सुप्रीम कोर्ट ने एनपीआर नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

17 Jan 2020 12:07 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने एनपीआर नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने की केंद्रीय मंत्रालय की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले को 22 जनवरी को एंटी-सीएए याचिकाओं के बैच के साथ सुनवाई के लिए रखा जाएगा।

    याचिका में कहा गया है कि नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 स्थानीय रजिस्ट्रार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से "संदिग्ध नागरिकों" को चिह्नित करने की शक्ति देता है।

    बंगाल के शिक्षक इसरारुल होक मोंडल और उन्नीस अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि नियम, नागरिकता पर संदेह करने के लिए कोई भी व्यक्त आधार प्रदान नहीं करते। याचिका में कहा गया है, "नागरिकता का संदेह व्यक्तिगत रजिस्टरों और स्थानीय रजिस्ट्रार के विवेक पर छोड़ दिया जाता है।"

    याचिका में यह तर्क दिया गया है कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9 और 10 के तहत ही नागरिकता से वंचित किया जा सकता है, इसलिए, 'संदिग्ध नागरिकों' को चिह्नित करने के लिए एक अधिकारी को दी गई शक्ति मनमानी और अनुचित है।

    मुसलमानों को इस प्रक्रिया में अत्यधिक संवेदनशील बनाया जाता है, क्योंकि उनमें से अधिकांश सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के हैं, और हो सकता है कि वे नागरिकता के दावों को स्थापित करने के लिए दस्तावेजों पेश न कर पाएं।

    याचिका में कहा गया है, "शिक्षा के खराब स्तर और एक राज्य से दूसरे राज्य में उच्च स्तर पर प्रवासन को देखते हुए, नागरिकता नियमों के तहत आवश्यक विवरण प्रस्तुत करने का साधन नहीं होने की संभावना बहुत अधिक है।

    याचिका में यह भी बताया गया है कि लगभग 300 मिलियन भारतीय भूमिहीन हैं और हो सकता है कि वे दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता के दावों को स्थापित न कर पाएं।

    31 जुलाई, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच एनपीआर तैयार करने की अधिसूचना जारी की थी। याचिका में इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है।

    CAA को विभिन्न आधारों पर चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विभिन्न अन्य याचिकाओं में यह तर्क दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हुए अधिनियम में धार्मिक भेदभाव किया गया है और प्रवासियों का धर्म-आधारित बहिष्कार हुआ है। यह भी आग्रह किया गया है कि यह अधिनियम भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का उल्लंघन करके नागरिकता को धर्म से जोड़ता है।

    इस सप्ताह एनपीआर पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका और दायर की गई। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने की मांग की है कि क्या देश का व्यापक नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार किया जाएगा और क्या यह राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के साथ जुड़ा हुआ है?

    उन्होंने 10 जनवरी की अधिसूचना पर रोक लगाने के लिए एक और आवेदन दायर किया है, जिस अधिसूचना में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) को लागू किया गया। इन आवेदनों को सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली आईयूएमएल द्वारा दायर रिट याचिका में अंतरिम दिशा-निर्देश मांगते हुए दायर किया गया है। आवेदन विभिन्न अवसरों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए कथनों का उल्लेख करते हैं कि CAA, NRC की ओर पहली प्रक्रिया है। राज्य सभा में राज्य मंत्री किरन रिजिजू द्वारा दिए गए बयान में कहा गया है कि एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला कदम है।


    याचिका की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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