इलाहाबाद हाईकोट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेटा को स्वामी राम भद्राचार्य के विरुद्ध अपमानजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेटा को स्वामी राम भद्राचार्य के विरुद्ध 'अपमानजनक' सामग्री हटाने का निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने बुधवार को 'मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक' (जो फेसबुक और इंस्टाग्राम का संचालन करती है) को पद्म विभूषण से सम्मानित और जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज को कथित रूप से बदनाम करने वाली आपत्तिजनक सामग्री को 48 घंटों के भीतर हटाने का निर्देश दिया, बशर्ते कि ऐसी सामग्री के URL लिंक उसे उपलब्ध करा दिए जाएं।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने स्वामी राम भद्राचार्य जी के अनुयायियों और शिष्यों द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित...

ग़लत तथ्यों पर दी गई ज़मानत को समानता का आधार नहीं बनाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ग़लत तथ्यों पर दी गई ज़मानत को समानता का आधार नहीं बनाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि ज़मानत देने के लिए भरोसा किया गया आदेश ग़लत तथ्यों पर आधारित है तो समानता के सिद्धांत का पालन करते हुए ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए।जस्टिस संजय कुमार सिंह ने यह मत व्यक्त किया,"यदि ज़मानत देने वाले आदेश में ग़लत तथ्य शामिल हैं तो कोई जज समानता के आधार पर आरोपी को ज़मानत देने के लिए बाध्य नहीं है। यदि कोई अवैधता न्यायालय के संज्ञान में लाई जाती है तो उसे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"यह फैसला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 396 (डकैती के साथ हत्या), 412...

विशेष धार्मिक समूह को निशाना बनाने का आरोप लगाने वाला व्हाट्सएप मैसेज BNS की धारा 353(2) के तहत दुश्मनी बढ़ाने का अपराध हो सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
विशेष धार्मिक समूह को निशाना बनाने का आरोप लगाने वाला व्हाट्सएप मैसेज BNS की धारा 353(2) के तहत दुश्मनी बढ़ाने का अपराध हो सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी विशेष धार्मिक समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए कई लोगों को व्हाट्सएप मैसेज प्रसारित करना प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 353(2) के तहत धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी, घृणा और दुर्भावना को बढ़ावा देने का अपराध माना जाएगा।जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता (अफाक अहमद) के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने कथित तौर पर व्हाट्सएप पर कई व्यक्तियों को एक भड़काऊ...

मानसिक रूप से विकलांग बेटे की देखभाल कर रहे कर्मचारी का तबादला रद्द करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासनिक संवेदनहीनता पर लगाई फटकार
मानसिक रूप से विकलांग बेटे की देखभाल कर रहे कर्मचारी का तबादला रद्द करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासनिक संवेदनहीनता पर लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी के तबादले के अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की प्रशासनिक संवेदनहीनता की कड़ी आलोचना की। यह कर्मचारी अपने बेटे की देखभाल कर रहा है, जो मानसिक मंदता से पीड़ित है और 50% स्थायी विकलांगता रखता है।जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने 12 सितंबर, 2025 को यह आदेश पारित किया।याचिकाकर्ता चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ सहायक संतोष कुमार वर्मा ने मैनपुरी से अयोध्या या आस-पास के किसी जिले जिसमें लखनऊ भी शामिल है, में स्थानांतरण की मांग की...

ख़राब वकालत से न्याय में बाधा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों के उदासीन आचरण पर नाराज़गी जताई
ख़राब वकालत से न्याय में बाधा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों के उदासीन आचरण पर नाराज़गी जताई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालतों में वकीलों द्वारा दी जा रही खराब गुणवत्ता वाली सहायता पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। कोर्ट ने इसे बहुत दुखद स्थिति बताया जो पहले से ही अत्यधिक काम के बोझ से दबी अदालतों के लिए न्याय के शीघ्र वितरण में बाधा डालता है।जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की सिंगल बेंच ने टिप्पणी की कि वकीलों का ऐसा आचरण न्याय के त्वरित वितरण में बाधा" बनता है। सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया निर्देश को विफल कर देता है, जिसमें ज़मानत याचिकाओं को दाखिल होने के दो महीने के भीतर निपटाने का निर्देश दिया गया।कोर्ट...

