ताज़ा खबरे
महाभियोग प्रस्ताव और न्यायिक स्वतंत्रता
तिरुप्परनकुंद्रम दीपम मामले में अपने फैसले के लिए जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन के खिलाफ लोकसभा के स्पीकर के समक्ष एक महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का हालिया कदम भारत के संवैधानिक जीवन में एक परेशान करने वाला क्षण है। "जो कभी सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के लिए आरक्षित एक असाधारण उपाय था, उसे न्यायिक परिणाम की अस्वीकृति का संकेत देने के लिए एक अलंकारिक और राजनीतिक उपकरण के रूप में लागू किया जा रहा है।" इस तरह का विकास न्यायिक स्वतंत्रता के भविष्य और लोकतांत्रिक संस्थानों के स्वास्थ्य के बारे में परेशान...
'एक ऐसा कानून जो नहीं जानता कि कानून क्या है?': किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का वैचारिक पतन
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 सिर्फ़ एक कमज़ोर आपराधिक कानून नहीं है - यह एक भ्रमित कानून है। यह नहीं जानता कि कानून के साथ संघर्ष करने वाला बच्चा (सीआईसीएल) आरोपी है या लाभार्थी, अपराधी है या पीड़ित। यह जांच, सबूत, ज़मानत और रिमांड जैसे वयस्क आपराधिक मुकदमों की संरचना को अपनाता है, फिर भी ज़ोर देता है कि यह मुकदमा नहीं है। यह सज़ा का नाम बदलकर पुनर्वास, जेलों का नाम बदलकर घर, और आरोपी और अपराध, दोनों का नाम बदलकर संघर्ष कर देता है। लेकिन बदली हुई भाषा के नीचे, प्रक्रिया वैसी ही रहती है - उधार के...
किसी हाई-प्रोफ़ाइल मामले में बरी होना.. और आपराधिक न्याय प्रणाली का ढांचागत संकट
मलयालम फ़िल्म अभिनेता दिलीप को एक बेहद चर्चित अपहरण और यौन उत्पीड़न साजिश मामले में हाल ही में मिले बरी होने के आदेश ने एक बार फिर भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को तीखी सार्वजनिक और कानूनी समीक्षा के केंद्र में ला खड़ा किया है। पूरा विस्तृत फ़ैसला अभी अपलोड भी नहीं हुआ है, लेकिन केरल और उसके बाहर जन-प्रतिक्रियाएं गहराई से बंटी हुई हैं। एक वर्ग इस फ़ैसले को आरोपी की पूर्ण जीत के रूप में देख रहा है, जबकि दूसरा मानता है कि न्याय पीड़िता के साथ खड़ा होने में विफल रहा है। यह ध्रुवीकरण टीवी डिबेट,...
ऊपरी अदालतों को निचली अदालतों में बेवजह केस भेजने से बचना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को ऊपरी अदालतों द्वारा उन मामलों को वापस भेजने के तरीके की आलोचना की जो बहुत पहले ही तय हो चुके हैं। साथ ही कहा कि ऐसे आदेश विवादों को खत्म करने के बजाय सिर्फ़ “बेवजह आगे की मुकदमेबाजी” को बढ़ावा देते हैं।जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग दो दशक पहले पूरी तरह से सुलझाए गए मामले को फिर से खोल दिया था, जिसमें कथित तौर पर नैचुरल जस्टिस के उल्लंघन के आधार पर रिमांड का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने...
5 साल की सर्विस के बाद इस्तीफा देने वाले या रिटायर होने वाले कर्मचारी ग्रेच्युटी के हकदार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि जो कर्मचारी इस्तीफा देता है या वॉलंटरी रिटायरमेंट लेता है, वह पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का हकदार है, बशर्ते उसने कम से कम पांच साल की लगातार सर्विस पूरी कर ली हो।जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को अपील करने वाले कर्मचारी (अब मर चुका है) के परिवार को ग्रेच्युटी देने का निर्देश दिया, जिसने लगभग 30 साल सर्विस की थी और पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दे दिया था। सर्विस से इस्तीफा देने के...
रिटायर्ड जजों ने रोहिंग्या मामले में सीजेआई सूर्यकांत की टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ 'मोटिवेटेड कैंपेन' की निंदा की
रिटायर्ड जजों के एक ग्रुप ने एक पब्लिक स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या माइग्रेंट्स के बारे में सुप्रीम कोर्ट की हालिया कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस की टिप्पणियों के बाद भारत के चीफ जस्टिस को टारगेट करने वाले “मोटिवेटेड कैंपेन” पर कड़ी आपत्ति जताई। साइन करने वालों ने कहा कि 5 दिसंबर के एक ओपन लेटर में उठाई गई आलोचना, आम ज्यूडिशियल सवालों को गलत तरीके से भेदभाव के तौर पर दिखाती है और ज्यूडिशियरी को गलत साबित करने की कोशिश करती है।“सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंज़ूर नहीं है” टाइटल...
न्यूज़ चैनल और अखबार अब फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट नहीं करते, ऑब्जेक्टिविटी को तिलांजलि दी जा रही है: सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग की मौजूदा हालत की आलोचना की। यह बात साक्षी टीवी के उस आरोप पर सुनवाई के दौरान कही गई, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार के कहने पर पूरे आंध्र प्रदेश में उसका ब्रॉडकास्ट रोक दिया गया।जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा,“यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, वे दिन गए जब न्यूज़ चैनल और अखबार फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट करते थे। कोई भी फैक्ट्स रिपोर्ट नहीं करता। इसलिए जो रिपोर्ट होता है, वह एकतरफा फैक्ट होता है। आप एक अखबार उठाइए, आपको एक नजरिया मिलेगा, दूसरा अखबार उठाइए, आपको दूसरा...
चार्जशीट फ़ाइल होने और आरोपी के ट्रायल में शामिल होने पर वह पुलिस स्टेशन में हाज़िर न होने के कारण ही जमानत रद्द नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सिर्फ़ इसलिए ज़मानत कैंसिल नहीं की जा सकती कि कोई आरोपी समय-समय पर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट नहीं करता, खासकर जब जांच पूरी हो गई हो और ट्रायल शुरू हो गया हो।यह फ़ैसला शेख इरशाद उर्फ़ मोनू की अपील पर आया, जिसकी ज़मानत बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर बेंच ने राज्य की अर्ज़ी पर रद्द कर दी थी।जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने अपील मंज़ूर की, पहले का ज़मानत आदेश बहाल किया और कहा कि सिर्फ़ रिपोर्टिंग की शर्त का पालन न करने के आधार पर ज़मानत रद्द करने का हाई...
जो पार्टी वास्तविक नहीं, वह आर्बिट्रेशन क्लॉज़ का इस्तेमाल नहीं कर सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर साइन न करने वाली पार्टी, उस पार्टी के खिलाफ आर्बिट्रेशन क्लॉज़ का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जिसके साथ उसका कोई कानूनी रिश्ता नहीं है और जहां इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वह मेन कॉन्ट्रैक्ट से बंधेगी।जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की, जहां रेस्पोंडेंट, जो माना जाता है कि HPCL और AGC नेटवर्क्स लिमिटेड के बीच प्राइमरी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं करता था। उसने इस आधार पर HPCL के खिलाफ...
'पहले नागरिकता हासिल करें, फिर वोटर स्टेटस': SIR के दौरान CAA एप्लीकेंट्स को रोल में शामिल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को पूछा कि जिन लोगों ने सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 (CCA) द्वारा दी गई छूट के आधार पर नागरिकता के लिए अप्लाई किया है, उन्हें उनकी नागरिकता स्टेटस के फाइनल तय होने से पहले प्रोविजनल रूप से वोटर लिस्ट में कैसे शामिल किया जा सकता है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच आत्मदीप नाम के एक NGO की दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद बांग्लादेश से भारत आए और CAA के...
'क्या पश्चिम बंगाल के हालात इतने अभूतपूर्व हैं कि पुलिस को ECI के तहत रखा जाए?' SIR के दौरान BLOs को रोकने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सनातनी संसद नामक संगठन की याचिका पर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को नोटिस जारी किया। इस याचिका में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद पश्चिम बंगाल राज्य की वोटर लिस्ट के फाइनल पब्लिकेशन तक राज्य पुलिस अधिकारियों को ECI के डेप्युटेशन पर तैनात करने के निर्देश देने की मांग की गई।कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य को उस याचिका पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें SIR पूरा होने तक राज्य में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स (CISF) तैनात करने के लिए वैकल्पिक निर्देश देने की भी मांग की गई।याचिकाकर्ता की...
बहन की शादी में शामिल होने के लिए उमर ख़ालिद ने मांगी अंतरिम जमानत
JNU के पूर्व स्कॉलर और एक्टिविस्ट उमर खालिद ने 2020 के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साज़िश का आरोप लगाते हुए UAPA केस के संबंध में अंतरिम ज़मानत के लिए दिल्ली कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।खालिद ने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम ज़मानत मांगी।इस मामले की सुनवाई कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी 11 दिसंबर को करेंगे।पिछले साल दिसंबर में जज ने खालिद को परिवार में एक शादी में शामिल होने के लिए 7 दिनों की अंतरिम ज़मानत दी थी।इससे पहले, 2022 में उन्हें अपनी बहन की शादी...
सोनिया गांधी के खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी, नागरिकता लेने से पहले वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने का है मामला
दिल्ली कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ FIR करने से मना करने वाले मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई। सोनिया गांधी पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय नागरिकता लेने से तीन साल पहले, कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके 1980 के वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया था।राउज़ एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा।विकास त्रिपाठी ने गांधी के खिलाफ क्रिमिनल कार्रवाई की मांग करते हुए...
