ताज़ा खबरे
लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि यदि महिला और पुरुष दोनों बालिग हैं तथा आपसी सहमति से लिव-इन संबंध में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस संरक्षण पाने का पूरा अधिकार है, भले ही युवक की आयु 21 वर्ष से कम हो।जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवारजनों से जान के खतरे की आशंका जताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे विवाह करना चाहते हैं, किंतु युवक...
पूर्व वकील से अनापत्ति प्रमाणपत्र केवल सदाचार की प्रक्रिया, नया वकील बिना NOC के भी जमानत पर बहस कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि किसी आपराधिक मामले में पुराने वकील से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना केवल सदाचार की प्रक्रिया है कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं। यदि नया वकील अपने मुवक्किल द्वारा विधिवत अधिकृत है तो वह बिना एनओसी के भी जमानत याचिका प्रस्तुत कर सकता है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान एवं जस्टिस अभयदेश कुमार चौधारी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी दहेज मृत्यु से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान की।इसमें अपीलकर्ता मनोरमा शुक्ला जिनकी अगस्त 2021 में अपर सत्र...
ECI गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय चुनाव आयोग (ECI) किसी गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता। ऐसे विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा,"ECI किसी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के अंदरूनी विवादों के मामले में किसी भी विरोधी गुट को मान्यता नहीं देगा, क्योंकि इन विवादों को सुलझाना ECI का काम नहीं है। एक रजिस्टर्ड और गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी में ऐसे आपसी विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।"कोर्ट...
ECI गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय चुनाव आयोग (ECI) किसी गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवादों पर फैसला नहीं कर सकता। ऐसे विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा,"ECI किसी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के अंदरूनी विवादों के मामले में किसी भी विरोधी गुट को मान्यता नहीं देगा, क्योंकि इन विवादों को सुलझाना ECI का काम नहीं है। एक रजिस्टर्ड और गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी में ऐसे आपसी विवादों को सिविल मुकदमे में ही सुलझाना होगा।"कोर्ट...
सीनियर सिटीजन एक्ट का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेटे की बेदखली आदेश रद्द किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को कहा कि वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 एक कल्याणकारी कानून है, जिसका उद्देश्य असहाय एवं संवेदनशील वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा करना है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस अधिनियम का उपयोग वरिष्ठ नागरिक *अपने बच्चों को कानून का पालन किए बिना बेदखल करने के साधन* के रूप में नहीं कर सकते।जस्टिस रियाज़ छागला और जस्टिस फरहान दुबाश की खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल के उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिनमें मुंबई के आंधेरी स्थित एक बंगले से 53...
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री के मानहानि मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश: सोशल मीडिया अपलोडरों को पक्षकार बनाया जाए
दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी को निर्देश दिया कि वह अपनी मानहानि याचिका में उन व्यक्तियों को भी पक्षकार बनाएं, जिन्होंने उनके विरुद्ध कथित आपत्तिजनक सामग्री सोशल मीडिया पर अपलोड की।जस्टिस अमित बंसल ने चौधरी द्वारा दायर उस आवेदन को स्वीकार कर लिया, जिसके माध्यम से मामले की सुनवाई की तारीख आगे किए जाने की मांग की गई थी। यह प्रकरण पहले 13 जनवरी 2026 को सूचीबद्ध था, जिसे अब 16 दिसंबर को सुनवाई के लिए तय किया गया।अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वादी अपलोडरों को...
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मासिक धर्म अवकाश संबंधी सरकारी आदेश पर लगाई रोक
कर्नाटक हाईकोर्ट ने औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को प्रति माह एक दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश देने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई।अदालत ने 20 नवंबर को जारी उस सरकारी अधिसूचना के क्रियान्वयन को फिलहाल स्थगित कर दिया, जिसमें विभिन्न कानूनों के तहत पंजीकृत औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सभी स्थायी, संविदा एवं आउटसोर्स महिला कर्मचारियों को यह अवकाश देने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस ज्योति एम ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को नोटिस स्वीकार करने का निर्देश देते हुए...
अजमेर शरीफ़ दरगाह पर कार्रवाई से पहले सुनवाई अनिवार्य: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अजमेर स्थित ख्वाजा साहब दरगाह परिसर के भीतर और उससे जुड़े क्षेत्रों में किसी भी ढांचे को हटाने या ध्वस्त करने से पहले प्रभावित पक्षों को अनिवार्य रूप से सुनवाई का अवसर दिया जाए।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना प्रक्रिया का पालन किए सीधे कार्रवाई करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि 22 नवंबर को जारी हटाने के नोटिस के आधार पर कोई भी त्वरित या एकतरफा कदम उठाने से पहले संबंधित प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग कारण...
