सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप, पिछले सप्ताह के कुछ खास जजमेंट/ऑर्डर पर एक नज़र

Update: 2020-01-20 08:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट में 13 जनवरी से 17 जनवरी 2020 के सप्ताह में कुछ अहम मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। एक नज़र सुप्रीम कोर्ट के वीकली राउंड अप पर डालिए।

किराए के घर के एक हिस्से को किसी दूसरे को किराए पर देने से मकान मालिक को मिल जाता है पूरा घर खाली कराने का अधिकार-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केरल बिल्डिंग (लीज एंड रेंट कंट्रोल), अधिनियम, 1965( Kerala Buildings (Lease and Rent Control), Act, 1965]) के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा है कि किराए के परिसर या घर के किसी भी हिस्से को किसी अन्य को किराए पर देने से या उसे उप किराएदारी में देने से मकान मालिक को पूरे परिसर से किराएदार को बेदखल करने का अधिकार मिल जाता है। मकान मालिक द्वारा इस मामले में दी गई दलील यह थी कि भले ही परिसर के एक हिस्से में उप-किरायेदारी की जाए, लेकिन निष्कासन या खाली कराने का अधिकार पूरे परिसर के संबंध में मिल जाता है।

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एससी/एसटी कानून के तहत जांच न किये जाने को आधार बनाकर उसी मामले में आईपीसी के तहत दायर आरोप-पत्र खारिज नहीं किये जा सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी अपराध की शिकायत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून, दोनों के प्रावधानों के तहत की जाती है तो आईपीसी के प्रावधानों के तहत सक्षम पुलिस अधिकारी द्वारा की गयी जांच सिर्फ इसलिए खारिज नहीं की जा सकती कि सक्षम पुलिस अधिकारी ने एससी/एसटी कानून के तहत घटना की जांच नहीं की थी।

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एसएफआई ने नागरिकता संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून की वैधानिकता समेत पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, की धारा 3(2)(C)और विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 ए के तहत वर्ग छूट देने की केंद्र सरकार की शक्ति की वैधता को चुनौती दी गई है।

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EPF एक्ट : किसी कंपनी द्वारा नियुक्त ठेका कर्मचारी भी भविष्य निधि का लाभ पाने के हकदार : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी कंपनी द्वारा लगाए गए ठेका कर्मचारी, जो कंपनी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपना भत्ता / वेतन प्राप्त करते हैं, कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत भविष्य निधि के लाभ के हकदार हैं। दरअसल भारत सरकार की पवन हंस लिमिटेड में 51% हिस्सेदारी है और शेष 49% तेल और प्राकृतिक गैस कंपनी लिमिटेड (ONGC) के पास है।

एक ट्रेड यूनियन द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने माना था कि ईपीएफ अधिनियम के तहत लाभ यूनियन के सदस्यों और अन्य समान रूप से नियुक्त कर्मचारियों के लिए बढ़ाए जाने चाहिए। यह माना गया था कि अनुबंधित कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने में एक उदार दृष्टिकोण लिया जाना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है,जिसमें ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, और वायु प्रदूषण पर जीवाश्म ईंधन पर आधारित वाहनों के गंभीर प्रभाव के मद्देनजर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए सरकारी नीतियों की विफलता को रेखांकित किया गया है।

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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट : सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने शुक्रवार को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRC) और गुजरात और केंद्र सरकारों को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ याचिकाओं पर नोटिस जारी किया। भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए किसानों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। बुलेट ट्रेन के 508 किमी लंबा ट्रैक बनाने की योजना है। पीठ ने आज अधिकारियों से जवाब मांगा और उन्हेंअपना रुख साफ करने को कहा गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने एनपीआर नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने की केंद्रीय मंत्रालय की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले को 22 जनवरी को एंटी-सीएए याचिकाओं के बैच के साथ सुनवाई के लिए रखा जाएगा। याचिका में कहा गया है कि नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 स्थानीय रजिस्ट्रार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से "संदिग्ध नागरिकों" को चिह्नित करने की शक्ति देता है।

