इलाहाबाद हाईकोट
सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा मरीजों को निजी नर्सिंग होम रेफर करना एक खतरा बन गया: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त डॉक्टर राज्य के मेडिकल कॉलेजों में काम करते हैं लेकिन मरीजों को निजी नर्सिंग होम में भेजते हैं।ऐसा करते हुए अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि वह राज्य में प्रांतीय चिकित्सा सेवाओं और जिला अस्पतालों में नियुक्त डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस को रोकने के लिए एक नीति तैयार करे। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा "यह एक खतरा बन गया है कि रोगियों को इलाज के लिए निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों में भेजा जा रहा है और राज्य सरकार द्वारा...
हिंदू विवाह अधिनियम: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, तलाक याचिका रिसेप्शन स्थल के आधार पर दायर नहीं की जा सकती
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 19 के तहत परिवार न्यायालय को अधिकार क्षेत्र प्रदान करने के उद्देश्य से विवाह रिसेप्शन का स्थान प्रासंगिक नहीं है।अधिनियम की धारा 19 (i) अधिनियम के तहत उस न्यायालय को अधिकार क्षेत्र प्रदान करती है जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर पार्टियों के बीच विवाह संपन्न हुआ था। अपीलकर्ता-पति ने फैमिली कोर्ट, प्रयागराज के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके तहत क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर तलाक के लिए उसकी याचिका खारिज...
कृष्ण जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण कूप में पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित की
मथुरा में चल रहे कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते शाही ईदगाह मस्जिद में सीढ़ी के पास स्थित एक कुएं श्री कृष्ण कूप में पूजा करने की अनुमति मांगने वाले हिंदू उपासकों द्वारा दायर आवेदन पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर के उस अंतरिम आदेश के मद्देनजर याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी , जिसमें अदालतों को उपासना स्थल अधिनियम से संबंधित मुकदमों में सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम...
संविदा मामलों में परमादेश रिट तभी जारी की जा सकती है जब बकाया भुगतान स्वीकार कर लिया गया हो, अन्यथा नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि जब तक असाधारण परिस्थितियाँ मौजूद न हों जिसमें प्रतिवादी द्वारा बकाया राशि के लिए सहमत होना शामिल है तब तक संविदा में प्रवेश करने के लिए रिट क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने माना कि ऐसे मामलों में परमादेश रिट जारी की जा सकती है।याचिकाकर्ता ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत किशनपुर कानपुर नगर में शहरी गरीबों को बुनियादी सेवाएँ योजना के तहत आवास बनाने का ठेका जीता। याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय के भीतर काम पूरा किया और कब्जा...
समाज में स्वीकृत न होने वाले लिव-इन रिलेशन की ओर आकर्षित हो रहे हैं युवा, समय आ गया है कि हम समाज में नैतिक मूल्यों को बचाएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लिव-इन रिलेशन को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलती। फिर भी युवा ऐसे संबंधों की ओर आकर्षित होते हैं। अब समय आ गया है कि हम समाज में नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए कोई रूपरेखा और समाधान खोजें।जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि हम बदलते समाज में रह रहे हैं, जहां परिवार, समाज या कार्यस्थल पर युवा पीढ़ी के नैतिक मूल्य और सामान्य आचरण तेजी से बदल रहे हैं।पीठ ने टिप्पणी की,“जहां तक लिव-इन रिलेशन का सवाल है तो इसे कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन...
धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए , लाउडस्पीकर का प्रयोग अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि धार्मिक स्थल मुख्य रूप से ईश्वर की पूजा के लिए हैं, इसलिए लाउडस्पीकर के उपयोग को अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता है, खासकर तब जब ऐसा उपयोग अक्सर निवासियों के लिए परेशानी का कारण बनता है।जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने मुख्तियार अहमद नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें राज्य के अधिकारियों से मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई।राज्य के वकील ने इस आधार...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 32 वर्षों से हत्या के मुकदमे में झूठे साक्ष्य देने के आरोप का सामना कर रहे व्यक्ति को राहत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ 32 वर्षों से लंबित शिकायत के मामले को खारिज कर दिया, जिसमें उस पर हत्या के मुकदमे के दौरान झूठे साक्ष्य देने के लिए धारा 194, 211 आईपीसी के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोपी को राहत देते हुए जस्टिस राजबीर सिंह की पीठ ने कहा कि इतने लंबे समय के बाद आवेदक-आरोपी के खिलाफ निष्पक्ष सुनवाई करना लगभग असंभव है, और यह आवेदक-आरोपी को परेशान करने के अलावा जनता के समय और धन की बर्बादी होगी।न्यायालय ने यह भी कहा कि आवेदक पिछले 32 वर्षों से इस मुद्दे का सामना कर...