₹52.5 करोड़ लोन फ्रॉड मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आर्थिक अपराध समाज को प्रभावित करते हैं, आपराधिक कार्यवाही बहाल की
सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक अपराधों को “सार्वजनिक हित के लिए गंभीर खतरा” बताते हुए M/s Sarvodaya Highways Ltd. और उसके निदेशकों के खिलाफ लगभग ₹52.5 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड मामले में आपराधिक कार्यवाही को बहाल कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के आधार पर ऐसे मामलों को खत्म नहीं किया जा सकता, विशेषकर तब जब जालसाजी, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप सामने हों।OTS के आधार पर FIR खत्म करना त्रुटिपूर्ण: सुप्रीम कोर्टजस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने 2022 के पंजाब...
सुप्रीम कोर्ट ने असम को SIR से छूट देने के खिलाफ याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम में 2026 विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची का केवल 'स्पेशल रिवीजन' कराने के निर्वाचन आयोग (ECI) के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि असम को अन्य राज्यों की तुलना में जानबूझकर कम कठोर प्रक्रिया के तहत रखा गया है, जबकि राज्य लंबे समय से अवैध प्रवासियों की समस्या से जूझ रहा है।चीफ जस्टिस सुर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार के लिए निर्धारित की।याचिकाकर्ता की ओर से...
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्सुअल-ऑफेंस मामलों में कोर्ट की बेपरवाह टिप्पणियों को रोकने के लिए गाइडलाइंस पर विचार किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाई, जिसमें कहा गया कि एक नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना रेप की कोशिश के जुर्म के तहत नहीं आएगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सेक्सुअल ऑफेंस से जुड़े ऐसे सेंसिटिव मामलों में टिप्पणियां करते समय कोर्ट के लिए गाइडलाइंस तय करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।NGO 'वी द वीमेन ऑफ इंडिया' की ओर से पेश...
Article 226 | इकोनॉमिक या फिस्कल रिफॉर्म्स पर सवाल उठाने के लिए रिट जूरिस्डिक्शन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को सिविक बॉडीज़ के प्रॉपर्टी टैक्स रेट्स को रिवाइज़ करने के अधिकार को सही ठहराया। साथ ही कहा कि ऐसे रिवीजन को तब तक चैलेंज नहीं किया जा सकता, जब तक कि अपनाया गया प्रोसेस मनमाना न हो या गवर्निंग कानूनी प्रोविज़न्स का साफ उल्लंघन न करता हो।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का फैसला खारिज करते हुए कहा, जिसमें अकोला म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के प्रॉपर्टी टैक्स रेट्स को रिवाइज़ करने के फैसले को लगभग 16 साल बाद रद्द कर दिया...
सिर्फ़ इसलिए गवाही खारिज नहीं की जा सकती क्योंकि गवाह को होस्टाइल घोषित कर दिया गया: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को कहा कि किसी गवाह की गवाही सिर्फ़ इसलिए पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकती, क्योंकि उसे होस्टाइल गवाह घोषित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि गवाही का वह हिस्सा जो प्रॉसिक्यूशन या डिफेंस के केस से मेल खाता है, उसे स्वीकार किया जा सकता है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने उस केस की सुनवाई की, जिसमें अपील करने वालों को ट्रायल कोर्ट ने इंडियन पैनल कोड (IPC) की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 354 (शील भंग करना) के साथ-साथ SC/ST Act की धारा...
देश भर में मंदिरों पर कब्ज़ों के खिलाफ़ निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मंदिरों की प्रॉपर्टी पर कब्ज़े की जांच के लिए कमेटियां बनाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से यह कहते हुए मना किया कि वह ऐसे मामलों पर पूरे देश में निर्देश जारी नहीं कर सकता।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच मंदिर की ज़मीनों के लिए देश भर में निगरानी के सिस्टम की मांग वाली रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शुरुआत में सीजेआई ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में मंदिर मैनेजमेंट ट्रस्ट पहले से मौजूद हैं और मिस-मैनेजमेंट...
