सुप्रीम कोर्ट
आयातित वस्तुओं को विशिष्ट, विपणन योग्य उत्पादों में परिवर्तित करना 'निर्माण' के अंतर्गत आता है, एक्साइज़ ड्यूटी लागू: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयातित गैस-उत्पादक सेटों (जेनसेट्स) को स्टील के कंटेनरों में रखकर और उनमें आवश्यक पुर्जे लगाकर कंटेनरयुक्त "पावर पैक्स" में परिवर्तित करना केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 के तहत "निर्माण" के अंतर्गत आता है, जिससे अंतिम उत्पाद पर एक्साइज़ ड्यूटी लगता है।अदालत ने कहा,"जेनसेट को स्टील के कंटेनर में रखने और उस कंटेनर में अतिरिक्त अभिन्न पुर्जे लगाने की प्रक्रिया नई, विशिष्ट और विपणन योग्य वस्तु का निर्माण करती है। इस प्रकार, यह प्रक्रिया अधिनियम, 1944 की धारा 2(f)(i) के...
हाईकोर्ट प्रारंभिक खारिज आदेश वापस लेकर अग्रिम ज़मानत नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस असामान्य आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत अग्रिम ज़मानत याचिका, जिसे शुरू में खारिज कर दिया गया था, बाद में वापस ले ली गई और अग्रिम ज़मानत दे दी गई।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ के समक्ष शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि एक बार अग्रिम ज़मानत की याचिका खारिज करने वाला विस्तृत आदेश पारित हो जाने के बाद कार्यवाही पूरी तरह समाप्त हो गई और उसे वापस बुलाकर पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता था, बहाल करना तो दूर की बात है।याचिकाकर्ता...
Customs Act | ज़ब्त की गई वस्तु की अस्थायी रिहाई से 2018 से पहले के मामलों में कारण बताओ नोटिस जारी करने की समय-सीमा नहीं बढ़ेगी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिसमें राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा ज़ब्त की गई आयातित मासेराती कार को छोड़ने का निर्देश दिया गया। अदालत ने हाईकोर्ट के इस विचार को बरकरार रखा कि कस्टम एक्ट, 1962 के तहत निर्धारित समय के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी न करने पर व्यक्ति ज़ब्त की गई वस्तु को छोड़ने का हकदार हो जाता है।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आगे कहा कि कस्टम एक्ट की धारा 110ए के तहत ज़ब्त की गई वस्तु की अस्थायी रिहाई धारा 110(2) के...
S. 482 CrPC/S. 528 BNSS | कुछ FIR रद्द करने वाली याचिकाओं में हाईकोर्ट को मामला दायर करने की पृष्ठभूमि भी समझना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 सितंबर) को हाईकोर्ट को केवल FIR की विषय-वस्तु के आधार पर याचिकाओं को यंत्रवत् खारिज करने के प्रति आगाह किया। इस बात पर ज़ोर दिया कि कुछ मामलों में FIR दायर करने के परिवेश और परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। न्यायालय ने आगे कहा कि हाईकोर्ट को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि क्या FIR किसी जवाबी हमले का परिणाम थी या वादी को परेशान करने के किसी अप्रत्यक्ष उद्देश्य से प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के रूप में दर्ज की गई।अदालत ने कहा,“हालांकि यह सच है कि इस स्तर पर...
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य-यूटी को 4 महीने में नियम बनाकर सिख विवाह दर्ज करने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में 17 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे आनंद विवाह अधिनियम, 1909 (Anand Marriage Act) के तहत सिख विवाहों (आनंद कारज) के पंजीकरण के लिए नियम चार माह में बनाएँ। कोर्ट ने कहा कि नियम न बनाने से सिख नागरिकों के साथ असमान व्यवहार हो रहा है और यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा कि जब कानून आनंद कारज को मान्यता देता है तो पंजीकरण की व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब तक राज्य अपने नियम नहीं बनाते, तब...
आदेश में उल्लिखित न किए गए कारणों पर सीमित परिस्थितियों में विचार किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 'स्पीकिंग ऑर्डर' नियम में एक अपवाद स्थापित किया, जिसमें कहा गया कि यद्यपि किसी प्रशासनिक आदेश की वैधता का आकलन सामान्यतः केवल उसमें उल्लिखित कारणों से ही किया जाता है, न्यायालय सीमित परिस्थितियों में, अभिलेखों से स्पष्ट विद्यमान, परंतु अघोषित आधारों पर भी भरोसा कर सकता है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा SBI को उधारकर्ता के एकमुश्त निपटान (OTS) प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का निर्देश रद्द करते हुए एक निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट ने...
