राजस्थान हाईकोर्ट ने 2013 के आदेश के बावजूद निपटाए गए मामले को फिर से उठाने पर जुर्माना लगाया
Shahadat
13 Oct 2025 7:13 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो प्रतिवादियों को दिया जाना है। 2013 में पहले ही निपटाए जा चुके एक मामले को अदालत के फैसले को लागू करने के बजाय बार-बार चुनौती देने पर प्रतिवादियों को यह जुर्माना देना होगा।
जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ, 2013 के पूर्व निपटाए गए आदेश के आधार पर 2023 में पारित सिंगल जज के आदेश के विरुद्ध दायर अंतर-न्यायालयीय अपील पर सुनवाई कर रही थी।
प्रतिवादी 1985 में शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में नियुक्त हुआ था, जिसकी सेवाएं 1992 में नियमित कर दी गईं। प्रतिवादी द्वारा याचिका दायर की गई कि वर्ष 1992 से पहले की उसकी सेवाओं पर वरिष्ठ/चयन वेतनमान लाभ प्रदान करने के लिए विचार नहीं किया जा रहा है। इस याचिका का निर्णय 2013 में प्रतिवादी के पक्ष में हुआ था।
इसके बाद राज्य ने अंतर्न्यायालयीय अपील दायर की, लेकिन असफल रही। उसके बाद कोई विशेष अनुमति याचिका दायर न होने के कारण पक्षकारों के बीच आदेश अंतिम हो गया। इसके बावजूद, राज्य ने प्रतिवादी को उसकी नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से निर्धारित वेतनमान के अनुसार भुगतान नहीं किया।
परिणामस्वरूप, प्रतिवादी द्वारा 2016 में एक और याचिका दायर की गई, जिसे 2013 में पारित आदेश के आधार पर 2023 में भी स्वीकार कर लिया गया। इससे प्रतिवादी को उसकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से भुगतान प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हुआ। तदनुसार, राज्य को याचिकाकर्ता को निर्धारित वेतनमान का लाभ प्रदान करने के निर्देश जारी किए गए।
इस निर्णय के विरुद्ध राज्य द्वारा वर्तमान अपील दायर की गई। यह प्रस्तुत किया गया कि 2013 के मामले का हवाला देकर 2016 में दायर याचिका का प्रतिवादी के पक्ष में गलत निर्णय लिया गया था। यह तर्क दिया गया कि 2013 का निर्णय विभाग के परिपत्र और सेवा में व्यवधान को ध्यान में रखे बिना दिया गया।
तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि 2013 का आदेश अंतिम हो चुका है। 2023 के आदेश के विरुद्ध इस अंतर-न्यायालयीय अपील में इसे चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। चूंकि 2013 के आदेश के विरुद्ध अपील असफल रही थी। उसके बाद कोई विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं की गई, इसलिए राज्य ने उस आदेश को स्वीकार कर लिया और वह अंतिम हो गया।
इसके बावजूद, राज्य द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया।
अदालत ने कहा,
"फाइनल हो चुके आदेश को चुनौती देने के लिए यह मुद्दा फिर से उठाया जा रहा है।"
तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई और राज्य पर प्रतिवादियों को भुगतान करने हेतु 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
Title: State of Rajasthan & Anr. v Kamal Singh Chaudhary & Anr.