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम विरोधी टिप्पणी के आरोपी UP पुलिस अधिकारी को वॉयस सैंपल देने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति के खिलाफ क्रिमिनल केस रद्द किया, क्योंकि पाया गया कि उसके खिलाफ यह केस गलत तरीके से दर्ज किया गया था, क्योंकि वह एक ऑडियो क्लिप पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने का प्रस्ताव दे रहा था, जिसमें बिजनौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए सुना गया था।जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने DIG संजीव त्यागी (तत्कालीन SP बिजनौर) को पक्षकार बनाया और उन्हें वेरिफिकेशन के लिए कथित ऑडियो...
'हैरान करने वाली लापरवाही': आरोपी के क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में कोई जानकारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने UP पुलिस की आलोचना की
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यवाही को लापरवाही से संभालने के लिए कड़ी आलोचना की, जब यह पता चला कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ 1982 की अपील से जुड़े एक मामले में आरोपी के साथ आए सब-इंस्पेक्टर को भी उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है।बेंच ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि राज्य के वकील को भी उतनी ही जानकारी नहीं है। प्रतिवादी के पिछले मामलों की जानकारी देने के लिए जब कहा गया तो वकील ने माना कि उन्हें "निर्देश लेने" की ज़रूरत होगी।अपनी असहमति दर्ज करते हुए...
SC/ST Act का 'गलत इस्तेमाल' नहीं होना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 साल की देरी के बाद दर्ज FIR में ज़मानत दी
SC-ST Act 1989 के तहत रेप और अपराधों के आरोपों से जुड़ी FIR में दो आरोपियों को ज़मानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि स्पेशल कानून के तहत पीड़ित को दिए गए अधिकारों का "गलत इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए"।जस्टिस अनिल कुमार-X की बेंच ने अपील करने वालों [अज़नान खान और फुरकान इलाही] को ज़मानत दी, जिसमें मुख्य रूप से FIR दर्ज करने में 9 साल की बिना वजह की देरी और विक्टिम, जो खुद एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं, के 'गलत' बर्ताव को ध्यान में रखा गया।संक्षेप में मामलापीड़िता ने इस साल...
महिला का साझा घर का अधिकार ससुराल वालों के घर में हमेशा के लिए रहने का लाइसेंस नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा एक्ट की धारा 17 के तहत महिला का साझा घर का अधिकार सुरक्षा का अधिकार है, न कि मालिकाना हक का अधिकार या ससुराल वालों की जगह पर हमेशा के लिए रहने का लाइसेंस, खासकर तब जब ऐसे कब्जे से सीनियर सिटिजन को साफ नुकसान होता हो।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा माना कि ऐसे अधिकार को सीनियर सिटिजन माता-पिता के अपनी प्रॉपर्टी पर शांति से कब्जे और उसके इस्तेमाल के अधिकारों के साथ बैलेंस किया जाना...
NDPS मामलों में ट्रायल पेंडिंग रहने तक जमानत देने के 'रीजनेबल ग्राउंड्स' को BSA के तहत 'प्रूफ' नहीं माना जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जमानत आवेदन के मामले में 'रीजनेबल ग्राउंड्स' की बैलेंस्ड व्याख्या के महत्व पर ज़ोर देते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे ग्राउंड्स सिर्फ़ शक से आगे जाने चाहिए, लेकिन पक्के सबूत से कम होने चाहिए।जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की बेंच ने आगे कहा,“'रीजनेबल ग्राउंड्स' शब्दों का मतलब 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' में इस्तेमाल किए गए साबित होने के तौर पर नहीं पढ़ा जा सकता। मेरी राय में ऐसी व्याख्या कोर्ट को ट्रायल पेंडिंग रहने तक बेल देने की मिली शक्ति को खत्म कर देगी। 'रीजनेबल...
2023 विक्रम अवॉर्ड: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी में माउंटेनियर भावना डेहरिया के सलेक्शन को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (8 दिसंबर) को माउंटेनियर मधुसूदन पाटीदार की अर्जी खारिज की, जिसमें 2023 विक्रम अवॉर्ड (एडवेंचर स्पोर्ट्स कैटेगरी) के लिए अवॉर्डी को चुनने में राज्य सरकार की तरफ से 'निष्क्रियता और भेदभाव' का आरोप लगाया गया था और खास तौर पर माउंटेनियर भावना डेहरिया के सिलेक्शन को चुनौती दी गई थी।जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि पाटीदार मध्य प्रदेश अवॉर्ड रूल्स, 2021 के तहत विचार के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि उनका माउंट एवरेस्ट समिट, जो उनके दावे का एक ज़रूरी आधार है, तय पांच साल की...




