बैंक की शर्तें पूरी किए बिना चूककर्ता उधारकर्ता OTS लाभ का दावा नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट ने SBI की अपील स्वीकार की
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक की एकमुश्त निपटान (OTS) स्कीम का लाभ उठाना उधारकर्ता का अधिकार नहीं है, खासकर तब जब अनिवार्य पूर्व शर्तों, जैसे कि आवश्यक अग्रिम भुगतान, का पालन न किया गया हो।यदि कोई उधारकर्ता OTS लाभ के लिए पात्र भी है तो भी जब तक OTS स्कीम में निर्धारित शर्तें पूरी नहीं की जातीं, तब तक उसे लाभ प्राप्त करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।अदालत ने कहा,"पात्रता की सीमा पार करने पर चूककर्ता उधारकर्ता को अपने आवेदन पर विचार का दावा करने का अधिकार नहीं होगा, जब तक कि आवेदन स्वयं अन्य...
साझा उद्देश्य के लिए दान की गई मगर अप्रयुक्त भूमि मालिकों को लौटाई जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा
हरियाणा के भूस्वामियों को राहत प्रदान करते हुए महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर) को कहा कि पंचायतों में साझा उद्देश्यों के लिए निर्धारित भूमि के उपयोग के बाद बची हुई 'बचत भूमि' या अप्रयुक्त भूमि को मालिकों के बीच उस हिस्से के अनुसार पुनर्वितरित किया जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने साझा उद्देश्यों के लिए अपनी भूमि दान की थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के भूस्वामियों-स्वामियों के पक्ष में...
'विवाह के लिए लिये गए डेब्ट का व्यापक प्रभाव पड़ता है': सुप्रीम कोर्ट ने बेटी की शादी के बाद पारिवारिक संपत्ति बेचने का फैसला सही ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) कर्ता को 'कानूनी आवश्यकता' के लिए संयुक्त परिवार की संपत्ति को हस्तांतरित करने का अधिकार है, जिसमें बेटी की शादी भी शामिल है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसा हस्तांतरण तब भी वैध रहता है, जब संपत्ति के हस्तांतरण से पहले ही विवाह हो चुका हो।अदालत ने कर्ता द्वारा अपनी बेटी की शादी में किए गए खर्चों से निपटने के लिए संपत्ति हस्तांतरित करने को उचित ठहराते हुए कहा,"यह सर्वविदित है कि परिवार अपनी बेटियों की शादी के लिए भारी लोन लेते हैं और...
जब्त मादक पदार्थ की वीडियो रिकॉर्डिंग ट्रांसक्रिप्ट के बिना भी सबूत के तौर पर मान्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब्त मादक पदार्थ की वीडियो रिकॉर्डिंग ट्रांसक्रिप्ट के बिना भी सबूत मानी जाएगी, बशर्ते भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के तहत वैध इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि वीडियो को हर गवाह की गवाही के दौरान चलाना आवश्यक नहीं है।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द किया जिसमें एनडीपीएस मामले में सिर्फ इसलिए पुनःविचारण का निर्देश दिया गया था क्योंकि वीडियो गवाहों के सामने नहीं चलाया गया और न ही उसका...
सुविधाओं की कमी के कारण रिटायर जज ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां लेने से इनकार कर रहे हैं, इसके लिए केंद्र सरकार दोषी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर) को कई रिटायर हाईकोर्ट जजों द्वारा रिटायरमेंट के बाद ट्रिब्यूनल के सदस्य के रूप में नियुक्ति स्वीकार करने में अनिच्छा व्यक्त करने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि रिटायर जजों की यह अनिच्छा ट्रिब्यूनल में उचित सुविधाओं के अभाव के कारण है, जो केंद्र सरकार की गलती है।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के न्यायिक सदस्यों के रूप में नियुक्तियों को अस्वीकार करने वाले रिटायर जजों के मुद्दे पर विचार कर...
S. 223 CrPC/S. 243 BNSS | सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में जॉइंट ट्रायल के सिद्धांत निर्धारित किए
CrPCC की धारा 223 (अब BNSS की धारा 243) की व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां एक ही लेन-देन से उत्पन्न अपराधों में कई अभियुक्त शामिल हों, वहां संयुक्त सुनवाई स्वीकार्य है। अलग सुनवाई तभी उचित होगी जब प्रत्येक अभियुक्त के कृत्य अलग-अलग और पृथक करने योग्य हों।न्यायालय ने संयुक्त सुनवाई के संबंध में निम्नलिखित प्रस्ताव रखे:-(i) CrPC की धारा 218 के अंतर्गत अलग सुनवाई का नियम है। संयुक्त सुनवाई की अनुमति तब दी जा सकती है, जब अपराध एक ही लेन-देन का हिस्सा हों या CrPC की धारा 219-223 की...
NDPS Act | जब्ती और सैंपल-ड्राविंग धारा 52ए के अनुसार विधिवत दर्ज हो तो ट्रायल में प्रतिबंधित पदार्थ का न होना घातक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (NDPS Act) के तहत मामलों में अभियोजन पक्ष का मामला केवल इसलिए विफल नहीं हो जाता, क्योंकि जब्त प्रतिबंधित पदार्थ अदालत में पेश नहीं किया गया, बशर्ते कि सूची और सैंपल-ड्राविंग रिकॉर्ड विधिवत तैयार किए गए हों और NDPS Act की धारा 52ए के अनुपालन में रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हों।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें NDPS मामले में केवल...