'साइबर क्राइम समाज को पैसे से ज़्यादा नुकसान पहुंचा रहा है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'डिजिटल अरेस्ट' के आरोपी को ज़मानत देने से इनकार किया
देश भर में साइबर अपराधों में वृद्धि को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि हमारे देश में साइबर क्राइम एक मूक वायरस की तरह है। इसने अनगिनत निर्दोष पीड़ितों को प्रभावित किया, जो अपनी मेहनत की कमाई से ठगे गए।न्यायालय ने यह भी कहा कि साइबर अपराध पूरे देश में लोगों को प्रभावित करता है, चाहे वे किसी भी धर्म, क्षेत्र, शिक्षा या वर्ग के हों और ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने आगे कहा कि डिजिटल इंडिया जैसी पहलों ने देश के डिजिटल परिवर्तन को गति दी है,...
CM Yogi के खिलाफ व्हाट्सएप मैसेज फारवर्ड करने पर बर्खास्त किए गए अतिरिक्त निजी सचिव को मिली राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राज्य सचिवालय में अतिरिक्त निजी सचिव की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया, जिन्हें कथित तौर पर व्हाट्सएप मैसेज फारवर्ड करने के लिए बर्खास्त किया गया। उक्त मैसेज में राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी थी।सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे को स्थापित करने के लिए सबूतों की कमी के आधार पर आदेश रद्द कर दिया गया।यह देखते हुए कि मैसेज को अनजाने में फारवर्ड करने के लिए सजा चौंकाने वाली रूप से असंगत थी, जस्टिस आलोक माथुर ने...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस की हिस्ट्रीशीट खोलने की 'अनियंत्रित' शक्ति को सीमित किया; कहा- तर्कपूर्ण आदेश, आपत्ति पर विचार और वार्षिक समीक्षा अनिवार्य
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार (21 जनवरी) को एक महत्वपूर्ण आदेश में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना नागरिकों के खिलाफ क्लास-बी हिस्ट्रीशीट खोलने के उत्तर प्रदेश पुलिस के "अनियंत्रित अधिकारों" को प्रभावी रूप से खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि यूपी पुलिस विनियमन के अनुसार, क्लास-बी हिस्ट्रीशीट "पुष्ट और पेशेवर अपराधियों के लिए खोली जाती है, जो डकैती, चोरी, मवेशी चोरी और रेलवे माल, वैगनों से चोरी के अलावा कोई अन्य अपराध करते हैं, जैसे पेशेवर धोखेबाज और अन्य विशेषज्ञ जिनके लिए आपराधिक,...
S. 319 CrPC | अतिरिक्त अभियुक्त को बुलाने के लिए संतुष्टि की डिग्री आरोप तय करने के चरण में आवश्यक मानकों से अधिक होनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा शुरू होने के बाद धारा 319 CrPC के तहत किसी अन्य व्यक्ति को अतिरिक्त अभियुक्त के रूप में बुलाने के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज की जाने वाली संतुष्टि की डिग्री आरोप तय करने के चरण के लिए आवश्यक मानकों से अधिक होनी चाहिए।जस्टिस मनोज बजाज की पीठ ने कहा कि धारा 319 CrPC के तहत विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग संयम से और सावधानी से किया जाना चाहिए। रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य ऐसे व्यक्ति के खिलाफ "प्रथम दृष्टया" मामले और अपराध के कमीशन में उसकी संलिप्तता से अधिक का दृढ़ता से...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नस्लीय घृणा के कारण 6 वर्षीय स्टूडेंट को पीटने के आरोपी टीचर के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई करने पर रोक लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस को शिक्षक के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई करने से रोक दिया, जिस पर नस्लीय घृणा के कारण अनुसूचित जाति के 6 वर्षीय स्टूडेंट को पीटने का आरोप है।जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की।आवेदक हमीरपुर जिले के स्कूल में शिक्षिका अदा परवीन पर एक स्टूडेंट को पीटने का आरोप है जिसके कारण कथित तौर पर स्टूडेंट बीमार पड़ गया।पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद...
पति के साक्ष्य प्रस्तुत करने से इनकार करना न्यायालय को साक्ष्य प्रस्तुत करने का और अवसर प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि पति द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफलता के कारण ट्रायल कोर्ट/फैमिली कोर्ट का निर्णय रद्द नहीं किया जा सकता, जबकि आदेश में कोई अन्य त्रुटि नहीं है।जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा,“पति द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत करने से इंकार करना/विफल होना न्यायालय को पति को साक्ष्य प्रस्तुत करने का और अवसर प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, जबकि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में कोई प्रक्रियागत त्रुटि नहीं दिखाई गई है।”दोनों पक्षों की शादी 2001...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, शादी का झूठा वादा करके बलात्कार करना निंदनीय अपराध; बाद में शादी का प्रस्ताव देकर इस कृत्य को 'अंजाम' नहीं दिया जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विवाह का झूठे वादे कर यौन शोषण करना एक निंदनीय अपराध है। यह पीड़ित को किसी की व्यक्तिगत संतुष्टि की वस्तु बना देता है। जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि बाद में विवाह का प्रस्ताव देकर इस तरह के कृत्य को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा, कानून ऐसे मामलों में समझौता स्वीकार करने की अनुमति नहीं देता है, जहां इस तरह के गंभीर अपराध किए गए हैं, खासकर यौन शोषण और जबरदस्ती से संबंधित मामलों में।पीठ ने कहा, "इस तरह के आचरण से पीड़िता की...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 साल जेल में बिताने के बाद 2021 में छूट पाने वाले हत्या के दोषी को बरी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह हत्या के आरोपी को बरी किया, जिसे वर्ष 2021 में जेल में 25 साल पूरे करने के बाद छूट दी गई थी, क्योंकि उसे मार्च 2002 में सुनाए गए ट्रायल कोर्ट के फैसले में स्पष्ट अवैधता मिली थी।न्यायालय ने नोट किया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा जिस न्यायिक स्वीकारोक्ति पर भरोसा किया गया, वह उचित संदेह से परे साबित नहीं हुई, और यह अत्यधिक असंभव था।न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता के कहने पर 'सब्बल' (क्राउबर) की बरामदगी पर भरोसा करके एक और गलती की। यह इस बात पर ध्यान देने में...
