हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2021-06-13 04:39 GMT

07 जून 2021 से 12 जून 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

पुलिस ने सुनी-सुनाई कथित बातचीत के आधार पर गौहत्या अधिनियम के तहत मामला दर्ज कियाः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आवेदक को जमानत दी और एसपी से स्पष्टीकरण मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उस आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी है,जिसके खिलाफ यू.पी. गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 के तहत अपराध करने का मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने पाया कि पुलिस पार्टी द्वारा सुनी गई आवेदक की कथित बातचीत के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया था। जस्टिस अब्दुल मोइन की बेंच यूपी गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 की धारा 3/5/8 के तहत आवेदक द्वारा दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी।

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'मिथुन चक्रवर्ती की 'कोबरा' टिप्पणी': कलकत्ता हाईकोर्ट ने मिथुन को वर्चुअल मोड के माध्यम से चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले की में जांच में शामिल होने का निर्देश दिया

कलकत्ता हाईकोर्ट ने जाने-माने अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती को अपने भाषणों के माध्यम से चुनाव के बाद हिंसा के लिए कथित रूप से उकसाने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में पूछताछ के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने के लिए कहा। न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 जून, 2021 को तय की और जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने के लिए कम से कम उचित समय दे।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों को केंद्र की वैक्सीनेशन नीति में बदलाव के बाद शेष वैक्सीन खुराक वापस करने की अनुमति दी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस तथ्य को देखते हुए कि केंद्र सरकार ने अपनी वैक्सीनेशन नीति में बदलाव कर लिया है, गुरुवार को प्राइवेट अस्पतालों को शेष COVID-19 वैक्सीन की खुराक सरकार को वापस करने की अनुमति दी। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और नरसिंहपुर के संबंधित सीएमएचओ को वैक्सीन की बची हुई खुराक बताई गई संख्या लौटा दें। यह इसका विधिवत सत्यापन करेंगे और इसके बदले भुगतान की गई राशि का सत्यापन करेंगे। एक माह की अवधि के भीतर संबंधित अस्पताल को वापस कर दिया जाएगा।

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'केवल इसलिए कि सह आरोपी फरार है, हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिशों के तहत अंडर ट्रायल कैदी के लिए उपलब्ध लाभ से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता': दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल इसलिए कि अन्य सह-आरोपी फरार है, हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिशों के तहत एक अंडर ट्रायल कैदी के लिए उपलब्ध लाभ से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल न्यायाधीश की पीठ ने हत्या के मामले में आरोपी 27 साल की उम्र के एक विचाराधीन कैदी को 45 दिनों की अवधि के लिए अंतरिम जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने 45 दिनों के लिए अंतरिम जमानत की मांग करते हुए इस आधार पर अर्जी दायर की थी कि मामला हाई पावर्ड कमेटी के दिशानिर्देशों के तहत आता है।

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क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर COVID-19 रोगियों को निवारक दवाओं के अलावा सहायक दवाएं भी दे सकते हैं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर निवारक दवाओं के अलावा COVID-19 रोगियों के लिए निर्धारित सहायक दवाएं दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार द्वारा अपनी आयुष सिफारिशों में रोगियों के इलाज के लिए होम्योपैथी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। याचिका होम्योपैथिक चिकित्सक जयप्रसाद द्वारा अधिवक्ता वीटी माधवनुन्नी और एमएस विनीत के माध्यम से दायर की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह COVID-19 रोगियों का इलाज करते हैं तो केरल राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की धमकी दी है, जो कथित तौर पर अनुच्छेद 19 (1) (जी) का उल्लंघन है।

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'एक बार जब वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता': जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि एक बार जब पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है। न्यायमूर्ति संजय धर की खंडपीठ ने कहा कि यदि मामले के फिर से अन्वेषण करने की कोई गुंजाइश है, तो निचली रैंक का अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने मामले के पुन: अन्वेषण के लिए अपनी राय रख सकता था, लेकिन वह खुद से पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है।