पहली तलाक याचिका खारिज होने पर भी अलग आधार पर दूसरी याचिका दायर की जा सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पहली तलाक याचिका खारिज होने पर भी अलग आधार पर दूसरी याचिका दायर की जा सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि एक ही आधार पर तलाक की याचिका खारिज होने पर भी, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत दूसरे आधार पर तलाक की याचिका दायर करने में कोई रोक नहीं है।जस्टिस मनीष कुमार निगम ने कहा— “हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत किसी एक आधार पर याचिका का निर्णय, दूसरे आधार पर तलाक की याचिका दायर करने पर रोक नहीं लगाता। यदि पहली याचिका खारिज होने के बाद भी पक्षकार को दूसरी याचिका दायर करने की अनुमति मिलती है, तो संशोधन के माध्यम से नए आधार जोड़ने में कोई...

साक्ष्य या बयान दर्ज करते समय अभद्र या अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट
साक्ष्य या बयान दर्ज करते समय अभद्र या अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मुकदमों की सुनवाई के दौरान साक्ष्य या बयानों में प्रयोग की गई गाली-गलौज या अभद्र भाषा को रिकॉर्ड न करें।विशेष न्यायाधीश (SC/ST अधिनियम), वाराणसी के आदेश के खिलाफ दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हरवीर सिंह ने कहा — “दलीलों या आदेशों में अभद्र या गाली-गलौज भरी भाषा का प्रयोग अनुचित और अस्वीकार्य है। इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि न केवल संबंधित अधिकारी, बल्कि प्रदेश के सभी न्यायिक...

बाल कल्याण समिति के आदेश के तहत नाबालिग की कस्टडी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
बाल कल्याण समिति के आदेश के तहत नाबालिग की कस्टडी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब नाबालिग बच्चे की कस्टडी किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत बाल कल्याण समिति (CWC) द्वारा पारित न्यायिक आदेश के अनुसार सौंपी गई हो तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने एक मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने अपने 11 वर्षीय बेटे की कस्टडी की मांग करते हुए दावा किया था कि वह उसकी प्राकृतिक अभिभावक है।याचिका में...

वैवाहिक स्थिति की घोषणा समाज के मूल को प्रभावित करती है, केवल सक्षम न्यायालय द्वारा ही हो सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
वैवाहिक स्थिति की घोषणा समाज के मूल को प्रभावित करती है, केवल सक्षम न्यायालय द्वारा ही हो सकती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा समाज के मूल को प्रभावित करती है और यह केवल हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 11 के तहत सक्षम न्यायालय द्वारा ही की जा सकती है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने अवलोकन किया,"यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि पक्षकारों की वैवाहिक स्थिति की घोषणा समाज के मूल को प्रभावित करती है। हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 11 के आलोक में घोषणा केवल पक्षों के बीच उपयुक्त कार्यवाही में और कानून की अन्य...

व्हाट्सएप मैसेज पर न्यायिक अधिकारी पर लगाया राजद्रोह का आरोप, हाईकोर्ट ने तय किए अवमानना के आरोप
व्हाट्सएप मैसेज पर न्यायिक अधिकारी पर लगाया राजद्रोह का आरोप, हाईकोर्ट ने तय किए अवमानना के आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​के आरोप तय किए, जो प्रथम दृष्टया वकीलों के बीच एक व्हाट्सएप मैसेज प्रसारित करने का दोषी पाया गया, जिसमें बस्ती में तैनात एडिशनल जिला जज पर फर्जी और जाली आदेश पत्र लिखने के लिए रिश्वत लेने और देशद्रोह करने का आरोप लगाया गया।जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि कथित अवमाननाकर्ता (कृष्ण कुमार पांडे) पर न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के अंतर्गत अदालत की प्रतिष्ठा को...

बार एसोसिएशन के सदस्यों को हटाने को चुनौती देने वाली राज्य बार काउंसिल के समक्ष याचिका सुनवाई योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
बार एसोसिएशन के सदस्यों को हटाने को चुनौती देने वाली राज्य बार काउंसिल के समक्ष याचिका सुनवाई योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा अपने अवैध निष्कासन के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल के समक्ष दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस सरल श्रीवास्तव और जस्टिस अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने नरेश कुमार मिश्रा और तीन अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिन्हें एकीकृत बार एसोसिएशन, माटी, कानपुर देहात की आम सभा के सदस्यों के पद से हटा दिया गया।याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल (प्रतिवादी नंबर 1) द्वारा...

ZP Election Rules 1994 | COVID के दौरान वर्चुअल उपस्थिति में याचिका का वर्चुअल रूप से दाखिल होना नियम 4(3) का पर्याप्त अनुपालन: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ZP Election Rules 1994 | COVID के दौरान वर्चुअल उपस्थिति में याचिका का वर्चुअल रूप से दाखिल होना नियम 4(3) का पर्याप्त अनुपालन: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि यदि कोई चुनाव याचिका याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं ई-फाइल की जाती है और COVID-19 के दौरान याचिका प्रस्तुत करते समय याचिकाकर्ता अपने वकील के साथ कोर्ट के समक्ष वर्चुअल रूप से उपस्थित होता है तो यह उत्तर प्रदेश जिला पंचायत (सदस्यता से संबंधित चुनावी विवादों का निपटारा) नियम, 1994 के नियम 4(3) का 'पर्याप्त अनुपालन' माना जाएगा, जिसके अनुसार चुनाव याचिका व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत की जानी आवश्यक है।जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता ने स्वयं अपनी ई-मेल आईडी...

