इलाहाबाद हाईकोट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के एक पार्क में अवैध अतिक्रमण और अस्थायी मंदिरों की जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के एक पार्क में अवैध अतिक्रमण और अस्थायी मंदिरों की जांच के आदेश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने हाल ही में लखनऊ के सार्वजनिक पार्क में अनधिकृत अतिक्रमण पर कड़ी आपत्ति जताई और अधिकारियों को इस बात की जांच करने का निर्देश दिया कि उस ज़मीन पर अस्थायी मंदिर और अन्य गैर-सार्वजनिक ढांचे कैसे बनने दिए गए।जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने पार्क में अवैध अतिक्रमण हटाने और असामाजिक गतिविधियों को रोकने की मांग वाली रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।याचिकाकर्ता कॉलोनी निवासी बेबी पाल ने दलील दी कि कभी हरियाली, झूलों और मनोरंजन...

घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह आम बात, आत्महत्या के लिए उकसाने के इरादे के बिना प्रताड़ित करने पर IPC की धारा 306 लागू नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह आम बात, आत्महत्या के लिए उकसाने के इरादे के बिना प्रताड़ित करने पर IPC की धारा 306 लागू नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह और मतभेद आम बात है। अगर इस कारण से पति या पत्नी में से कोई आत्महत्या करता है तो यह नहीं माना जा सकता कि उनके उकसाने के कारण मृतक ने आत्महत्या की।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने सेशन कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक महिला और उसके माता-पिता द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत अपने पति को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दायर बरी करने की अर्जी खारिज कर दी गई।सिंगल जज ने कहा कि वैवाहिक झगड़े...

पाकिस्तान के समर्थन में की गई सोशल मीडिया पोस्ट पर भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने का अपराध नहीं चलेगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पाकिस्तान के समर्थन में की गई सोशल मीडिया पोस्ट पर 'भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने' का अपराध नहीं चलेगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी अन्य देश के समर्थन में संदेश पोस्ट करने मात्र से भारत के नागरिकों में रोष या वैमनस्य पैदा हो सकता है और यह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत दंडनीय भी हो सकता है, लेकिन यह BNS की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य) के कड़े प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आएगा।जस्टिस संतोष राय की पीठ ने साजिद चौधरी नामक व्यक्ति को ज़मानत देते हुए यह टिप्पणी की। साजिद पर 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' वाली एक फ़ेसबुक पोस्ट...

उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम की धारा 54 के अंतर्गत अपील के लिए विहित प्राधिकारी कौन है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा
उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम की धारा 54 के अंतर्गत अपील के लिए विहित प्राधिकारी कौन है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से यह स्पष्ट करने को कहा कि उत्तर प्रदेश जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम, 1975 की धारा 54 के अंतर्गत जय संस्थान या किसी अन्य एजेंसी द्वारा अधिनियम की धारा 53 की उप-धारा (2) के अंतर्गत पारित मूल्यांकन आदेश के विरुद्ध अपील का निर्णय करने हेतु विहित प्राधिकारी कौन है?याचिकाकर्ता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिवीजन, चकेरी, कानपुर, अत्याधुनिक विमानों और अन्य रक्षा उपकरणों एवं सेवाओं के निर्माण, मरम्मत और ओवरहालिंग में लगा हुआ है। भारत में रक्षा...

Krishna Janmabhoomi Dispute | कोई पर्याप्त कारण नहीं दिखाया गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद नंबर 7 में देवता के नेक्स्ट फ्रेंड को हटाने की याचिका खारिज की
Krishna Janmabhoomi Dispute | 'कोई पर्याप्त कारण नहीं दिखाया गया': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाद नंबर 7 में देवता के नेक्स्ट फ्रेंड को हटाने की याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह स्वामित्व विवाद मामले के वाद नंबर 7 में वादी नंबर 2 से 5 द्वारा दायर आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें वादी नंबर 1, भगवान श्री कृष्ण लाला विराजमान के अगले मित्र के रूप में श्री कौशल किशोर ठाकुर जी उर्फ ​​कौशल सिंह तोमर को हटाने की मांग की गई।जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि आवेदन में दिए गए आधार नेक्स्ट फ्रेंड को हटाने के लिए पर्याप्त नहीं थे, जो कि एक 'कठोर' कार्रवाई थी। यह तभी की जा सकती है जब यह साबित हो जाए कि अगला मित्र...

पीड़िता के गुप्तांगों को चोट पहुंचाना हमेशा सामूहिक बलात्कार के अपराध को स्थापित करने के लिए साक्ष्य के रूप में आवश्यक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पीड़िता के गुप्तांगों को चोट पहुंचाना हमेशा सामूहिक बलात्कार के अपराध को स्थापित करने के लिए साक्ष्य के रूप में आवश्यक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि बलात्कार पीड़िता के गुप्तांगों को चोट पहुंचाना हमेशा सामूहिक बलात्कार सहित बलात्कार के अपराध को स्थापित करने के लिए साक्ष्य के रूप में आवश्यक नहीं होता।हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के गुप्तांगों को चोट न पहुंचना, उन मामलों में अपराध को अंजाम देते समय बल प्रयोग न किए जाने के कारण हो सकता है, जहां उसे इस हद तक भयभीत किया गया हो कि उसने कृत्य का विरोध न किया हो।जस्टिस जे.जे. मुनीर की पीठ ने कहा कि दूसरी संभावना यह हो सकती है कि पीड़िता किसी मादक पदार्थ, जैसे...