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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों को प्राइवेट स्कूल के छात्रों के समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जानी चाहिएः मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले वंचित वर्गों के छात्रों और ग्रामीण छात्रों को निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एन. किरुबकरण और न्यायमूर्ति टी. वी. थमिलसेल्वी की पीठ सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के रूप में पदोन्नत होने के लिए सेवा शर्तों के संबंध में दायर एक रिट अपील पर सुनवाई कर रही थी।

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अंतरधार्मिक जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करते समय महिला का इस्लाम में धर्मांतरण प्रासंगिक कारक नहीं होना चाहिए: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

एक अंतर-धार्मिक जोड़े, जिन्होंने आरोप लगाया था कि निजी प्रतिवादी उनके वैवाहिक जीवन और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहे हैं, की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता (लड़की) के इस्लाम स्वीकार करने का तथ्य यह, सुनिश्चित करते हुए कि याचिकाकर्ताओं की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप ना हो, प्रासंगिक कारक नहीं होगा। जस्टिस सलिल कुमार राय की पीठ एक लड़की (20 वर्ष की आयु, जिसने इस्लाम स्वीकार कर ‌लिया) और पुरुष (40 वर्ष की आयु) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी और उन्होंने प्रतिवादियों को उनके वैवाहिक जीवन और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न करने का निर्देश देने की मांग की।

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केवल गलत आदेश पारित करने के लिए किसी लोक सेवक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती, जब कि यह सबूत ना हो कि आदेश बाहरी विचारों से प्रभावित है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला में कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी लोक सेवक के खिलाफ केवल एक गलत आदेश पारित करने के कारण, जब कि यह प्रदर्शित करने के लिए कि आदेश को बाहरी विचारों या परोक्ष उद्देश्यों के तहत जानबूझकर पारित किया गया था, कोई सामग्री मौजूद ना हो, आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह फैसला उडुंबंचोला के तत्कालीन तहसीलदार पी.सुनील कुमार की ओर से दायर याचिका पर दिया, जिन्होंने सरकार के प्रतिकूल एक आदेश पारित करने के मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। उक्त प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता आदेश पारित करने में बाहरी विचारों से प्रेरित था।

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जस्टिस संजय यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त

भारत के राष्ट्रपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय यादव को उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से इलाहाबाद उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। न्यायमूर्ति संजय यादव, एम.ए., एलएलबी, ने 25.08.1986 को अधिवक्ता के रूप में अपना नामांकन करवाया। उन्होंने जबलपुर में सिविल, संवैधानिक, श्रम और सेवा मामलों में 20 वर्षों तक अभ्यास किया और श्रम और सेवा मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने मार्च 1999 से अक्टूबर 2005 तक सरकारी अधिवक्ता के रूप में काम किया। वह अक्टूबर 2005 से उप महाधिवक्ता थे। उन्हें 2 मार्च, 2007 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 15 जनवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया। उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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'वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेशों की उपेक्षा, देश में कानून के शासन पर गंभीर परिणाम होगा': इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेशों की उपेक्षा का देश में कानून के शासन पर गंभीर परिणाम होगा। न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने आगे टिप्पणी की कि कोर्ट ने समय-समय पर जमानत आवेदनों के सरकारी अधिवक्ता को निर्देश प्रदान करने में पुलिस अधिकारियों की विफलता को देखा है। पीठ ने कहा कि, "एक बार पुलिस अधिकारियों को इस तथ्य के प्रति सचेत कर दिया गया है कि समय पर निर्देश देने में विफलता कानून की जड़ पर हमला है। यह अक्सर एक आरोपी की अनुचित कैद की ओर ले जाता है।"

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विवाहित और अविवाहित व्यक्ति के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप की मान्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट लिव-इन-रिलेशनशिप में सुरक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं (महिला-पुरुष) की याचिका पर विचार किया। कोर्ट ने देखा कि याचिकाकर्ता नम्बर 2 (पुरुष) पहले से ही विवाहित है। यह नोट करते हुए अदालत ने कहा कि: "एक विवाहित और अविवाहित व्यक्ति के बीच लिव-इन-रिलेशन की अनुमति नहीं है।" न्यायमूर्ति पंकज भंडारी की पीठ 29 साल की एक महिला और 31 साल के एक पुरुष की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने लिव-इन-रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग की।

