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NEET-UG 2024| बिहार पुलिस द्वारा दर्ज किए गए शुरुआती बयानों से संकेत मिलता है कि पेपर लीक 4 मई से पहले हुआ था: सुप्रीम कोर्ट ने कहा
NEET-UG 2024| बिहार पुलिस द्वारा दर्ज किए गए शुरुआती बयानों से संकेत मिलता है कि पेपर लीक 4 मई से पहले हुआ था: सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जुलाई) को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि NEET-UG पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों के शुरुआती बयानों से पता चलता है कि पेपर लीक 4 मई से पहले हुआ था।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ पेपर लीक और अन्य कदाचार के आधार पर स्नातक मेडिकल एडमिशन के लिए 5 मई को आयोजित NEET-UG 2024 (राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा) को रद्द करने की मांग करने वाले मामलों की सुनवाई कर रही थी।याचिकाकर्ताओं...

टिपर लॉरी को बेकार में रखना किसी काम का नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में जब्त किए गए वाहन को छोड़ने की अनुमति दी
'टिपर लॉरी को बेकार में रखना किसी काम का नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में जब्त किए गए वाहन को छोड़ने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में आपराधिक मामले के सिलसिले में सितंबर 2021 में जब्त किए गए टाटा टिपर लॉरी को छोड़ने का आदेश दिया। उक्त आदेश में कहा गया कि वाहन को बेकार में रखना किसी के हित में नहीं है, क्योंकि यह मजिस्ट्रेट कोर्ट परिसर के भीतर सार्वजनिक स्थान पर कब्जा कर रहा था।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा -"टिपर लॉरी जैसे वाहन को बेकार में रखना किसी के हित में नहीं है। इससे मजिस्ट्रेट कोर्ट परिसर में खड़े वाहन को नुकसान पहुंच रहा है। सार्वजनिक स्थान पर भी कब्जा...

जिस पक्ष का लिखित बयान दाखिल करने का अधिकार छीन लिया गया, वह साक्ष्य के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से अपना मामला पेश नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
जिस पक्ष का लिखित बयान दाखिल करने का अधिकार छीन लिया गया, वह साक्ष्य के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से अपना मामला पेश नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस पक्ष का किसी मामले में लिखित बयान दाखिल करने का अधिकार छीन लिया गया, वह साक्ष्य या लिखित प्रस्तुति के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से अपना मामला पेश नहीं कर सकता। ऐसा पक्ष अभी भी कार्यवाही में भाग ले सकता है और शिकायतकर्ता से जिरह कर सकता है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अपना मामला पेश नहीं कर सकता।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कहा,"लिखित बयान दाखिल न करने/लिखित बयान दाखिल करने के अधिकार को जब्त करने से संबंधित किसी विशिष्ट प्रावधान के अभाव में उपरोक्त...

सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार नेताओं को VC द्वारा प्रचार करने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार नेताओं को VC द्वारा प्रचार करने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज की। उक्त याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ECI) के खिलाफ यह निर्देश देने की मांग की गई कि गिरफ्तार नेताओं को वर्चुअल कॉन्फ्रेंस (VC) मोड के माध्यम से प्रचार करने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि याचिका "दुर्भावनापूर्ण इरादे" से दायर की गई।चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी इसे खारिज करते हुए कहा था कि यह अत्यधिक साहसिक याचिका है, जो कानून के मौलिक सिद्धांतों के विपरीत है। इस...

BREAKING| राज्य सरकार किसी को भी अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देश पर रोक लगाई
BREAKING| 'राज्य सरकार किसी को भी अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती': सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को ऐसी दुकानों के बाहर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने चाहिए।जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने सरकार के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।हालांकि खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि भोजनालयों को परोसे जा रहे भोजन के प्रकार को प्रदर्शित करना चाहिए।याचिकाकर्ताओं ने इन निर्देशों को धार्मिक भेदभाव...

सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर 5 अगस्त को सुनवाई करेगा, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया था।पहले के आदेश के अनुसार, पीठ को मामले की सुनवाई शुरू करनी थी। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू को कुछ व्यक्तिगत कठिनाइयां हैं।मेहता ने...

कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिकों की पहचान दर्शाने की अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महुआ मोइत्रा
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिकों की पहचान दर्शाने की अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महुआ मोइत्रा

कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर मालिकों की पहचान दर्शाने की अनिवार्यता के खिलाफ टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी निर्देशों को चुनौती दी गई है। इन निर्देशों में कथित तौर पर वार्षिक कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित सभी खान-पान की दुकानों के मालिकों को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर के साथ-साथ अपने कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए बाध्य किया गया है। कांवड़ यात्रा...

NEET-UG | डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट तैयार करने वाले IIT निदेशक की ओर से कोई हितों का टकराव नहीं : NTA ने सुप्रीम कोर्ट में बताया
NEET-UG | डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट तैयार करने वाले IIT निदेशक की ओर से कोई हितों का टकराव नहीं : NTA ने सुप्रीम कोर्ट में बताया

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा पेश किया। उक्त हलफनामा में स्पष्ट किया गया कि IIT मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटी द्वारा कोई हितों का टकराव नहीं है, जिन्होंने चल रहे NEET-UG 2024 मामले में डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट तैयार की।गौरतलब है कि NEET-UG 2024 परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की मौजूदगी से इनकार करने में संघ ने रिपोर्ट पर भरोसा किया। याचिकाकर्ताओं ने पिछली सुनवाई में तर्क दिया कि IIT मद्रास के निदेशक NTA शासी निकाय का हिस्सा हैं और हितों का टकराव...

कांवड़ यात्रा विवाद | सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के नेमप्लेट आदेश का मामला
कांवड़ यात्रा विवाद | सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के 'नेमप्लेट' आदेश का मामला

जाने-माने राजनीतिक टिप्पणीकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और स्तंभकार आकार पटेल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस निर्देश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों को ऐसी दुकानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया।झा और पटेल की याचिका में कहा गया,"उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य द्वारा जारी किए गए निर्देश असंगत हस्तक्षेप करते हैं और अनुच्छेद 14, 15 और 17 के तहत अधिकारों को प्रभावित करते...

Deceitful Property Deals: सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई, बेईमान विक्रेता और दूसरे क्रेता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया
Deceitful Property Deals: सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई, बेईमान विक्रेता और दूसरे क्रेता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

संपत्ति के स्वामित्व विवाद से निपटने के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विक्रेता पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया, जिसने विक्रेता के साथ सेल डीड निष्पादित करने के बाद संपत्ति को दूसरे क्रेता को हस्तांतरित कर दिया, जबकि पहला सेल डीड रजिस्ट्रेशन के लिए लंबित था। जुर्माने का भुगतान करने की देयता विक्रेता और दूसरे क्रेता द्वारा समान रूप से वहन करने का निर्देश दिया गया।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने कहा,"प्रतिवादी नंबर 2 (विक्रेता) बेईमान व्यक्ति प्रतीत होता है। हम...

जब पहली सेल डीड का पंजीकरण लंबित हो तो विक्रेता उसी प्लॉट पर दूसरी सेल डीड निष्पादित नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
जब पहली सेल डीड का पंजीकरण लंबित हो तो विक्रेता उसी प्लॉट पर दूसरी सेल डीड निष्पादित नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक विक्रेता जिसने सेल डीड निष्पादित किया है, वह उसी प्लॉट के संबंध में दूसरी सेल डीड निष्पादित नहीं कर सकता, क्योंकि पहली सेल डीड का पंजीकरण लंबित है। कोर्ट ने कहा कि डीड निष्पादित होते ही विक्रेता संपत्ति पर सभी अधिकार खो देता है और वह केवल इसलिए किसी अधिकार का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि डीड पंजीकृत नहीं हुई है।न्यायालय ने कहा कि पंजीकरण न कराने का एकमात्र परिणाम यह है कि क्रेता संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 और पंजीकरण अधिनियम, 1908 के प्रावधानों के कारण साक्ष्य के रूप...

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट रिकॉर्ड के ई-इंस्पेक्शन की अनुमति देने की याचिका पर हाईकोर्ट से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट रिकॉर्ड के ई-इंस्पेक्शन की अनुमति देने की याचिका पर हाईकोर्ट से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में वकीलों और वादियों को हाईकोर्ट और अन्य न्यायालयों के डिजिटल न्यायिक अभिलेखों का ऑनलाइन माध्यम से निरीक्षण करने की अनुमति देने की मांग की गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र और सभी 25 हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों से भी जवाब मांगा था।पीठ ने कहा,"नोटिस जारी करें। सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इलेक्ट्रॉनिक मोड...

क्या फोरेंसिक रिपोर्ट के बिना NDPS मामलों में चार्जशीट अधूरी है? क्या राज्यों के पास पर्याप्त फोरेंसिक लैब हैं? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच
क्या फोरेंसिक रिपोर्ट के बिना NDPS मामलों में चार्जशीट अधूरी है? क्या राज्यों के पास पर्याप्त फोरेंसिक लैब हैं? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त फोरेंसिक साइंस लैब की स्थापना से संबंधित मुद्दे पर ध्यान देने को कहा, जिसमें ऐसी लैब को संचालित करने के लिए आवश्यक तकनीकी कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या हो।कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रहा है कि क्या NDPS मामलों में फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) या जांचकर्ता की रिपोर्ट को शामिल किए बिना चार्जशीट को CRPC की धारा 173 (जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट) के तहत 'अधूरी रिपोर्ट' माना जा सकता है।जस्टिस...

पूर्व कार्यकारी निर्णय विधानमंडल को विपरीत दृष्टिकोण अपनाने से नहीं रोकता : सुप्रीम कोर्ट
पूर्व कार्यकारी निर्णय विधानमंडल को विपरीत दृष्टिकोण अपनाने से नहीं रोकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति किसी कार्यकारी कार्रवाई के आधार पर किसी लागू करने योग्य कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकता, जिसे बाद में राज्य विधानमंडल द्वारा व्यापक जनहित में संशोधित किया जाता है।न्यायालय ने कहा कि न तो वैध अपेक्षा का अधिकार और न ही वचनबद्ध रोक का दावा कार्यकारी कार्रवाइयों के आधार पर किया जा सकता है, जिसे विधानमंडल बाद में जनहित में बदलता है।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने कहा,“हमारे सामने जैसी स्थिति में यदि कोई पिछला कार्यकारी निर्णय...

पेड़ों की कटाई के संबंध में पारित आदेशों के अनुपालन की पुष्टि के लिए मशीनरी स्थापित करने की आवश्यकता: सुप्रीम कोर्ट
पेड़ों की कटाई के संबंध में पारित आदेशों के अनुपालन की पुष्टि के लिए मशीनरी स्थापित करने की आवश्यकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के संबंध में पारित आदेशों के अनुपालन की पुष्टि के लिए मशीनरी स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ के समक्ष यह मामला था, जिसने कहा कि यह सत्यापित करने की आवश्यकता है कि पेड़ों की कटाई की अनुमति देते समय न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का अनुपालन किया जा रहा है या नहीं, अन्यथा न्यायालयों का इस मुद्दे पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।जस्टिस ओक ने कहा,"इस न्यायालय ने समय-समय पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले आदेश पारित किए...

जूनियर वकीलों के प्रति पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण न रखें; उन्हें उचित वेतन दें: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
जूनियर वकीलों के प्रति पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण न रखें; उन्हें उचित वेतन दें: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने 20 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट की प्रिंसिपल बेंच के रूप में मदुरै पीठ की स्थापना के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मद्रास के मदुरै कन्वेंशन सेंटर में आयोजित विजयोत्सव समारोह का उद्घाटन किया।सीजेआई के अलावा, इस कार्यक्रम में विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें (i) सुप्रीम कोर्ट के जज- जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस आर महादेवन, (ii) मद्रास हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डी...