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मासिक अवकाश विवाद: कर्नाटक हाईकोर्ट जनवरी 2026 में करेगा याचिकाओं पर सुनवाई, कहा- मामला सार्वजनिक महत्व का
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा सभी पंजीकृत औद्योगिक प्रतिष्ठानों में महिलाओं को सवेतन मासिक धर्म अवकाश (मेनस्ट्रुअल लीव) देने संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई जनवरी 2026 में करने का फैसला किया।अदालत ने बुधवार (10 दिसंबर) को कहा कि यह विषय सार्वजनिक महत्व का है और इस पर विस्तृत सुनवाई आवश्यक है।अगली सुनवाई की तारीख 20 जनवरी, 2026 तय की गई।यह मामला जस्टिस ज्योति एम की पीठ के समक्ष सुनवाई में है। इससे पहले मंगलवार को अदालत ने राज्य सरकार की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी थी...
सिर्फ़ आर्य समाज सर्टिफ़िकेट ही सही शादी का सबूत नहीं: मध्य प्रदेशहाई कोर्ट ने सप्तपदी न होने पर शादी को अमान्य ठहराया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फ़ैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक महिला को किसी पुरुष की कानूनी तौर पर शादीशुदा पत्नी घोषित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर पवित्र अग्नि, फेरे या सप्तपदी जैसी ज़रूरी रस्में नहीं की गईं तो हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती।ऐसा करते हुए जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस हिरदेश की डिवीज़न बेंच ने कहा कि फ़ैमिली कोर्ट ने आर्य समाज सर्टिफ़िकेट और रजिस्टर एंट्री को सही शादी होने का पक्का सबूत मानकर गलती की।इसने आगे कहा कि हिंदू धर्म में शादी एक रस्म...
'कानून की बेइज्जती': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण मामले में 'फर्जी' बैंक स्टेटमेंट फाइल करने के आरोपी पति को राहत देने से किया मना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में ऐसे व्यक्ति के खिलाफ क्रिमिनल केस रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की, जिस पर भरण-पोषण मामले में अपनी फाइनेंशियल कैपेसिटी को कम दिखाने के लिए कथित तौर पर जाली डॉक्यूमेंट फाइल करने का आरोप है।कोर्ट ने कहा कि जाली डॉक्यूमेंट फाइल करना ज्यूडिशियल प्रोसेस की ईमानदारी बनाए रखने के प्रिंसिपल पर 'सीधा हमला' है और यह "कानून की बेइज्जती" है।इस तरह जस्टिस विक्रम डी चौहान की बेंच ने गौरव मेहता नाम के एक व्यक्ति की CrPC की धारा 482 के तहत फाइल की गई एप्लीकेशन खारिज की,...
'पुलिस थानों से तुरंत निर्देश लें': हाईकोर्ट के आदेश के बाद DG प्रॉसिक्यूशन ने पूरे UP में प्रॉसिक्यूटर को निर्देश जारी किया
पूरे यूपी में पुलिस और प्रॉसिक्यूशन मशीनरी के बीच तालमेल को बेहतर बनाने के मकसद से उत्तर प्रदेश में डायरेक्टर जनरल (प्रॉसिक्यूशन) ने पिछले महीने एक सख्त सर्कुलर जारी किया, जिसमें सभी प्रॉसिक्यूटिंग ऑफिसर को यह पक्का करने का निर्देश दिया गया कि पुलिस थानों से निर्देश बिना देरी के ट्रायल कोर्ट तक पहुंचें।यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) के दखल के बाद जारी किया गया, जिसने एक मामले में एडमिनिस्ट्रेटिव सुस्ती पर ध्यान दिया, जिसके कारण आरोपी के सरेंडर एप्लीकेशन में देरी हुई।संक्षेप में मामलायह...
मराठी भाषा विवाद | हाईकोर्ट ने वकील पर हमला करने के आरोप में पूर्व MNS नेता के खिलाफ FIR रद्द करने से किया इनकार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के तत्कालीन नेता अखिल चित्रे के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया। अखिल चित्रे पर दिसंबर 2020 में एक वकील पर कथित तौर पर हमला करने का आरोप था। अखिल चित्रे ने पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ आदेश हासिल किए, जो तब Amazon से अपने रोज़ाना के संचार में मराठी भाषा का इस्तेमाल करने की मांग कर रहे थे।जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस रंजीतसिंह भोंसले की डिवीजन बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से चित्रे के खिलाफ 'पहली नज़र में'...
