2023 को पारित आदेश के अनुसार ली गई अग्रिम जमानत पर सुनवाई की थी... और कोई आदेश पारित नहीं किया गया था।हम...