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" वो भारत रत्न से बहुत ऊपर हैं" : सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महात्मा गांधी को भारत रत्न प्रदान करने के लिए भारत सरकार को कोई भी दिशानिर्देश जारी करने से इनकार कर दिया। "वह भारत रत्न से बहुत ऊपर हैं? उन्हें लोगों द्वारा बहुत सम्मान दिया जाता है ... हम आपके विचारों से सहमत हैं, हम आपके विचारों को स्वीकार करते हैं ... लेकिन महात्मा गांधी के लिए भारत रत्न क्या है?" मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने टिप्पणी की।

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कार्ति चिदंबरम को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने विदेश यात्रा के लिए रजिस्ट्री में जमा 20 करोड़ रुपये वापस करने की अनुमति दी

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और सासंद कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने कार्ति को विदेश यात्रा करने की शर्त पर रजिस्ट्री में जमा कराए गए 20 करोड़ रुपये वापस लेने की अनुमति दे दी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ( ED) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था जिसमें उन्होंने विदेश यात्रा के लिए गारंटी के लिए सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा किए गए 20 करोड़ रुपये वापस देने की गुहार लगाई गई।

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देश की हर तहसील में केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन महीने में फैसला लेने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर फैसला लेने को कहा है जिसमें देश के प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को निर्देश को देने की मांग की गई थी। शुक्रवार को जस्टिस एन वी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि ये नीतिगत मामला है और केंद्र के पास प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता है।

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आपको किसने सिविल जज बनने के लिए प्रेरित किया? आप एक वकील के रूप में काम जारी रख सकते हैं " : सिविल जज Vs बार केस में जस्टिस अरुण मिश्रा की टिप्पणी

आपको किसने एक सिविल जज बनने के लिए प्रेरित किया? आप एक वकील के रूप में जारी रख सकते हैं, आकर्षक पैसा बना सकते हैं और फिर जिला न्यायाधीश बन सकते हैं या सीधे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट भी आ सकते हैं। कुछ हिम्मत दिखाइए !" जस्टिस अरुण मिश्रा ने गुरुवार को ये टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस रवींद्र भट शामिल हैं, बार से सीधे जिला जज की भर्ती के लिए आरक्षित कोटा के सिविल जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर विचार कर रहे थे।

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भारत में इंटरनेट शटडाउन को असंवैधानिक घोषित किया जाए, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें मांग की गई है कि देश भर में इंटरनेट शटडाउन को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के रूप में घोषित किया जाना चाहिए और इस प्रकार, इसे असंवैधानिक और अवैध घोषित करना चाहिए। अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी द्वारा दायर, जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका में प्रार्थना की गई है कि शीर्ष अदालत दूरसंचार सेवाओं (अस्थायी या सार्वजनिक सुरक्षा) के अस्थायी निलंबन के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा "मनमाने ढंग से इंटरनेट शटडाउन" को रोकने के लिए दिशा-निर्देश दे।

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जिला जज की परीक्षा में भाग लेने की अनुमति के लिए वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

तमिलनाडु के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें जिला न्यायाधीश के लिए होने वाली परीक्षा में भाग लेने की अनुमति मांगी गई है। वकील ने आरक्षित श्रेणियों के लिए ऊपरी आयु सीमा में कटौती के आदेश को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में 13 जनवरी को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें न्यायालय ने परीक्षा में भाग लेने के लिए उसे अंतरिम राहत देने की प्रार्थना को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता, एन एस शिवकुमार ने कहा कि जिला न्यायाधीश चयन के लिए आरक्षित श्रेणियों (बीसी / एसटी / एससी) के लिए ऊपरी आयु सीमा 12 दिसंबर, 2019 तक 48 साल थी।

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AGR पर टेलीकॉम कंपनियों को फिर झटका, सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया

समायोजित सकल राजस्व (AGR) मामले में टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक 23 जनवरी तक टेलीकॉम कंपनियों को बकाया चुकाना है। दरअसल 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों भारती एयरटेल, वोडा- आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।

