इलाहाबाद हाईकोट

UP Lokayut Act: हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को छूट देने वाले प्रावधान पर नोटिस जारी किया, मौजूदा लोकायुक्त के खिलाफ याचिका खारिज
UP Lokayut Act: हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को छूट देने वाले प्रावधान पर नोटिस जारी किया, मौजूदा लोकायुक्त के खिलाफ याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा दायर रिट याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में उत्तर प्रदेश लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1975 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है, जिसमें मुख्यमंत्री को कानून के दायरे से बाहर रखने वाला प्रावधान भी शामिल है।कोर्ट ने उनकी एक अन्य याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मौजूदा लोकायुक्त और उप-लोकायुक्तों के खिलाफ 'अधिकार पृच्छा' (Quo Warranto) रिट की मांग की थी।जस्टिस संगीता चंद्र और जस्टिस बृज राज सिंह की...

S.11 A&C Act | बकाया राशि पर ब्याज छोड़ने का अनुरोध वाला पत्र, चल रहे विवाद का संकेत देता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
S.11 A&C Act | बकाया राशि पर ब्याज छोड़ने का अनुरोध वाला पत्र, चल रहे विवाद का संकेत देता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

जस्टिस जसप्रीत सिंह की इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने मध्यस्थता अधिनियम के तहत धारा 11 के तहत याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि प्रतिवादी द्वारा याचिकाकर्ता को संबोधित पत्र, जिसमें उनसे बकाया राशि पर ब्याज का दावा छोड़ने का अनुरोध किया गया, दर्शाता है कि दावे अभी भी विचाराधीन हैं। इसलिए दावों को समाप्त नहीं माना जा सकता और धारा 11 की याचिका सीमा अवधि के भीतर है।तथ्यात्मक मैट्रिक्स:दोनों पक्षकारों ने विद्युत चालित डेंटल चेयर माउंट इकाइयों की आपूर्ति के लिए 28.03.2008 को समझौता किया। याचिकाकर्ता ने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉ स्टूडेंट्स पर पुलिस बर्बरता की न्यायिक जांच से इनकार किया, कहा- किसी भी अवैध कृत्य का समर्थन नहीं किया जा रहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लॉ स्टूडेंट्स पर 'पुलिस बर्बरता' की न्यायिक जांच से इनकार किया, कहा- 'किसी भी अवैध कृत्य का समर्थन नहीं किया जा रहा'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप स्मारक यूनिवर्सिटी (SRM) के प्रदर्शनकारी लॉ स्टूडेंट्स पर कथित पुलिस बर्बरता की न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार किया।हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके आदेश को अधिकारियों या प्राइवेट यूनिवर्सिटी द्वारा किसी भी अवैध कृत्य का समर्थन करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। संदर्भ के लिए, स्टूडेंट्स प्रशासन द्वारा नियमों का उल्लंघन करके और बिना उचित नवीनीकरण/अनुमोदन के लॉ कोर्स चलाने के विरोध में...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को लोकपाल से बाहर रखने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को लोकपाल से बाहर रखने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त अधिनियम 1975 के उन प्रावधानों को चुनौती दी थी जो मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखते हैं।अमिताभ ठाकुर ने इस प्रावधान [अधिनियम की धारा 2(g)] को बेहद मनमाना, अनुचित, अर्थहीन और खतरनाक" करार दिया, क्योंकि यह मुख्यमंत्री को किसी भी आरोप और शिकायत से बचाता है। ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा कि यह प्रावधान मुख्यमंत्री को अपने पद का दुरुपयोग कर किसी भी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर्स की आलोचना वाली कविता पोस्ट करने के आरोपी अधिकारी के निलंबन पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर्स की आलोचना वाली कविता पोस्ट करने के आरोपी अधिकारी के निलंबन पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को राहत प्रदान की, जिन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर अपने सीनियर्स की कथित आलोचना वाली कविता पोस्ट करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।7 जुलाई, 2025 को पारित निलंबन आदेश को इस आधार पर न्यायालय में चुनौती दी गई कि किसी भी कविता को अपलोड करना कदाचार के दायरे में नहीं आएगा और भी कोई बड़ी सजा नहीं होगी।जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने विवादित निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलें बलशाली हैं। प्रथम दृष्टया विचार की आवश्यकता है।...

समय पर फैसले सुनाने का निर्देश देने वाला सुप्रीम कोर्ट का आदेश राजस्व न्यायालयों पर भी लागू: इलाहाबाद हाईकोर्ट
समय पर फैसले सुनाने का निर्देश देने वाला सुप्रीम कोर्ट का आदेश राजस्व न्यायालयों पर भी लागू: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि अनिल राय बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश जिसमें किसी पीठ द्वारा फैसला सुनाने के लिए अधिकतम 6 महीने की अवधि निर्धारित की गई, राजस्व न्यायालयों पर भी लागू होता है।जस्टिस आलोक माथुर ने कहा, "हमें कोई कारण नहीं दिखता कि सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश को सिविल कोर्ट के विकल्प के रूप में स्वामित्व विवादों के निपटारे के लिए राजस्व न्यायालयों तक भी क्यों न बढ़ाया जाए।"याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश भूमि अधिग्रहण एवं भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा...

SRM यूनिवर्सिटी विध्वंस विवाद | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा अंतरिम राहत याचिका पर निर्णय होने तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई
SRM यूनिवर्सिटी विध्वंस विवाद | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा अंतरिम राहत याचिका पर निर्णय होने तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने बुधवार को श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRM) बाराबंकी के विरुद्ध चल रही विध्वंस कार्रवाई सहित बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई। यह रोक उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत पारित बेदखली और दंडात्मक आदेश के अनुसरण में लगाई गई।जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने यह आदेश श्री रामस्वरूप मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट लखनऊ द्वारा अपने प्रबंध न्यासी के माध्यम से दायर रिट याचिका पर पारित किया, जिसमें यूनिवर्सिटी परिसर के एक हिस्से को ध्वस्त करने की राज्य सरकार की...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRM यूनिवर्सिटी को बिना मंजूरी के लॉ कोर्स चलाने के मामले में राहत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SRM यूनिवर्सिटी को बिना मंजूरी के लॉ कोर्स चलाने के मामले में राहत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRM) बाराबंकी और उसके अधिकारियों को FIR के संबंध में जबरन कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। आरोपियों में यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रार भी शामिल है। इस FIR में आरोप लगाया गया कि यूनिवर्सिटी ने बिना किसी वैध मंजूरी के लॉ कोर्सों में स्टूडेंट्स का दाखिला लिया और उनकी परीक्षाएं आयोजित कीं।जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने यह आदेश यूनिवर्सिटी और उसकी रजिस्ट्रार द्वारा दायर रिट याचिका पर पारित किया। इस याचिका में...

भले ही कामगार के लिखित बयान का खंडन न किया गया हो, श्रम न्यायालय को निर्णय देने से पहले साक्ष्य पर विचार करना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
भले ही कामगार के लिखित बयान का खंडन न किया गया हो, श्रम न्यायालय को निर्णय देने से पहले साक्ष्य पर विचार करना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही कामगार के लिखित बयान का खंडन न किया गया हो, श्रम न्यायालय को साक्ष्यों पर विचार करना चाहिए और आदेश पारित करते समय अपनी न्यायिक बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।न्यायालय ने कहा कि केवल उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद नियम, 1957 के नियम 12 (9) के आधार पर साक्ष्यों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। केवल कामगार द्वारा दिए गए कथनों के आधार पर निर्णय नहीं दिया जा सकता।जस्टिस प्रकाश पाडिया ने कहा,“यद्यपि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद नियम, 1957 के नियम 12 (9) में यह प्रावधान है...

राज्य चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी भर्ती के लिए योग्यता की समतुल्यता स्पष्ट कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
राज्य चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी भर्ती के लिए 'योग्यता की समतुल्यता' स्पष्ट कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि राज्य सरकार चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी किसी पद पर भर्ती के लिए 'योग्यता की समतुल्यता' के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए सक्षम है।इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के स्वायत्तशासी संस्थान इविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद द्वारा जारी कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (PGDCA) की योग्यता की स्थिति के मुद्दे पर विचार करते हुए जस्टिस अजीत कुमार ने कहा,"यह सच है कि विज्ञापन द्वारा चयन प्रक्रिया प्रभावी होने के बाद खेल के नियम नहीं बदले जा सकते। ऐसी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा जाति-आधारित रैलियां आयोजित करने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा जाति-आधारित रैलियां आयोजित करने पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने पिछले सप्ताह भारत संघ और उत्तर प्रदेश सरकार को 2013 की जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा जाति-आधारित रैलियां आयोजित करने के संबंध में अपना रुख स्पष्ट किया गया।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने एडवोकेट मोती लाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।जनहित याचिका में जाति-आधारित रैलियां आयोजित करने वाली सभी राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को ऐसी...

बलात्कार पीड़िता और उसके बच्चे का DNA टेस्ट नियमित रूप से नहीं कराया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
बलात्कार पीड़िता और उसके बच्चे का DNA टेस्ट नियमित रूप से नहीं कराया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बलात्कार पीड़िता और उसके बच्चे का DNA टेस्ट सामान्य तौर पर कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसका गहरा सामाजिक प्रभाव पड़ता है।अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं मामलों में जब अनिवार्य और अपरिहार्य परिस्थितियां रिकॉर्ड पर सामने आएं और DNA टेस्ट कराने की ठोस आवश्यकता सिद्ध हो तभी ऐसा आदेश पारित किया जा सकता है।जस्टिस राजीव मिश्रा की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें अभियुक्त ने ट्रायल कोर्ट द्वारा DNA टेस्ट की अर्जी खारिज किए जाने को चुनौती दी थी।संबंधित...