UAPA| पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने क्रॉस-बॉर्डर सिंडिकेट से जुड़े टेरर फंडिंग केस में ज़मानत याचिका खारिज की
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपियों की दो अपीलें खारिज की, जिनमें उन्होंने अपनी दूसरी ज़मानत अर्ज़ी खारिज होने को चुनौती दी थी। यह मामला एक बड़े नार्को-टेरर केस का है, जिसमें हेरोइन, हथियार, विस्फोटकों की क्रॉस-बॉर्डर तस्करी और पाकिस्तान के हैंडलर्स से जुड़ी कथित टेरर-फंडिंग शामिल है, जिसमें आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे भी शामिल है।जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस रमेश कुमारी की बेंच ने कहा,"इस केस के फैक्ट्स से पता चलता है कि बॉर्डर पार से तस्करी किए गए नशीले पदार्थों की बिक्री से मिले पैसे का...
झारखंड हाईकोर्ट ने डिवीजन बेंच के खंडित फैसले के कारण मौत की सज़ा बदली
हाल ही में झारखंड हाईकोर्ट ने एक मौत की सज़ा को इस आधार पर उम्रकैद में बदल दिया कि सज़ा के सवाल पर डिवीजन बेंच की अलग-अलग राय के कारण मौत की सज़ा को घोषित करना नामुमकिन है, भले ही कोई कम करने वाले हालात न हों।जस्टिस गौतम कुमार चौधरी एक डेथ रेफरेंस की सुनवाई कर रहे थे, जब झारखंड हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अलग-अलग राय दी। इससे पहले जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय का मानना था कि अपील करने वालों के खिलाफ आरोप बिना किसी शक के साबित नहीं हुए हैं और वे बरी होने के हकदार हैं, जबकि जस्टिस संजय प्रसाद ने अपील...
ज़िला परिषद चुनाव | पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कैंडिडेट के NOC को वेरिफाई करने से मना करने के मामले में दखल देने से किया इनकार
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में ज़िला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के कैंडिडेट की रिट पिटीशन में दखल देने से मना किया, जिसमें हल्का पटवारी के उनके नॉमिनेशन फाइल करने के लिए ज़रूरी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) को वेरिफाई करने से मना करने को चैलेंज किया गया था।संविधान का आर्टिकल 243-O कोर्ट को पंचायत (लोकल गांव की सरकार) चुनावों और चुनावी प्रोसेस में दखल देने से रोकता है, जिसका मतलब है कि डिलिमिटेशन (चुनाव क्षेत्र का चुनाव) या खुद नतीजों से जुड़े विवादों के लिए खास चुनाव याचिका तय...
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के धारा 498A में बदलाव करके इसे कंपाउंडेबल बनाने का प्रस्ताव वापस लेने पर उठाया सवाल
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को सवाल किया कि महाराष्ट्र सरकार इंडियन पैनल कोड (IPC) की धारा 498A में प्रस्तावित बदलाव को कैसे वापस ले सकती है, जिसे 2018 में राज्य विधानसभा ने पास करके इसे कंपाउंडेबल अपराध बनाने की सिफारिश की थी।जस्टिस मनीष पिटाले और जस्टिस मंजुषा देशपांडे की डिवीजन बेंच को बताया गया कि राज्य विधानसभा ने 2018 में IPC की धारा 498A में बदलाव का प्रस्ताव दिया, जिससे यह कंपाउंडेबल अपराध बन गया। हालांकि, हाल ही में राज्य सरकार ने वह प्रस्ताव वापस ले लिया।वह प्रस्ताव केंद्र सरकार के...
राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की हत्या के लिए 22 साल से जेल में बंद उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति को किया रिहा
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने पिता की हत्या के लिए उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति को समय से पहले रिहा करने का निर्देश दिया। यह निर्देश एमिक्स क्यूरी की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया, जिसमें एडवाइजरी कमेटी के इस आधार को गलत बताया गया था कि वह व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर था और उसका परिवार उसे अपनाने को तैयार नहीं था।जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस आनंद शर्मा की डिवीजन बेंच को सेंट्रल जेल, उदयपुर से पत्र याचिका मिली थी, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया...