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खुद किया गया लंबा और लगातार कब्जा विवादित कब्जा नहीं कहा जा सकताः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि किसी संपत्त‌ि पर लगातार और लंबे समय तक किया गया कब्जा, प्रतिकूल कब्जा नहीं कहा जा सकता है ताकि ल‌िमिटेशन एक्ट के अनुच्छेद 65 के आशय की सीमा में उचित स्वामित्व हो। मामले में वादी ने मुकदमें में शामिल संपत्ति की खरीद के आधार पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया था। प्र‌तिवादियों ने अपने लिखित बयान में इनकार किया कि वादी संपत्ति का मालिक है। उन्होंने दावा किया कि मुकदमें की प्रॉपर्टी पर उनका घर पिछली दो शताब्दियों से अधिक समय से मौजूद है।

हाईकोर्ट ने दूसरी अपील में कहा कि संपत्त‌ि मार्च, 1964 से प्रतिवादियों के स्पष्ट, निर्बाध, शांतिपूर्ण और शत्रुतापूर्ण कब्जे में थी, और मार्च, 1976 में 12 साल की अवधि पूरी हो गई थी। इसलिए वादी द्वारा 17 फरवरी, 1979 को दायर किया गया मुकदमा पर‌िसीमन-वर्जित यानी मुकदमे दायर करने के लिए तय की गई सीमा अवधि के बाहर है।

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गोवा के मोपा में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के निर्माण को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी है। इससे गोवा सरकार और GMR को राहत मिली है। गुरुवार को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने हवाई अड्डे के निर्माण कार्य पर लगी रोक को हटा लिया। पीठ ने कहा कि इसके लिए गोवा सरकार व अन्य को पहले से तय पर्यावरण शर्तों व अतिरिक्त शर्तों का पालन करना होगा। पीठ ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए इन शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं इसकी देखरेख की जिम्मेदारी NEERI की होगी।

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U/S 439 के तहत हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार सिर्फ ज़मानत देने या ना देने तक सीमित : सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के समिति बनाने के फैसले को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें राज्य सरकार को आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत न्यायालय का अधिकार क्षेत्र लंबित मुकदमे को मंजूरी देने या न देने के लिए सीमित है और उसके पास राज्य में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के तहत कोई भी आदेश पारित करने का कोई अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र नहीं है।

हाईकोर्ट ने यह आदेश जमानत की मांग वाली याचिका में पारित किया था। पीठ ने दोषी / आरोपी व्यक्ति के सुधार, पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण और जांच की गुणवत्ता में सुधार के लिए अच्छी प्रणाली को लाने के लिए एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया।

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केंद्र स्पष्ट करे, क्या देश भर में NRC होगा? IUMLने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी देकर सरकार को निर्देश देने की मांग की

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने की मांग की है कि क्या देश का व्यापक नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार किया जाएगा और क्या यह राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के साथ जुड़ा हुआ है? उन्होंने 10 जनवरी की अधिसूचना पर रोक लगाने के लिए एक और आवेदन दायर किया है, जिस अधिसूचना में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) को लागू किया गया।

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' अगर आपको बार का अनुभव नहीं है तो कानून की धाराओं को नहीं समझ सकते' : जस्टिस मिश्रा की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस रविन्द्र भट की पीठ ने बुधवार को बार के कोटा ये सीधे सिविल जजों की जिला जजों के पद पर नियुक्ति को लेकर सुनवाई जारी रखी। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, "उन्होंने बार सदस्यों के लिए एक अलग श्रेणी बनाई है। उद्देश्य यह था कि बार में बिना किसी अनुभव के सीधे नियुक्त लोगों की तुलना में बेहतर प्रतिनिधि हैं। बार न्यायपालिका का मुख्य स्त्रोत है। यदि आपके पास बार में अनुभव नहीं है तो आप कानून की सभी धाराओं को नहीं जान सकते हैं।

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दिल्ली में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई दिशा-निर्देश जारी किए

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की विकराल समस्या को दूर करने के लिए कई दिशा-निर्देश पारित किए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कई दिशा-निर्देशों को पारित किए हैं, जिनमें पराली जलाने से लेकर वाहनों के उत्सर्जन और निर्माण की धूल तक की समस्या से निपटना शामिल है। इस संबंध में, दिल्ली नगर निगम और हरियाणा, राजस्थान और यूपी की सरकारों को तीन सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा गया है। साथ ही पिछले निर्देशों की अनुपालन रिपोर्ट भी दायर करने के लिए कहा गया है।