फेसबुक पर 'राष्ट्र-विरोधी' पोस्ट: J&K&L हाईकोर्ट ने निवारक हिरासत सही बताई, बंदी की याचिका खारिज
जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने फेसबुक पर सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाली सामग्रियाँ पोस्ट करने के आरोप में हिरासत में लिए गए व्यक्ति के खिलाफ पारित निवारक हिरासत आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने माना कि निरोधक प्राधिकार का यह निर्णय यांत्रिक नहीं था, बल्कि ऐसे समुचित सामग्री पर आधारित था जिससे यह संतोषजनक रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता था कि व्यक्ति को भविष्य में हानि पहुँचाने वाली गतिविधियों से रोकने के लिए उसकी हिरासत आवश्यक है।जस्टिस संजय धर ने दर्ज किया कि अधिकारियों ने detenue की फेसबुक...
नाबालिग से यौन अपराध जघन्य अपराध; एकमात्र घटना पर भी डिटेंशन संभव : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि नाबालिग के विरुद्ध यौन अपराध समाज के खिलाफ गंभीर और जघन्य अपराध है, और ऐसी स्थिति में केवल एक घटना के आधार पर भी तमिलनाडु गूंडास एक्ट के तहत आरोपी के खिलाफ डिटेंशन आदेश पारित किया जा सकता है।जस्टिस जी.के. इलंथिरैयन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की खंडपीठ ने एक हैबियस कॉर्पस याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी द्वारा उठाया गया यह तर्क अस्वीकार्य है कि “एक घटना” से सार्वजनिक व्यवस्था बाधित नहीं होती और इसलिए डिटेंशन उचित नहीं है।यौन अपराध के मामले में 'एक...
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी बार काउंसिल द्वारा नामांकन के लिए 'ओरल इंटरव्यू' और ₹2500 शुल्क वसूलने पर जताई हैरानी
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल द्वारा नामांकन प्रक्रिया में मौखिक साक्षात्कार (oral interview) के लिए अभ्यर्थियों से ₹2500 शुल्क वसूलने के आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अदालत ने इसे अपने 2024 के फैसले की अवहेलना बताते हुए उप्र बार काउंसिल को नोटिस जारी किया है और निर्देश दिया है कि वह इस प्रथा को स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दाखिल करे।जस्टिस जेबी पारडिवाला और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने कहा कि यह शुल्क सुप्रीम कोर्ट के Gaurav Kumar v. Union of India (2024) निर्णय को दरकिनार करने...
CJI पर जूता फेंकने वाले अधिवक्ता राकेश किशोर पर कड़कड़डूमा कोर्ट में चप्पल से हमला करने की कोशिश
दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में मंगलवार को अधिवक्ता राकेश किशोर पर कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने चप्पलों से हमला करने की कोशिश की।घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ लोग राकेश किशोर की ओर चप्पलें लेकर बढ़ते हैं और उन्हें मारने की कोशिश करते हैं। इस दौरान अन्य लोग बीच-बचाव करते नज़र आते हैं। वीडियो में राकेश किशोर खुद को बचाते हुए “सनातन धर्म की जय हो” चिल्लाते हुए भी दिखाई देते हैं।गौरतलब है कि एडवोकेट राकेश किशोर ने इससे पहले भारत के पूर्व चीफ...
केरल SIR समयसीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने टाल लिया फैसला, 18 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन–SIR) के तहत गणना प्रपत्रों (एन्युमरेशन फॉर्म) जमा करने की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिकाओं पर तत्काल कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा समयसीमा यानी 18 दिसंबर को ही मामले पर पुनः विचार किया जाएगा और तभी तय किया जाएगा कि समय बढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं।खंडपीठ के समक्ष केरल सरकार और कुछ राजनीतिक दलों की ओर से दाखिल याचिकाओं...
FIR में ज्ञात आरोपी का नाम न लेना घातक चूक: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की सजा रद्द की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को एक हत्या मामले में दोषसिद्धि को रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा, क्योंकि FIR में एक अहम चूक हुई थी।अदालत ने पाया कि सूचक को आरोपी की पहचान की जानकारी होने के बावजूद FIR में उसका नाम दर्ज नहीं किया गया, जो पूरे मामले की नींव को कमजोर करने वाला तथ्य है।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मृतक के पिता, जिन्होंने FIR दर्ज कराई थी, उन्हें अपने बहू से हमलावर की...
ज़ी एंटरटेनमेंट बनाम शेयरचैट-मोज मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार मान्य किया, वाद लौटाने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़ी एंटरटेनमेंट द्वारा शेयरचैट और मोज प्लेटफॉर्म के खिलाफ दायर कॉपीराइट उल्लंघन वाद को लौटाने से इंकार कर दिया। अदालत ने माना है कि इस मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पास क्षेत्रीय अधिकारिता मौजूद है।जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड (शेयरचैट एवं मोज की स्वामी संस्था) की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें कथित क्षेत्राधिकार के अभाव का हवाला देते हुए वादपत्र लौटाने का अनुरोध किया गया।यह वाद सोशल नेटवर्किंग मंच शेयरचैट और शॉर्ट-वीडियो मंच मोज के...




















