5 साल की सर्विस के बाद इस्तीफा देने वाले या रिटायर होने वाले कर्मचारी ग्रेच्युटी के हकदार: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
9 Dec 2025 9:16 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि जो कर्मचारी इस्तीफा देता है या वॉलंटरी रिटायरमेंट लेता है, वह पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का हकदार है, बशर्ते उसने कम से कम पांच साल की लगातार सर्विस पूरी कर ली हो।
जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को अपील करने वाले कर्मचारी (अब मर चुका है) के परिवार को ग्रेच्युटी देने का निर्देश दिया, जिसने लगभग 30 साल सर्विस की थी और पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दे दिया था। सर्विस से इस्तीफा देने के बाद उसे ग्रेच्युटी और पेंशन और लीव इनकैशमेंट जैसे दूसरे रिटायरमेंट बेनिफिट्स नहीं दिए गए।
सेंट्रल सिविल सर्विसेज़ (पेंशन) रूल्स, 1972 के रूल 26 के अनुसार, अपील करने वाले ने अपनी पिछली सर्विस को छोड़कर नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था, इसलिए पेंशन न देने के हाईकोर्ट के फ़ैसले को सही ठहराते हुए जस्टिस बिंदल के लिखे फ़ैसले में कहा गया कि अपील करने वाले के कानूनी वारिस पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के सेक्शन 4 के तहत ग्रेच्युटी पाने के हक़दार हैं, जिसमें कहा गया, “एक कर्मचारी जिसने कम से कम पाँच साल की सर्विस की हो, वह ग्रेच्युटी पाने का हक़दार होगा, भले ही वह रिटायर हो गया हो या नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया हो।”
चूंकि रेस्पोंडेंट-DTC को पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट के तहत छूट नहीं दी गई, इसलिए कोर्ट ने माना कि अपील करने वाले के कानूनी वारिस उसकी दी गई सर्विस के लिए 1972 एक्ट के नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी पाने के हक़दार हैं।
Cause Title: ASHOK KUMAR DABAS (DEAD THROUGH LEGAL HEIRS) VERSUS DELHI TRANSPORT CORPORATION