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1984 सिख विरोधी दंगा : केंद्र ने कहा SIT की सिफारिशें मंजूर, दंगाइयों का साथ देने वाले पुलिस वालों पर कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के बंद मामलों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींगरा की SIT की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है और दोषी पुलिसकर्मियों पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के याचिकाकर्ता गुरलाड सिंह कहलों की ओर से कहा गया कि रिपोर्ट से साफ है कि पुलिस ने दंगाइयों की मदद की। राज्य की भूमिका भी घेरे में है। हालांकि बरी होने के 25 साल बाद, यह एक कठिन काम है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता इसे लेकर अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

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छत्तीसगढ़ राज्य ने NIA एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मूल वाद दाखिल किया

छत्तीसगढ़ राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 131 के तहत एक मूल वाद दायर किया है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( NIA) अधिनियम 2008 को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह संविधान की भावना के विपरीत है। एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय कानून के खिलाफ दायर किया गया दूसरा मुकदमा है। सोमवार को केरल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ सूट दायर किया था। वाद में यह कहा गया है कि अधिनियम "संसद की विधायी क्षमता" से परे है और संविधान की "संघीय भावना" के विरुद्ध है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हैंडराटिंग एक्सपर्ट की राय दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि स्वतंत्र और विश्वसनीय पुष्टि के बिना, हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स की राय को दोषसिद्घ‌ि का आधार नहीं बनाया जा सकता है। जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा है कि हेंडराइटिंग एक्सपर्ट की राय पर काम करने से पहले, विवेक की आवश्यकता है कि कोर्ट को यह देखना होगा कि ऐसे सबूतों की अन्य सबूतों द्वारा प्रत्यक्ष पुष्टि हो रही हो या परिस्थितिजन्य साक्ष्य द्वारा पुष्टि हो रही हो।

कोर्ट आईपीसी की धारा 467 और 468 के तहत अभियुक्तों की सजा के खिलाफ अपील पर विचार कर रहा था। इस अपील में दलील दी गई थी कि यह साबित किए बिना कि अभियुक्त ने डिलीवरी स्लिप में जाली हस्ताक्षर किए हैं, आईपीसी की धारा 467 और 468 के तहत अपीलकर्ता की सजा बरकरार नहीं रखी जा सकती है।

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वरिष्ठ अधिवक्ता को लेकर गाइडलाइन के अपने ही फैसले को चुनौती देने वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें उच्च न्यायालय ने वकीलों को ' वरिष्ठ' पदनाम देने के लिए अपने ही दिशानिर्देशों को चुनौती देने की अनुमति दी है। उच्च न्यायालय के सामने वकील देबाशीष रॉय ने दिशा निर्देशों को चुनौती दी थी, क्योंकि इंदिरा जयसिंह मामले में शीर्ष अदालत द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया था। वैसे जनवरी, 2019 के अपने निर्णय में उच्च न्यायालय का विचार था कि उच्च न्यायालय में नियमित अभ्यास करने वाली शर्त को छोड़ दिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति आईपी मुकर्जी ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम कोर्ट के किसी भी अभ्यास स्थल या ग्रेड को निर्धारित नहीं करता है जहां एक वकील को विचार के योग्य होने के लिए अभ्यास करना चाहिए।

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निर्भया केस : सुप्रीम कोर्ट ने दो दोषियों की क्यूरेटिव याचिकाएं खारिज की

निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में मौत की सजा के इंतजार में चार में से दो दोषियों विनय शर्मा और मुकेश की क्यूरेटिव याचिकाओं को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की 5-जजों की बेंच ने खारिज कर दिया।

जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर बनुमथी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने क्यूरेटिव याचिकाओं में कोई गुण नहीं पाया और उन्हें खारिज कर दिया।

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मेंशनिंग : सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग, जलीकट्टू की सुनवाई पर सहमति जताई

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कार्यान्वयन के मामले की सुनवाई पर सहमति व्यक्त की। मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने फैसले को लेकर दाखिल अपने आवेदन का उल्लेख किया जिसमें उस निर्णय का जिक्र किया गया कि उक्त निर्णय में लाइव स्ट्रीमिंग के लिए तौर-तरीकों के लिए भी कार्यक्रम निर्दिष्ट किया गया है। "हम इसे सुनेंगे, " चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने आश्वासन दिया।