विवाह रद्द होने तक अधिकार बनाए रखते हुए पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
विवाह रद्द होने तक अधिकार बनाए रखते हुए पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पत्नी का भरण-पोषण पाने का अधिकार केवल इसलिए नहीं छीना जा सकता कि विवाह रद्द किया जा सकता है, जब तक कि कोर्ट के समक्ष विवाह रद्द करने का कोई आदेश प्रस्तुत न किया गया हो।जस्टिस राजीव लोचन शुक्ला ने कहा,“जब तक एक शून्य योग्य विवाह को किसी आदेश के माध्यम से रद्द नहीं किया जाता पत्नी की कानूनी स्थिति पति की विधिवत पत्नी के रूप में बनी रहती है और इससे उत्पन्न सभी अधिकार भी जारी रहते हैं।”मामले में पत्नी ने फॅमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था,...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UPPSC मुख्य परीक्षाएं निर्धारित समय पर आयोजित करने का निर्देश दिया, परिणाम अपील के परिणाम के अधीन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UPPSC मुख्य परीक्षाएं निर्धारित समय पर आयोजित करने का निर्देश दिया, परिणाम अपील के परिणाम के अधीन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिंगल जज के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसके तहत विभिन्न पदों के लिए UPPSC मुख्य परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा की नई मेरिट सूची तैयार होने तक स्थगित कर दी गई थी।अतिरिक्त उल्लेख पर सिंगल जज के आदेश के विरुद्ध विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा,“तथ्यों और परिस्थितियों तथा मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए अंतरिम उपाय के रूप में हम प्रावधान करते हैं कि 28.09.2025 को होने वाली मुख्य परीक्षा, निर्धारित कार्यक्रम के...

सिखों के खिलाफ टिप्पणी मामले में हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देने से किया इनकार
सिखों के खिलाफ टिप्पणी मामले में हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देने से किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने वाराणसी कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अमेरिका यात्रा के दौरान सिखों पर की गई कथित टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने ट्रायल पुनर्विचार कोर्ट के आदेश में कोई अवैधता नहीं पाई और मामले को संबंधित मजिस्ट्रेट के पास वापस भेज दिया।सिंगल जज ने कहा,"...ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित मजिस्ट्रेट...

यौन उत्पीड़न मामले में नौकरी से निकाली गई कर्मचारी को राहत: गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में होगी फिर से बहाली”
यौन उत्पीड़न मामले में नौकरी से निकाली गई कर्मचारी को राहत: गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में होगी फिर से बहाली”

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी की महिला कर्मचारी को बड़ी राहत देते हुए उनका सेवा समाप्ति आदेश रद्द किया। अदालत ने माना कि महिला को केवल इसलिए बार-बार टर्मिनेट किया गया, क्योंकि उन्होंने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।जस्टिस मंजु रानी चौहान ने आदेश देते हुए कहा कि यह साफ़ तौर पर अनावश्यक उत्पीड़न का मामला है, क्योंकि सभी कार्रवाई केवल शिकायत दर्ज करने के बाद ही शुरू हुईं।उन्होंने टिप्पणी की,“रजिस्ट्रार आज तक यूनिवर्सिटी में सेवा दे रहे हैं, जबकि...

जाति महिमा मंडन राष्ट्रविरोधी, संविधान का सम्मान ही सच्ची देशभक्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने FIR व सार्वजनिक स्थलों से जाति संदर्भ हटाने का दिया निर्देश
"जाति महिमा मंडन 'राष्ट्रविरोधी', संविधान का सम्मान ही 'सच्ची देशभक्ति': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने FIR व सार्वजनिक स्थलों से जाति संदर्भ हटाने का दिया निर्देश"

हाल ही के एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाज में जाति महिमा मंडन की प्रवृत्ति पर कड़ी आपत्ति जताई और उत्तर प्रदेश सरकार को व्यापक निर्देश दिए कि एफआईआर, पुलिस दस्तावेज़, सार्वजनिक रिकॉर्ड, मोटर वाहनों और सार्वजनिक बोर्ड से जाति संदर्भ हटाए जाएं।जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि ऐसा जाति महिमा मंडन "राष्ट्रविरोधी" है और संविधान के प्रति श्रद्धा ही "सच्ची देशभक्ति" और "राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च रूप" है। महत्वपूर्ण रूप से, एकल न्यायाधीश ने कहा कि यदि भारत को 2047 तक वास्तव में...

सुप्रीम कोर्ट से पुष्टि प्राप्त भूमि अधिग्रहण धारा 24(2) के तहत न तो निरस्त होगा, न ही पुनर्जीवित: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सुप्रीम कोर्ट से पुष्टि प्राप्त भूमि अधिग्रहण धारा 24(2) के तहत न तो निरस्त होगा, न ही पुनर्जीवित: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन भूमि अधिग्रहण कार्यवाहियों को सुप्रीम कोर्ट पहले ही वैध ठहरा चुका है, उन्हें भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में न्यायसंगत मुआवज़ा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 24(2) के आधार पर न तो पुनर्जीवित किया जा सकता है और न ही अमान्य घोषित।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी मेरठ ज़िले की भूमि अधिग्रहण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। अदालत ने कहा कि अधिग्रहण की कार्यवाही 1990 में पूरी हो चुकी थी।...