सहकर्मी की पत्नी से अवैध संबंध: BSF सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है
Amir Ahmad
31 Oct 2025 7:55 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी को सही ठहराया, जिस पर एक सहकर्मी की पत्नी के साथ अवैध संबंध विकसित करने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आचरण वर्दी के मूल लोकाचार के खिलाफ है और सशस्त्र बलों की अखंडता में जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है।
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट (GSFC) और महानिदेशक BSF के आदेशों के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“हम याचिकाकर्ता के आचरण से अनभिज्ञ नहीं हो सकते, जो न केवल अपमानजनक है बल्कि देश की रक्षा की कठिन जिम्मेदारी सौंपे गए अधिकारी के लिए भी अनुपयुक्त है। यह कोर्ट संस्थागत और नैतिक सिद्धांतों के ऐसे उल्लंघन से आंखे नहीं मूंद सकती, क्योंकि इस तरह का बेईमान व्यवहार सशस्त्र बलों की अखंडता में जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है और हर नागरिक की अंतरात्मा के लिए घृणित है।”
याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने एक साथी कांस्टेबल की पत्नी ('एक्स') के साथ व्हाट्सएप पर बातचीत शुरू की, जो उसी बिल्डिंग में रहती थी। बाद में याचिकाकर्ता उसके पति की अनुपस्थिति में उसके घर आने लगा।
BSF ने व्यावसायिक नैतिकता और नैतिक आचरण के उल्लंघन के लिए स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (COI) ने रिकॉर्ड की गई चैट, वीडियो चैट के स्क्रीनशॉट और अन्य सामग्री के आधार पर आरोपों को सिद्ध पाया।
COI ने इस कृत्य को बल के अनुशासन के लिए हानिकारक मानते हुए याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त करने की सज़ा सुनाई। महानिदेशक, BSF ने BSF परिसरों में रहने वाले परिवारों की सुरक्षा और संरक्षा का हवाला देते हुए इस फैसले को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने आरोपों से इनकार किया लेकिन कोर्ट ने कहा कि एक्स को तोहफे दिए जाने का कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा व्यक्ति द्वारा बिना किसी वैध संदर्भ के दूसरे विवाहित व्यक्ति को उपहार देना असामान्य माना जा सकता है।
न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उसकी शक्तियां BSF Act के तहत GSFC द्वारा किए गए मुकदमों में सीमित हैं। चूंकि याचिकाकर्ता द्वारा किसी प्रक्रियात्मक अनियमितता का कोई दावा नहीं किया गया, इसलिए हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने निष्कर्ष में टिप्पणी की,
“यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि याचिकाकर्ता ने उपहार देकर और बार-बार मिलने जाकर अपने सहकर्मी की पत्नी के साथ अवैध संबंध स्थापित किए, जो नैतिक रूप से परेशान करने वाला है और याचिकाकर्ता द्वारा पहनी गई वर्दी के मूल लोकाचार के खिलाफ जाता है।”

