हाईकोर्ट
सीवरेज कनेक्शन प्रदान करना नगर परिषद का वैधानिक कर्तव्य, संपत्ति स्वामियों की सहमति आवश्यक नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1994 की धारा 141 के तहत सीवरेज कनेक्शन प्रदान करना नगर परिषद का कर्तव्य है। वह केवल निजी भूस्वामियों की आपत्तियों के कारण इस सेवा को रोक नहीं सकती।नगर परिषद का तर्क खारिज करते हुए जस्टिस अजय मोहन गोयल ने कहा,"ऐसी कोई वैधानिक आवश्यकता नहीं है कि परिषद उस व्यक्ति से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करे, जिसकी संपत्ति से सीवरेज लाइन गुजरनी है। यदि अधिनियम की धारा 141 की इस प्रकार व्याख्या की जाती है तो नगरपालिका प्राधिकरण अधिकांश...
सूर्यास्त के बाद तिरंगा न उतारना अपराध नहीं, लेकिन फ्लैग कोड का उल्लंघन: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान इसे फहराने के बाद लगभग 2 दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज को कम करने में विफल रहने के लिए एक व्यक्ति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने विचार किया कि क्या भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India), 2002 के भाग-III, धारा III, नियम 3.6 के साथ पठित राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम (National Honour Act), 1971 के अपमान की रोकथाम की धारा 2 (a) के तहत अपराध किए गए थे। कोर्ट ने कहा,"सूर्यास्त के बाद फहराए गए राष्ट्रीय...
उचित प्रक्रिया से इनकार नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 21 के तहत अभियुक्तों के अधिकारों को पुष्ट किया
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आपराधिक मामले में संदिग्ध व्यक्ति भी "भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21" के तहत पूर्ण सरंक्षण के हकदार हैं। इसमें गरिमा का अधिकार, निष्पक्ष प्रक्रिया और मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध सुरक्षा शामिल है। यह निर्णय एक महिला सीईओ से जुड़े मामले से उत्पन्न हुआ, जिसे अंधेरा होने के बाद और अन्य अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किए बिना गिरफ्तार किया गया था। यह चर्चा प्रक्रियात्मक दुरुपयोग और रोज़मर्रा की पुलिसिंग में मौलिक अधिकारों के क्रमिक ह्रास के बारे...
परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती, यह हमेशा के लिए जारी नहीं रहती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती। यह ऐसा अधिकार नहीं है, जो हमेशा के लिए जारी रहे।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एक बहुत ही विशिष्ट आवश्यकता को पूरा करती है, जो समय के साथ समाप्त हो जाती है।अदालत ने कहा,"परिवार के कमाने वाले की मृत्यु के लंबे समय बाद भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं मांगी जा सकती। यह ऐसा अधिकार नहीं है, जो शुद्धिकरण तक हमेशा के लिए जारी रहे।"इसमें आगे कहा...
2019 अनाज मंडी अग्निकांड: दिल्ली हाईकोर्ट ने सुरक्षा व्यवस्था के अभाव का हवाला देते हुए भवन मालिक के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश बरकरार रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के अनाज मंडी क्षेत्र के सदर बाजार स्थित एक भवन के मालिकों में से एक के खिलाफ आरोप तय करने के निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा। इस भवन में 8 दिसंबर 2019 की तड़के भीषण आग लग गई थी, जिसमें 45 लोगों जिनमें अधिकतर मजदूर थे, की जान चली गई थी।जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि आरोपी मोहम्मद इमरान चौथी मंजिल के एक हिस्से के साथ-साथ भवन की छत पर बने स्टोररूम का भी मालिक था, जो अनधिकृत और अवैध संरचनाएं थीं, जिससे भवन निर्माण मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन परिलक्षित होता है।अदालत ने...
CPC की धारा 60(1)(CCC) | दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के लिए व्यक्ति की पैतृक संपत्ति की नीलामी पर रोक लगाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पत्नी द्वारा गुजारा भत्ता भुगतान की मांग करते हुए दायर की गई निष्पादन याचिका में पारिवारिक संपत्ति में पति के कथित हिस्से की नीलामी का निर्देश दिया गया था।यह तब हुआ जब पति ने CPC की धारा 60(1)(CCC) के उल्लंघन का हवाला दिया, जिसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को निवास करने का अधिकार है और किसी व्यक्ति के पास मौजूद एकमात्र आवास के विरुद्ध निष्पादन नहीं किया जा सकता।यह कहते हुए कि CPC की धारा 60(1)(CCC) के तहत प्रदत्त संरक्षण के संबंध...
[पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पशु चिकित्सा और भेड़ विस्तार केंद्रों के निर्माण के लिए निविदा जारी करने में हलका पंचायत से पूर्व परामर्श न करना जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 का उल्लंघन नहीं है और न ही यह निविदा प्रक्रिया को अवैध बनाता है।जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने कहा कि यद्यपि पंचायती राज अधिनियम स्थानीय शासन और सामुदायिक भागीदारी की परिकल्पना करता है। फिर भी कोई भी वैधानिक प्रावधान सभी सरकारी विकास परियोजनाओं विशेष रूप से राज्य की भूमि पर कार्यकारी निधि से...
दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा पावर के ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में सुनाया फैसला, अज्ञात (जॉन डो) पर लगाया डायनेमिक निषेधाज्ञा
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में टाटा पावर सोलारूफ और टाटा पावर ईजेड चार्ज सहित अपने ट्रेडमार्क के उल्लंघन के खिलाफ दायर एक मुकदमे में टाटा पावर के पक्ष में सारांश निर्णय पारित किया।जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने भी आदेश जारी किया और कंपनी को जॉन डो के किसी अन्य संगठन के खिलाफ राहत मांगने की अनुमति दी। टाटा ने उल्लंघन करने वाली 18 इकाइयों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। न्यायालय ने नवंबर 2024 में इस मामले में एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा दी थी। जबकि टाटा ने दावा किया कि प्रतिवादी नंबर 2 से 17...
संदेशखली के पूर्व TMC नेता शाहजहां शेख मामले की CBI जांच में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट का इनकार
कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखली के पूर्व तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शाहजहां शेख की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने वाले एकल जज के आदेश के खिलाफ अपील खारिज की।बता दें, शेख पर बलात्कार जबरन वसूली और मारपीट सहित कई अपराधों का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही, कथित तौर पर उनके आदेश पर ही ED की एक टीम पर हमला किया गया था, जिसे राशन घोटाले के सिलसिले में उनके परिसरों की तलाशी लेने के लिए तैनात किया गया था।एकल पीठ का आदेश बरकरार रखते हुए जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास की खंडपीठ...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हत्या की जांच पूरी करने के लिए झूठे गवाह थोपने पर पुलिस की कड़ी आलोचना की, डीजीपी को उचित जांच के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया
2021 के एक हत्या के मामले में दो लोगों की दोषसिद्धि रद्द करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि पुलिस अधिकारियों ने जांच की निष्पक्षता बनाए रखे बिना जांच पूरी करने के अपने उत्साह में एक झूठे गवाह को थोप दिया।राज्य में जांच की बेईमानी स्थिति पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पुलिस डायरेक्टर जनरल (DGP) को उचित जांच के लिए उचित दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही DGP को संबंधित जांच अधिकारी और वर्तमान मामले में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जाँच दर्ज करने...
प्रक्रिया पेटेंट विवाद में शुरुआती चरण में भी प्रतिवादी से निर्माण प्रक्रिया का खुलासा मांगा जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया कि पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 104A को वाद के प्रारंभिक चरण में भी लागू किया जा सकता है, जब पेटेंटधारी यह मांग करता है कि प्रतिवादी अपनी निर्माण प्रक्रिया का खुलासा करे। कोर्ट ने कहा कि इस धारा के प्रयोग को केवल मुकदमे के अंतिम निर्णय तक सीमित नहीं किया जा सकता, खासकर जब वादी एक अंतरिम आवेदन के माध्यम से यह जानकारी मांग रहा हो।मामले में एफ. हॉफमैन-ला रोश एजी और अन्य, जो रोश समूह का हिस्सा हैं, ने ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में प्रयुक्त अपनी पेटेंट दवा 'पर्टुज़ुमैब'...
मात्र स्कूल सर्टिफिकेट से ही तय नहीं हो सकती अपहरण पीड़िता की आयु: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोप से बरी करने के निचली अदालत का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि मात्र स्कूल द्वारा जारी सर्टिफिकेट यदि उसके पीछे कोई ठोस दस्तावेज या साक्ष्य न हो, तो वह किसी पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।कोर्ट ने कहा कि स्कूल सर्टिफिकेट केवल उस स्थिति में स्वीकार्य हो सकता है, जब वह स्कॉलरशिप रजिस्ट्रेशन में दर्ज प्रविष्टियों पर आधारित हो और वह प्रविष्टियां एडमिशन फॉर्म में माता-पिता द्वारा दर्ज जानकारी पर आधारित हों। लेकिन इस...
धारा 17-A का संरक्षण भ्रष्ट अधिकारियों के लिए ढाल नहीं बन सकता यदि ऑडियो/वीडियो में प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हो: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप में ऑडियो या वीडियो जैसे प्रथम दृष्टया इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मौजूद हैं तो केवल धारा 17-A, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पूर्वानुमति न मिलने के आधार पर उसके विरुद्ध अभियोजन न चलाना न्याय का उपहास होगा।धारा 17-A के अनुसार यदि कोई अपराध किसी सरकारी अधिकारी द्वारा अपने पद का दायित्व निभाते हुए किसी निर्णय या सिफारिश से संबंधित हो तो उस पर जांच या पूछताछ से पहले सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति आवश्यक है। हालांकि यदि व्यक्ति को...
गांजा की बरामदगी कॉमर्शियल लेवल से केवल थोड़ा अधिक, NDPS Act की धारा 37 की कड़ी शर्तें लागू नहीं होतीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह माना कि अगर किसी आरोपी से बरामद मादक पदार्थ की मात्रा NDPS Act के तहत निर्धारित कॉमर्शियल लेवल से केवल थोड़ी अधिक हो, तो धारा 37 की कठोर शर्तें सख्ती से लागू नहीं होतीं।इस मामले में आवेदक को 21.508 किलोग्राम गांजा के साथ पकड़ा गया था। NDPS Act की धारा 37 के तहत जमानत तभी दी जा सकती है, जब आरोपी यह साबित करे कि उसके दोषी होने की कोई ठोस संभावना नहीं है और यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह फिर से अपराध नहीं करेगा।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा,“आवेदक से कथित रूप से बरामद गांजा की...
बिना किसी निश्चितता के सज़ा? BNS की धारा 10 न्यायिक पुनर्विचार के योग्य क्यों है?
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023, औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर लागू की गई थी। हालांकि इसका विधायी उद्देश्य भारत के आपराधिक कानूनी ढांचे का आधुनिकीकरण करना था, लेकिन बीएनएस के कुछ प्रावधानों ने कानूनी और संवैधानिक बहस को जन्म दिया है। ऐसा ही एक प्रावधान धारा 10 है, जो इस प्रकार है:"ऐसे सभी मामलों में जिनमें यह निर्णय दिया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्णय में निर्दिष्ट कई अपराधों में से किसी एक का दोषी है, लेकिन यह संदेह है कि वह इनमें से किस अपराध का दोषी है, अपराधी को उस...
