'एक बार जब वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता': जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
11 Jun 2021 11:08 AM GMT
![Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/01/03/750x450_386705-378808-jammu-and-kashmir-high-court.jpg)
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि एक बार जब पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी मामले को बंद करने की मंजूरी दे देता है तो निचली रैंक का कोई अधिकारी मामले के पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है।
न्यायमूर्ति संजय धर की खंडपीठ ने कहा कि यदि मामले के फिर से अन्वेषण करने की कोई गुंजाइश है, तो निचली रैंक का अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने मामले के पुन: अन्वेषण के लिए अपनी राय रख सकता था, लेकिन वह खुद से पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है।
पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक मामले में फिर से अन्वेषण का निर्देश दिया गया था, जिसे जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पहले ही बंद कर दिया था।
पीठ ने कहा कि,
"प्रतिवादी संख्या 3 (पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू) के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इस कृत्य में वरिष्ठ अधिकारी के निर्णय की अवज्ञा की गई है।"
पीठ ने देखा कि मामले में पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू न केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है बल्कि वरिष्ठ अधिकारी के निर्णय की अवज्ञा भी की है।
कोर्ट ने कहा कि,
"यदि मामले के फिर से अन्वेषण करने की कोई गुंजाइश है, तो पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू अपने वरिष्ठ अधिकारी प्रतिवादी नंबर 2 के सामने मामले के पुन: अन्वेषण के लिए अपनी राय रख सकता था, लेकिन वह खुद से पुन: अन्वेषण के लिए निर्देश नहीं दे सकता है। प्रतिवादी संख्या 3 द्वारा पारित आदेश कानून के मुताबिक उचित नहीं है और इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।"
पूरा मामला
याचिकाकर्ता अजीत चोरा ने पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी, जिसमें भारतीय दंड सहिंता (आईपीसी) की धारा 380 के तहत अपराधों के मामले में फिर से अन्वेषण का निर्देश दिया गया था, जिसे जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पहले ही बंद कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मामले का अन्वेषण करने के बाद जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप प्रमाणित नहीं हुए और इस तरह इस संबंध में एक रिपोर्ट जांच अधिकारी द्वारा उपायुक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीपीओ, सिटी साउथ, जम्मू को प्रस्तुत की गई थी, जिन्होंने बाद में मामले को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जम्मू को सौंप दिया।
याचिकाकर्ता का यह आगे का मामला था कि एसएसपी, जम्मू ने उपायुक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीपीओ, सिटी साउथ, जम्मू की सिफारिश को स्वीकार कर लिया और मामले के अन्वेषण के निष्कर्ष पर स्वीकृति प्रदान नहीं की गई।
हालांकि पुलिस अधीक्षक, सिटी साउथ, जम्मू ने आश्चर्यजनक रूप से एसएसपी द्वारा मामले को बंद करने की मंजूरी के बावजूद पुलिस चौकी, छठा के प्रभारी को यह देखते हुए फिर से अन्वेषण करने का आदेश जारी किया कि मामले के अन्वेषण पेशेवर तरीके से नहीं किया गया है।
केस का शीर्षक - अजीत चोपड़ा बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और अन्य
आदेश की कॉपी यहां पढ़ें: