'अनुचित': छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य बार नामांकन के बिना उम्मीदवारों को सिविल जज परीक्षा में बैठने की अनुमति दी
Avanish Pathak
25 Jan 2025 2:30 AM

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर उन उम्मीदवारों को सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा, 2024 में शामिल होने की अनुमति दी है, जो किसी भी राज्य बार काउंसिल में 'एडवोकेट' के तौर पर नामांकित नहीं हैं।
चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए बार नामांकन की शर्त को 'अनुचित' पाया और कहा, “एक उम्मीदवार जो विधि स्नातक है, चाहे वह अधिवक्ता के तौर पर नामांकित हो या नहीं, इससे शायद ही कोई फर्क पड़ेगा क्योंकि उसे भी उसी जांच से गुजरना होगा, जिससे दूसरे उम्मीदवार को गुजरना होगा, जो अधिवक्ता के तौर पर नामांकित है।”
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता विनीता यादव, जो एक सरकारी कर्मचारी हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा 05.07.2024 को जारी राजपत्र अधिसूचना को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका दायर की है, जिसके द्वारा छत्तीसगढ़ अवर न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2006 के नियम 7(1)(सी) को प्रतिस्थापित किया गया है और तदनुसार, अब उम्मीदवार के पास न केवल किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री होनी चाहिए, बल्कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकन भी होना चाहिए।
याचिकाकर्ता, इसलिए, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा-2024 के आयोजन के लिए आधिकारिक अधिसूचना से भी व्यथित थी, जिसे राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा उपरोक्त प्रतिस्थापित नियम के अनुरूप 23.12.2024 को जारी किया गया था।
दलीलें
याचिकाकर्ता का तर्क था कि वह विधि स्नातक होने के कारण सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती परीक्षा में बैठने की इच्छुक थी। हालांकि, चूंकि वह वर्तमान में सरकारी कर्मचारी है, इसलिए प्रतिस्थापित नियम 7(1)(सी) के लागू होने के कारण वह परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य है।
पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी होने के कारण, उसे अधिवक्ता अधिनियम के तहत बनाए गए बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियमों के नियम 49 के तहत अधिवक्ता के रूप में नामांकित होने से रोक दिया गया है और बार नामांकन के बिना उसे भर्ती परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं है।
उसने आगे कहा कि वह पुराने नियमों के तहत पात्र थी, लेकिन प्रतिस्थापित नियम के कारण वह अपात्र हो गई है। यह भी कहा गया कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे कई अन्य राज्यों में ऐसी कोई अनिवार्य शर्त नहीं है।
इसलिए, उनका यह जोरदार तर्क था कि भर्ती प्रक्रिया में लगाई गई शर्त ने परीक्षा में बैठने के उनके अधिकार को कम कर दिया है, जिसकी वे अन्यथा हकदार हैं। 2006 के नियमों या विज्ञापन में ऐसी शर्त लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट की टिप्पणियां
शुरू में ही कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता की दलीलों में कुछ दम है। इसने माना कि 'अनुचित शर्तें' लगाकर भागीदारी के लिए उम्मीदवारों के दायरे को सीमित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि अधिक उम्मीदवारों को भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि बेहतर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जा सके।
कोर्ट ने कहा,
"इसलिए, प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि फिलहाल याचिकाकर्ता को अपना ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति दी जानी चाहिए और यदि वह अन्य सभी मानदंडों को पूरा करती है, तो उसे भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है।"
चूंकि ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 24.01.2025 थी, इसलिए बेंच ने राज्य लोक सेवा आयोग को ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ाने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, विशुद्ध रूप से अंतरिम उपाय के रूप में, आयोग को आदेश दिया गया कि वह उम्मीदवारों को अपने ऑनलाइन फॉर्म भरने की अनुमति दे, भले ही वे अधिवक्ता के रूप में नामांकित न हों। उक्त परिवर्तनों को व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों और मीडिया के अन्य रूपों में प्रकाशित किए जाने वाले शुद्धिपत्र के माध्यम से उम्मीदवारों को अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया।
कोर्ट ने कहा, यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि उनके विरुद्ध संचालित होगा और यहां तक कि जिन उम्मीदवारों ने उपरोक्त राहत की मांग करते हुए इस उच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है, उन्हें भी वर्तमान आदेश का लाभ उठाने की अनुमति दी जाएगी।"
हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों की भागीदारी मामले के अंतिम परिणाम के अधीन होगी। फिर भी इसने उच्च न्यायालय (प्रशासनिक पक्ष) से उक्त राजपत्र अधिसूचना द्वारा लाए गए संशोधन पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के इस आदेश के अनुपालन में राज्य लोक सेवा आयोग ने 23.01.2025 को दिनांक 23.12.2024 की पूर्व भर्ती अधिसूचना में शुद्धिपत्र प्रस्तुत किया है, जिसके तहत अब गैर-नामांकित अभ्यर्थियों को 23.02.2025 तक अपने ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की अनुमति दी गई है।
केस टाइटलः सुश्री विनीता यादव बनाम छत्तीसगढ़ राज्य