Aircel-Maxis Case | प्रॉपर्टीज़ की प्रोविजनल अटैचमेंट के खिलाफ कार्ति चिदंबरम की याचिका पर ED को नोटिस जारी
मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कार्ति पी चिदंबरम की याचिका पर ED को नोटिस जारी किया। कार्ति ने SAFEMA, FEMA, PMLA, NDPS, PBPT ACT के अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें एयरसेल-मैक्सिस केस के संबंध में प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी गई।चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की बेंच ने डायरेक्टरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट के जॉइंट डायरेक्टर को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 3 हफ्ते में देना है।बता दें, कार्ति चिदंबरम ने अपीलेट ट्रिब्यूनल के...
महाभियोग प्रस्ताव और न्यायिक स्वतंत्रता
तिरुप्परनकुंद्रम दीपम मामले में अपने फैसले के लिए जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन के खिलाफ लोकसभा के स्पीकर के समक्ष एक महाभियोग प्रस्ताव पेश करने का हालिया कदम भारत के संवैधानिक जीवन में एक परेशान करने वाला क्षण है। "जो कभी सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के लिए आरक्षित एक असाधारण उपाय था, उसे न्यायिक परिणाम की अस्वीकृति का संकेत देने के लिए एक अलंकारिक और राजनीतिक उपकरण के रूप में लागू किया जा रहा है।" इस तरह का विकास न्यायिक स्वतंत्रता के भविष्य और लोकतांत्रिक संस्थानों के स्वास्थ्य के बारे में परेशान...
'एक ऐसा कानून जो नहीं जानता कि कानून क्या है?': किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का वैचारिक पतन
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 सिर्फ़ एक कमज़ोर आपराधिक कानून नहीं है - यह एक भ्रमित कानून है। यह नहीं जानता कि कानून के साथ संघर्ष करने वाला बच्चा (सीआईसीएल) आरोपी है या लाभार्थी, अपराधी है या पीड़ित। यह जांच, सबूत, ज़मानत और रिमांड जैसे वयस्क आपराधिक मुकदमों की संरचना को अपनाता है, फिर भी ज़ोर देता है कि यह मुकदमा नहीं है। यह सज़ा का नाम बदलकर पुनर्वास, जेलों का नाम बदलकर घर, और आरोपी और अपराध, दोनों का नाम बदलकर संघर्ष कर देता है। लेकिन बदली हुई भाषा के नीचे, प्रक्रिया वैसी ही रहती है - उधार के...
किसी हाई-प्रोफ़ाइल मामले में बरी होना.. और आपराधिक न्याय प्रणाली का ढांचागत संकट
मलयालम फ़िल्म अभिनेता दिलीप को एक बेहद चर्चित अपहरण और यौन उत्पीड़न साजिश मामले में हाल ही में मिले बरी होने के आदेश ने एक बार फिर भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को तीखी सार्वजनिक और कानूनी समीक्षा के केंद्र में ला खड़ा किया है। पूरा विस्तृत फ़ैसला अभी अपलोड भी नहीं हुआ है, लेकिन केरल और उसके बाहर जन-प्रतिक्रियाएं गहराई से बंटी हुई हैं। एक वर्ग इस फ़ैसले को आरोपी की पूर्ण जीत के रूप में देख रहा है, जबकि दूसरा मानता है कि न्याय पीड़िता के साथ खड़ा होने में विफल रहा है। यह ध्रुवीकरण टीवी डिबेट,...
ऊपरी अदालतों को निचली अदालतों में बेवजह केस भेजने से बचना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को ऊपरी अदालतों द्वारा उन मामलों को वापस भेजने के तरीके की आलोचना की जो बहुत पहले ही तय हो चुके हैं। साथ ही कहा कि ऐसे आदेश विवादों को खत्म करने के बजाय सिर्फ़ “बेवजह आगे की मुकदमेबाजी” को बढ़ावा देते हैं।जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग दो दशक पहले पूरी तरह से सुलझाए गए मामले को फिर से खोल दिया था, जिसमें कथित तौर पर नैचुरल जस्टिस के उल्लंघन के आधार पर रिमांड का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने...