साइबर ठगी मामले में ट्रायल कोर्ट की अनुचित नरमी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त, कहा- सीनियर सिटीजन की फरियाद को अनदेखा करना चिंता का विषय
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यशैली पर सख्त नाराज़गी जताते हुए कहा कि गंभीर आपराधिक मामलों में इस तरह की ढिलाई न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करती है। हाईकोर्ट ने विशेष रूप से उस परिस्थिति पर चिंता जताई, जिसमें एक 76 वर्षीय रिटायर सेना अधिकारी को चार वर्षों से न्याय के लिए अमृतसर से मोहाली की अदालतों में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं लेकिन अब तक केवल दो ही गवाहों की गवाही हो पाई।जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का रवैया न केवल अभियुक्तों के प्रति...
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2(2) आदिवासी महिलाओं के लिए पिता की संपत्ति पर दावा करने में बाधा: राजस्थान हाईकोर्ट ने संशोधन का सुझाव दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि जब गैर-अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों की बेटियां पिता की संपत्ति में समान हिस्से की हकदार हैं तो ST समुदाय की बेटियों को समान अधिकार से वंचित करने का कोई कारण नहीं है।हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2 अधिनियम के लागू होने का दायरा निर्धारित करती है। उक्त धारा 2(2) यह प्रावधान करती है कि अधिनियम में निहित कोई भी बात संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (25) के अर्थ में किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होगी, जब तक कि केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना...
किसी व्यक्ति को न्यायालय जाने से धमकाना सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यह देखते हुए कि कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को न्यायालय जाने से नहीं धमका सकता इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तरह के हस्तक्षेप को न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी बाधा बताया और इसलिए इसे सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना माना।जस्टिस जे.जे. मुनीर की पीठ ने यह टिप्पणी अमित सिंह परिहार द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें फतेहपुर जिले के एक गांव में सरकारी पेड़ों की अवैध कटाई और चोरी का आरोप लगाया गया था।मुख्यतः 31 जुलाई, 2025 को दायर पूरक हलफनामे में याचिकाकर्ता ने...
वकीलों की हड़ताल पर मामला स्थगित करना अनुशासनात्मक कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने SDM को जारी किया कारण बताओ नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह अलीगढ़ में एक उप-जिलाधिकारी (SDM) को उस समय फटकार लगाई, जब उन्होंने स्थानीय बार एसोसिएशन की हड़ताल के आह्वान के चलते मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।जस्टिस जे.जे. मुनीर की एकल पीठ ने कहा कि बार एसोसिएशन के इस प्रकार के आह्वान को स्वीकार करना न्यायिक अधिकारी के आचरण में कदाचार की श्रेणी में आ सकता है। इसके चलते उस अधिकारी को पद से हटाने तक की अनुशंसा की जा सकती है।कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की...
मेधावी स्टूडेंट इस तरह के व्यवहार के हकदार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरिट सर्टिफिकेट देने से इनकार करने पर स्कूल बोर्ड पर 25,000 का जुर्माना लगाया
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में किसी उम्मीदवार के अंक बढ़ने के बाद उसे मेरिट सर्टिफिकेट जारी करना स्कूल शिक्षा बोर्ड का कर्तव्य है और वह इसकी ज़िम्मेदारी स्कूल प्रशासन पर नहीं डाल सकता।जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की,"याचिकाकर्ता को केवल उन आधारों पर मनमाने ढंग से मेरिट सर्टिफिकेट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, जैसा कि प्रतिवादी-बोर्ड ने अपने जवाब में प्रचारित किया। मेधावी स्टूडेंट इस तरह के व्यवहार के हकदार नहीं हैं। उसकी उत्कृष्टता को पुरस्कृत करने के बजाय...







![[पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट [पंचायती राज अधिनियम] सरकारी विकास परियोजनाओं की स्थापना के लिए पंचायत से पूर्व परामर्श अनिवार्य नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/07/10/500x300_609202-750x450435912-justice-wasim-sadiq-nargal-jammu-and-kasmir-and-ladakh-high-court2.jpg)