बृजभूषण शरण सिंह के सीएम को लिखे पत्र पर वकील की मानहानि शिकायत में पत्रकारों को तलब करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द
बृजभूषण शरण सिंह के सीएम को लिखे पत्र पर वकील की मानहानि शिकायत में पत्रकारों को तलब करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ खंडपीठ) ने हाल ही में एक अहम आदेश पारित करते हुए लखनऊ की विशेष सीजेएम अदालत द्वारा पारित उस आदेश को निरस्त किया जिसके तहत दो पत्रकारों को मानहानि के मामले में तलब किया गया था। यह शिकायत एडवोकेट डॉ. मोहम्मद कमरान ने दायर की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के आधार पर प्रकाशित समाचार से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।मामला संडे व्यूज़ अख़बार की रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसके मालिक दिव्या श्रीवास्तव और संपादक...

22 साल बाद दूसरी FIR दर्ज करना उचित नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के सहयोगी को उसरी छट्टी हत्याकांड में दी ज़मानत
22 साल बाद दूसरी FIR दर्ज करना उचित नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी के सहयोगी को उसरी छट्टी हत्याकांड में दी ज़मानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह 2001 के चर्चित उसरी छट्टी हत्याकांड मामले में मुख्तार अंसारी के कथित सहयोगी सरफ़राज़ अंसारी उर्फ मुन्‍नी को ज़मानत दी। जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि एक ही घटना को लेकर 22 साल बाद दूसरी FIR दर्ज किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता।अदालत ने कहा कि वर्ष 2001 में ही घटना की FIR दर्ज की जा चुकी थी, जिसकी जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल कर दी गई> उस पर मुकदमा लंबित है। ऐसे में 22 साल बाद उसी घटना को लेकर दूसरी FIR दर्ज करना विधिसम्मत नहीं कहा जा...

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका BCI की मंजूरी के बिना कानूनी शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त ढांचे की मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका BCI की मंजूरी के बिना कानूनी शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त ढांचे की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य प्राधिकारियों को सख्त तंत्र बनाने और लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्तर प्रदेश राज्य के किसी भी लॉ कॉलेज या यूनिवर्सिटी को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की वैध मान्यता के बिना स्टूडेंट्स को प्रवेश देने की अनुमति न हो।आजमगढ़ के 26 वर्षीय वकील सौरभ सिंह द्वारा दायर इस याचिका में राज्य भर में ऐसे संस्थानों के निरीक्षण और पहचान के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई, जो...

65 वर्षीय बरेली निवासी अवैध हिरासत में नहीं, धर्मांतरण मामले में हुई है गिरफ्तारी: यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में कहा
65 वर्षीय बरेली निवासी अवैध हिरासत में नहीं, धर्मांतरण मामले में हुई है गिरफ्तारी: यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर) को हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें बरेली की एक महिला ने दावा किया था कि उसके 65 वर्षीय पति को 20 अगस्त से पुलिस ने अवैध हिरासत में रखा है।कोर्ट के पहले के आदेश पर अधिकारियों ने व्यक्ति (बेग) को पेश किया।जस्टिस सलील कुमार राय और जस्टिस जफीर अहमद की बेंच को राज्य की ओर से बताया गया कि बेग को अवैध धर्मांतरण मामले में हिरासत में लिया गया है। 7 सितंबर को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया, जब पीड़िता के बयान में उसका नाम सामने आया।याचिकाकर्ता पत्नी का...

रिट याचिका प्रतिवादियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो तो उसे मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत अपील में परिवर्तित किया जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
रिट याचिका प्रतिवादियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो तो उसे मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत अपील में परिवर्तित किया जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

जस्टिस मनीष कुमार निगम की इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 (COI) के अंतर्गत रिट याचिका को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (ACA) की धारा 37 के अंतर्गत अपील में परिवर्तित करने की अनुमति दी। पीठ ने यह भी कहा कि जहां किसी विशेष प्रकार की कार्यवाही स्वीकार्य नहीं है। उसके संबंध में न्यायालय के समक्ष अलग प्रकार की कार्यवाही लंबित है, वहां न्यायालय को सीमा अवधि और कोर्ट फीस से संबंधित कानून के अधीन रिट याचिका को अन्य रिट याचिका में परिवर्तित करने का अधिकार है।तथ्ययह याचिका जिला जज...