5 साल की सर्विस के बाद इस्तीफा देने वाले या रिटायर होने वाले कर्मचारी ग्रेच्युटी के हकदार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि जो कर्मचारी इस्तीफा देता है या वॉलंटरी रिटायरमेंट लेता है, वह पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का हकदार है, बशर्ते उसने कम से कम पांच साल की लगातार सर्विस पूरी कर ली हो।जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन को अपील करने वाले कर्मचारी (अब मर चुका है) के परिवार को ग्रेच्युटी देने का निर्देश दिया, जिसने लगभग 30 साल सर्विस की थी और पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दे दिया था। सर्विस से इस्तीफा देने के...
रिटायर्ड जजों ने रोहिंग्या मामले में सीजेआई सूर्यकांत की टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ 'मोटिवेटेड कैंपेन' की निंदा की
रिटायर्ड जजों के एक ग्रुप ने एक पब्लिक स्टेटमेंट जारी किया, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या माइग्रेंट्स के बारे में सुप्रीम कोर्ट की हालिया कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस की टिप्पणियों के बाद भारत के चीफ जस्टिस को टारगेट करने वाले “मोटिवेटेड कैंपेन” पर कड़ी आपत्ति जताई। साइन करने वालों ने कहा कि 5 दिसंबर के एक ओपन लेटर में उठाई गई आलोचना, आम ज्यूडिशियल सवालों को गलत तरीके से भेदभाव के तौर पर दिखाती है और ज्यूडिशियरी को गलत साबित करने की कोशिश करती है।“सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती मंज़ूर नहीं है” टाइटल...
न्यूज़ चैनल और अखबार अब फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट नहीं करते, ऑब्जेक्टिविटी को तिलांजलि दी जा रही है: सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग की मौजूदा हालत की आलोचना की। यह बात साक्षी टीवी के उस आरोप पर सुनवाई के दौरान कही गई, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार के कहने पर पूरे आंध्र प्रदेश में उसका ब्रॉडकास्ट रोक दिया गया।जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा,“यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, वे दिन गए जब न्यूज़ चैनल और अखबार फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट करते थे। कोई भी फैक्ट्स रिपोर्ट नहीं करता। इसलिए जो रिपोर्ट होता है, वह एकतरफा फैक्ट होता है। आप एक अखबार उठाइए, आपको एक नजरिया मिलेगा, दूसरा अखबार उठाइए, आपको दूसरा...
चार्जशीट फ़ाइल होने और आरोपी के ट्रायल में शामिल होने पर वह पुलिस स्टेशन में हाज़िर न होने के कारण ही जमानत रद्द नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सिर्फ़ इसलिए ज़मानत कैंसिल नहीं की जा सकती कि कोई आरोपी समय-समय पर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट नहीं करता, खासकर जब जांच पूरी हो गई हो और ट्रायल शुरू हो गया हो।यह फ़ैसला शेख इरशाद उर्फ़ मोनू की अपील पर आया, जिसकी ज़मानत बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर बेंच ने राज्य की अर्ज़ी पर रद्द कर दी थी।जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने अपील मंज़ूर की, पहले का ज़मानत आदेश बहाल किया और कहा कि सिर्फ़ रिपोर्टिंग की शर्त का पालन न करने के आधार पर ज़मानत रद्द करने का हाई...
जो पार्टी वास्तविक नहीं, वह आर्बिट्रेशन क्लॉज़ का इस्तेमाल नहीं कर सकती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर साइन न करने वाली पार्टी, उस पार्टी के खिलाफ आर्बिट्रेशन क्लॉज़ का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जिसके साथ उसका कोई कानूनी रिश्ता नहीं है और जहां इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वह मेन कॉन्ट्रैक्ट से बंधेगी।जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की, जहां रेस्पोंडेंट, जो माना जाता है कि HPCL और AGC नेटवर्क्स लिमिटेड के बीच प्राइमरी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं करता था। उसने इस आधार पर HPCL के खिलाफ...




















