दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु समिति का गठन किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु समिति का गठन किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों से पीड़ित लोगों के उपचार हेतु केंद्र सरकार के क्राउड फंडिंग डिजिटल प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु एक समिति का गठन किया।जस्टिस सचिन दत्ता ने निर्देश दिया कि समिति इस प्लेटफॉर्म के अस्तित्व और उद्देश्य के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी।कोर्ट ने कहा कि इसका उद्देश्य संभावित दानदाताओं को दुर्लभ रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार हेतु योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना होना चाहिए।समिति के सदस्य इस प्रकार हैं:- अध्यक्ष: डॉ. राजीव बहल, सचिव,...

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन को इंडिया या इंडियन शब्द के उपयोग से रोका
दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन को 'इंडिया' या 'इंडियन' शब्द के उपयोग से रोका

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन (AICF) को अपने नाम, लोगो या भविष्य में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में इंडिया या इंडियन शब्द के उपयोग से रोक दिया।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने यह देखते हुए कि फेडरेशन निजी निकाय है और केंद्र सरकार द्वारा इसकी मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया गया, AICF को अपने नाम से इंडिया शब्द हटाने का निर्देश दिया।कोर्ट ने आदेश दिया,"इसके अलावा यह निर्देश दिया जाता है कि उक्त कैरम फेडरेशन अपने नाम या किसी लोगो आदि में या उनके द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में किसी भी तरह से...

सहकर्मी की पत्नी से अवैध संबंध: BSF सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है
सहकर्मी की पत्नी से अवैध संबंध: BSF सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी को सही ठहराया, जिस पर एक सहकर्मी की पत्नी के साथ अवैध संबंध विकसित करने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आचरण वर्दी के मूल लोकाचार के खिलाफ है और सशस्त्र बलों की अखंडता में जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट (GSFC) और महानिदेशक BSF के आदेशों के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।कोर्ट ने टिप्पणी की,“हम याचिकाकर्ता के आचरण से अनभिज्ञ नहीं हो सकते,...

वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता, रिक्तियों को वैध प्रतीक्षा सूची से भरा जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता, रिक्तियों को वैध प्रतीक्षा सूची से भरा जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि वेटलिस्ट पैनल अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं हो सकता, खासकर जब भर्ती की चयन प्रक्रिया में अनंतिम परिणाम शामिल हो।जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की खंडपीठ ने कहा,"... वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जहां चयन प्रक्रिया में अनंतिम परिणाम के बाद पूरक या अतिरिक्त परिणाम शामिल हों, वहां वेटलिस्ट पैनल को बाद में घोषित परिणामों के अनुरूप टुकड़ों में संचालित नहीं माना जा सकता।"खंडपीठ ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB)...

दिल्ली हाईकोर्ट ने परेश रावल की द ताज स्टोरी पर रोक लगाने से किया इनकार, पूछा- क्या हम सुपर सेंसर बोर्ड हैं?
दिल्ली हाईकोर्ट ने परेश रावल की 'द ताज स्टोरी' पर रोक लगाने से किया इनकार, पूछा- क्या हम सुपर सेंसर बोर्ड हैं?

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (30 अक्टूबर) को 31 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली फिल्म "द ताज स्टोरी" को दिए गए प्रमाणन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर विचार करने से इनकार किया।याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिकाएं वापस लेने की मांग के बाद कोर्ट ने उन्हें सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार के पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए उनसे संपर्क करने की स्वतंत्रता प्रदान की।ये याचिकाएं चेतना गौतम और शकील अब्बास ने दायर की थीं। दोनों व्यक्ति पेशे से वकील हैं। उनका कहना है कि फिल्म में तथ्यों...

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया के जामिया शिक्षक संघ को भंग करने का आदेश रद्द किया, इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया
दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया के जामिया शिक्षक संघ को भंग करने का आदेश रद्द किया, इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा जारी दो कार्यालय आदेशों और परामर्श रद्द कर दिया है, जिसमें जामिया शिक्षक संघ (JTA) को भंग कर दिया गया। JTA, वर्ष 1967 में गठित विश्वविद्यालय शिक्षकों का एक स्वायत्त निकाय है। इसके सदस्यों द्वारा निर्वाचित एक कार्यकारी समिति द्वारा संचालित है।जस्टिस सचिन दत्ता ने पाया कि विश्वविद्यालय का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत जेटीए के स्वशासन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।अनुच्छेद 19(1)(सी) में संघ बनाने और चलाने का अधिकार शामिल है।हालांकि,...

विघटित कंपनी की ओर से प्रस्तुत चेकों के अनादर के लिए NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही मान्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
विघटित कंपनी की ओर से प्रस्तुत चेकों के अनादर के लिए NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही मान्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पक्षकार विघटित कंपनी द्वारा प्रस्तुत चेक प्रस्तुत करता है तो उसके द्वारा जारी किए गए चेकों के अनादर के लिए उस पर परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा,“एक बार जब कोई कंपनी समाप्त हो जाती है और विघटित हो जाती है तो वह अपना न्यायिक अस्तित्व खो देती है। उसकी ओर से किया गया कोई भी कार्य तब तक शून्य हो जाता है, जब तक कि कंपनी को कंपनी अधिनियम की धारा 252 के तहत बहाल नहीं कर दिया जाता।...