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"चार धाम के खुलने की संभावना से चिंतित", राज्य में COVID की स्थिति की समीक्षा करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा

राज्य में COVID की स्थिति की समीक्षा करते हुए, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह चार धाम के खुलने की संभावना से चिंतित है, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है। चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस तथ्य कि वैज्ञानिक समुदाय ने निकट भविष्य में तीसरी COVID लहर की चेतावनी दी है और ब्‍लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार के लिए कई निर्देश जारी किए।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत के जीवन पर आधारित फिल्मों की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया; सुशांत के पिता की याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह की सुशांत के जीवन पर आधारित फिल्मों की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की एकल पीठ ने कृष्ण किशोर सिंह के आवेदन पर यह आदेश पारित किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने अप्रैल में सुशांत के पिता की याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें सुशांत के जीवन पर आधारित किसी भी फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।

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मंदिर की जमीन मंद‌िरों के पास रहे; सार्वज‌निक उद्देश्य के सिद्धांत को मंदिरों की जमीन के लिए उपयोग न किया जाएः मद्रास हाईकोर्ट

सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य को 75 निर्देशों का एक सेट जारी किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में प्राचीन मंदिरों और प्राचीन स्मारकों का रखरखाव उचित ढंग से हो। 224 पन्नों के फैसले में जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस पीडी ऑदिकेसवालु की खंडपीठ ने कहा, "... भव्य और प्राचीन मंदिरों और प्राचीन स्मारकों के संरक्षक कम परेशान हैं और हमारी मूल्यवान विरासत किसी प्राकृतिक आपदा

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'गलत जाति प्रमाण पत्र वास्तविक व्यक्तियों को लाभ से वंचित करता है': बॉम्बे हाईकोर्ट ने सांसद नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अमरावती की सांसद नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया और इसके साथ ही जाति जांच समिति (सीएससी) 2017 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 'मोची' अनुसूचित जाति से संबंधित होने के उनके झूठे दावे को मान्य किया गया था। न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की पीठ ने राणा को महाराष्ट्र विधिक सेवा प्राधिकरण को जुर्माने के रूप में दो लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया और प्रमाण पत्र सरेंडर करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।

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20% छात्र के पास डिजिटल एक्सेस नहीं है: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अनुच्छेद 21 ए के तहत बच्चों की ऑनलाइन क्लास सुनिश्चित करने को कहा

कर्नाटक हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने सूचित किया कि राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले अनुमानित 20 प्रतिशत छात्रों के पास शिक्षकों से निर्देश लेने के लिए कोई गैजेट या टेलीविजन या कोई वर्चुअल मोड नहीं है। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति हंचते संजीव कुमार की खंडपीठ ने इस दलील पर चिंता व्यक्त की और कहा: "छात्रों का यह प्रतिशत, जो वस्तुतः कक्षाओं में नहीं जा रहे हैं, बहुत चिंता का विषय है। वास्तव में यदि ये छात्राएँ कक्षाओं में भाग नहीं ले रही हैं, तो स्कूलों के बंद रहने की स्थिति में विशेष रूप से ग्रामीम क्षेत्रों में ऐसी छात्राओं की शादी होने की संभावना है। उनकी सुरक्षा का भी उतना ही सरोकार है, जितना कि नाबालिग लड़कों सहित बच्चों की तस्करी का खतरा काफी अधिक है।"

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लोक सेवा आयोग के पास भर्ती के मानदंडों में ढील देने का कोई अधिकार नहीं: झारखंड उच्च न्यायालय ने सिविल सेवा परीक्षा परिणाम रद्द किया

