CLAT-PG स्कोर के आधार पर लॉ अधिकारियों की नियुक्ति रोकने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
Praveen Mishra
4 Dec 2025 6:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 दिसंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगा दी, जिसमें हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवेज़ अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा CLAT-PG स्कोर के आधार पर विधि अधिकारियों [यंग प्रोफेशनल–लीगल] की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना को रद्द कर दिया था।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए NHAI की विशेष अनुमति याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। यह याचिका हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देती है।
सुनवाई के दौरान NHAI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि विधि अधिकारियों की नियुक्ति दो साल की संविदा अवधि के लिए होती है। उन्होंने कहा,
“यदि हम सामान्य आवेदन आमंत्रित करें तो हजारों आवेदन आते हैं। जैसे दिल्ली PP पद के लिए पाँच हजार आवेदन आए थे। इसलिए हम एक तार्किक प्रक्रिया अपनाते हैं — CLAT-PG स्कोर।”
SG ने यह भी बताया कि केरल हाईकोर्ट ने NTPC बनाम ऐश्वर्या मोहन मामले में NTPC द्वारा इसी तरह CLAT-PG स्कोर के आधार पर विधि अधिकारियों की नियुक्ति को सही ठहराया था। उस निर्णय के खिलाफ दायर SLP पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है।
इस पर CJI ने कहा,
“हमने इंजीनियरिंग सेवाओं में देखा है कि GATE परीक्षा के आधार पर चयन किया जाता है। यह नियुक्ति भी केवल एक या दो साल की ही है।”
प्रतिवादी की ओर से तर्क दिया गया कि प्रैक्टिस कर रहे वकील भी विधि अधिकारी बनने के लिए समान रूप से सक्षम हैं। इस पर CJI ने पूछा,
“क्या हम किसी क्लाइंट को यह मजबूर कर सकते हैं कि वह किस वकील को रखे?”
जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि सिविल जज भी प्रवेश परीक्षा के आधार पर चुने जाते हैं।
उन्होंने पूछा, “यदि प्रवेश परीक्षा को आउटसोर्स कर दिया जाए, जैसे CLAT, तो दिक्कत क्या है?”
CJI ने भी कहा,
“जब वे दो साल के लिए युवा विधि स्नातकों की नियुक्ति हेतु एक पारदर्शी और भेदभाव-रहित प्रक्रिया अपना रहे हैं, तो समस्या क्या है?”
प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि CLAT-PG परीक्षा का उद्देश्य PG कोर्स में प्रवेश है, जबकि NHAI जिस विशेषज्ञता की तलाश कर रहा है, वह प्रैक्टिस कर रहे वकीलों में उपलब्ध है।
खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए NHAI की याचिका को केरल हाईकोर्ट के फैसले से संबंधित लंबित SLP के साथ टैग कर दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्तता आंकने के लिए बनाई गई कोई भी कसौटी सार्वजनिक रोजगार में उपयुक्तता आंकने के लिए अपनाई नहीं जा सकती।
इसी आधार पर CLAT-PG स्कोर पर निर्भर होकर विधि अधिकारियों का चयन करना मनमाना, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का उल्लंघन माना गया था।