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता निर्धारित करने के लिए प्रमुख सिद्धांत निर्धारित किए, फैमिली कोर्ट से तर्कसंगत आदेश देने का आह्वान किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता निर्धारित करने के लिए प्रमुख सिद्धांत निर्धारित किए, फैमिली कोर्ट से तर्कसंगत आदेश देने का आह्वान किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को पत्नी और बच्चे के लिए गुजारा भत्ता निर्धारित करते समय अपनाए जाने वाले प्रमुख सिद्धांतों को निर्धारित किया। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में पारिवारिक और महिला न्यायालयों से तर्कसंगत आदेश देने का भी आह्वान किया।जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैवाहिक मामलों में अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश आय और परिस्थितियों के स्पष्ट और तर्कसंगत आकलन पर आधारित होने चाहिए, न कि अनुमान या अनुमान पर।जज ने कहा कि अंतरिम स्तर पर भी गुजारा भत्ता आदेश में तर्क प्रक्रिया...

बार काउंसिल चुनाव: 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन फीस के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस
बार काउंसिल चुनाव: 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन फीस के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के उस हालिया फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य बार काउंसिल चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस को बढ़ाकर 1,25,000 कर दिया गया।चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडला की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से जवाब मांगा।मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को सूचीबद्ध की गई।यह याचिका वकील प्रमोद कुमार सिंह ने दायर की। याचिका में दावा किया गया कि 25 सितंबर को...

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म द ताज स्टोरी को CBFC प्रमाणपत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म 'द ताज स्टोरी' को CBFC प्रमाणपत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को फिल्म “द ताज स्टोरी” को दिए गए सर्टिफिकेट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। यह फिल्म 31 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली है।वकील शकील अब्बास द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और यह साम्प्रदायिक प्रचार फैलाती है। उन्होंने बताया कि फिल्म का ट्रेलर 16 अक्टूबर को जारी हुआ था और उन्हें इसकी जानकारी 22 अक्टूबर को मिली। चीफ़ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला...

फ्लाईओवर पर जातिसूचक गाली देना सार्वजनिक दृष्टि के दायरे में आता, भले गवाह न हों: दिल्ली हाईकोर्ट
फ्लाईओवर पर जातिसूचक गाली देना 'सार्वजनिक दृष्टि' के दायरे में आता, भले गवाह न हों: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि किसी महिला पर हमला करना और फ्लाईओवर पर उसके खिलाफ जातिगत टिप्पणी करना “सार्वजनिक दृष्टि” (public view) के अंतर्गत आता है, जिससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध बनता है।जस्टिस रविंदर दुडेजा ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए की और कहा कि इस मामले में prima facie (प्रथम दृष्टया) अपराध के सभी आवश्यक तत्व पूरे होते हैं। अदालत ने कहा,“कथित घटना सड़क पर, एक फ्लाईओवर पर हुई थी, जिसे कोई भी...

बैंकों को मानहानि के लिए आरोपी के रूप में समन नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
बैंकों को मानहानि के लिए आरोपी के रूप में समन नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था दी कि बैंकों को मानहानि के लिए आरोपी के रूप में समन नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनमें अपराध के गठन के लिए आवश्यक आपराधिक मनःस्थिति या दुर्भावना की कमी होती है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंकों द्वारा किसी कंपनी को धोखाधड़ी घोषित करने का कार्य जो उन्होंने अपने बैंकिंग गतिविधियों के निर्वहन और सद्भाव में किया, वह मानहानि नहीं माना जा सकता है।कोर्ट चार बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं के बैच पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रायल...

2013 संशोधन से पहले के मामलों में बलात्कार दोषसिद्धि के लिए पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम साबित करना जरूरी: दिल्ली हाईकोर्ट
2013 संशोधन से पहले के मामलों में बलात्कार दोषसिद्धि के लिए पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम साबित करना जरूरी: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि 2013 के आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम लागू होने से पहले दर्ज हुए बलात्कार के मामलों में, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना आवश्यक है कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, तभी आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है।जस्टिस स्वर्णा कांत शर्मा की एकल पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए एक व्यक्ति को बरी किया, जिसे वर्ष 2005 में 11 वर्षीय बच्ची के बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि अपराध 2005 में हुआ था, जब भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत सहमति की आयु 16...

मादक पदार्थ बरामदगी की वीडियोग्राफी न होने पर पुलिस की बात पर शक नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
मादक पदार्थ बरामदगी की वीडियोग्राफी न होने पर पुलिस की बात पर शक नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एनडीपीएस कानून के तहत मादक पदार्थों की तलाशी और बरामदगी की कार्रवाई को सिर्फ इसलिए झूठा नहीं माना जा सकता क्योंकि उसकी वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं की गई थी।जस्टिस रविंदर दुडेचा ने यह टिप्पणी करते हुए दो विदेशी नागरिकों — स्टैनली चिमेइजी अलासोन्ये और हेनरी ओकोली — की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अदालत ने कहा कि तकनीक जांच में मदद करती है, लेकिन पहले यह प्रक्रिया अनिवार्य नहीं थी, इसलिए इसकी गैर मौजूदगी से पुलिस की कार्रवाई पर शक नहीं किया जा सकता। दोनों आरोपियों पर...

जेंडर निर्धारण महिलाओं के जीवन के मूल्य को कम करता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
जेंडर निर्धारण महिलाओं के जीवन के मूल्य को कम करता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि जेंडर निर्धारण की प्रथा महिला जीवन के मूल्य को कम करती है और एक भेदभाव-मुक्त समाज की उम्मीद पर प्रहार करती है।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने यह अवलोकन करते हुए व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, जिस पर गैरकानूनी लिंग निर्धारण करने और एक महिला की मौत का कारण बनने का आरोप है।समाज पर गंभीर प्रभावजस्टिस शर्मा ने कहा कि यह प्रथा ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देती है, जिसमें लड़कियों को समुदाय के समान सदस्य के बजाय बोझ के रूप में देखा जाता है। यह गर्भवती...