इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नस्लीय घृणा के कारण 6 वर्षीय स्टूडेंट को पीटने के आरोपी टीचर के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई करने पर रोक लगाई
Amir Ahmad
20 Jan 2025 7:59 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस को शिक्षक के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई करने से रोक दिया, जिस पर नस्लीय घृणा के कारण अनुसूचित जाति के 6 वर्षीय स्टूडेंट को पीटने का आरोप है।
जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की।
आवेदक हमीरपुर जिले के स्कूल में शिक्षिका अदा परवीन पर एक स्टूडेंट को पीटने का आरोप है जिसके कारण कथित तौर पर स्टूडेंट बीमार पड़ गया।
पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद शिक्षक-आवेदक पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत चोट पहुंचाने और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) की धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) के तहत मामला दर्ज किया गया।
FIR को चुनौती देते हुए आवेदक-आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें तर्क दिया गया कि धारा 3(2)(वीए) और 3(1)(आर) SC/ST Act के तहत अपराध की घटना को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है, क्योंकि किसी भी स्वतंत्र गवाह ने मामले का समर्थन नहीं किया जैसा कि FIR में कहा गया।
उसका कहना था कि उसने स्टूडेंट को उसका होमवर्क पूरा न करने के लिए केवल डांटा था। यह भी तर्क दिया गया कि मेडिकल अधिकारी ने पीड़ित के शरीर पर किसी भी तरह की चोट से इनकार किया।
यह प्रस्तुत किया गया कि अभियोजन पक्ष की पूरी कहानी अटकलों पर आधारित है। जाति-संबंधी अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने या पीड़ित को नुकसान पहुंचाने के संबंध में कोई विशेष आरोप नहीं लगाया गया, क्योंकि उसकी जाति एससी/एसटी समुदाय का सदस्य है।
यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, पीठ ने आरोपी के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगा दी।