गैर-मुस्लिमों को वक्फ बनाने से रोकना प्रथम दृष्टया मनमाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि गैर-मुस्लिम नागरिक वक्फ मानी जाने वाली संपत्ति दान नहीं कर सकते तो यह मनमाना नहीं है, क्योंकि वे एक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाकर ऐसा कर सकते हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 3(1)(आर) सहित कुछ प्रावधानों पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया, जिसके तहत किसी व्यक्ति को संपत्ति वक्फ के रूप में समर्पित करने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक है।हालांकि, इसने मूल वक्फ अधिनियम,...
विशेष कानूनों के तहत बिना वारंट तलाशी में कारण दर्ज करना अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर किसी विशेष कानून (Special Enactment) के तहत बिना वारंट तलाशी ली जाती है, तो “कारण दर्ज करना” अनिवार्य है।कोर्ट की मुख्य बातेंदंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 165 (BNSS की धारा 185) कहती है कि अगर वारंट के बिना तलाशी करनी है, तो अधिकारी को यह लिखित रूप से दर्ज करना होगा कि1. अपराध संबंधी सामग्री होने का विश्वास क्यों है, और2. तत्काल तलाशी की ज़रूरत क्यों है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानूनी मापविज्ञान अधिनियम, आयकर अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, केंद्रीय...
सह-प्रतिवादी के खिलाफ काउंटर-क्लेम दाख़िल नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑर्डर VIII रूल 6-A (CPC) के तहत काउंटर-क्लेम केवल वादी (Plaintiff) के खिलाफ ही दाख़िल किया जा सकता है, सह-प्रतिवादी (Co-defendant) के खिलाफ नहीं। इसी आधार पर कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक प्रतिवादी को सह-प्रतिवादी के खिलाफ काउंटर-क्लेम करने की अनुमति दी गई थी।मामला क्या था?वादी (Plaintiff) ने अपनी भाभी (प्रतिवादी संख्या-1) के खिलाफ एक समझौता-नामा (Agreement to Sell, 21 अक्टूबर 2011) को चुनौती देते हुए वाद दायर किया था।यह समझौता प्रतिवादी...
ASI संरक्षित स्मारकों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 3डी ((संरक्षित स्मारक या संरक्षित क्षेत्र को वक्फ घोषित करना शून्य) पर रोक लगाने से इनकार किया।अधिनियम की धारा 3डी के अनुसार, वक्फ संपत्ति की कोई भी घोषणा या अधिसूचना शून्य होगी यदि वह प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 या प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित स्मारक या संरक्षित क्षेत्र था।अधिनियम की धारा 3डी - इस अधिनियम या किसी पूर्व अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों के संबंध में जारी की गई कोई भी घोषणा या...
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित वक्फ भूमि को अतिक्रमण के रूप में गैर-अधिसूचित करने पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के उन प्रावधानों पर रोक लगाई, जो सरकार को विवादित वक्फ संपत्तियों को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के रूप में गैर-अधिसूचित करने का अधिकार देते हैं।हालांकि, अदालत ने अधिनियम की धारा 3सी के उन प्रावधानों पर रोक नहीं लगाई, जो सरकार के एक नामित अधिकारी (जो कलेक्टर के पद से ऊपर का होता है) को यह जांच करने की अनुमति देते हैं कि क्या वक्फ संपत्ति सरकारी भूमि पर स्थित है। अदालत ने अधिनियम की धारा 3सी(2) के उस प्रावधान पर रोक लगाई, जिसके अनुसार विवादित संपत्ति को तब तक...
BREAKING| वंतारा द्वारा पशुओं का अधिग्रहण नियमों के अनुसार हुआ: सुप्रीम कोर्ट ने SIT रिपोर्ट स्वीकार की
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि रिलायंस फाउंडेशन द्वारा जामनगर, गुजरात स्थित वंतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) में पशुओं का अधिग्रहण प्रथम दृष्टया नियामक तंत्र के दायरे में है। न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को विभिन्न आरोपों की जांच के लिए कोई गड़बड़ी नहीं मिली, जिसमें भारत और विदेशों से पशुओं, विशेषकर हाथियों, के अधिग्रहण में सभी कानूनों का पालन किया गया या नहीं, शामिल है।जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की खंडपीठ ने कहा कि उन्होंने पूर्व सुप्रीम...
'राजनीतिक दल में शामिल होना कोई नौकरी नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को POSH Act से बाहर रखने का आदेश बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें कहा गया था कि POSH Act 2013 के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों के समाधान के लिए राजनीतिक दलों के लिए आंतरिक शिकायत समिति गठित करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होने वाले लोग उसके अधीन नहीं होते।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई...




