S. 319 CrPC | अतिरिक्त अभियुक्तों को केवल मुकदमे में प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ही बुलाया जा सकता है, जांच सामग्री के आधार पर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
S. 319 CrPC | अतिरिक्त अभियुक्तों को केवल मुकदमे में प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ही बुलाया जा सकता है, जांच सामग्री के आधार पर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 319 के तहत अतिरिक्त अभियुक्तों को बुलाने की ट्रायल कोर्ट की शक्ति मुकदमे के दौरान उसके समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों तक ही सीमित है और जांच के दौरान एकत्रित सामग्री के आधार पर इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने चंदौली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा तीन पुनर्विचारकर्ताओं को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506 और 427 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाने का आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।संक्षेप में...

संभल के रयान बुज़ुर्ग गांव की मस्जिद प्रबंधन ने राज्य सरकार के विध्वंस नोटिस के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया
संभल के रयान बुज़ुर्ग गांव की मस्जिद प्रबंधन ने राज्य सरकार के विध्वंस नोटिस के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया

संभल की रयान बुज़ुर्ग मस्जिद के प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए विध्वंस नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।जस्टिस दिनेश पाठक की स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की। अदालत 29 सितंबर से अवकाश पर है।मस्जिद प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत कार्यवाही में सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित 2 सितंबर के आदेश को चुनौती दी।प्रशासन ने हाल ही में मस्जिद को यह दावा करते हुए नोटिस दिया कि यह गाँव में खाद के गड्ढे/तालाब की ज़मीन पर बनी है।...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1982 के हत्याकांड में दोषसिद्धि का फैसला वापस लेने की 30 से अधिक वर्षों से फरार आरोपी की याचिका खारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1982 के हत्याकांड में दोषसिद्धि का फैसला वापस लेने की 30 से अधिक वर्षों से फरार आरोपी की याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 1982 के हत्याकांड के संबंध में आरोपी (हाईकोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता) की दोषसिद्धि की पुष्टि करने वाले इस वर्ष मार्च में पारित अपने फैसले को वापस लेने की मांग वाली याचिका खारिज की।जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा कि CrPC की धारा 362 के तहत इस आवेदन पर रोक है, जो आपराधिक अदालतों को लिपिकीय या अंकगणितीय त्रुटियों को ठीक करने के अलावा हस्ताक्षरित निर्णयों की समीक्षा या परिवर्तन करने से रोकती है।अदालत ने आरोपी-अपीलकर्ता के आचरण पर भी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के एक पार्क में अवैध अतिक्रमण और अस्थायी मंदिरों की जांच के आदेश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के एक पार्क में अवैध अतिक्रमण और अस्थायी मंदिरों की जांच के आदेश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने हाल ही में लखनऊ के सार्वजनिक पार्क में अनधिकृत अतिक्रमण पर कड़ी आपत्ति जताई और अधिकारियों को इस बात की जांच करने का निर्देश दिया कि उस ज़मीन पर अस्थायी मंदिर और अन्य गैर-सार्वजनिक ढांचे कैसे बनने दिए गए।जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने पार्क में अवैध अतिक्रमण हटाने और असामाजिक गतिविधियों को रोकने की मांग वाली रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।याचिकाकर्ता कॉलोनी निवासी बेबी पाल ने दलील दी कि कभी हरियाली, झूलों और मनोरंजन...

घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह आम बात, आत्महत्या के लिए उकसाने के इरादे के बिना प्रताड़ित करने पर IPC की धारा 306 लागू नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह आम बात, आत्महत्या के लिए उकसाने के इरादे के बिना प्रताड़ित करने पर IPC की धारा 306 लागू नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि घरेलू जीवन में वैवाहिक कलह और मतभेद आम बात है। अगर इस कारण से पति या पत्नी में से कोई आत्महत्या करता है तो यह नहीं माना जा सकता कि उनके उकसाने के कारण मृतक ने आत्महत्या की।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने सेशन कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक महिला और उसके माता-पिता द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत अपने पति को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दायर बरी करने की अर्जी खारिज कर दी गई।सिंगल जज ने कहा कि वैवाहिक झगड़े...