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा 326 पदों के लिए आयोजित छठी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा, 2016 की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की सिंगल बेंच ने यह देखते हुए परिणाम को रद्द कर दिया कि जेपीएससी द्वारा प्रत्येक पेपर में न्यूनतम योग्यता अंकों के मानदंडों का पालन करके मेरिट सूची तैयार नहीं की गई थी। उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आयोग अपने कामकाज में माहिर है और अदालतें आम तौर पर चयन के तंत्र पर सवाल उठाने की हकदार नहीं हैं। लेकिन साथ ही, अगर अवैधता को अदालत के संज्ञान में लाया जाता है, तो ऐसा नहीं किया उसे नजरअंदाज किया जा सकता है और अदालत हस्तक्षेप के लिए बाध्य है।"

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एक ही आरोपी के खिलाफ कई मामलों में कॉमन चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति नहींः कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अलग-अलग पुलिस थानों में एक ही आरोपी के खिलाफ विभिन्न् निवेशकों द्वारा दायर शिकायतों के लिए एक कॉमन(सामूहिक) आरोप-पत्र दाखिल करना कानून के खिलाफ है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत एकीकृत आरोप-पत्र दाखिल करने की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति के नटराजन की एकल पीठ ने कहाः ''राज्य-सीआईडीपुलिस के पास विभिन्न शिकायतों में एक कॉमन आरोप पत्र दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि, जांच अधिकारी को व्यक्तिगत शिकायत पर पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रत्येक अपराध के खिलाफ अगल-अलग आरोप पत्र दाखिल करना होगा। इसके बाद, विशेष अदालत सीआरपीसी का पालन करके आईपीसी और विशेष अधिनियम दोनों के तहत दंडनीय अपराधों पर संज्ञान लेगी और कानून के अनुसार मामले का निपटारा करेगी।''

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने A4 साइज के कागज के उपयोग की अनुमति देने के लिए अपने नियमों में संशोधन किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक स्वागत योग्य कदम उठाते हुए अपने कामकाज में A4 आकार के कागज के उपयोग की अनुमति दी है, ताकि कागज की छपाई की पर्यावरणीय लागत को कम किया जा सके और इसे वादियों के लिए आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य बनाया जा सके। हालांकि, हाईकोर्ट ने अभी तक कागज के दोनों तरफ छपाई की अनुमति नहीं दी है। रजिस्ट्रार जनरल ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 225 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है, जिससे हाईकोर्ट में दायर करने के लिए सभी याचिकाओं, अपीलों, आवेदनों आदि के लिए A4 आकार के कागज के उपयोग की अनुमति दी गई है।

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व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता को, इस तथ्य के बावजूद संरक्षित किया जाना चाहिए कि दो बालिगों के बीच संबंध को अनैतिक और असामाजिक कहा जा सकता हैः राजस्‍थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता को, इस तथ्य के बावजूद संरक्षित किया जाना चाहिए कि दो बालिगों के बीच संबंध को अनैतिक और असामाजिक कहा जा सकता है। ज‌स्ट‌िस सतीश कुमार शर्मा की सिंगल जज बेंच ने कहा कि राजस्थान पुलिस एक्ट, 2007 की धारा 29 के तहत राज्य के प्रत्येक पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करे। बेंच ने कहा, "... भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, व्यक्तिगत जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए, इस तथ्य के बावजूद कि दो बालिगों के बीच के संबंध को अनैतिक और असामाजिक कहा जा सकता है।"

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लूडो एक जुआ या कौशल का खेल? - बॉम्बे हाईकोर्ट ने लूडो ऐप के निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर राज्य को नोटिस जारी किया

बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में लूडो सुप्रीम नामक गेम एप्लिकेशन के निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में लूडो को सट्टेबाजी / जुआ और तकदीर का खेल कहा गया है। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ ने पिछले हफ्ते राज्य के अधिकारियों से 22 जून तक जवाब मांगा है। एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल के पदाधिकारी केशव मुले द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लूडो कौशल का नहीं, तकदीक का खेल है। इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि इस पर पैसे का दांव लगाया जा रहा है, इसलिए इस पर महाराष्ट्र जुआ रोकथाम अधिनियम, 1887 के प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाए।

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