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केरल सरकार ने भारत सरकार के खिलाफ CAA को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में सूट दायर किया

एक अभूतपूर्व कदम में एक राज्य सरकार ने एक केंद्रीय कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक सूट दाखिल किया है। केरल राज्य ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती देते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत ये वाद दायर किया है।

सूट में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2015 और विदेशियों (संशोधन) आदेश 2015 को भी चुनौती दी गई है जिसने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों के प्रवास को नियमित कर दिया है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले इस शर्त पर भारत में दाखिल हुए थे कि वे अपने घर में धार्मिक उत्पीड़न के चलते भाग आए थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य बाल संरक्षण संरक्षण आयोग के जांच करने के अधिकारों के विवाद का निपटारा किया

सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकारों के मुद्दों की जांच करने की शक्तियों के संबंध में राष्ट्रीय और राज्य बाल संरक्षण संरक्षण आयोग के बीच 'विवादों' का निपटारा कर दिया है। सोमवार को फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, " किसी भी आयोग के क्षेत्राधिकार का कोई बाहरी मामला नहीं है। बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 13 (2) द्वारा रखी गई एकमात्र बाधा यह है कि यदि राज्य आयोग ने पहले ही जांच शुरू कर दी है तो राष्ट्रीय आयोग को स्वाभाविक रूप से इस मामले में जांच करने से बचना चाहिए। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि राष्ट्रीय आयोग अन्य बड़े सवालों में नहीं जा सकता जिसके कारण बाल अधिकारों के उल्लंघन की विशिष्ट घटनाएं हो सकती हैं, जिन पर जांच करने की आवश्यकता है।"

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सबरीमला संदर्भ : वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, भेजे गए सवाल व्यापक और एकेडेमिक , दुरुस्त करने की जरूरत 

9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सबरीमला पुनर्विचार याचिका में संदर्भ पर सुनवाई की और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने खुली अदालत में साथ भरी अदालत में कहा, , " हम पुनर्विचार नहीं सुन रहे हैं। हम केवल संदर्भ बिंदुओं पर हैं।"

सबरीमला पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई करने वाली पांच-न्यायाधीशों की बेंच के 14 नवंबर के आदेश को इंगित करते हुए मूल याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था, "(2018 सबरीमला) निर्णय में कोई दोष नहीं है।

संदर्भ केवल यह कहता है कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश के मामलों में उत्पन्न होने वाले मुद्दे, एक गैर-पारसी से विवाहित एक पारसी महिला के अधिकार और दाउदी बोहरा समुदाय द्वारा महिलाओं के खतने की परंपरा उस निर्णय में मुद्दों के साथ ओवरलैप हो सकते हैं और यह कि संदर्भ के लिए एक बड़ी बेंच को उन मुद्दों से इंकार नहीं किया जा सकता है. ..संदर्भ अलग से पंजीकृत नहीं हैं। अन्य समान मामलों में हमें याचिकाओं की प्रतियां भी नहीं दी गई हैं! हम नहीं जानते हैं कि वे क्या हैं! "

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नुस्ली वाडिया Vs रतन टाटा : वाडिया ने CJI का सुझाव माना, रतन टाटा के खिलाफ सारे मानहानि केस वापस लिए

एक अहम कदम में उद्योगपति नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा के खिलाफ सारे मानहानि केसों को वापस ले लिया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उनकी ओर से कहा गया कि चूंकि रतन टाटा ने कोर्ट में बयान दिया है कि उनकी मंशा वाडिया की मानहानि की नहीं थी।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने इसके बाद मामले का निस्तारण कर दिया और केस से जुड़े वकीलों की सराहना की। पिछले सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले में दोनों उद्योगपतियों से सुलह करने का सुझाव दिया था। पीठ ने कहा था कि दोनों उद्योगजगत में नेता हैं, आप बात क्यों नहीं करते हैं और इस मुद्दे को हल क्यों नहीं करते हैं। इस दिन और उम्र में आप को इस तरह मुकदमेबाजी करने की

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