हाईकोर्ट ने लखनऊ के 'छोटा इमामबाड़ा' के प्रवेश द्वारों से अनधिकृत अतिक्रमणकारियों को हटाने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ पिछले सप्ताह लखनऊ स्थित छोटे इमामबाड़े के प्रवेश द्वारों पर अनधिकृत अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए स्थानीय अधिकारियों और जिला प्रशासन को निर्देश दिया था। जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने लखनऊ के ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा और अतिक्रमण हटाने के लिए एडवोकेट सैयद मोहम्मद हैदर रिजवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। रिजवी ने याचिका 2013 में दायर की थी।सुनवाई के दरमियान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने याचिकाकर्ता...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने X पोस्ट मामले में मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यति नरसिंहानंद पर कथित एक्स पोस्ट 'X' (पूर्व में ट्विटर) को लेकर उनके खिलाफ दर्ज FIR के संबंध में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक 27 जनवरी तक बढ़ाई।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राहत बढ़ाते हुए राज्य सरकार को जुबैर के वकील द्वारा जवाबी हलफनामे के साथ दायर किए गए बयानों और दस्तावेजों को सत्यापित करने की अनुमति दी। इससे पहले 6 जनवरी को जुबैर को राज्य सरकार द्वारा दायर जवाबी हलफनामे के जवाब में जवाबी हलफनामा...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, पत्नी का शराब पीना क्रूरता नहीं है, जब तक कि वह पीने के बाद अनुचित और असभ्य व्यवहार न करे
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परित्याग के आधार पर तलाक का आदेश देते हुए कहा कि केवल इसलिए कि पत्नी शराब पीती है, क्रूरता नहीं मानी जाती, जब तक कि उसकी ओर से असभ्य व्यवहार न किया जाए। पीठ ने कहा, “शराब पीना अपने आप में क्रूरता नहीं मानी जाती, जब तक पीन के बाद अनुचित और असभ्य व्यवहार न किया जाए। हालांकि, मध्यम वर्गीय समाज में शराब पीना अभी भी वर्जित है और संस्कृति का हिस्सा नहीं है, फिर भी रिकॉर्ड पर कोई दलील नहीं है जो यह दिखाए कि शराब पीने से पति/अपीलकर्ता के साथ क्रूरता कैसे हुई।”पृष्ठभूमिदोनों...
किराएदार को मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर रहना चाहिए, उसे संपत्ति तभी छोड़नी चाहिए जब मालिक को उसकी निजी इस्तेमाल के लिए जरूरत हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किराएदार आमतौर पर मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर रहता है और अगर मकान मालिक चाहे तो उसे संपत्ति छोड़नी होगी। कोर्ट ने कहा कि किराएदार के खिलाफ फैसला सुनाने से पहले कोर्ट को यह देखना चाहिए कि क्या मकान मालिक की जरूरत वास्तविक है।जस्टिस अजीत कुमार ने कहा,"किराएदार को इस मायने में मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर रहना चाहिए कि जब भी मकान मालिक को अपनी निजी इस्तेमाल के लिए संपत्ति की जरूरत होगी तो उसे उसे छोड़ना होगा। कोर्ट को बस यह देखना है कि जरूरत वास्तविक है या...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को अंतर-धार्मिक लिव-इन पार्टनर से शादी करने और बच्चे के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने की शर्त पर जमानत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को जमानत दे दी, जिस पर विवाह का झूठा वादा करके अपने अंतर-धार्मिक लिव-इन पार्टनर के साथ बलात्कार करने का आरोप है। इस शर्त पर कि वह अभियोक्ता से विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करेगा और अभियोक्ता तथा उसके बच्चे की आर्थिक सुरक्षा के लिए 5 लाख रुपये की सावधि जमा करेगा। जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला है, जिसमें आवेदक और अभियोक्ता अपने नवजात बच्चे के साथ पति-पत्नी के रूप में शांतिपूर्वक और आराम से साथ रहने को तैयार हैं।आदेश में कहा...